Mother in Hindi Moral Stories by Saroj Prajapati books and stories PDF | अम्मा

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अम्मा

"आओ आओ अम्मा! इस बार बहुत दिनों बाद दर्शन दिए तुमने। कहीं चली गई थी क्या!"
"अरे, मैं कहां जाऊंगी बहुरिया! वो बहु बीमार थी। बस इसलिए निकलना ना हुआ और सुना बाल बच्चे सब सही!"
"हां अम्मा! आपकी दुआ है।"
"अम्मा चाय बना दूं क्या! वैसे तो रोटियों का समय है। खाना ही खा लो!!"
" ना ना शोभा। ना चाहे पियूंगी ना खाना। पेट भरा है मेरा। आज बहू ने मेरी मनपसंद करेले की सब्जी बनाई थी जबरदस्ती कर मुझे एक रोटी ज्यादा खिला दी!! सच अब बिल्कुल भी इच्छा ना है!!!"
"यह क्या बात हुई भला! इतने दिनों बाद तो आई हो। ना चाय, ना पानी!! अच्छा आज मैंने भी आपकी मनपसंद मूली की भुर्जी बनाई है!! एक रोटी तो अम्मा आपको खानी ही पड़ेगी वरना मैं नाराज हो जाऊंगी!!"
"अरे ना ना बहुरिया। तुझे नाराज करके मैं चैन से रह पाऊंगी। इतना ही कह रही है तो खा लेती हूं एक रोटी। वैसे भी तेरे हाथ की भुर्जी जैसा स्वाद कहीं ना है!!"
शोभा जल्दी से दो रोटी और सब्जी एक थाली में डाल लाई। लो अम्मा, चखकर बताओ कैसी बनी है!!"
"तूने बनाई है तो अच्छी ही बनी होगी। देख ना लहसुन हरी मिर्च के तड़के की कितनी अच्छी महक आ रही है लेकिन यह तू दो रोटी क्यों रख लाई। एक उठा ले। बहू मुझसे ना खाई जाएगी दो!!"
"क्या अम्मा! पतली पतली तो हैं। एक रोटी तो जाड़ के ही लग जाएगी। आप खाओ तो सही। देखना आप स्वाद स्वाद में खा ही लोगी!!"
"तू मानने से रही। कहते हुए अम्मा ने 2 रोटियां झटपट चट कर डाली!!"
"अम्मा एक रोटी और लाऊं।"
" अरे बस कर बावरी! पेट फोड़ेगी क्या मेरा!! सच में बहुत ही स्वाद सब्जी बनी थी। खाकर आत्मा तृप्त हो गई!!!" कहते हुए अम्मा ने शोभा को ढेरों आशीर्वाद दिए। जिसे सुनकर शोभा के चेहरे पर चमक आ गई।
"अच्छा मैं चलूं। बहू बांट देख रही होगी!!!" कहकर अम्मा उठ खड़ी हुई।
"मम्मी, अम्मा कितना झूठ बोलती है ना! कह रही थी एक रोटी भी ना खाई जाएगी और देखो, कैसे दो रोटियों को चुटकियों में उड़ा दिया!! वैसे अम्मा सही कह रही थी कि आप जैसी मूली भुर्जी कोई नहीं बना सकता!" कहते हुए शोभा की बेटी अंदर चली गई।
अब शोभा उसे क्या कहती। अम्मा का पेट भरा ही कहा था। वह बिचारी तो अपने घर परिवार की इज्जत रखने के लिए सबसे यही कहती है!!
शोभा की शादी को 15 साल हो गए थे। इन 15 सालों में अम्मा को अपनी सास की बदौलत बखूबी जानने पहचानने लगी थी। उसकी सास ने हीं बताया था कि अम्मा की शादी के 10-12 साल बाद ही उसका पति गुजर गया। एक ही बेटा था और वही उनके जीने का सहारा था। पति के जाने के बाद अम्मा की सास व जेठानी ने उसे घर की बहू से नौकरानी बना दिया।
अम्मा के मां पिताजी तो बहुत पहले ही गुजर चुके थे। भाई भाभी ने भी उनके पति के मरने के बाद लगभग संबंध खत्म ही कर लिए। उन्हें डर था कहीं अम्मा मायके आकर ना बैठ जाए।
अम्मा ने अपने बेटे की खातिर परिस्थितियों से समझौता कर इसे अपनी नियति मान लिया। समय गुजरता गया अम्मा की सास चल बसी और जेठानी अपने बच्चे पलवाने के बाद अलग हो गई।
अम्मा ने हार नहीं मानी और अपने बेटे को अपने बलबूते पढ़ाया लिखाया। अम्मा की मेहनत रंग लाई और उनके बेटे की अच्छी नौकरी लग गई।
अम्मा ने इस खुशी में सारे गांव में मिठाई बांटी थी। बेटा अब अम्मा को ज्यादा काम ना करने देता। अम्मा ने तो कभी बैठकर खाया नहीं और खाली बैठने की उन्हें आदत ना थी। अम्मा की सबसे बड़ी खासियत यह थी कि सभी की मदद के लिए वह हमेशा तैयार रहती। कभी किसी को काम के लिए मना ना करती। अपने इसी स्वभाव के कारण वह सबकी चहेती थी।
सारे गांव की चहेती अम्मा बस अपनी बहू का ही मन ना जीत सकी।
नौकरी लगने के बाद अम्मा की बड़ी ख्वाहिश थी कि बेटे की घर गृहस्थी बस जाए। घर में बहू आएगी तो रौनक लग जाएगी। उन्हें बहू के साथ साथ एक बेटी भी मिल जाएगी।
बेटी क्या, उन्हें तो बहू भी ना मिली और बेटा भी उनसे छिन गया।
अम्मा की बहू को वह फूटी आंख ना भाती। वह अम्मा को खाना बना कर ना देती और अम्मा बनाती है तो इस बात पर क्लेश करती ।
अम्मा का बेटा अपनी मां के लिए कुछ कहता तो घर में कलह कर, घर छोड़कर जाने की धमकी अलग!!!
अम्मा तो शुरू से ही परिस्थितियों से समझौता करती आई थी। पहले भी बेटे के लिए समझौता किया और अब भी वह नहीं चाहती थी कि उसके कारण बेटे का घर बिगड़े!!!
इसलिए वह घर से बाहर ही रहती और जो मिलता से चुपचाप खा लेती वरना भूखी सो जाती!!
बेटे ने भी इसे अपनी और अपनी मां की नियति मान ली थी। वैसे भी वह अब बाल बच्चों वालै हो गया था और नहीं चाहता था कि इस कलह में बच्चे पिसे!
अम्मा, सबके सामने अपनी बहू बेटे की बहुत तारीफ करती और कभी भी किसी से भी अपने मन की ना कहती !
लेकिन अम्मा की पीड़ा सभी जानते थे इसलिए उनका मन दुखाए बगैर हर रोज शोभा की तरह सभी उन्हें मान मनुहार कर खाना पीना खिला देते!
पिछले कुछ दिनों से अम्मा दिखाई नहीं दे रही थी। पता चला बाथरूम में गिरने से उनके कूल्हे की हड्डी टूट गई और वह बिस्तर पर हैं!!
जिसको भी पता चलता, वह अम्मा का हालचाल पूछने के लिए जरूर जाता।
अम्मा हड्डियों का ढांचा मात्र रह गई थी। सबको देख कर उनके चेहरे पर खुशी आ जाती लेकिन यह भी उनकी बहू को रास ना आया। अब तो जो भी उनसे मिलना आता उनको ही खरी खोटी सुनाते हुए कहती
"कर लो सब से मेरी बुराई!! दिखाओ सबको कि मैं तो आपकी सेवा पानी करती नहीं! यह बाहर वाले ही आपको संभालेंगे!"
अम्मा, अपना अपमान तो सह सकती थी लेकिन अपने कारण दूसरों का नहीं इसलिए आंसू भरी आंखों से उन्होंने सबके सामने हाथ जोड़ आने के लिए मना कर दिया।
लोगों का मन तो बहुत करता उनसे मिलने के लिए लेकिन वह भी अपने कारण अम्मा का दुख बढ़ाना नहीं चाहते थे इसलिए चाहकर भी उनसे मिलने ना जाते!
और महीना होते होते अम्मा दुनिया से चल बसी।
सरोज ✍️