बद्री विशाल सबके हैं 8
स्वतंत्र कुमार सक्सेना
लगभग दस पंदरह दिनों बाद पटेल साहब एक खुली जीप में जलूस के साथ नारे लगाती भीड़ के बीच विधायक का पर्चा दाखिल करने सड़कों पर निकले । अब वे विधायक उम्मीदवार थे चुनाव अभियान प्रारंभ हो गया।
पटेल साहब का कॉलेज ही चुनाव कार्यालय बन गया ।कॉलेज का एक हिस्सा चुनाव के लिए खाली कर सुनिश्चित कर लिया गया । नेता जी के लिये वहां एक कमरा सुनिश्चित किया गया ।वे चुनाव संचालक थे।कॉलेज का सारा स्टाफ व विद्यार्थी भी लगे थे ।चूंकि फरवरी का माह था तो पंडा जी भी आ गए अब वे मात्र निमंत्रण पर ही नहीं सारे क्षेत्र का अपनी तरफ से जीप से भ्रमण कर रहे थे सबको आर्शीवाद देते व कहते देखे रहना ,ध्यान रखना ।
धीरू के सारे साथी आ गए धीरू के फोन पर बताने पर निखिल भी दुबई से आ गया । उन दोनों ने अपने अन्य साथियों के साथ सम्पर्क के लिए नेट व्यवस्था व प्रचार सामग्री की तैयारी का सारा काम सम्हाल लिया वे कार्य कर्ताओं की ठहरने भोजन पानी की सारी व्यवस्था देखते नेता जी के निर्देश में काम करते । साजिद भाई वकील साहब भी आ गए वे रोज नई मस्जिद में नमाज पढ़ते सम्पर्क करते सरकार की पक्षपात व अन्य कार्यक्रमों की आलोचना करते वकीलों बुद्ध्जिीवियों में चर्चा करते।और धीरू के विशेष आग्रह पर बिब्बो भी आ गई साथ में सुजान भी । श्रीमती पटेल के लिए ऐ सबसे अनचाहा काम था गांव की अनपढ़ गंवार महिलाओं से मिलना ।बिब्बो उनके साथ रहती महिलाओं से बात करती, अपना पन जाहिर करती, पटेल साहब के बारे में बताती, कभी कभी अकसर गांव की मीटिगं में सम्बोधित करती, नौजवानों लड़कियों से मिलती ,वह बन ठन कर तो पहले भी नहीं रहती थी अब केवल शलवार कुर्ता या पायजामा कुर्ता पहनती। एक झोला लटकाए रहती ,नौजवान बात करना चाहते बेझिझक मिलती, कार्यकर्ताओं को सम्बोधित करती ,उसमें भरे आत्मविश्वास से ही लोग उससे सम्मोहित हो जाते, रोज नई नई बातें करती । एक दिन तो पटेल साहब ही बोले-‘ मेरा आधा चुनाव तो बिब्बो ही लड़ रही है सबसे उत्साही नौजवान कार्यकर्ता।’ नेता जी शाम को उसका नौजवानों के सामने कल की कार्ययोजना बनाने का क्षेत्र की सूचनाओं पर आधारित विश्लेषण पर सम्बोधन सुन कर बोले-‘ बेटी तुम कहां तक पढ़ी हो किस इंस्टीट्यूट में काम करती हो ?पटेल साहब की भतीजी हो, भांजी हो ,सेन्टर से भेजी गई पार्टी वर्कर हो ? ‘
जब श्रीमती पटेल न जातीं तो उसकी बाबा (सीनियर पटेल साहब )के साथ ड्यूटी रहती वे उसका मनोरंजन करते अपने पुराने अनुभव सुनाते लोग क्षेत्र में बच्चे व जवान उनके पैर छूते बुजुर्ग राम राम करते कई जगह भोजन का निमंत्रण होता । हां सभाओं में बाबा नहीं बोलते बिब्बो को बोलने को कहते ।वे मात्र चर्चा करते बुजुर्गों दोस्तों से मात्र इतना कहते-‘ अब गजेन्द्र मूरखताई कर बैठो ,मानो नई, तो तुम सब खों सम्हारने, देख लेऊ मोरी बात रै जाए ।’ सब मुस्करा देते लोग प्रश्न वाचक दृष्टि से देखते कोई पूंछ बैठता-‘ आपकी बेटी है?’ तो बाबा इनकार में सिर हिलाते कहते-‘ मेरा बेटा है ।’ सब हंस पड़ते । एक दिन वे बाबा के साथ जीप में और दो तीन गाडि़यां थीं कि सामने कुछ लोग आ गए बोले इस गांव में प्रचार आप नहीं करेगे आगे चले जाओ । बाबा गाड़ी से उतरे कहा –‘ क्यों नहीं भैया तुम कौन के मौड़ा हो ।’ वे एक दम अकड़ गए एक जवान ने पिस्टल निकाल ली व सब को धमकाने के लिए हवाई फायर करने लगा सुजान गाड़ी से पहले उतर गया था पिस्टल वाला जवान बाबा से बात कर रहा था कि सुजान ने दौड़ कर उसमें सिर से टक्कर मार दी लिपट गया पिस्टल वाला हाथ पकड़ लिया दूसरे लोग भी उतर पड़े उसे पकड़ लिया वह इस आक्रमण को तैयार नहीं था हतप्रभ हो गया। । दूसरा जो उसके साथ था वह मंजर बदल गया देख कर मोटर साईकिल पर बैठ कर भाग लिया । उसे पकड़ कर सब लोग फौरन निकट के थाने ले गए उसकी पिस्टल भी उन्हें सौंप दी ।वह थाने में पहुंच कर एकदम बदल गया।थानेदार से बोला –‘एक मिनिट में तेरी वर्दी उतरवा दूंगा ला मुझे अपना मोबाइल दे मुझे मिनिस्टर साहब से बात करना है ।‘
बाबा ने भी पटेल साहब से बात की उन्हें सूचना दी फौरन गांव के लोगों को सूचना हो गई थाने का घेराव हो गया पुलिस किंकर्तव्य विमूढ़ हो गई उसने ऊपर बात की उधर पटेल साहब नेता जी के साथ फौरन एस. पी. साहब से जाकर मिले सारे सूचना केन्द्रों पर बात फैल गई उस थाने पर पत्रकार पहुंच गए पटेल साहब व चुनाव संचालक नेता जी भी सदल बल पहुंच गए ।आखिर वह जवान अरेस्ट किया गया पिस्टल जब्त हुई । उसका दूसरा साथी भी अगले दिन पकड़ा गया इस घटना ने चुनाव की बाजी पलट दी बिब्बो हर जगह जा कर कहती –‘अभी ऐसा कर रहे तो चुनाव के बाद क्या होगा?’
मिनिस्टर साहब को जबाब देते नहीं बन रहा था। चीफ मिनिस्टर का दौरा जिले की चुनावी सभा टाल दी गई । बाबा बिब्बो और सुजान स्टार प्रचारक हो गए बिब्बो की चुनावी सभाओं की संख्या बढ़ गई सभाओं में भीड़ भी बढ़ गई। बाबा व सुजान बस उपस्थित रहते, खड़े होकर हाथ जोड़ते ,सम्बोधन बिब्बो के जिम्मे रहता।सुजान पूरे क्षेत्र में नौजवानों की प्रशंसा व ईषर्या का विषय हो गया बहुत सारे अखबारों में उसकी फोटो छपी । बाबा का आदर और प्रभाव कई गुना बढ़ गया ।लोग बाग उन्हें देखते ही कहते-‘ डोकरा है तो हिम्मत बारो नेक उ डरपो नईं ।’
बुजुर्ग कहते-‘ वो अंगाईं से ऐसोई हतो अच्छे अच्छे राईट कर दए।’
और मतदान का दिन आ पहुंचा जनता बदल गई थी ठीक करने की सारी कोशिशें असफल हुंईं । जहां चुनाव पेटियां रखीं गईं वहां पार्टी कार्यकर्ता पहरा देते रहे । मतगणना के दिन साजिद वकील साहब व एक स्थानीय वकील साहब चुनाव एजेन्ट बने पटेल साहब ने एक निर्दलीय प्रत्याशी से बात कर उन्हें सहमत कर अपने दो लोग उनके एजेन्ट बना दिए । पर मतदान पेटिका खुलीं तो पटेल साहब के लिए इतने वोट पड़े कि अफसरों ने कोई भी चालाकी से मना कर दिया हाथ खड़े कर दिए हां उन के पास बार बार फोन आए पर वे कहते रहे –‘नहीं सर! संभव नहीं।’
बात ये थी कि मतगणना करने वाले भी अधिकतर पटेल साहब को दिल से चाहते थे तीन बार री काउंटिग कराई गई पटेल साहब भारी बहुमत से जीते । आखिर में कलेक्टर साहब ने उन्हें प्रमाण पत्र जारी कर बधाई दी ।
पटेल साहब के घर खुशियां छाई थीं श्रीमती पटेल बहुत प्रसन्न थीं ।रिश्तेदार पड़ोसी परिचित उन्हें बधाई देने आते वे विनम्रता से स्वीकार करतीं ऐसे में वे भी आए जिनके बेटियों के विवाह प्रस्ताव लम्बित थे बात करके देखें । एक दिन रात खाने के समय उन्होंने फिर पटेल साहब से कहा –‘धीरू से बात करें अब और अच्छे प्रस्ताव आरहे हैं शायद कोई लड़की पसन्द आ जाए एक साल की कही थी अब तो डेढ़ दो साल हो गए ।’
उसी समय धीरू से बात की गई उसने कहा-‘ मम्मी !मैं कल सुबह दस बजे लगभग बताऊंगा अभी सब लोग आराम से खाना खाएं वरना खाना हराम हो जाएगा ।’ श्रीमती पटेल चिन्तित हो गईं –‘ऐसे क्यों बोल रहे हो ?
‘धीरू –‘ मम्मी !सुबह सुबह ।’
अगर आगे बढ़ेतो टांगें तोड़ दूंगी
चले जाओ मेरे कोई नहीं
रिश्ता खतम समझो
भगवान ऐसा नालायक बेटा किसी को न दे
धीरू –‘ मम्मी !तो मैं अपना बैग उठा लूं?
श्रीमती पटेल –‘ तू अकेला आ सकता है रह सकता है ये नहीं आ सकती ।
धीरू - मम्मी मैं उसके बिना नहीं रह सकता जहां ये रहेगी वहीं मैं रहूंगा
श्रीमती पटेल –‘ किसी को भी घेर घार कर पकड़ लाए उसे बहू मान लूं ?
धीरू –‘घेर- घार कर नहीं लाया न सड़क से पकड़ कर लाया हूं हमने शादी की है बाबा ने पसंद की थी
श्रीमती पटेल –‘ शादी की है किसने देखी?तुमने कहा मैं मान लूं ।धीरू –‘ हमने अदालत में शादी की है सर्टी फिकेट है ।
श्रीमती पटेल –‘ तो बताया क्यों नहीं छिपा कर क्यों की
धीरू-‘मम्मी अदालत की शादी छिपा कर की ही नहीं जा सकती एक महीने पहले से आपके और पिताजी दोनों के नाम अलग अलग नोटिस मैने भिजवाए थे वकील से कह के आपको मिला होगा पिता जी से पूंछो ।
तब तक शोर सुन कर पटेल साहब ड्राइंग रूम में आए सामने बिब्बो व धीरू को देख कर बोले –‘ अंदर आओ वहां क्यों खड़े हो ?
श्रीमती पटेल –‘ इन्हें मैने रोका है।
धीरू –‘ पिता जी आपको हमारा नोटिस मिला होगा मम्मी को दिखाएं ।
पटेल साहब हां मिला था मैने उसे सम्हाल कर रखा है लाता हूं । अंदर जा कर नोटिस हाथ में लेकर आते हुए ।
धीरू –‘ पिता जी इसे मम्मी को दिखाएं शादी के एक महीने पहले आया होगा अगर आप चाहते तो शामिल हो सकते थे ।
श्रीमती पटेल –‘मुझे नहीं बताया !
पटेल साहब,श्रीमती पटेल को सम्बोधित करते हुए –‘चुनाव के मौके पर कलह नहीं चाहता था। धीरू, बिब्बो, मेरी ,सबकी ऐसी तैसी होती, मजबूरी में चुप रहा, चुनाव लड़ता या घर में पंचायत करता ।एक बाप, बेटे की शादी में शामिल नहीं हो सका ,उसे कैसा लगा होगा, ये तुम क्या जानो ।‘
धीरू को सम्बोधित करते हुए अब क्या चाहते हो ?अंदर आओ ।वहां क्यों खड़े हो ?
धीरू –‘ वैसे तो आपका और मम्मी का आर्शीवाद लेने आए थे पर मम्मी शायद आर्शीवाद देने के मूड में नहीं हैं ।मुझे अंदर भी नहीं आने दे रहीं ।मैं जबरदस्ती आना भी नहीं चाहता, आप इतना कर सकते हैं, अभी बाबा हैं ,उनके कमरे में मेरा बैग रखा है, उसे ला दें, हम लोग चले जाएंगे ।अगर बाबा जाग रहे हों तो उन्हें बता दें, शायद वे मिलना चाहें, अपनी बहू से, जिसे उन्होंने पसंद किया था । बस इतना ही कर दें ।‘
धीरू ,पटेल साहब को सम्बोधित करते हुए –‘मैं कल बड़ी देर तक आपका इन्तजार किया ,चाहता था कि आप गवाह भले न बने पर उपस्थित रहें, हमें आर्शीवाद दें ,कल नहीं तो आज आपके दरवाजे आ गया ,आप नहीं देना चाहते ,तो कोई बात नहीं ।बाबा को बुला दें बस ।
पटेल साहब अंदर जाकर बाबा को ले आए बाबा उन्हे देख कर –‘
तब से दरवाजे पर ही खड़े हैं?’
पटेल साहब –‘ इनकी मां इनसे नाराज है ।’
बाबा –‘ गजेन्द्र !हमें पता है जे घर तुम्हारे ससुर ने दिया था। पर मैं तुम्हारा बाप हूं ,उस नाते क्या मेरा इतना भी अधिकार नहीं, कि अपने बेटा बहू का स्वागत कर सकूं ? ये यहां रूकेंगे नहीं, पर मैं स्वागत कर लूं, फिर चले जाएंगे, जाओ एक परात, एक कप दूध, व जग में पानी लाओ ,एक प्लेट में हल्दी चावल बस। बीबी से इतना भी नहीं दबना चाहिए। काल तक जे ई बिब्बो मीठी हती आज एकदम करई हो गई अब ऐसी नजरें नईं फेरी जात। तुम एम एल ए हो जनता क्या कहेगी ।’
पटेल साहब एक सेवक के साथ सब सामान ले आए । बाबा ने परात जमीन पर रखी व बिब्बो से कहा-‘ बेटा दाहिना पैर परात में रखो ।’
दूध मिला पानी डाल कर उसके पैर धेाने लगे ,बोले –‘धनवंती होती तो ये सब वही करती न जाने गांव में उसने कितनी बहुओं के मौचायने किये दरवाजे पर बेटा बहू लिये।’
उनकी आंख से आंसू की बूदें टपक कर बिब्बो के पैरों पर पड़ीं। फिर खड़े होकर दोनों का हल्दी चावल से टीका किया। फिर बोले –‘गजेन्द्र मेरे पास तो कुछ नहीं है तुम्हारे गले में सोने की चेन है इसे उतार कर दो।’
पटेल साहब ने बाबा को दी तो उन्होंने धीरू को दे दी।
धीरू ने उसे अपने पेंट की जेब में रख ली, तो पटेल साहब हंस पड़े ,-‘अरे धीरू! ये तेरे को नहीं है । ‘धीरू घबड़ा गया पिता जी का मुंह देखने लगा तो बाबा बोले –‘इसे बहू के गले में पहना दे।’ तब श्रीमती पटेल एकदम से आगे बढ़ीं धीरू के हाथ से चेन लेकर बिब्बो को पहनाने लगीं श्रीमती पटेल ने भी बहू को टीका किया, पटेल साहब ने भी टीका किया, पटेल साहब बोले –‘बहू! बांया पैर आगे बढ़ाओ घर में प्रवेश करो सास ने तुम्हारा –‘टीका कर अपना रोष समाप्त कर दिया।’ धीरू! तू खड़ा रह गया! तेरे से अलग से कहना पड़ेगा ? चल आगे बढ़, माता जी के दोनों चरण स्पर्श करो।’
उन्हें श्रीमती पटेल ने आर्शीवाद दिया।
फिर दोनों पटेल साहब के चरण स्पर्श को आगे बढ़े तो पटेल साहब बोले-‘ अरे धीरू! आज तू पगला गया है क्या? सारे कायदे भूल गया, पहले बाबा, फिर अन्दर जाकर भगवान ,तब बाद में मैं।’
बाबा के बिब्बो चरण स्पर्श कर रही थी तो बाबा को याद आया बोले-‘ गजेन्द्र !मैने तुम्हें एक कड़ा दिया था ।तुम्हारी तिजोरी में होगा।’
पटेल साहब उसे ले आए बोले-‘ यह तो एक ही है बाबा! –‘हां गजेन्द्र! यह एक ही है। जैसे आर्मी में तुम्हें मेडल मिलते हैं। ऐसे ही पुराने जमाने में कोई बहादुरी का काम करने पर राजा – बादशाह लोग उसे पैरों में सोने का कड़ा दिया करते थे। यह केवल एक ही होता था और दाहिने पैर में पहना जाता था। यह चांदी का है सोने का पत्ता चढ़ा है। दरबार में जाते समय हमारे पुरखे पहनते थे ।यह तब बहुत बड़ा सम्मान था।’
पटेल साहब –‘ अब तो इसे कोई नहीं पहनता मैं सोचता था इसे तुड़वा दूं
बाबा-‘ ये हमारे पुरखों की बहादुरी की निशानी है इसे न बेचना न तुड़वाना मैं इसे आज अपनी बहू के पैरों में पहिंनाऊंगा और बाबा ने यह कड़ा बिब्बो को दे दिया ।
तब तक नेता जी ,अहमद साहब, साजिद भाई, बहुत सारे लोग आ गए । साजिद भाई विदाई मांग रहे थे कि पटेल साहब नकली गुस्सा दिखाते बोले अभी कैसे जा सकते हैं कल जलूस है सबको जनता को धन्यवाद करना है । फिर तो मैं भी भोपाल जाऊंगा,बस एक दिन और चले जाना ।
नेता जी –‘ और हम मंच पर ही सारे कार्यकर्ताओं का भी सम्मान करेंगे। अपनी स्टार प्रचारक बिब्बो सुजान औ बाबा का भी
साजिद भाई –‘ अब तो कोई रोक नहीं कल मंच पर नए दूल्हा दुल्हन का भी सम्मान होगा ।
नेता जी –‘ जनता को पता तो चले कि पटेल साहब के एक ही तो बेटा था उसकी भी ढंग से शादी नहीं कर सके तो कम से कम सबको आर्शीवाद के लिए तो आमंत्रित करें वे श्रीमती पटेल की ओर देख कर मुस्कराए क्यों भाभी जी उन्होंने श्रीमती पटेल की दुखती रग छेड़ दी ।
पटेल साहब –‘ इतने सारे लोगो को एक दम तो दावत नहीं दे सकता था वैसे भी एक चुनाव दस विवाह के बराबर होता है
डा. अहमद –‘ हां दावत तो नहीं दे सकते पर लड्डू बँटवाने का इन्तजाम है पार्टी करेगी क्यों नेता जी ?
नेता जी –‘ दो ट्रॉली लड्डू तैयार हैं वहीं बांटे जाएंगे पटेल साहब पर बोझ नहीं आएगा धीरू के ब्याह की खुशी हम सब मिल कर मनाएंगे ।एक अलग जीप में धीरू व बिब्बो होंगे।
पंडा जी –‘ और चुनाव की जीत का जश्न भी ।’