Kahaani Sangrah - 13 in Hindi Fiction Stories by Shakti Singh Negi books and stories PDF | कहानी संग्रह - 13 - हम मिले ना मिले

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कहानी संग्रह - 13 - हम मिले ना मिले

काफी साल पहले की बात है. एक बार मेरी अपने घर वालों से किसी बात पर तनातनी हो गई. तो मैं घर से भागकर देहरादून आ गया. वहां मैं एक होटल में कार्य करने लग गया. होटल की मालकिन एक सुंदर सी लड़की थी. मैंने अपनी मेहनत और व्यवहार से उसका दिल जीत लिया.


उसने कुछ ही दिनों में मुझे अपने होटल का मैनेजर बना दिया, क्योंकि मैं अब होटल का लगभग सभी काम समझ चुका था. होटल की मालकिन वह लड़की मुझे बहुत पसंद करती थी. धीरे-धीरे उसे मुझसे बहुत प्यार हो गया. मैंने उससे शादी कर ली. हम दोनों शादी से बहुत खुश थे.


हम दोनों एक दूसरे से रोज दिन में कई बार सेक्स करते थे. रोज एक दूसरे से संभोग करने से हम बहुत खुश थे. लेकिन अचानक एक दिन वह लड़की बीमार हो गई और मर गई. शायद अब हम कभी ना मिले या शायद वह दूसरा जन्म लेकर आए और फिर मुझसे शादी कर ले.




आपकी क्या राय है क्या हो सकता है?









एक बार मैं एक जंगल में घूमने जा रहा था, तो कुछ कबीले वाले मुझे पकड़ कर ले गये. कबीले में सभी नंग - धडंग थे. लेकिन ये सभी कबीले वाले गोरे -चिट्टे और सुंदर थे. मेरी पर्सनैलिटी देखकर उन्होंने मुझे मारा नहीं और अपने सरदार का सलाहकार नियुक्त कर दिया.


कुछ दिन बाद उनके सरदार की मृत्यु हो गई तो उन्होंने मुझे ही अपना सरदार बना दिया. सरदार बनते ही मेरी पांचों अंगुलियां घी में हो गई और सर कढ़ाई में हो गया. अब मैंने कबीले का आधुनिकीकरण, अर्थव्यवस्था सुदृढ़ीकरण, जनसंख्या नियंत्रण, रक्षा व्यवस्था आदि पर ध्यान दिया.


इसके बाद कबीले की सबसे सुंदर 5 - 6 कन्याओं के साथ मेरी शादी हो गई. वहां की सारी व्यवस्था कंप्लीट करके एक दिन मैं चुपके से भाग कर अपने घर आ गया. लेकिन अभी भी मुझे उस कबीले की याद आती है. शायद वहां की घरवालियां व कबीला मुझे मिले या ना मिले जिंदगी में कभी.









एक बार मैं रोजगार की खोज में देहरादून गया. मुझे होटल लाइन का कुछ भी अनुभव नहीं था. मेरी दो - तीन लोगों से दोस्ती हो गई. उन्हीं में से एक दोस्त ने मुझे एक होटल में छोटी-मोटी नौकरी पर लगा दिया. 5 -6 महीने में ही मैं होटल का पूरा काम सीख गया.


इसके बाद मैंने खुद का होटल खोल दिया. आज मैं करोड़पति हूं. यहां उन लोगों से दोस्ती मेरे बहुत काम आई. आज भी मुझे उस दोस्त की याद आती है तो मैं उसे फोन मिलाकर बातचीत करता हूं.








इस दुनिया में इंसान जन्म लेता है. छोटे से जवान होता है. जवान से बूढा होता है. खा - पी के घूम - फिर के कमा गंवा के मर जाता है. केवल खाना और हगना 80% लोगों की नियति है. लेकिन हमारा इस दुनिया में आने का उद्देश्य क्या है?


यह शायद हर कोई नहीं जानता. आप ही बताइए, इस दुनिया में आने का उद्देश्य क्या हो सकता है? क्या खाना पीना और हगना ही सब कुछ है?इस दुनिया में इंसान जन्म लेता है. छोटे से जवान होता है. जवान से बूढा होता है. खा - पी के घूम - फिर के कमा गंवा के मर जाता है. केवल खाना और हगना 80% लोगों की नियति है. लेकिन हमारा इस दुनिया में आने का उद्देश्य क्या है?


यह शायद हर कोई नहीं जानता. आप ही बताइए, इस दुनिया में आने का उद्देश्य क्या हो सकता है? क्या खाना पीना और हगना ही सब कुछ है?