Lekh Sangrah - 8 in Hindi Fiction Stories by Shakti Singh Negi books and stories PDF | लेख संग्रह - भाग 8 - भारत में बनते छोटे-छोटे मिनी पाकिस्तान

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लेख संग्रह - भाग 8 - भारत में बनते छोटे-छोटे मिनी पाकिस्तान

आज भारत में छोटे-छोटे मिनी पाकिस्तान कई जगह बन चुके हैं. चाहे कैराना हो, चाहे आज की ताजा खबर टोंक हो. मैंने दिल्ली के नजदीक गाजियाबाद जिले में पूजा कॉलोनी में एक छोटा सा प्लॉट 10 - 15 साल पहले खरीदा था. मैंने सोचा था इसके रेट बढ़ेंगे, तो 5 साल में इसके अच्छे रेट मिल जाएंगे और मैं उसे अच्छे मुनाफे पर बेच दूंगा.


लेकिन धीरे-धीरे मेरे प्लॉट के नजदीक मुसलमानों की आबादी बढ़ती गई और और धीरे-धीरे उस एरिया में हिंदू लोग पलायन करने बैठ गए. हिंदुओं ने अपने प्लाट, मकान आदि सस्ते रेट पर बेचना शुरू कर दिया. आखिर मैंने भी 10 - 15 साल पहले खरीदा प्लॉट बहुत ही कम रेट में बेच दिया. तो आपकी क्या राय है? क्या यह समस्या तालिबान जैसे खतरनाक नहीं है?









एक थी लड़की. उसका नाम था शीला. वह पढ़ने में भी बहुत तेज थी. उसने I.A.S.का इम्तिहान दिया और आईएएस में सलेक्ट हो गई. वह ट्रेनिंग करने के बाद एक जिले की कलेक्टर बन गई.


अब उसके लिए शादी के लिए धुआंधार रिश्ते आने लगे. परंतु शीला विचारों से बहुत महान थी. उसने एक सुंदर, लंबे - चौड़े, पढ़े-लिखे लड़के को जीवनसाथी के रूप में चुना. हालांकि इस लड़के में सभी खूबियां थी. वह नशा पानी भी नहीं करता था. लेकिन वह बेरोजगार था.



क्या आजकल की लड़कियां लालच छोड़कर ऐसा कदम उठा सकती हैं?










कहा गया है वीर भोग्या वसुंधरा अर्थात जो व्यक्ति मेहनत करता है. वही सुखों को प्राप्त करता है.


इसलिए सुख चाहिए तो स्मार्ट काम कीजिए. दिमाग से मेहनत कीजिए.




मैं एक बार एक जंगल में घूम रहा था. अचानक मुझे एक सीढी दिखाई दी. यह सुंदर सी सीढी थी. मैंने जैसे ही सीढी खड़ी की, वह सोने जैसे चमचमाने लगी. मैं सीढी पर चढ़ा तो चढ़ता चला गया. सीढी भी धीरे-धीरे लंबी होती चली गई. शायद वह जादुई थी. अचानक मैं स्वर्ग लोक जा पहुंचा. अरे भाई यह तो स्वर्ग लोक जाने की सीढी थी.


स्वर्गलोक जाते ही वहां कुछ लोगों ने मेरा स्वागत किया. यह लोग तो देवता थे. वे बोले पुत्र तुम बहुत पुण्यशाली हो, जो तुम्हें यह सीढी मिली है. बोलो तुम्हें क्या वरदान चाहिए? मैंने कहा कि हे महान आत्माओं मुझे वरदान दीजिए कि धर्म में हमेशा मेरी रुचि बनी रहे. देवता बड़े खुश हुए और बोले तथास्तु.







एक बार मैंने पूरे भारत देश के भ्रमण करने की सोची. मेरे पास पैसे कम थे, लेकिन समझदारी से भ्रमण करने का मैंने ठान लिया. मैं कोलकाता, मुंबई, चेन्नई, दिल्ली हर महानगर घूमा. जम्मू - कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक घूमा.



कोलकाता से लेकर गुजरात तक, कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक मैं पूरा भारत भ्रमण कर लिया. इस से मुझे बहुत मजा आया. मेरा भारत देश कितना विशाल है? कितना महान है? मुझे इसके प्रत्यक्ष दर्शन हो गये.








मैं अपने कुछ मित्रों के साथ मिलकर एक ऐसी संस्था बनाना चाह रहा हूं. जो अनाथों, गरीबों, परित्यक्ताओं व वृद्धों के लिए कार्य करे.


हम कुछ मित्र अपनी आय का 10 - 20% इसमें योगदान करेंगे. आप सभी मित्र सहयोग करने के लिए आमंत्रित हैं.







हर व्यक्ति चाहे वो अमीर हो या गरीब हो, अगर वह जमीन से जुड़ा है; तो उसका आधार मजबूत होता है. उसका सामाजिक नैतिक और आर्थिक आधार ज्यादा मजबूत रहता है. जमीन से जुड़ा होने पर वह पब्लिक के ज्यादा नजदीक रहता है.


उनकी समस्याएं समझता है. देश के विकास में अपना ज्यादा योगदान दे सकता है. मानवता के कल्याण के लिए अपना सर्वस्व भी झोंक सकता है.











दुख और सुख हमेशा सापेक्ष होते हैं. दुख है तो सुख है. सुख है तो दुख का अनुभव है. सुख में सभी अपने बनते हैं. जब दुख होता है तभी असली मित्र का पता लगता है. कहा भी गया है -


धीरज धर्म मित्र अरु नारी.

आपद काल परखिए चारी.


अर्थात दुख में ही सभी लोगों का और सभी परिस्थितियों का सही-सही आंकलन होता है.






विश्वास इंसानियत की जमीन है. विश्वास सत्य की जीत है. विश्वास धर्म का आधार है. विश्वास भगवान की एक देन है. विश्वास जीवन का आधार है.







यह जिंदगी बहुत ही खूबसूरत है. लेकिन इसे खूबसूरती से और समझदारी से जीना पड़ता है. इस दुनिया में भगवान ने अनेक रंग बिखेरे हैं. कभी सुख कभी दुख, तो कभी कुछ.


इन्हीं रंगों में उलझता हुआ, इन्हीं रंगों का आनंद लेता हुआ मनुष्य जीता जाता है. और खुशी-खुशी सकारात्मक रूप में वो जिंदगी जीता जाता है.