Lekh Sangrah - 3 in Hindi Fiction Stories by Shakti Singh Negi books and stories PDF | लेख संग्रह - भाग 3 - लाल आकाश

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लेख संग्रह - भाग 3 - लाल आकाश

लाल आकाश कितना सुंदर लग रहा है। आहा मन करता है, इस को निहारते रहूं; देखता रहूं। लाल रंग से कई बातें याद आती हैं। गुलाब का फूल लाल, लाल जोड़े में लिपटी दुल्हन, तो खून का रंग भी लाल। यह लाल आकाश यह तो नहीं दिखाता कि दुल्हन का सम्मान नहीं करोगे, औरतों का सम्मान नहीं करोगे, गुलाब सा नाजुक दिल नहीं रखोगे, तो आकाश ही नहीं धरती भी खून से लाल हो जाएगी। युद्ध के बादल उठेंगे और हर जगह सारी धरा रक्तरंजित हो जाएगी। अतः विकास की दौड़ में अपने सामाजिक मूल्य न छोड़ें। अपने दिल की आवाज न छोड़ें। नहीं तो विकास की अंधी दौड़ में सारी दुनिया खून से लाल हो जाएगी एक दिन।







उत्तराखंड के बेरोजगार युवक नौकरी की खोज में दिल्ली, मुंबई आदि चले जाते हैं। कई लोग बाहर ही बस जाते हैं। फल- स्वरुप गांव में जवान लोग ना के बराबर ही रह जाते हैं।


कई गांव तो ऐसे हैं कि वहां के सभी लोग बाहर बस चुके हैं। अतः पलायन के कारण पूरे गांव खंडहर हो चुके हैं। तो यह भी सही है कि जहां रोजगार नहीं है वहां आदमी क्यों रहे? आपकी क्या राय है?








हालांकि हम यह नहीं कह सकते हैं कि कौन गरीब है, कौन अमीर है। हर व्यक्ति से ज्यादा गरीब मौजूद हैं, हर अमीर से ज्यादा अमीर मौजूद हैं। लेकिन फिर भी कुछ मानक हर देश में तय किए गए हैं, जिनके अनुसार अमीर और गरीब की परिभाषाएं नियत की गई हैं।


इसमें कोई दो राय नहीं है कि गरीबी एक अभिशाप है और गरीब का जीवन कष्ट से भरा हुआ है। परंतु मेहनत करके और व्यसनों से दूर रह कर कोई भी साधारण आदमी गरीब से अमीर बन सकता है। हालांकि इसके कुछ अपवाद हो सकते हैं। परंतु समझदारी और मेहनत से अमूमन एक गरीब, खुशहाल और अमीर बन सकता है। आपकी क्या राय है?








चलिये चलते हैं वहां, जहां प्रदूषण ना हो। चलिए चलते हैं वहां, जहां अपराध ना हो। चलिए चलते हैं वहां, जहां अच्छी-अच्छी बातें हो। चलिये चलते हैं वहां, जहां बेरोजगारी ना हो। चलिये चलते हैं वहां, जहां विदेशी रिण न हो। चलते हैं वहां, जहां बेरोजगारी ना हो। चलते हैं वहां, जहां खुशियां ही खुशियां हो। चलते हैं वहां, जहां हर चीज अच्छी हो।


तो भाइयों कहीं चलने की जरूरत नहीं है। अपने मन में झांकिये और मेहनत कीजिए। मिलकर मेहनत कीजिए। देश को आगे बढ़ाइए। समाज को आगे बढ़ाइए। अपने शहर को आगे बढ़ाइए। अपने गांव को आगे बढ़ाइए। अपने परिवार को आगे बढ़ाइये। धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष इन चारों साधनों को साधिये। मन की शांति पाईये। विकास कीजिए। आपको कहीं जाने की जरूरत नहीं। आपको यहीं स्वर्ग प्राप्त हो जाएगा। बताइए आपकी क्या राय है? मैं ठीक बोल रहा हूं ना? ठीक कह रहा हूं ना? ठीक लिख रहा हूं ना?









गरीब हो या अमीर हो। पैसे वाला हो या भिखारी हो, एक निश्चित जिंदगी सभी काटते हैं। इसके बाद शरीर यहीं छोड़ जाते हैं। उस शरीर को दफना दिया जाता है। यह जला दिया जाता है। आखिर उस शरीर में से क्या निकल गया जो आदमी मृत हो गया।


तो यह शरीर से जो निकलता है, जो ऊर्जा निकलती है, वही आत्मा है। जो अकाल मृत्यु से मरते है, उनकी रूह भटकती रहती है। इसी को भूत, प्रेत या चुड़ैल कहते हैं। जिनकी रूह समय पूरा होने पर भटकती नहीं है। वह नया जन्म धारण कर लेते हैं।









मां के हाथ का खाना सभी जीव, सभी प्राणी और सभी मनुष्य खाते ही हैं। आज भी जब भी मां के हाथ का खाना याद आता है, तो मन में खुशी की लहर दौड़ जाती है।


जब कभी भी आज भी मां के हाथ का खाना खाने का मौका मिलता है, तो जिंदगी मानो स्वर्ग बन जाती है।









जीवन की नदी बहती रहती है। इस जीवन में कई खट्टे -मीठे अनुभव होते हैं। इस जीवन की नदी में भांति - भांति के अनुभव होते हैं।


बाल्यावस्था, किशोरावस्था, जवानी की अवस्था वृद्धावस्था इस नदी के अलग-अलग पड़ाव हैं।








वह औरत बहुत खूबसूरत थी। बहुत कमसिन थी। बहुत सुंदर थी। बहुत मेहनती थी। वह अपने पति के साथ उसके हर कार्य में हाथ बढ़ाती थी। उसके दो खूबसूरत बच्चे थे। बच्चों को भी वह घर में ट्यूशन पढ़ाती थी। घर के हर काम में आगे रहती थी। उसका हर काम समय से बंधा था। वह एक महान औरत थी। मित्रों मैं किसी स्पेशल औरत के बारे में यह बात नहीं कर रहा हूं। यह बातें तो मुझे हर औरत के अंदर लगी।


अगर औरत ना हो, तो कायनात ना हो। यह सृष्टि ना हो। हर घर को तो वहां की औरत ही संभालती है। इस सृय्टि को तो औरत ही संभालती है औरत मां प्रकृति का ही एक रूप है। और यह प्रकृति देवी और कोई नहीं है वह मां आदिशक्ति ही हैं। तो हर औरत मां आदिशक्ति का ही एक रूप है। आपके क्या विचार हैं?मुझे बताइए क्या मैं सही कह रहा हूं?








दुनिया की कोई भी लाइब्रेरी हो वह रहस्यमय होती है। क्योंकि उसमें कई जिंदा और मृत विद्वान अपने विचारों में के रूप में अर्थात पुस्तकों के रूप में उस लाइब्रेरी में मौजूद होते हैं।


उनकी जिंदगी भर का ज्ञान संक्षिप्त होकर एक पुस्तक के रूप में लाइब्रेरी में सजा रहता है। आपके क्या विचार हैं।