Ek ladki bhigi-bhagi si - 2 in Hindi Thriller by Swati books and stories PDF | एक लड़की भीगी-भागी सी - 2

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एक लड़की भीगी-भागी सी - 2

2.

मोहतरमा आप सड़क के बीचों-बीच खड़ी होकर बाऱिश का आनंद ले रहीं है। शायद आपको इसलिए यह याद नहीं रहा कि यह चलता-फिरती रोड है। अगर यह मनोरंजन ख़त्म हो गया हो तो रास्ते से हट जाए । युवक बोलकर चुप हो गया और मालिनी उसकी गाड़ी की जलती-बुझती बत्ती से उसकी शक्ल को देखने की कोशिश करने लगी। सुन्दर सा चेहरा, बड़ी-बड़ी आँखें, घुंघुराले बाल, नाक , होंठ सब भगवान ने नाप तोल कर बनाया है । लम्बे अरसे बाद इतना सजीला युवक मिला है । अगर यह हीरो अकेला है तो वह यह मौका हाथ से नहीं जाने देने वाली। मैं हट ही रहीं थीं कि आप आ गए । कहते हुए मालिनी ने अपने गीले-बिखरे साड़ी के पल्लू को ठीक किया । उसने मालिनी को लिफ़्ट देनी चाही, "आपको कहीं जाना है तो छोड़ देता हूँ ? इस मौसम में टैक्सी मिलना मुश्किल है । यह सारे नमूने ऐसे ही होते हैं । पहले शराफ़त दिखाते हैं । फ़िर बाद में...... खैर छोड़ो! मुझे यह पसंद है, इतना बहुत है । ठीक है, गाड़ी में कोई और तो नहीं है न? मालिनी के चेहरे पर शंका थीं। नहीं, कोई नहीं है । कहकर उसने गाड़ी का गेट खोल दिया । मालिनी बड़ी ठाट से अंदर बैठ गई । जैसे उसी की गाड़ी हो। उस नौजवान ने मालिनी के साड़ी का पल्लू गेट से अंदर किया और दरवाज़ा बंद कर ड्राइविंग सीट पर आ गया। हाययययय! कितना प्यारा है। इसने मेरा दिल खुश कर दिया।

आप सीट बेल्ट बाँध लीजिये। मैं गाड़ी स्टार्ट कर रहा हूँ । गाड़ी अपनी गति से चलने लगी। बारिश की गति पहले से तेज़ हों गई। आज सुबह से बरस रहा है । ऐसे मौसम में ड्राइविंग करना भी एक चैलेंज है। उसने मालिनी की ओर देखते हुए कहा। तभी थोड़ा दूर पर भीड़ देख गाड़ी रोकनी पड़ गई। पता चला किसी का एक्सीडेंट हों गया है। उसने गाड़ी दूसरी सड़क की तरफ़ मोड़ दीं । जहाँ रास्ते के दोनों तरफ़ सिर्फ़ पेड़ ही पेड़ है । बिलकुल सही जा रहा है। अब यही किसी कोने में गाड़ी रोक देगा । जल्दी से जिस्म की आग शांत हो तो मैं पेट के बारे में सोचो। क्या सोच रही है आप ? घबराइए मत । यहाँ से हम दूसरे रोड पर आ जायेगे। फ़िर आप जहाँ कहेगी, वहीं आपको छोड़ दूँगा । देखा न आपने, कितने हादसे हो रहे हैं । इतने ख़राब मौसम में यूँ घर से निकलना भी खतरे से खाली नहीं है। वह फ़िर बोलने लगा। मुझे आदत है। वैसे मेरे हिसाब से यह रास्ता बुरा नहीं है । यहीं कही गाड़ी रोक लो या तुम्हारा मन है तो किसी होटल में भी जा सकते हैं। मगर उसके पैसे ज्यादा लगेंगे । पर मुझे पहले कहीं खाना खिलाना होगा । भूखे पेट करने से तुम्हें संतुष्टि नहीं मिलेगी ।

ये सब सुनते ही उसने ब्रेक लगा दीं। लगभग चिल्लाते हुए बोला, "क्या है, यह सब? क्या का, क्या मतलब? बहुत हुआ ड्रामा । अब यह शराफत का नक़ाब हटाओ और जो करने के लिए लाए हो वो करो। अगर ज्यादा पैसे नहीं भरने तो यहीं ठीक है। गाड़ी की पीछे वाली सीट पर चलना है या आगे? उसने साड़ी का पल्लू हटाया और अपने ब्लाउज के बटन खोलने लगी । तुम्हारा दिमाग ख़राब है क्या ? चिल्लाते हुए वह गाड़ी से बाहर निकल गया। बाहर निकलो, अभी के अभी । और हाँ, अपने कपड़े ठीक करके बाहर निकलना । उसने दरवाज़े को ज़ोर से पटका । फिर मुझे यहाँ क्यों लाए हो ? मालिनी साड़ी समेट बाहर आ गई । वह गुस्से से पागल हो रही है । आज किसका मनहूस चेहरा देखा था । जो सुबह से ऐसे हलकट ग्राहक मिल रहे हैं । मालिनी ने सड़क पर थूकते हुए कहा । बादल अब भी झमाझम बरस रहा है । ग्राहक यू मीन कस्टमर? तुम एक कॉल गर्ल हों ? ओ। माय गॉड, मुझे पहले समझना चाहिए था । उसने सिर पर हाथ रखकर कहा । मैंने तुम्हें लिफ़्ट दी और तुम्हें लगा मैं तुम्हारे साथ......... यार ! कहाँ फँस गया । वह बोलते-बोलते रुक गया । अले-अले कितना भोला है, मेरा महबूब । मालिनी ने उसके गाल खींचते हुए कहा । मेरा मन कर रहा है कि तुम्हे खा जाओ । इससे पहले वो उसके होंठों को चूमती, उसने उसे पीछे धकेलते हुए कहा, " दूर हटो और जाओ यहाँ से । शो ख़त्म ।

ऐसे-कैसे शो ख़त्म। मेरा इतना टाइम बर्बाद किया । अब मुझ वापिस वही छोड़ कर आ, वरना यहाँ से थोड़ी दूर जो पुलिस स्टेशन है न, वहाँ भी मेरा ग्राहक है । उसे बुला लिया तो किसी को लिफ्ट देने के लायक नहीं रहेगा । कहाँ है, मेरा मोबाइल ? वह बोलते हुए गाड़ी की तऱफ मुड़ी । ठीक है, चलो वापिस। दोनों गाड़ी मैं बैठ गए, मगर गाड़ी स्टार्ट नहीं हुई। देखने पर पता चला इंजन में ख़राबी आ गई है। वह गाड़ी में बैठते हुए बोला, "गाड़ी मैं कुछ गड़बड़ हो गई है। एक काम करते है, पैदल चलकर मैन रोड तक जाते हैं । वहाँ से मैं तुम्हें किसी टैक्सी में बिठा दूँगा और पैसे भी मैं ही दे दूँगा। वह मालिनी के चेहरे के हाव-भाव समझते हुए बोला । मालिनी को अपनी छतरी याद आई, जिसे वो उसी रोड पर भूल गई है। मेरे पास छतरी है। तुम तो बहुत समझदार हो। फ़िर तो वो छतरी भी होगी, तुम्हारे पास? उसने होंठ दबाये । बाहर निकलो और बकवास बंद करो । दोनो उसी बाहर वाले रास्ते की ओर चलने लगे । उसकी पूरी कोशिश है कि छतरी में भी मालिनी से दूरी बनाए रखे। ठंडी-ठंडी हवाएँ मालिनी की ज़ुल्फ़ो और साड़ी को उड़ा रही है । उसका काजल फैल चुका है । उसका रंग भले ही गेहुआँ है, मगर उसके नैन नक्श बहुत सुन्दर है। ऐसा महसूस हो रहा है कि मुझे इतने करीब देखकर तुम्हारा दिल पिघल रहा रहा है । अगर कहो तो ... मालिनी ने उसे धक्का देते हुए कहा। तमीज़ से चलो। यह दिल बहुत पहले ही किसी के लिए पिघल चुका है । उसने , मालिनी की आँखों में देखकर कहा । उसकी आँखों की सच्चाई को देख वह पूछ बैठी क्या नाम है, उसका? 'मैत्री' और तुम्हारा? 'मृणाल' । हम पहुँच गए । अब तुम अपने रास्ते और मैं अपने रास्ते । मृणाल ने बड़े इत्मीनान से ज़वाब दिया।