चार बजे शंटिंग इंजन सैलून को प्लेटफॉर्म नंबर एक पर ले आया था।सैलून के पीछे एक फर्स्ट क्लास का कीच भी था।सैलून लगने के कुछ देर बाद इंजन आकर अटैच हो गया था।इंजन में ड्राइवर के साथ लोको इंस्पेक्टर संजय भी मौजूद था।इंजन के पास सुरक्षा बल का इंस्पेक्टर राजन चार सिपाहियो के साथ मौजूद था।टेलीफोन विभाग ने सैलून और इंजन में टेलीफोन लगा दिए थे।ट्रेन लाइटिंग वाले सैलून की बैटरियों को चार्ज कर रहे थे।कैरिज विभाग वाले भी जांच परख में लगे थे।
प्लेटफार्म पर स्टेशन प्रबंधक,,सभी विभागों के इंचार्ज और मण्डल से आये अधिकारी और इंस्पेक्टर भी मौजूद थे।
साढ़े चार बजे मौर्या साहब का फोन यूसुफ के पास आया था,"सैलून तैयार है?"
"जी सर्"।
"ठीक है तो मैं साहब को लेकर आ रहा हूँ।"
स्टेशन पर सबको पता चल गया कि जी एम साहब आ रहे है।स्टेशन पर ऑन ड्यूटी स्टाफ को सावधान और मुस्तेद रहने के लिए बोल दिया गया।कोई नही चाहता था कि साहब की नज़र में कोई कमी आये या किसी यात्री की शिकायत पहुंचे।
ट्रेड यूनियनों के नेता जी एम साहब से मिलने और अपना ज्ञापन देने के लिए स्टेशन आ चुके थे।
पांच बजे जी एम साहिब लौट आये थे।उनको रिसीव करने के लिए स्टेशन प्रबंधक व अन्य लोग स्टेशन के सिरककुलेटिंग एरिया में पहले से ही मौजूद थे।जी एम साहिब कार से नीचे उतरे थे।उन्होंने सारे मौजूद लोगों का अभविवादन स्वीकार जरूर किया लेकिन किसी से बोले नही।कपूर साहब बिना इधर उधर देखे डी आर एम देवड़ा के साथ सीधे सैलून में चले आये।
साहब के आने की सूचना मिलते ही नेता लोग आ पहुंचे।मौर्या सैलून के गेट पर खड़े थे।वह किसी को भी अंदर नही जाने दे रहे थे।नेता बोले,"हमे साहब को मेमोरेंडम देना है।"
"
"मुझे दे दो।मैं दे आता हूँ।'
"नही।हम खुद ही देंगे।"
मौर्या साहिब नेताओ को अंदर नही जाने देना चाहते थे जबकि नेता लोग जी एम साहिब से मिलना चाहते थे।इसी बात पर बहस होने लगी और बहस इतनी बढ़ी की नेता बोले,"अगर जी एम साहब हमसे नही मिले तो हम सैलून को यहां से जाने नही देंगे।"
नेताओ की धमकी का असर हुआ।मोरया साहब कोई तमाशा खड़ा नही करना चाहते थे।वह जी एम साहिब के पास गए और दो नेताओ को सैलून के अंदर जाने की अनुमति मिल। गयी।
दो ट्रेड यूनियन के नेता अंदर गए थे।मेमोरेंडम देने के साथ उन्होंने कुछ समस्याएं उठायी थी।कपूर साहिब ने देवड़ा को उन समस्याओं को हल करने का निर्देश दिया था।
साढ़े पांच बजे इंजन ने सिटी मारी थी।सैलून के रवाना होने का संकेत था।सेलून के एक कक्ष में जी एम और डी आर एम और दूसरे में मिसेज जी एम और डी आर एम थी।सैलून के पीछे लगे फर्स्ट क्लास कोच में मौर्या साहिब और मण्डल से आये अन्य अधिकारी थे।इंजन सैलून को लेकर रवाना हो चुका था।
जी एम साहिब के जाने के बाद स्टेशन प्रबंधक और सभी विभागों के इंचार्ज ने राहत की सांस ली थी।सभी बोले,"चलो इंस्पेक्शन सही सलामत हो गया।"
और अब इंस्पेक्शन नोट का इन्तजार होने लगा।दस दिन बाद इंस्पेक्शन नोट आ गया था।कही कोई कमी नही बताई गई थी।
साहिब ने स्टेशन पर न चक्कर लगाया न कुछ देखा फिर भो सब अच्छा पाया था।
बढ़िया इंस्पेक्शन का कारण था-----------