Kahaani Sangrah - 5 in Hindi Fiction Stories by Shakti Singh Negi books and stories PDF | कहानी संग्रह - 5 - मैं बना करोड़पति

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कहानी संग्रह - 5 - मैं बना करोड़पति

मैं बना करोड़पति

मित्रों कुछ समय पहले मेरे एक दूर के चाचा जी गुजर गए। मरने से पहले वह मेरे नाम 400 करोड़ रुपए और चार बहुत बड़ी कोठियां छोड़ गए। मेरी तो लॉटरी लग गई। मैं बहुत खुश हुआ। मैने चारों कोठियों की मरम्मत और सफाई करवाई और फालतू सामान बेच दिया। इससे मुझे ₹200000000 का फायदा हुआ। यह 420 करोड रुपए मैंने बैंक में जमा कर दिए। इनसे मुझे अच्छा खासा ब्याज प्रतिमाह मिलने लगा। अब चारों कोठियों को मैं ने 500 करोड़ में बेच दिया। इन्हें भी बैंक में जमा कर दिया। अब बैंक में मेरे 920 करोड़ों रूपए हो गए। प्राप्त ब्याज से हर महीने में एक होटल खोलता गया। इस प्रकार साल भर में मैंने 12 होटल खोले। इन 12 होटलों में से 2 बहुत धुआंधार चले। 10 होटल मैंने बंद कर दिए। इस तरह में हर साल १२ होटल खोलता। इनमें से लगभग 2 चलते और 10 बंद हो जाते। कुछ सालों में मेरे पास बहुत सारे होटल हो गए। अब मैं ने धन अन्य धंधों में भी लगाना शुरू कर दिया। कुछ सालों में मेरे पास बढ़िया कार व बंगला भी हो गया। बैंक में भी लगभग 1000 करोड़ के हो गये। अब बताइए मित्रों मैं क्या करूं।









मैंने अपने घर में एक प्रयोगशाला बना रखी है. मैं उसमें कृत्रिम मानव बनाता हूं. वैसे मेरी प्रयोगशाला गवर्नमेंट से लाइसेंस प्राप्त है. एक बार मेरी प्रयोगशाला में सौ - डेढ सौ लड़कियां गलती से तैयार हो गई थी. सभी लड़कियां 18 बरस की और बहुत सुंदर थी.


मैं अपनी इस गलती पर बहुत पछताया. अब मैं क्या करूं? इन लड़कियों को कहां ले जाऊं? क्या मुझे इन लड़कियों से शादी करनी पड़ेगी? आपकी क्या राय है?


वैसे लड़कियां मुझे बहुत अच्छा समझती हैं और सभी लड़कियां मुझसे शादी करना चाहती हैं. लेकिन क्या करें भाई गवर्नमेंट का एक आदमी एक शादी वाला कानून आड़े आ रहा है.


आपकी क्या राय है? कमेंट कीजिए धड़ाधड़ धड़ाधड़ धन्यवाद.
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हर व्यक्ति को आसमान पर उड़ने की ख्वाहिश होती है. कोई बहुत सुंदर होना चाहता है. कोई बहुत तगड़ा होना चाहता है. कोई बहुत विद्वान बनना चाहता है. कोई बहुत धनी बनना चाहता है.


आसमान पर उड़ने की ख्वाहिश बहुत अच्छी ख्वाहिश है. लेकिन सबसे ऊंची ख्वाहिश है इंसान का इंसान बनना, इंसानियत का पालन करना.


आपकी क्या राय है? क्या मैं सही हूं? प्लीज कमेंट कीजिए धड़ाधड़, धड़ाधड़, धड़ाधड़.

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मैंने एक ख्वाब देखा. मैं आईएएस अफसर बन गया. तभी पैंग्विन प्रेस पर भी मेरे एक किताब प्रकाशित हो गई. किताब बहुत पॉपुलर हो गई और भैया मुझे बुकर पुरस्कार भी मिल गया.


अब मेरे पास धन, पदऔर मान सभी कुछ है. दुनिया मेरी जय - जय कार कर रही है. वह ख्वाब तो बहुत अच्छा है. आपकी क्या राय है?








एक बार में अपने बगीचे में बैठकर तपस्या कर रहा था. मेरा बगीचा बहुत बड़ा है और एक जंगल की तरह ही है. भगवान प्रकट हुये. बोले वत्स तुम्हें क्या चाहिए? मैंने कहा भगवान मुझे आप भी चाहिए. महालक्ष्मी भी चाहिए. भगवान बोले तथास्तु. अब भगवान से मुझे वरदान में धर्म और अर्थ दोनों मिल चुके थे.


धर्म से मैंने लोगों के मन को शांति प्रदान की और अर्थ से मैंने लोगों की भौतिक आवश्यकतायें पूरी की.


अचानक मेरी नींद खुल गई. अरे यह तो सपना था. लेकिन अगर वास्तव में भगवान प्रकट हो जाएं और मैं उनसे यह वरदान मांग लूं तो कैसा रहे?







मेरा साया सदा अच्छे लोगों के साथ रहेगा. सदा अच्छी कन्याओं के साथ रहेगा. सदा पुरुषों के साथ रहेगा. मेरा साया हर हमदर्द के साथ रहेगा. मुझे एक ऐसी विद्या किसी तिब्बती साधू से प्राप्त हुई, जिससे मैं एक ही समय में अपने चार - पांच रूप प्रकट कर सकता था.


एक बार मेरे किसी दोस्त को कोई संकट उत्पन्न हो गया, तो मैंने अपना एक साया बलिष्ठ रूप में उसकी मदद करने के लिए छोड़ दिया. इसी तरह की कोशिश मैं करता रहता हूं. ताकि समाज का भला हो. मनुष्य का भला हो. जीवधारियों का भला हो. आपकी क्या राय है?









27 तारीख को मेरा रेडियो फिक्शन में पहला नंबर आया और 29 तारीख को मेरा साइंस फिक्शन में तीसरा नंबर आया.



इसके लिए सभी पाठकों को तहे - दिल से बहुत-बहुत धन्यवाद.









. मेरा लक्ष्य एक बहुत बड़ा राइटर बनना है. साथ ही मेरा लक्ष्य बहुत बड़ा अमीर व्यक्ति बनना भी है, ताकि मैं खुद की समाज की दोनों की खूब सेवा कर सकूं. गरीब, बेसहारों और मजलूमों की रक्षा और सेवा भी कर सकूं.