Neem ka ped - 1 in Hindi Short Stories by Kishanlal Sharma books and stories PDF | नीम का पेड़ - (पार्ट 1)

Featured Books
  • ભાગવત રહસ્ય - 112

    ભાગવત રહસ્ય-૧૧૨   જીવનો જ્યાં જન્મ થયો-કે-માયા એને સ્પર્શ કર...

  • ખજાનો - 79

    ડર...ભય... ચિંતા...આતુરતા...ને ઉતાવળ... જેવી લાગણીઓથી ઘેરાયે...

  • ભાગવત રહસ્ય - 111

    ભાગવત રહસ્ય-૧૧૧   પશુ-પક્ષીની યોનિમાં અનેક પ્રકારના દુઃખ ભોગ...

  • વિશ્વની ભયંકર જળહોનારતો

    જ્યારે પણ જળહોનારત અંગે વાત નિકળે ત્યારે લોકોનાં મોઢે માત્ર...

  • ખજાનો - 78

    "રાત્રી નો સમય છે, આંદોલન વિશે સુતેલા અંગ્રેજોને જાણ તો થઈ ગ...

Categories
Share

नीम का पेड़ - (पार्ट 1)

1--हकीकत
"कैसी है तुम्हारी मंगेतर?"
राहुल मेरा सहकर्मी है।उसकी सगाई सुुरेेखा सेे हुई थी।दो महीने बाद उसकी शादी थी।कल सुरेखा के पििता का फोन आया था। चाय बनाते समय अचानक सिलेंेण्डर में आग लग गयी थी।सुरेखा के कपड़े जल गए थे।लेकिन वह बच गयी थी।समाचार मिलते ही राहुुुल चला गया।आज ऑफिसआया तब मैंने पूछा.थाा।
"अच् हुआ।शादी से पहले सिलेणडर में आग लगी
राहुल को खुश देखकर मै बोला,"दुखी होने की जगह खुस हो रहे हो।"
"बात खुस होने की है" वह बोला" अगर शादी के बाद ऐसा होता तो ससुराल वाले दहेज का केस सचचाई जाने बिना लिखा देते"
राहुल सच कह रहा था।ससुराल वाले हकीकत जाने बिना वर पक्ष पर आरोप मढ़ने में देर नही करते।
2--कलयुग की सावित्री
-------------------------
सावित्री और आनद पति पत्नी थे।सावित्री की आंखे जतिन से लड़ गई।आनंद को यह पसंद नही था कि उसकी पत्नी पर पुरुष से सम्बंध जोड़े।आनंद ने पत्नी को समझाया पर व्यर्थ।
जतिन को लेकर पति पत्नी मे रोज झगड़े होने लगे।इससे तंग आकर सावित्री ने प्रेमी के साथ मिलकर पति की हत्या कर दी।
एक सावित्री वो थी।जो सुहाग सलामत रखने के लिए यमराज के पास जा पहुंची थी।एक यह जिसने अपने हाथों से अपना सुहाग उजाड़ लिया था।
3----मातृत्व
------------
"इन्हें मत गिराना"
मेरे घर के आंगन में एक अमरूद का पेड़ है।मैं आंगन की सफाई कर रहा था।तभी मेरी नज़र पेड़ की एक डाली पर पड़ी।उस डाली पर घास और तिनके रखे हुए थे।मैने ज्यो ही उन्हें हटाना चाहा।पत्नी ने मुझे रोका था।
"क्यो?"पत्नी की बात सुनकर मैं बोला।
"देख नही रहे चिड़िया घोसला बना रही है।उसमें वह अंडे देगी।"
मैं देखने लगा।चिड़िया एक एक तिनका लाकर डाली पर रख रही थी।
मातृत्व ग्रहण करने पर कितनी खुशी होती है।इसका एहसास उसी को होता है,जो उस दौर से गुजरता है।
मैं कभी डाली पर तिनके लाकर रख रही चिड़िया को,तो कभी स्वेटर बन रही पत्नी को देखने लगा।दोनो ही गर्भवती थी और अपनी आने वाली संतान के स्वागत की तैयारी में तल्लीन थी
4---चुनाव
--------//
नौकरी या पति दोनो में से एक को चुन लो।"
आज के महंगाई के युग मे केवल पति की कमाई पर्याप्त नही है।अच्छा जुवान यापन और बच्चों के भविष्य के साथ मकान आदि साधन जुटाने के लिए ज़रूरी है।पति पत्नी दोनों सर्विस करे।इसलिए शैलेश सर्विस करने वाली लड़की से शादी करना चाहता था।स्वाति वैसी ही लड़की थी।जैसी शैलेश चाहता था।चट मंगनी और पट ब्याह।शैलेश और स्वाति पति पत्नी बन गए।
शैलेश ने सर्विस करने वाली लड़की को पत्नी बनाया था।लेकिन शादी के बाद उसे पत्नी का नौकरी करना बुरा लगने लगा।स्वाति लेक्चरार थी जबकि शैलेश क्लर्क।स्वाति को पति से तिगुनी तनखाह मिलती थी।शैलेश के ख्यालात पुराने थे।उसकी नज़र में मर्द का दर्जा औरत से ऊपर था।उसे यह मंज़ूर नही था कि पत्नी उससे ज्यादा कमाए।इसलिए वह स्वाति से नौकरी छोड़ने के लिए कहने लगा।स्वाति ने पति को समझाया,"वेतन तुम्हे ज्यादा मिले या मुझे।काम तो हम दोनों के ही आना है।"
स्वाति को नौकरी बड़ी मुश्किल से मिली थी।इसलिए वह नौकरी छोड़ना नही चाहती थी।पति नौकरी छुड़वाने पर आमादा था।पत्नी का मन देखकर दो टूक शब्दों में कह दिया था।
स्वाति को दाम्पत्य और नौकरी में से एक को चुनना था।एक अनसुलझा सवाल पेंडुलम सा झूलने लगा था

।"