भाग – 3
रुपेश का दिमाग इन्ही सब सवालों से परेशान हो गया, उसका रोम रोम कांपने लगा तभी उसे बिजली की चमक मे वो भयानक आदमी हथौडा लिए फिर आता दिखा और आश्चर्य की बात थी कि उस आदमी का भी दिल नहीं था, वह हथौडा बार-बार अपने सर में मारने लगा जिसकी आवाज ऐसी हो रही थी जैसे कोई पत्थर में हथौडा मार रहा हो |
बब्बन मर चुका था लेकिन कैसे ये सब उसे बिल्कुल भी समझ नही आ रहा था, रुपेश अपने आंसू पोछ तुरंत वहां से भागने लगा पर जितनी तेजी से वो भागता उससे ज्यादा तेजी से वो खौफनाक आदमी उसके करीब आ जाता, काफी देर तक वो इस बरसात की रात में यहां वहां भागता रहा और जब वो थककर चूर हो गया तो एक कब्र के पीछे जा छुपा, लेकिन वो आदमी अब वहां नही था, उसके दिल की धडकने अब कुछ सामान्य हो गईं थी कि तभी उसे फिर वो पायल की झनकार सुनाई दी और सुर्ख़ लाल जोडे मे गहनों से लदी हुई वही औरत जिसे देखने से ही किसी के होश उड जाते | रूपेश समझ गया था कि ये सब बुरी आत्मायें हैं जिन्होने बब्बन को मारा और अब उसके पीछे पडी हैं इसलिये वो उस औरत को नजर अन्दाज करके गेट की तरफ भागा और जैसे तैसे वो कब्रिस्तान से भाग निकला और अपने घर में आ गया | बारिश पूरी रात होती रही और वो पूरी रात बब्बन और उस कब्रिस्तान के बारे मे सोचता रहा |
सुबह होते ही बारिश थम गई और वो न चाहते हुये भी फिर उसी कब्रिस्तान के पास आया | वहां चारों और बड़ी भीड़ लगी थी और पुलिस वाले बब्बन की लाश को उठाकर ले जा रहे थे, रुपेश वहां खड़ा चुपके से सबकी बातें सुनने लगा, भीड़ में लोग बातें कर रहे थे ....
“अरे भाई कब्रिस्तान में इतनी रात जाने की क्या जरूरत थी, देखो ना किसी ने कितनी बेरहमी से कलेजा ही निकाल लिया” |
दूसरा व्यक्ति बोला- “अरे यह किसी जानवर का काम नहीं है, यह उसी डायन का काम होगा” |
तीसरा व्यक्ति - “ कौन सी डायन भाई..??? मैंने भी कब्रिस्तान के बारे में कई बातें सुनी है” |
पहला व्यक्ति - “तीन चार सालों पहले सेखू नाम का एक आदमी यहां कब्रों को दफनाने का काम करता था, कब्रिस्तान में काम करते करते वो एकदम सनकी सा हो गया था, उसे घर में अच्छा ही नहीं लगता था, उसकी औरत कसीदन उस पर बहुत चिल्लाती बहुत कोसती और रोज कहती “ कितनी बार कहा है कि ये काम छोड दो, पर तुम्हे तो कोई परवाह ही नही न मेरी न इस घर की वो तो अल्लाह का शुक्र है कि हमारी औलाद नही है, वर्ना उसे भी तुम अपने जैसा बना देते” |
ये सुनकर सेखू ने चिल्लाते हुये कहा “ चुप हो जा कमीनी, ये अल्लाह का करम नही उसका कहर है जो तू औलाद नही पैदा कर सकी, और मेरे काम को लेकर तूने एक भी लफ्ज़ बोला तो खुदा कसम मुझसे बुरा कोई नही होगा” |
पहले तो ये झगडा कभी कभी होता था लेकिन अब मियां बीवी में रोज झगडा होता था और जब भी झगडा होता तो वो सेखू से कहती “ तुझे कब्रिस्तान ज्यादा प्यारा है तो वहीं रात मे भी रहा कर, यहां क्यूं चला आता है, और सुन आज कहे देती हूं, कि जब तक तू ये काम नही छोडेगा तब तक तुझे इस घर में एक निवाला तक नही मिलेगा, अब सोच ले क्या करना है, मैने भाई जान से कह दिया था उन्होने इस घर को बेच के शहर में कमरा और काम दिलाने का वायदा भी किया है” |
ये सब सुनकर शेखू का खून खौल उठा उसने कसीदन की चोटी कस के खींची और उसके गाल पे एक जोरदार तमाचा मारते हुये बोला “ खुदा कसम आज अगर तूने मुझे खाना न दिया तो तू मेरे हांथों मरेगी, और मै अपना ये घर और कब्रिस्तान छोड कर कहीं नही जाऊंगा, तुझे जहां जाना है जा, मर जाके, मेरे बाप दादाओं ने सबने इसी कब्रिस्तान से ही अपनी रोजी रोटी कमाई है और तू कहती है मैं इसे छोड दूं, कमीनी......” |
ये कहकर उसने कसीदन को जमीन पर पटक दिया और खाना ढूंढने लगा पर सारे बर्तन खाली थे | सेखू गुस्से से और पागल हो गया | उसे और गुस्से मे देखकर कसीदन जोर जोर से हंसने लगी | सेखू उसके जोर से एक लात मारकर घर से चला गया | कसीदन जमीं पर पडी जोर जोर से हंसती रही |
भूख से पागल सेखू सीधा कब्रिस्तान आ गया, उसके पास इतने पैसे नही थे कि वो बाहर से कुछ खरीद कर खा लेता क्युं कि जो भी थोडी बहुत कमाई होती वो कसीदन घर के खर्च के नाम पे ले लेती और उसमे से कुछ पैसे अपने लिये जेवर खरीदने के लिये बचाती क्योंकि उसे जेवरों का बहुत शौक था लेकिन उसके पास सोने का कोई जेवर नही था |
सेखू सोच ही रहा था कि तभी उसे ना जाने क्या सूझी कि वो आज शाम को दफनाई कब्र खोदने लगा, उसके सिर पे भूत सा सवार था वो बस खोदे जा रहा था, और जब उसे वो लाश मिल गई तो वो पागलों की तरह हंसने लगा, उसने धीरे से जेब से चाकू निकाला और जोर से उस लाश के सीने में घोंप दी, उसने उस लाश का सीना चीर के दिल निकाल लिया जो अभी भी सुर्ख लाल था, उसने वो दिल एक तरफ रखा और जल्दी से लाश फिर वैसे ही दफना दी |
उसने कुछ लकडियां लेकर आग जलाई और वो दिल एक छ्डी में चुभोकर आग में भूनने लगा, उसकी आंखों में एक वहशीपन सा झलक रहा था जैसे वो कोई शैतान बन गया हो | देखते देखते उसने वो भुना हुआ दिल खा डाला और कब्रिस्तान में ही चैन की नींद सो गया |
अगले दिन उसने अपने सोने ले लिये एक खाट ली और कब्रिस्तान के एक कोने पे बडी सी टीन डाल ली | अब वो हफ्तों घर नही जाता जिससे कसीदन और भडक गई, वो समझ चुकी थी कि उसका शौहर अब ये घर बेचकर कभी शहर नही जायेगा |
कई दिनों के बाद एक दिन शेखू जब घर गया तो फिर दोनों में बहुत लड़ाई हुई और लडते लडते उसने कसीदन के सीने में वही चाकू घोंप दी, और वो देखते देखते मर गई | सेखू उसे मरते हुये देखकर जोर जोर से हंसने लगा, उसने कसीदन का दिल भी उसके शरीर से नोच कर निकाला और कच्चा ही खा गया | खाने के बाद वो वहीं उसके पास बैठा रहा और रात होते ही उसे कब्रिस्तान ले आया, कब्रिस्तान के पास में ही घर होने की वजह से उसे किसी ने नही देखा | वो जल्दी से कसीदन के लिए एक बहुत पुरानी कब्र एक मोटे हथौडे से तोड़ने लगा, जिसकी टन टन की आवाज उसके दिमाग में बस गई | उसने कसीदन की लाश को पुरानी कब्र में दफना दिया ताकि किसी को शक ना हो, नई कब्र खोदता तो शायद किसी को पता चल सकता था और वो कब्र इतनी पुरानी हो चुकी थी कि अब उसे कोई देखने नही आता | उसके बाद किसी को यह बात पता नहीं चली और वो उसको दफना कर उसी कब्र पर लेट कर हंसने लगा लेकिन कसीदन डायन बनकर अपना बदला लेने आ गई और दूसरे दिन उस आदमी की लाश भी बिल्कुल इसी हालत में मिली, उसका भी दिल गायब था और उसके पास एक मोटा हथौडा भी पडा था” |
ये सब सुनकर रूपेश की रूह कांप गई, उसने भगवान को धन्यवाद किया कि वो बच गया |
भीड मे खडे दुसरे लोगों ने ये कहानी बताने वाले आदमी से कहा, “ लेकिन भाई, तुम्हे इतना सब कुछ कैसे पता चला..? क्युंकि ये सारी वारदात होते हुये तो किसी ने नही देखा” |
इस पर वो आदमी मुसकुराया और रूपेश की तरफ देखकर बोला, “ क्युंकि...... वो आदमी मै ही हूं, जिसने अपनी औरत को मारा था हा.....हा...हा...हा...हा.....” | यह सुनकर रुपेश के पैरों तले जमीन खिसक गई, उसने अपने आस पास देखा, दूर दूर तक कोई नही था, और एकाएक जोरों की बारिश और रात होने लगी | उसने फिर अपने चारों ओर देखा तो वो कब्रिस्तान के बाहर नही बल्कि अन्दर ही खडा था | वो तो उसी पल बेहोश हो गया था जब वो पत्थर से टकराकर जमीन पर गिरा था और बब्बन की घडी उसे मिली थी तो इसका मतलब, वो ये सब सपने में देख रहा था या वो खौफनाख साये उसे अपनी कहानी बता रहे थे | उसे कुछ समझ नही आ रहा था | अब बीती रात की सारी बातें उसकी आंखों के सामने घूमने लगी |
वह कुछ और सोचता समझता कि वह डर से बेहोश होकर गिर पड़ा और जब उसकी आंखें फिर खुलीं तो उसको चारों ओर अंधेरा दिख रहा था, वो सही से हिल डुल भी नहीं पा रहा था, उसका दम घुट रहा था, उसे लग रहा था जैसे वो किसी के ऊपर लेटा है, उसने अपने हाँथ पैर चलाने शुरू कर दिए तब उसे एहसास हुआ कि वह किसी ताबूत में बंद है, उसने उठने की कोशिश की पर नही उठ सका, बडी मुश्किल से जब उसने अपने नीचे देखा तो डर से उसका दिल फटने लगा, क्युंकि वो बब्बन की लाश के ऊपर लेटा था, वह चीखने लगा लेकिन उसकी चीखें सुनने वाला कोई नहीं था और बारिश का पानी बहकर धीरे धीरे उसकी कब्र में भर रहा था | कुछ देर बाद उसकी चीखें बन्द हो गईं | उसकी कब्र के ऊपर उन दोनों का चोरी वाला बैग रखा था और कसीदन और सेखू की आत्मा दोनों बारिश मे कब्र पर बैठी मुस्कुरा रही थीं और बारिश अभी भी अपना कहर ढाये जा रही थी |