सुबह के सवा दस बजे थे। खुफिया विभाग के दफ्तर में बैठा सोहराब डॉ. वरुण वीरानी की फाइल को बड़े ध्यान से देख रहा था। सार्जेंट सलीम उसके सामने बैठा बोर होता रहा। जब उसकी कुछ समझ में नहीं आया तो उसने मोबाइल से अपनी सेल्फी लेनी शुरू कर दी। वह कभी बत्तख की तरह से चोंच निकालता तो कभी अपनी एक ऐब्रो ऊपर करता और कभी दूसरी। कभी मुंह को लेफ्ट करके सेल्फी लेता तो कभी राइट करके। सोहराब ने एक बार उसकी तरफ देखा। तब सलीम होठों को गोल करके सेल्फी ले रहा था। सोहराब उसे देखकर मुस्कुरा दिया और फिर फाइल पर नजरें झुका लीं। अलबत्ता सलीम उसे नहीं देख सका था क्योंकि उसकी निगाहें तो मोबाइल की तरफ थीं।
सलीम की बोरियत दूर नहीं हुई तो उसने जेब से पाइप निकाला और उसमें वान गॉग का तंबाकू भर कर लाइटर से जला लिया। वह बड़ी अदा से धुंए के कई तरह के छ्ल्ले निकाल रहा था। कभी एक बड़ा छ्ल्ला निकालता तो कभी छोटे-छोटे की सारे धुएं के छल्ले निकालने लगता। कमाल तो तब हो गया जब उसने धुंए के एक बड़े से छ्ल्ले के अंदर से दूसरा छोटा सा छल्ला गुजार दिया।
सोहराब ने फाइल बंद कर दी और उसकी तरफ गौर से देखने लगा। सलीम ने उसके देखने पर जरा भी ध्यान नहीं दिया और अपने काम में मस्त रहा। सोहराब ने उससे कहा, “मॉडलिंग करोगे? वहां शोहरत भी है और पैसे भी हैं!”
“फिल्मों में रोल दिलवा सकें तो मेहरबानी होगी।” सलीम ने उसी तरह से मुंह से छल्ले निकालते हुए कहा।
“लिपस्टिक के एक ब्रांड की माडलिंग का ऑफऱ है मेरे पास।” सोहराब ने गंभीरता से कहा, “तुम्हारी सेल्फी लेने की अदा से मुझे यकीन हो गया है कि तुम उसके लिए परफेक्ट हो। ख्वाहमख्वाह यह दुनिया एक मॉडल से महरूम रह जाएगी।”
“आप सीरियस हैं?” सलीम ने पूछा।
“लेकिन तुम नहीं हो।” सोहराब ने कहा।
“अब मैंने क्या कर दिया?” सलीम ने पाइप की राख ऐश ट्रे में झाड़ते हुए पूछा।
“अभी तक लॉर्ड एंड लैरी टेलर्स के यहां की रिपोर्ट नहीं मिली!” सोहराब ने कहा।
जवाब देने के बजाए सार्जेंट सलीम सिंड्रेला का नंबर मिलाने लगा। कुछ देर बाद दूसरी तरफ से एक मधुर सी आवाज सुनाई दी। सलीम ने फोन पिक होते ही कहा, “कैसी हो सिड?” यह बात कहते हुए उसने सोहराब को आंख मारी थी।
उस की इस हरकत पर सोहराब उसे घूर कर देखने लगा।
सलीम दूसरी तरफ की बात सुनता रहा। उसके बाद उसने कहा, “मेरे स्टेट के इंटलिजेंस ऑफिसर को आज मैं नौकरी से निकाल रहा हूं। वह अभी तक कपड़े की डिटेल नहीं निकाल सका है। अगर तुम उसकी नौकरी बचाना चाहती हो तो उसकी थोड़ी मदद कर दो।”
उधर से कही गई बात को सार्जेंट सलीम सुनता रहा। फिर उसने कहा, “आई एम कमिंग सिड!”
उस के फोन काटते ही सोहराब ने कहा, “हिज हाईनेस! अगर आपने मुझे नौकरी से निकाल दिया तो मेरे बीवी-बच्चे भूखे मर जाएंगे। मुझे एक मौका और दीजिए प्लीज।”
जवाब देने के बजाए सलीम हंसने लगा।
“ये क्या बेहूदगी फैला रखी है तुमने?” सोहराब ने गुस्सा दिखाते हुए कहा।
“काम निकालने के लिए यह सब करना पड़ता है बॉस!” सलीम ने खिसयानी हंसी हंसते हुए कहा।
सोहराब ने कोई जवाब नहीं दिया और वह लैपटॉप पर कुछ देखने लगा। फिर उसने सलीम की तरफ देखते हुए कहा, “राजेश शरबतिया की डीएनए रिपोर्ट आ गई है। होरारा जंगल में मिले बड्स के डीएनए से उसका डीएनए मैच नहीं कर रहा है।”
“यानी राजेश शरबतिया बेगुनाह है!” सार्जेंट सलीम ने ताज्जुब से पूछा।
“फिलहाल तो उसके खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं हैं।” सोहराब ने कुछ सोचते हुए जवाब दिया।
“एक बात अब तक समझ में नहीं आई!” सलीम ने पूछा, “फिर आखिर वह वनिता के कोठी में आने की बात छुपा क्यों रहा है?”
“हो सकता है सचमुच उसकी मुलाकात न हुई हो वनिता से!” सोहराब ने कहा।
“मेजर विश्वजीत क्या बला है?” सलीम ने पूछा।
“अपनी तरह का अनोखा इंसान है।” सोहराब ने सिगार सुलगाते हुए कहा, “65-70 साल का कुंआरा बुजुर्ग है... बल्कि उसे बुजुर्ग कहना उसका अपमान होगा। उसमें नौजवानों सा जोश और जज्बा है। फौज में मेजर था। कुछ साल बाद फौज छोड़ दी। कई साल लापता रहने के बाद अचानक उसका नाम हथियार दलाल के तौर पर सामने आया था। विदेशों में उम्र का एक बड़ा हिस्सा गुजारने के बाद दस साल पहले ही राजधानी लौटा है। उसकी गिनती अरबपतियों में होती है। मंहगी पार्टियां और खूबसूरत लड़कियों को तोहफे देना उसका शगल है। करोड़ों रुपये के तोहफे वह यूं ही दे देता है। आज कल रायना उसकी खास है। कल रात ही उसने उसे करोड़ों की रोल्स रॉयस गिफ्ट में दी है।”
“कातिल होने का शक तो उस पर भी किया जा सकता है। रायना को हासिल करना एक बड़ी वजह हो सकती है और डॉ. वीरानी रोड़ा रहा होगा! आखिर उसने ही पार्टी में मौत का खेल खेलने की तजवीज रखी थी।” सार्जेंट सलीम ने तर्क देते हुए कहा।
“शक के दायरे में तो पार्टी में शामिल सभी लोग हैं। हालांकि मेजर विश्वजीत रायना के लिए किसी को कत्ल कर देगा यह मुमकिन नहीं है। लड़कियां उसकी कमजोरी जरूर हैं, लेकिन उसके यहां हासिल करने जैसा कॉन्सेप्ट नहीं है। हर पैसे वाले की तरह उसकी नजर में भी हर चीज महज एक प्रोडक्ट है। यूज एंड थ्रो। वैसे भी डॉ. वीरानी ने रायना के पैरों में बेड़ियां कभी नहीं डाली थीं।” सोहराब ने समझाते हुए कहा।
“यानी वह भी शरबतिया की तरह शक के दायरे से बाहर है!” सलीम ने पूछा।
“मैंने यह नहीं कहा कि वह कातिल नहीं हो सकता है। मैंने सिर्फ तुम्हें यह बताया है कि रायना के लिए वह कत्ल नहीं कर सकता है।” सोहराब ने कहा। फिर उसने सार्जेंट सलीम को कल रात मेजर विश्वजीत से मुलाकात के बारे में बताने के बाद कहा, “विश्वजीत का भी डीएनए कराया जा रहा है।”
“और अबीर के बारे में आपके क्या ख्याल हैं?” सलीम ने पूछा।
“कॉरपोरेट सोसायटी में रायना कई लोगों की खास है। रायना ने भी किसी भी पैसे वाले को अब तक निराश नहीं किया है। अलबत्ता वह शादी अबीर से ही करना चाहती है, क्योंकि वहां उसका फ्यूचर सेफ है।” सोहराब ने बुझ चुकी सिगार को दोबारा जलाते हुए कहा, “राजेश शरबतिया ने उसके सामने अपनी रखैल बनने का ऑफर दिया था। रायना ने मना कर दिया। अब राजेश चाहता है कि रायना अबीर से शादी कर ले। यही वजह है कि उसने अबीर को अपना शागिर्द बना रखा है, ताकि बाद में उसकी रसाई अबीर की हवेली तक जारी रहे।”
“कितनी ग़लाज़त है इनकी सोसायटी में!” सार्जेंट सलीम ने बुरा सा मुंह बनाते हुए कहा और उठ कर खड़ा हो गया।
“कहां जा रहे हो?” सोहराब ने पूछा।
“सिड के पास। उससे डिटेल लेनी है।” सलीम ने जवाब दिया और बाहर निकल गया।
सोहराब के ऑफिस से निकल कर सलीम पार्किंग लाट की तरफ बढ़ गया। आज सर्दी कुछ कम थी। पार्किंग लाट पहुंच कर स्टेयरिंग की तरफ का गेट खोला और इग्निशन में चाबी लगा कर घोस्ट स्टार्ट कर दी। घोस्ट ने एक टर्न लिया और कुछ मिनट का रास्ता तय करने के बाद खुफिया महकमे के कैंपस से कार बाहर आ गई।
आदत के मुताबिक सार्जेंट सलीम की रफ्तार तेज थी। उसका मूड अच्छा था। हमेशा की तरह वह ‘पुट योर हेड आन माय शोल्डर’ सांग पर सीटी बजा रहा था। ये सांग उसका फेवरेट था। घोस्ट का रुख लॉर्ड एंड लैरी टेलर्स की तरफ था। वहां पहुंच कर उसने घोस्ट को पार्क किया और उतर कर शो रूम के अंदर चला गया। वहां सिंड्रेला कांउटर पर बैठी हुई थी।
“ओह हाय, प्रिंस ऑफ बांबे स्टेट!” सिंड्रेला ने उसे देखते ही कहा।
“स्टेट ऑफ बंबेबो।” सलीम ने उसे करेक्ट किया। वह काउंटर के सामने पड़ी एक ऊंची कुर्सी पर बैठ गया था।
“जो भी हो... लेकिन तुम आदमी बहुत शानदार हो।” सिंड्रेला ने कहा।
“इतनी बड़ी बिजनेसमैन होते हुए भी काउंटर पर तुम क्यों बैठती हो?” सलीम ने आंखें निकालते हुए पूछा।
“यह हमारा पुश्तैनी काम है। हम किसी और के भरोसे इसे नहीं छोड़ सकते।” सिंड्रेला ने जवाब दिया।
“और मेरे काम का क्या हुआ।” सलीम ने मुद्दे पर आते हुए कहा।
“सॉरी प्रिंस! मैंने अपने यहां के सभी टेलर मास्टर से पूछ लिया। ऐसा कपड़ा किसी ने नहीं सिला है। सभी ने अपना रिकॉर्ड चेक कर लिया है।” सिंड्रेला ने कहा।
“ऐसा कैसे हो सकता है भला!” सलीम ने आश्चर्य से कहा।
“ऐसा दो ही सूरत में हो सकता है। या तो यह कपड़ा एक साल पहले सिला है। या फिर वह टेलर मास्टर अब हमारे यहां नहीं हैं।”
“मैं समझा नहीं।” सलीम ने कहा।
“हमारे यहां के टेलर मास्टर एक साल बाद सारा रिकॉर्ड डिस्ट्राय कर देते हैं। दूसरी बात, एक बुजुर्ग टेलर मास्टर का दो महीने पहले निधन हो गया। मुमकिन है कि यह कपड़ा उन्होंने सिला हो।” सिंड्रेला ने समझाते हुए कहा।
तभी एक महिला शो रूम में दाखिल हुई। उसके चेहरे में काफी कशिश थी। उसे देखते ही सिंड्रेला ने कहा, “आइए मिसेज वनिता... वेलकम!”
सिंड्रेला ने वनिता से हाथ मिलाते हुए उससे बैठने के लिए कहा। वनिता सार्जेंट सलीम के बगल की सीट पर बैठ गई। सिंड्रेला ने बेल बजाई और एक बुजुर्ग टेलर मास्टर वहां आ गए। उन्हें देखते ही सिंड्रेला ने वनिता से कहा, “जाइए आप नाप दे दीजिए।”
वनिता उठ कर चली गई। सलीम उसे जाते हुए देखता रहा। जब वह नजरों से ओझल हो गई तो सलीम ने सिंड्रेला से पूछा, “यह कौन हैं?”
“तुम इन्हें नहीं जानते। यह वनिता सिंघानिया हैं। मशहूर उद्योगपति संदीप सिंघानिया की वाइफ।” सिंड्रेला ने बताया।
“अजीब बात है! इतने बड़े उद्योगपति की वाइफ हो कर भी वह खुद नाप देने आ गईं। वह एक इशारा करें तो टेलर मास्टरों की लाइन लग जाती।” सार्जेंट सलीम ने कहा।
“यह रिश्तों का लिहाज है।” सिंड्रेला ने कहा, “यह संदीप सर के पुश्तैनी टेलर मास्टर हैं। कभी यह उनकी हवेली पर ही नाप लेने जाया करते थे। अब बुजुर्ग हो जाने की वजह से वह जा नहीं पाते तो उनके सम्मान में संदीप सर और उनकी वाइफ खुद यहां नाप देने आ जाते हैं।”
सलीम ने सिंड्रेला से विदा ली और आ कर अपनी कार के पास खड़ा हो गया। उसे कुछ देर बाद ही वनिता आती हुई दिख गई। वह टहलता हुआ उसके पास गया और अपना कार्ड उसे दिखाते हुए कहा, “क्या हम कुछ देर बात कर सकते हैं?”
“किस बारे में?” वनिता ने उसके कार्ड को ध्यान से देखते हुए पूछा।
“डॉ. वरुण वीरानी के संबंध में कुछ बात करनी है।” सलीम ने जवाब दिया।
“इस बारे में आपको मेरे वकील से बात करनी होगी।” वनिता ने कहा और आगे बढ़ गई।
“क्या मैं इसका मतलब यह निकालूं कि आप का इस केस में इन्वाल्वमेंट है और आप नजरें चुरा रही हैं?” सलीम ने तीर छोड़ा।
तीर निशाने पर लगा और वनिता पलट पड़ी। “मेरा कोई इन्वाल्वमेंट नहीं है मिस्टर और मैं भला नजरें क्यों चुराऊंगी।”
“फिर आप मेरे कुछ सवालों के जवाब दे दीजिए। बात खत्म करते हैं।” सलीम ने कहा।
“क्या जानना चाहते हो?” वनिता ने पूछा।
“हम कहीं बैठ कर बात करें।” सलीम ने कहा।
“आओ मेरे साथ।” वनिता ने कहा और कार की तरफ बढ़ गई। ड्राइवर ने उसके लिए गेट खोल दिया और वह कार में बैठ गई।
सलीम भी दूसरी तरफ का गेट खोल कर उसके बगल में आकर बैठ गया। ड्राइवर ने कार स्टार्ट की और वह आगे बढ़ गई। कुछ दूर जाने के बाद वनिता ने ड्राइवर से कहा, “किंगफिशर कैफे।”
कार तेजी से भागी जा रही थी। सलीम खिड़की से बाहर देख रहा था, जबकि वनिता अपने मोबाइल में बिजी थी।
कार किंगफिशर कैफे के सामने रुक गई। ड्राइवर ने वनिता की तरफ का गेट खोल दिया और वह नीचे उतर आई। सलीम उससे पहले ही कार से उतर चुका था। दोनों कैफे में दाखिल हो गए। उन्होंने किनारे की एक मेज चुनी और कुर्सियों पर बैठ गए।
“क्या जानना चाहते हो?” वनिता का लहजा अब भी रूखा था।
“डॉ. वीरानी कैसे आदमी थे?” सलीम ने सपाट लहजे में पूछा।
“मेरा उनसे ज्यादा वास्ता नहीं था?” वनिता ने कहा।
“लेकिन आपने थर्टी फर्स्ट नाइट की पार्टी में उनके ऊपर शराब फेंकी थी?” सलीम ने कहा।
“यह झूठ है। हम गलती से टकरा गए थे।” वनिता ने जवाब दिया।
“आप लाशघर में क्या कर रही थीं कुछ दिन पहले?” सलीम ने पूछा।
“मुझे आपके किसी भी सवाल का जवाब नहीं देना है। आप मेरे वकील से बात कीजिएगा।” वनिता ने तल्खी से कहा और उठ कर चली गई। सलीम अपनी गुद्दी सहलाने लगा और उसे जाते हुए देखता रहा।
सलीम भी उठ गया और बाहर आ गया। वनिता की कार उसे कहीं नजर नहीं आई। उसने एक टैक्सी रुकवाई और उसमें सवार हो गया। उसने ड्राइवर से लॉर्ड एंड लैरी टेलर्स के यहां चलने को कहा।
टैक्सी अभी कुछ ही दूर गई होगी कि सलीम के फोन की घंटी बजी। सोहराब का फोन था। उसने फोन रिसीव किया। सोहराब कह रहा था, “मेजर विश्वजीत की मौत हो गई है। उनकी कोठी पर पहुंचो।” यह खबर देने के बाद सोहराब ने फोन काट दिया।
क्या मेजर विश्वजीत को कत्ल कर दिया गया?
आखिर कौन है उसका कातिल?
इन सवालों के जवाब जानने के लिए पढ़िए कुमार रहमान का जासूसी उपन्यास ‘मौत का खेल’ का अगला भाग...