Tum bhi - 3 - last part in Hindi Love Stories by S Sinha books and stories PDF | तुम भी - 3 - अंतिम भाग

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तुम भी - 3 - अंतिम भाग

एपिसोड 3 - पुराने साथी का जीवनसाथी बनना

नेहा जब प्रेम के क्वार्टर पहुंची, वहां उसने ट्रक से प्रेम को सामान अनलोड करवाते देखा. उसने प्रेम को अंदर चल कर खाने के लिए कहा. जब तक वे दोनों चाय समाप्त करते ट्रक से सामान उतर चुके थे. सामान बहुत ज्यादा नहीं थे इसलिए कोई खास समय नहीं लगा. पैकर ने डाइनिंग टेबल, सोफा और बेड प्रेम के कहने के अनुसार सेट कर दिया. प्रेम ने उसे फाइनल पेमेंट दे कर विदा किया.

नेहा बोली “ ये कुछ कार्टन्स हैं, इन्हें भी हम दोनों मिल कर अनपैक कर लेते हैं. दोनों ने पहला कार्टन खोला तो नेहा ने गौर से देखा कि उसमें सिर्फ जेंट्स कपड़े थे, लेडीज गारमेंट्स एक भी नहीं. उसने पूछा “ लेडीज गारमेंट्स अलग कार्टन में हैं क्या ? “

“ होंगे. “ छोटा सा जवाब था प्रेम का

“ चलो बाकी भी खोल लेते हैं. “

“ नहीं, अभी के लिए इतना ही काफी है. बाकी रात को देख लेंगे. अभी कुछ आराम कर लेते हैं. चलो ड्राइंग में बैठ कर बातें करते हैं. “

“ ओके “ नेहा ने कहा पर वह प्रेम की बात से कन्विंस नहीं थी. उसे लगा प्रेम उस से कुछ छुपा रहा है. फिर उसने सोचा कि मैंने भी तो उस से जय की बात छुपा ली है.

“ जय कैसा है ? तुमने अभी तक मुझे बताया नहीं. “

“ शाम को मिल लोगे उस से. और तुम कहो दिशा यहाँ कब आ रही है ? “

“ दिशा फिलहाल ऑस्ट्रेलिया में ही है. अभी वह नहीं आने वाली है. “

तब तक नेहा को वकील के मुंशी ने फोन कर के कहा “ मैडम, आप साहब के घर आ कर अपने आर्डर का सर्टिफायड कॉपी ले सकती हैं. “

नेहा ने प्रेम की और देख कर कहा “ मुझे अब चलना होगा. “

“ क्या हो गया अचानक ? तुम तो आयी थी बातें करने के लिए. “

“ हाँ फिर लौट कर या कल मिल कर बातें कर लेंगे. “

“ मैं भी तो यहाँ बेकार अकेले बोर होऊँगा. मैं भी तुम्हारे साथ चलूँ ? “

नेहा और प्रेम दोनों वकील के घर आये. “ चलो मेरे साथ. “

“ ये कहाँ लायी हो मुझे ? यह तो किसी वकील का घर है. “ गेट पर लगे एडवोकेट का नेम प्लेट देख कर प्रेम बोला

“ हाँ, तो क्या हुआ ? एडवोकेट से तुम्हें डर लगता है ? “

“ नो “

दोनों वकील के चैम्बर में गए. नेहा ने इशारे से वकील को चुप रहने को कहा. वकील ने एक लिफाफा उसे दिया और साथ में एक स्लिप. उस स्लिप को देखा, उस पर वकील के पेमेंट का हिसाब था. नेहा ने बैग से चेकबुक निकाला और उस पर अमाउंट लिख कर साइन कर वकील को दे दिया. प्रेम को यह समझने में देर नहीं लगी कि नेहा ने उसे पेमेंट किया है. दोनों वकील के घर से निकल कर बाहर आये और कार में जा कर बैठ गए. अभीतक नेहा ने कार स्टार्ट नहीं किया था. तब तक तेज बारिश शुरू हो गयी.

प्रेम ने कहा “ अच्छा है बारिश के पहले हम कार में आ गए. अच्छा अब बताओ यहाँ क्यों आयी थी ? “

“ तुम्हें जय से मिलना था न ? “

“ यहाँ तो मैंने जय को नहीं देखा है. “

“ देखोगे कैसे, वह तो लिफ़ाफ़े में बंद है. “ बोल कर नेहा ने लिफाफे से कोर्ट का डिवोर्स आर्डर निकाल कर उसे दिया. उस पर एक नजर डालते ही प्रेम को मामला समझने में देर नहीं लगी और बोला “ यह सब कैसे हुआ और क्यों हुआ ? “

“ चलो घर चल कर बताती हूँ. कहाँ चलें तुम्हारे घर या मेरे घर ? “

“ मेरा घर तुमने देख लिया है अब मैं तुम्हारा घर देखना चाहता हूँ. “

कुछ देर में नेहा अपने घर के सामने थी. वह कार में इधर उधर देखने लगी तब तक वकील का फोन आया “ आप अपना बैग यहाँ छोड़ गयी हैं. आपका घर मेरे मुंशी के घर के रास्ते में पड़ता है. वह आपका बैग ले कर स्कूटर से निकल चुका है. आप उसे फोन पर बता दें कि आप घर पर हैं या नहीं. “

नेहा ने प्रेम को कहा “ मेरे पास एक ही छाता था वह भी बैग में रह गया. मुंशी के आने तक कार में ही बैठते हैं. मानसून की पहली बारिश का मजा ही कुछ और है. ” फिर उसने फोन कर मुंशी को घर पर बैग ले कर आने को कहा. दस मिनट के अंदर मुंशी आ कर चाभी दे गया.

प्रेम ने पूछा “ तुमने बताया नहीं, जय से ब्रेकअप क्यों हुआ ? “

“ B Sc फार्मेसी के बाद मेरी शादी जय से हुई. जय फार्मा में मास्टर कर रहा था. कुछ दिनों तक यहीं रांची के एक हॉस्पिटल में दोनों काम करते थे. शादी के चार साल बाद उसे हैदराबाद के एक मल्टीस्पेशिलिटी हॉस्पिटल से अच्छा ऑफर मिला. मैं यहीं रह गयी, मैं अभी एक साल और कॉन्ट्रैक्ट से बंधी थी. वहां उसे एक तेलगु लड़की से प्यार हो गया. वे दोनों लिव इन में साथ रह रहे थे और वह लड़की प्रेग्नेंट भी थी. बस इसके बाद जो हुआ इस आर्डर से साफ़ पता चल रहा है न.” कोर्ट का आर्डर दिखा कर नेहा ने कहा.

तब तक बरसात तेज हुई और तेज हवा का झोंका आया.नेहा उठ कर खिड़की बंद करने गयी. पर जैसे ही उसने खिड़की का स्टे रोड अनलॉक किया तेज हवा का एक झोंका आया. नेहा की अंगुली खिड़की के पल्ले से दब गयी और वह दर्द से कराह उठी. प्रेम उठ कर गया और उसने खिड़की बंद कर नेहा का हाथ पकड़ कर सोफे तक लाया. फिर फ्रिज से बर्फ निकाल कर उसे रूमाल में लपेटा. उसे कोल्ड पैक की तरह नेहा की अंगुली पर रखा. जैसे ही वह सोफे पर बैठी बिजली चली गयी.आसमान में बिजली अलग कड़क रही थी. वह सहम गयी और उसने प्रेम के हाथ पर अपना हाथ रख दिया.

प्रेम के ‘ क्या हुआ ‘ पूछने पर वह बोली “ कुछ नहीं, ऐसे मौसम में अँधेरे में थोड़ा डर गयी थी. खैर अब बोलो तुम ऑस्ट्रेलिया से इंडिया क्यों आये और दिशा क्यों नहीं आयी ? “

“ अब वो मेरे साथ नहीं रहती है. “

“ क्या मतलब ? तुम भी डिवोर्सी …. “

“ नहीं डिवोर्स की जरूरत नहीं पड़ी. हम लीगली मैरेड नहीं थे. हम ने सोचा ऑस्ट्रेलिया जा कर वहीँ कोर्ट मैरेज करेंगे. पर उसका ऑनलाइन एक फ्रेंड था जो इंडियन ऑस्ट्रेलियन था. दोनों में कब से चक्कर चल रहा था मुझे पता भी न चला. एक साल के अंदर उसने उस से शादी कर ली और वह मुझसे अलग हो गयी. ऐसा करने से दिशा को वहाँ की नागरिकता आसानी से मिल जाती. मैं अंदर से टूट गया और इंडिया वापस आ गया. तुम्हीं बताओ मैं और क्या करता ? “

“ मैं क्या बताऊँ, मैं तो खुद उसी रोग की मरीज हूँ. अच्छा अब कुछ पेट पूजा का उपाय करें. “

डिनर के बाद नेहा बोली “ बारिश तो रुकने का नाम नहीं ले रही है. एक एक कप कॉफ़ी और हो जाये ? “

“ हाँ, वह तो ठीक रहेगा पर मैं यहाँ से अपने घर कैसे जाऊँगा ? मुझे आसपास कोई सवारी नहीं दिख रही है. ऐसे मौसम में तुम्हें ड्राप करने के लिए भी नहीं कह सकता हूँ. “ “

“ दिखती भी तो इस मौसम में वह उधर नहीं जाती. मुझे तुम्हारा जाना जरूरी तो नहीं दिखता है, यहीं रुक जाओ. मुझे भी अच्छा लगेगा. “

दोनों साथ बैठे कॉफ़ी पी रहे थे, उसी समय दरवाजे पर बार बार नॉक हुआ. नेहा डर के मारे दरवाजा नहीं खोल रही थी. प्रेम ने कहा “ मैं हूँ न, जाओ देखो कौन है. मैं भी साथ चलता हूँ. “

नेहा ने दरवाजा खोला तो सामने उसकी पड़ोसन खड़ी थी. “ नेहा, हमलोग आ गए हैं. बेटी चेंज कर तुम्हारे पास सोने के लिए आ जाएगी. “

“ थैंक्स दीदी, आज एक गेस्ट आये हैं. आज जरूरत नहीं पड़ेगी.ये मेरा पुराना दोस्त है. “ प्रेम की तरफ इशारा कर नेहा ने कहा

“ अच्छा है, जरूरत पड़ने पर दोस्त ही तो काम आते हैं. “ बोल कर पड़ोसन चली गयी

“ जाना जरूरी नहीं है पर रात भर यहाँ रुकना क्या अच्छा लगेगा. आस पड़ोस वालों ने मुझे आते देखा होगा और अभी तो एक आई विटनेस भी देख कर गयी है ? बात एक मुंह से अनेक लोगों तक पहुंचेगी. “ //////

“ लोगों का काम है कहना, उनकी परवाह नहीं करना. तुम आराम से यहाँ रुको, मुझे नहीं डर तो तुम्हें क्यों डर लगता है ? तुम्हारे लायक कोई कपड़ा मेरे पास नहीं है. तुम मेरी किसी साड़ी को लुँगी की तरह लपेट लो. “

“ नहीं बाबा, मैंने लुँगी आज तक नहीं पहनी है. कहीं खुल गयी तो ? “ बोल कर वह हँसने लगा

“ तुम निश्चिन्त हो कर सो जाओ , मैं रात भर इधर नहीं आनेवाली हूँ. “ बोल कर नेहा भी हँस पड़ी

प्रेम नेहा के घर रात भर रुका. सुबह भी हल्की हल्की बारिश हो रही थी. बिजली आ गयी थी. नेहा ने माइक्रो वेव में ही दो कप चाय बनायी, तब तक प्रेम सो रहा था. चाय ले कर वह प्रेम के कमरे में गयी. जब बार बार आवाज देने पर भी वह नहीं उठ रहा था तब उसने प्रेम को जोर से हिला डुला कर उठाना चाहा. प्रेम हड़बड़ाहट में उठ कर उस से लिपट गया और बोला “ क्या हुआ, ऐसे क्यों कर रही हो ? “

नेहा ने अपने को अलग करते हुए कहा “ कुछ नहीं हुआ है, बस आठ बजे हैं. उठना नहीं है क्या ? लो चाय पिओ.तुम्हारी लुँगी तो अपनी जगह से हिली भी नहीं है. “

प्रेम ने शर्ट उठा कर कहा “ देखो, इसे ऊपर से बेल्ट से कस कर बाँध रखा है. “

दोनों जोर हँसने लगे. प्रेम ने वाश बेसिन से अपना चेहरा धोया और कुल्ला कर चाय पीने लगा. वह बोला “ बहुत दिनों पर ऐसी सुकून भरी नींद आयी थी और तुमने जगा दिया. “

“ अक्सर मानसून की ऐसी रातों में डर जाने से ठीक से सो नहीं पाती थी. कल रात डीप स्लीप में थी. अलार्म ने जगा दिया. “ नेहा ने कहा

“ मुझे तो लगता है कि दोनों को एक दूसरे की मौजूदगी से अच्छी नींद आयी है ? क्या यह सही नहीं है ? “

“ इसे मैं गलत भी साबित नहीं कर सकती हूँ. “

“ मुझे तुम्हारे बारे में चिंता हो रही है. कल तुम्हारी पड़ोसन मुझे देख कर गयी है. क्या हम साथ रह सकते हैं ? अकेलापन दूर हो जाता तो दोनों के लिए अच्छा था. “ प्रेम बोला /////

नेहा कुछ बोल नहीं पा रही थी, फिर प्रेम ही आगे बोला “ तुमने जवाब नहीं दिया. “

“ अकेलेपन से मैं भी ऊब गयी हूँ. “

“ सही कहा, मुझे जवाब मिल गया. “

नेहा मुस्कुराने लगी, वह जवाब देती इसके पहले ही वकील का फोन आया. फोन पर बात करने के बाद नेहा ने कहा “ जल्दी से तैयार हो जाओ. “

एक घंटे बाद दोनों वकील के घर गए. नेहा को देख कर वकील बोला “ जय के वकील ने एक चेक दिया है. आप दोनों के जॉइंट अकाउंट से आपके हिस्से के पैसे. मैं कल देना भूल गया था. “ फिर प्रेम की और देख कर कहा “ इनसे नहीं मिलवाया आपने. “

 

“ यह प्रेम है, मेरे कॉलेज का पुराना साथी. “

“ अच्छा है, आप को एक साथी की जरूरत भी है. “

“ और अब हम जीवनसाथी बनना चाहते हैं. “ प्रेम ने कहा

“ नेहां जी, शुभ काम में देरी कैसी ? “ बोल कर वकील ने कुछ पेपर दोनों को साइन करने को दिए और कहा “ आप दोनों अपने फोटो, आई डी, और ऐज सर्टिफिकेट भेज दें. आज से 30 दिन बाद आप दोनों कानूनन पति पत्नी होंगे. फ़िलहाल जाईये और प्री वेडिंग मानसून का लुत्फ़ उठाइये. “

दोनों ख़ुशी ख़ुशी वापस कार में आये. प्रेम ने कहा “ हमारी शादी भी मानसून की कृपा से हो रही है. वी विल सेलिब्रेट आवर मानसून वेडिंग. “

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समाप्त

शकुंतला सिन्हा

( Shakuntala Sinha )

नोट - कहानी पूर्णतः काल्पनिक है