Ganpati Bappa【Moriya in Hindi Spiritual Stories by Heer Jani books and stories PDF | गणपति बप्पा【मोरिया】

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गणपति बप्पा【मोरिया】

गणेशचतुर्थी यानी गणपति बप्पा के आगमन का दिन..

इन दिनों सब लोग बप्पा के आगमन की तैयारी करते हैं विघ्नहर्ता श्री गणेश भक्तों के संकट हरने स्वयं धरती पर आते हैं
चारों ओर गणपति बप्पा मोरिया के नाम की धूम मची होती है

पर क्या आप लोग जानते हैं हम गणपति बप्पा मोरिया ऐसा क्यों बोलते हैं!!?

गणपति बप्पा के नाम के साथ मोरिया क्यों लगाया जाता है!!?

इसके पीछे एक दंतकथा है जो स्वयं भगवान श्री गणेश ने अपने मुख से पुष्पदंत जी को सुनाई थी

आओ इस तथ्य (कथा) के बारे में विस्तार से जानते है...

ये कथा है गणेशजी के प्रिय भक्त मोरिया की...

मोरिया वो विशेष भक्त थे जीसकी भक्ति के प्रभाव से उनका नाम स्वयं गणपतिजी के नाम के साथ जुड़ गया..
ओर गणपति बप्पा से गणपति बप्पा मोरिया हो गया

यह कथा शुरू होती है उनके पिता वामन भट्ट और पार्वतीबाई से वह दक्षिण के चिञ्चवाड़ गांव में रहते थे

दोनों पति पत्नी गणपति जी की नियमित पूजा करते थे और प्रतिदिन मोरेश्वर मंदिर जाते थे..

उनका एक 12 साल का बेटा था जिसका नाम मोरेश्वर मंदिर पर से उन्होंने मोरिया रखा था

वामन भट्ट चाहते थे कि उनका बेटा मोरिया उन्हीं की तरह गणेश जी का भक्त बने और नियमित रूप से गणेश जी की पूजा करें

पर मोरिया बचपन से ही अनियमित और बड़ा शरारती बालक था पूजा पाठ से ज्यादा उसकी रूचि पूजा में लगाए हुए छप्पन भोग पर रहते थे वामन भट्ट इस बात पर कई बार क्रोधित हो जाते पर उसकी पत्नी पार्वती बाई मोरिया अभी बच्चा है धीरे धीरे वक्त के साथ उसकी आदतें बदल जाएगी यह कहकर हरबार मोरिया को पिता की डांट सुनने से बचा लेती

मोरिया बचपन है खाने पीने का शौखिन था उसे भूख बर्दाश् ही नहीं होती थी

मोरिया की ये आदत कुछ इस तरह हो गई थी कि सारे गांव से उसकी शिकायत आने लगी मोरिया गांव में किसी के भी घर जाकर हां बनी हुई रसोईया और मिठाई बिना किसी अनुमति के खा लेता

एक दिन यह बात मोरिया के पिता तक पहुंच गई उन्होंने क्रोधित होकर मोरिया से कहा की अपने घर से या किसी और के घर से कहीं से भी बिना किसी के अनुमति के कोई भी चीज लेना गलत बात है तुमने गलती की है और तुम्हें इस गलती की सजा मिलेगी तुम्हें आज रात भोजन नहीं मिलेगा और ना ही तुम अपने कमेरे से बाहर निकलोगे..

पार्वती बाई को इस बात का थोड़ा बुरा लगा उन्होंने वामनजी को समझाया की मोरिया अभी बालक है और बालक से गलती हो जाती है
तभी वामनजी ने पार्वतीजी को समझाते हुए कहा हां माना की मोरिया अभी बालक है पर अगर अभी से उसे उसकी गलती पर रोका नहीं गया तो आगे चलकर इससे भी बड़ी गलती करेगा

पार्वती बाई को यह बात बिल्कुल ठीक लगे उसने कहा मैं आपको मोरिया को दंड देने से नहीं रोकूंगी आज रात वह कुछ नहीं खा सकता तो क्या हुआ मैं अभी जाकर उसकी पसंद सारे पकवान बनाती ता कि वह सुबह उठकर अपनी मनपसंद सारी मिठाइया खा सकें

जब पार्वती बाई रसोई में पकवान बना रही थी तब बामन जी मोरिया की निगरानी कर रहे थे कहीं वह चुपके से रसोई घर में आकर खाना ना खा ले

अगर आपसे आपकी मनपसंद चीज छीन ली जाए तो आपको कैसा लगेगा इस बात से आप मोरिया की हालत समझ सकते हो

उसरात हुआ यूं की मोरियानी चुपके से रसोई में जाकर सारे पकवान खा लिए अपने प्रिय पकवान देखकर मोरिया उस पर ऐसे टूट पड़ा मानो वह एक रात से नहीं पर कई हफ्तों से भूखा हो

ज्यादा खाना खा लेने की वजह से उसके पेट में दर्द होने लगा वह अपनी जगह से उठ भी नहीं पा रहा था दर्द बढ़ रहा था

उससे दर्द बर्दाश्त नहीं हुआ और उसने जोर-जोर से अपनी मां को आवाज लगाई आवाज सुनकर वामनजी और पार्वती बाई दौड़कर रसोई की और आ पहुंचे

उसने आकर देखा की भोजन के सारे पात्र खाली पड़े पाँच लोगों का खाना अकेले मोरिया ने खा लिया था

इसकी वजह से उनसे पेट में दर्द हो रहा था वामन जी ने तुरंत गांव से वैध को बुलाया पर उसकी दवा से मोरिया के दर्द में कोई फर्क नहीं पड़ा वामन जी ने दूसरे कई गांव के वैधो को बुलाया और मोरिया का इलाज करने के लिए कहा पर कुछ फायदा नही हुवा

वैधो सारी कोशिशें नाकाम हो गई वामन जी को यह समझ नहीं आ रहा था कि अब क्या किया जाए
तभी पार्वतीबाई ने मोरिया से कहा अब तुम्हें केवल एक ही वैध ठीक कर सकती है स्वयं गणपति बप्पा

उसने मोरिया को बड़े प्यार से समझाते हुए कहा अगर सच्चे मन से गणपति जी से कुछ मांगो तो वह आपकी सारी मनोकामनाएं पूरी करते हैं

बालक मोरियानी मां के कहे अनुसार गणपति बप्पा को प्रार्थना की और कहा मे अब कभी भी बिना किसी की अनुमति के इतना सारा भोजन नहीं खाऊंगा नहीं किसी के घर से भोजन चुराके खाऊंगा कभी कोई शरारत नहीं करूंगा मां बाबा की कहीं हर बात मानूंगा बस आप जल्दी से मेरा यह पेट दर्द ठीक कर दो मैं आपको ढेर सारे मोदक का भोग लगाऊंगा

तभी घर मे किसी का प्रवेश होता है गणपति जी खुद बनकर मोरिया का दर्द ठीक करने आते है

उनके आशीर्वाद मात्र से मोरिया का पेट दर्द एकदम से ठीक हो गया मानो जैसे गणपतिबप्पा ने उसकी बात सुनली...

यह चमत्कार देखकर बालक मोरिया को ये बात समझ आई कि अगर सच्चे मन से गणपति बप्पा (भगवान) से कुछ माँगो तो वो हमारी सारी मनोकामना पूरी करते है

उस दिन से बालक मोरियानी मन ही मन यह निश्चय किया कि वह प्रतिदिन अपने बाबा के साथ मोरेश्वर मंदिर जाकर गणपतिजी की पूजा करेगा

मोरिया पूरी लगन से गणपति बप्पा की पूजा करता वह अपने कामो को भूल सकता था पर गणपति बप्पा कि पूजा उसकी सेवा कभी नही

उसे हरकही हर जगह बस गणपति बप्पा ही नजर आते थे

इस कथा में यह भी बताया गया है की मोरिया इस कदर प्रुभ भक्ति में लीन हो गया था वह मन ही मन गणपति बप्पा से बातें भी करता गांव वाले और मोरिया के मित्र सभी इस बात पर मोरिया का मजा उड़ाते पर मोरिया को उसकी बातों का थोड़ा सा भी बुरा नहीं लगता वह तो अपनी प्रभु भक्ति में खोया हुआ रहता

मोरिया ने अपने जीवन के अंतिम समय तक गणपतिजी की पूरी श्रद्धा और निष्ठा से पूजा की वह हमेशा सब से ये केहता की मेरे बप्पा मुजे आपने पास ले जाने अवश्य आएंगे सब लोगों की बातें सुनकर हंसते और कहते हैं मोरिया पागल हो गया है भगवान भी कभी धरती पर आते हैं क्या !

उसकी कही हुई बात बिल्कुल सच हुई उसके अंतिम समय में गणपति जी खुद उसे अपने साथ ले जाने धरती पर आए थे

मोरेश्वर मंदिर में स्थित गणपति जी ने साक्षात दर्शन दिए सभी गांव वाले मोरिया की भक्ति देख आश्चर्यचकित हो गए उनको समझ आ गया कि मोरिया की कहीं गई सारी बातें सत्य थी

गणपति जी ने सबसे कहां की मोरिया मेरा सबसे प्रिय भक्त जब क्या तुम मेरा नाम लिया जाएगा तब तक मोरिया को भी याद किया जाएगा मेरे नाम के साथ मोरिया का नाम सदैव के लिए जुडा राहेगा

प्रभु के दर्शन मात्र से सब धन्य हो गए खुश होकर सभी लोग नारे लगाने लगे गणपति बप्पा मोरिया इस प्रकार गणपति जी के नाम के साथ मोरिया का नाम सदैव के लिए जुड़ गया

इस लिए हम आज भी बड़े प्यार ओर श्रद्धा के साथ बोलते है गणपति बप्पा मोरिया....