unknown connection - 52 in Hindi Love Stories by Heena katariya books and stories PDF | अनजान रीश्ता - 52

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अनजान रीश्ता - 52

अविनाश शूटिंग पूरी करने के बाद बस ऐसे ही बैठा था की तभी सोफिया आती है । जिससे देखकर अविनाश गुस्सा हो जाता है लेकिन इतने सारे लोगो के सामने उसकी बेइज्जती नहीं करना चाहता था । इसलिए वह अपना शेड्यूल देखने लग जाता है । तभी सोफिया अविनाश के करीब बैठते हुए कहती है ।


सोफिया: ओह अवि आई मिस यू सो मच !।


अविनाश: ( बिना कुछ कहे बस अपना शेड्यूल देख रहा था ) ।


सोफिया: ( अविनाश के करीब जाते हुए बाहों में भरते हुए ) ओह अवि कमोन अब इतना क्या रूठना अब हम दोनो अलग थोड़े ही है ।


अविनाश:( गुस्से में सोफिया की ओर देखते हुए। अपने गरदन से सोफिया के हाथो को दूर करते हुए। मुस्कुराते हुए कहता है। ) ( धीरे से ) सोफिया डार्लिंग ( बालो को कान के पीछे करते हुए ) । ( गुस्से से भरी नजरो से ) अगर तुम्हें अपनी बेइज्जती नहीं करवानी है । तो चुपचाप यहां से चली जाओ । वर्ना क्या है ना अच्छा नहीं लगता की कल के अखबार में ( गाल पे हाथ रखते हुए ) तुम्हारा ये बदसूरत चहेरा रोते हुए दिखे । तो क्या कहती हो ।


सोफिया: ( मुस्कुराते हुए अपना डर छुपाते हुए ) हहाहा... ओह अवि तुम भी ना कितने फनी हो । ..


अविनाश: ( आसपास डारेक्टर और बाकी लोगो की ओर देखते हुए मुस्कुराता है । ) अरे आज तो तुम्हारी शूट यहां नही है । सोफी क्या बात है युंह अचानक यहां क्या सनी फिर से भाग गया क्या !? ।


सोफिया: ( गुस्से में अविनाश की ओर देखते हुए ) हाहाहाहाहा ... वेरी फनी खैर अब मै चलती हूं अपना ख्याल रखना । ( अविनाश के गाल पर किस करते हुए )।


अविनाश: ( सोफिया को गले लगाते हुए ) (धीरे से कान में कहते हुए ) आइंदा अपनी शकल मेरे सामने मत लाना आई सवेर .. तुम्हारा करियर बरबाद करने में कोई कसर नहीं छोडूंगा । ( मुस्कुराते हुए ) बाय बाय टेक केयर ।


सोफिया मुस्कुराते हुए वहां से चली जाती है । तभी अविनाश अपनी चेयर पर बैठते हुए बस अपनी स्क्रिप्ट देखकर उससे याद करने की कोशिश कर रहा होता है । की तभी आसपास लोग बाते कर रहे होते है ।


पहला आदमी: वाह यार इन इंडस्ट्री वालो का तो पता ही नही चलता की दुश्मन है या दोस्त । आई मीन कौन मान सकता है की ये लोग एक समय में गहरे प्यार में डूबे हुए थे । अब देखो तो जैसे कुछ था ही नही जैसे ।


दूसरा आदमी: अबे धीरे बोल अगर सर ने सुन लिया तो नोकरी से हाथ धो बैठोगे । और वैसे बात तो मैने भी सुनी थी । पर अब तो सोफिया सनी के साथ है जब की अविनाश के साथ उसके रिलेशन पर तो उसने यही कहां था की वह अच्छे दोस्त है । बस!!।


तीसरा आदमी: हाहाहाहाहा.. अब इन लोगो का तो ऐसा ही है। पहले प्यार करो फिर बात ना बने तो हम सिर्फ अच्छे दोस्त है । क्या ही कहे अब इन लोगो को ।


अविनाश अपनी सीट पर से उठते हुए पीछे मुड़ कर देखता है । वह तीनों लोगो की जबान तो मानो जैसे बर्फ की तरह जम ही गई थी । वह तीनों आदमी डर के मारे इधर उधर काम करने लगते है । अविनाश उन्हीं की ओर देखे जा रहा था । की तभी विशी आता है ।


विशी: अवि !! । इट्स टाइम टू गो ।


अविनाश: ( मुस्कुराते हुए ) शुक्र मनाओ की किसी ने तुम्हे बचा लिया वरना आज तुम लोगो का वह हाल करता की आइंदा काम के टाइम पे यह बेहूदा बाते करने लायक नही रहते। डायरेक्टर !!


डायरेक्टर: ( भागते हुए अविनाश के पास आते हुए ) जी सर!!?


अविनाश: ( डायरेक्टर की ओर देखते हुए ) जरा अपने स्टाफ को थोड़ी तमीज सिखाए । क्या है ना ये तो अच्छा हुआ किसी खास इंसान के पास जा रहा हूं । और मुड़ चेंज हो गया । वर्ना खामखा आपका करोडो.. का नुकसान आपको भुगतना पड़ता । तो आइंदा ध्यान रखिए की स्टाफ फिजूल की बातो की बजाय काम में व्यस्त रहे ।


डायरेक्टर: ( डरते हुए ) सॉरी सर मै अभी इन लोगो को नोकरी से निकालता हूं ।


अविनाश: अरे टेक ए चिल ! आज तो समझो इन्हे माफी मिल गई क्योंकि कोई और इनकी जगह पर परेशान होगा। तो उसी खुशी में जाने दी जीए आइंदा ऐसा ना हो इसका ध्यान रखिए । ( इसीके साथ अविनाश मुस्कुराते हुए वहां निकलते हुए कहता है । ) पेक अप !! ।


अविनाश: ( कार में बैठते हुए ) ( जोर जोर से हंस रहा था ) । हाहाहाहाहा... हाहाहाहाहा.... ।


विशी: ( अविनाश की ओर आश्चर्य में देखते हुए कहता है ) अवि आर यू ऑल राईट!! ।


अविनाश: ( विशी की ओर देखते हुए कहता है । ) क्या लगता है तुम्हे ।


विशी: मुझे तो अभी तुम पागलों जैसे लग रहे हो जो मानो किसी को ...


अविनाश: ( विशी की ओर देखते हुए एक आइब्रो ऊपर करते हुए ) किसी को क्या..!?।


विशी: ( डर को काबू में करते हुए ) मानो किसी को बर्बाद करके हंस रहे हो वैसी हंसी है ।
अविनाश: ( मुस्कुराते हुए विशी की ओर देखते हुए ) काफी अच्छी तरह से जानते हुए तुम मुझे विशी .. पर इस बार तो तुम्हारी सोच से परे है । जो कुछ में सोच रहा हूं और जो कुछ करूंगा मैं। हाहाहाहाहा सो जस्ट इंजॉय द शो ।
विशी: ( अविनाश की ओर टेंशन में देखते हुए ) अवि.. ।
अविनाश: कट द क्रेप विशी ... मुझे कोई भी लंबी चौड़ी बाते नही सुननी और एक बात ध्यान से सुन लो मैंने अपना मन बना लिया है । और मै जब तक उसकी जिंदगी नर्क ना बना दू तब तक मैं नहीं रुकने वाला । एंड आई एम टायर्ड सो एंड ऑफ द डिस्कशन! । ( आंखे बंद करते हुए सोते हुए )।

विशी मन ही मन ये दुआ कर रहा था की ये इतनी हद तक ना जा पहुंचे जहां से ये कभी वापस ना आ सके । आई होप उससे पहले ही इसे अपनी गलती का एहसास हो जाए । वह बस ऐसे ही सोच रहा था की फिर से अविनाश के हंसने की आवाज आती है । जिससे वह खुद डर जाता है । मानो जैसे वह एक राक्षस बन गया हो या किसी ने उसके दिल पर कब्जा कर दिया हो । विशी को समझ ही नही आ रहा था की इसे रोके तो रोके कैसे । वह बस अविनाश की ओर देख ही रहा था की तभी अविनाश कहता है ।

अविनाश: मुझे ऐसे इस तरह क्यो देख रहे हो । क्या प्यार व्यार हो गया है !? ।
विशी: ( अविनाश की ओर देखते हुए सोच रहा था की उससे कैसे पता चला की वह उसकी ओर देख रहा है जबकि ! ) ।
अविनाश: जबकि मेरी आंखे बंद है। कमोन विशी इतने सालो से साथ है हम जितनी अच्छी तरह तुम मुझे जानते हो उससे कही गुना मै तुम्हे जानता हु । और मुझे समझाने की कोशिश करना छोड़ दो क्योंकि जब तक मैं पारो उपस परी को बर्बाद ना कर दू मै चैन से नहीं बैठने वाला । और वैसे भी आज उस मिशन का पहला पड़ाव है तो ढाई किलो लड्डू मेरी ओर से अपने भगवान को चढ़ा दो क्या है वैसे में उनके आशीर्वाद के बिना भी यह काम कर लूंगा लेकिन जो उनकी सबसे बड़ी मानने वाली इंसान है उससे सब्र दे दे क्योंकि उससे तो मुझसे कोई नही बचा सकता । ना मै ना तुम और तुम्हारी दुआए ना वह खुद और ना ही वह भगवान जिससे तुम अभी मिन्नते कर रहे थे तो अब मुझे थोड़ी देर आराम करने दो जब तक हम फंकशन पे ना पहुंचे और तुम भी अपने दिमाग को आराम दो ।

इसी के साथ अविनाश आसमान की देख कर मुस्कुराते हुए सो जाता है । और विशी भी कुछ नही बोल पाता वह बस आसमान की ऑर देखते हुए सो जाता है । और दोनो मानो एक दूसरे को जानते थे लेकिन समझ नही पा रहे थे की कैसे समझाए की अविनाश क्यो ये जिद नही छोड़ सकता । ना ही विशी क्यो उससे रोक नही पा रहा । क्योंकि पहले तो ऐसा कभी नहीं हुआ । अविनाश कितना भी गुस्सा हो वह विशी की बाते समझता था । फिर इसबार इतना गुस्सा क्यों !? शायद दर्द,गुस्सा,प्यार,धोखा, आखिर क्यों ! यह अविनाश खुद नही जानता था की वह क्या महसूस कर रहा है अभी । वह पारुल को उस दर्द का एहसास करवाना चाहता था की जिसे वह गुजरा है । चाहे फिर वह खुद को ही चोंट पहुचानी पड़े वह पहुचायेगा।