Lara - 4 in Hindi Fiction Stories by रामानुज दरिया books and stories PDF | लारा - 4 - (एक प्रेम कहानी )

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लारा - 4 - (एक प्रेम कहानी )

Behind the scenes love story❤
(Part 4)

वह तड़प रही थी राम से बात करने के लिए। अब सोमा को राम की याद और भी जादा परेसान करने लगी, राम की वो बातें जो राम जी ने शुरुआत में ही कहा था कि सोमा ये जो तुमनें अपने चारों तरफ ऊँची ऊँची इमारतें खड़ी कर रखी हैं ना, जिस दिन प्यार का सैलाब आयेगा ना ये तुम्हारी सारी इमारतें ढह जायेंगी फिर चाहे वह इमारतें अंबुजा सीमेंट से बनी हों या फिर एसीसी से कोई फर्क नहीं पड़ता प्यार का सैलाब उनकी मजबूती को अपने साथ बहा ले जाएगा।
और आज वही हो रहा था सोमा जो इतने दिनों से कठोर बनी बैठी थी, जो अपने आप को पत्थर बना लिया था वह सब आज टूट कर चकनाचूर हो चुका था।
सोमा ने प्यार करने से पहले ही राम के आगे कुछ अपनी निजी शर्तें रखी थी, उसकी शर्त थी कि मैं आपसे प्यार तो करूंगी,हमारा मेंटली रिलेशन तो रहेगा लेकिन मैं कभी आपके फिजिकली टच में नहीं आऊंगी, हां अगर हमारा प्यार ज्यादा परवान चढ़ गया, मुझे आपसे सच्ची मोहब्बत हो गई तो भी मैं आपको बस किस करने के अलावा और कुछ भी नहीं करने दूंगी, गर्दन के नीचे वाले हिस्सों पर आपका कोई अधिकार नहीं होगा। अगर आप मुझे प्यार करना चाहेंगे तो गर्दन से ऊपर ही कर सकते हैं इन बातों को लेकर राम हमेशा सोमा को परेशान करता था हमेशा चिढ़ाते रहते थे ,मेरा तो गर्दन से ऊपर ही हक है, गर्दन के नीचे तो मेरा अधिकार ही नहीं है। तुमने तो मुझे अधिकार ही नहीं दिया। राम हर बात पर सोमा को चिढ़ाया करते थे। सोमा और राम की हर छोटी-छोटी नोंक-झोंक इन्हीं बातों को लेकर हमेशा चलती रहती थी। राम जैसे ही यह बात बोलता सोमा तुरंत गुस्सा हो जाती और बोलती अब मैं आपसे बात ही नहीं करूंगी। आप बहुत परेशान करते हैं मुझे हमेशा चिढ़ाते रहते हैं, एक बार बोल दिया था ना अब बार-बार कहने की क्या जरूरत है। लेकिन राम को जैसे ही याद आता तुरंत वो वही बात बोलते और सोमा तुरंत गुस्सा हो जाती है। लेकिन कहते हैं ना सच्ची मोहब्बत रूठ कर ज्यादा देर तक दूर नहीं रह सकती, और वही हाल सोमा का भी था सोमा कितना भी राम से नाराज क्यों ना हो जाए वह ज्यादा देर तक गुस्सा नहीं रह पाती थी, अगर एक टाइम से दूसरा टाइम बीत जाए तो तुरंत वो खुद ही राम के पास मैसेज करती थी, कैसे हैं आप, क्या कर रहे हैं क्या हो रहा है? और एक ये भी दिन गुजर रहे थे कि सोमा बेफिक्र हो चुकी थी राम के हाल से, उसे कोई फर्क ही नहीं पड़ रहा था की राम किस हाल में जी रहे थे। अब जब सोमा को ख्याल आया कि राम दोपहर में लंच मेरे मैसेज करने पर ही किया करते थे, तो उसका सुसाइड कर लेने का मन हुआ , फिर उसने सोचा कि मुझसे बहुत बड़ा गुनाह हुआ है और अब मैं राम को अपना सच्चा प्यार देकर अपने पापों का पश्चाताप करूंगी। मैं उनकी जिंदगी में फिर से रंग भर दूंगी, मैं फिर से उन्हें हंसना सीखाऊंगी। जितने मैंने उन्हें दर्द दिए हैं उस से हजारों गुना ज्यादा मैं उन्हें प्यार और खुशियां दूंगी, कभी शिकायत करने का मौका नहीं दूंगी। यह सारी बातें सोमा राम से शेयर करना चाहती थी, उसके आगे रोना चाहती थी उसके पैर पकड़कर माफी मांगना चाहती थी। अब सोमा राम के लिए तड़प रही थी, जैसे बिना पानी के मछली तड़पती है, उसी की भांति सोमा भी तड़प रही थी लेकिन राम के पास मैसेज या फोन करने से डरती थी क्योंकि सोमा का चेहरा शर्म से काला हो चुका था।
किस मुंह से वो राम से बात करती, किस मुंह से माफी मांगती? क्या सोमा के माफी मांग लेने से राम के वो दर्द खत्म हो जाएंगे? जिसे राम जी ने पल -पल झेला है, क्या राम जी के उन आंसुओं को वापस लौटा सकेगी जो राम ने सोमा की याद में बहाएं हैं?
क्या राम कि वो फैमिली सोमा को माफ कर पाएगी जिससे राम जी ने सोमा की याद में बात करना ही छोड़ दिया था।
राम जी अपनी फैमिली से दिन भर में कम से कम 10 बार बात करते थे और आज 15..20 दिन बीत गया एक बार भी बात नहीं किये हैं, तो क्या बीती होगी उनकी फैमिली पर कितना दर्द हुआ होगा उन लोगों को, और वो भी सिर्फ सोमा की वजह से......
सोमा कितने लोगों की गुनहगार बन गई थी।
क्या मुंह लेकर वो अपने किए गुनाहों की माफी मांगती। यही सब सोचकर सोमा की हिम्मत खत्म हो गई थी, वह बात करने की हिम्मत तो जुटाती थी, लेकिन हर बार उसकी कोशिश नाकाम हो जाती।
इसी सब में 1 सप्ताह और बीत गया लेकिन सोमा राम से बात नहीं कर पाई।
एक दिन सोमा राम के पोस्ट पढ़ रही थी जो राम ने सोमा की याद में लिखा था, सोमा आज यह कोई नया काम नहीं कर रही थी यह तो उसका रोज का काम था।
जब राम से खुश थी तब रोज रात को बात करके गुड नाइट बोलकर ही सोती थी, और अब जब से गुस्सा हुई है तब से रोज उसकी पोस्ट पढ़कर सोती है। मतलब चाहे जो कुछ भी हुआ, वह राम से कभी अलग नहीं हुई, दोनों एक दूसरे से कभी जुदा नहीं हुए, एक दुसरे के दिल पर हमेशा राज करते रहे, सोमा बस गलतफहमी की शिकार हो गई थी।
''वो कहते हैं ना कि लड़कपन में कोई चाहे कितना भी समझदार क्यों ना हो नादानी कर ही जाता है''
और वही नादानी सोमा भी कर रही थी पोस्ट पढ़ने के बाद सोमा ने किसी तरह से हिम्मत जुटाकर राम के पास मैसेज कर ही दिया Hiii,
मैसेज सेंड होती ही तुरंत राम का रिप्लाई आया Hello,
फिर दोनों तरफ एकदम सन्नाटा छा गया,दोनों ही अगले मैसेज का इंतजार करने के लिए।
राम को तो हर रात सोमा के मैसेज का इंतजार रहता था, उसकी प्रोफाइल ओपन करके सोमा को ऑनलाइन देखा करता था कि इतनी रात तक ऑनलाइन होकर भी एक भी मैसेज करना गवारा नहीं समझती।
दोनों ऑनलाइन आते तो थे एक दूसरे के लिए ही लेकिन दोनों में बात कभी नहीं होती थी।
आज सोमा का मैसेज देख कर राम की खुशी का ठिकाना नहीं रहा आज उसका भरोसा हकीकत में सच हो गया।
राम को भरोसा था अपनी सच्ची मोहब्बत पर उसे यकीन था कि सोमा एक ना एक दिन जरूर लौट कर आएगी,
(किसी ने सच ही कहा है की मोहब्बत अगर सच्ची हो तो लौट कर जरूर आती हैं)
और आज राम की मोहब्बत उसकी जिंदगी में वापस आ गई थी। अपनी मोहब्बत के लिए उसकी सच्ची भक्ति में शक्ति थी।
जो सोमा को उसके पास खींच कर ले आई, राम की भक्ति बेकार नहीं गयी, उसने राम को सोमा के दिल में हमेशा जिंदा रखा।
( #LARa )
(आगे की कहानी भाग 5 मे )