Lara - 3 in Hindi Fiction Stories by रामानुज दरिया books and stories PDF | लारा - 3 - (एक प्रेम कहानी )

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लारा - 3 - (एक प्रेम कहानी )

Behind the scenes love story
{Part 3]
जब राम जी खुद को बेकसूर होना सिद्ध नही कर पाए सोमा की अदालत में तो उन्होंने भी ठान लिया कि अब सोमा को उसकी गलती का अहसास कराएंगे और उसकी गलत फहमी जरूर दूर करेंगे। सोमा और राम जी के बीच कॉल और मैसेज बंद हो गया था फिर भी अहसास जो जहां जैसे थे वैसे ही पड़े रह गए।ओ कहीं नही जा सके। कभी कभी रिस्ते खत्म होने की कगार पर होते हैं पर अहसास उन्हें जीने की एक मोहलत दे देता है। कुछ ऐसा ही नजारा इधर भी दिख रहा था।
रामजी ईमानदारी पूर्वक रोज सोमा को ध्यान में रख कर और याद करके और उनकी यादों में तड़प कर कुछ न कुछ लिखते जरूर और लिखने के बाद एफबी पर पोस्ट कर देते ,रामजी अपनी उन यादों को जिंदा कर लेते जो कभी सोमा के साथ बातों में या अहसासों में हुआ करते थे , ओ याद किया करते थे उस समय को जब सोमा कहती थी मेरे लिए मोहब्बत आसान नही है । मेरे आसपास इतने पहरेदार जितने की आपके सर में बाल नही होंगे। मीनार से भी ऊँची - ऊँची दीवारें हैं जो अहसास के समंदर से उठने वाली हर उस हवा का रुख मोड़ देती हैं जो इश्क बनकर दिल मे सैलाब लाना चाहते हैं।
सोमा रोज़ आती और चुपके से पोस्ट पढ़ कर चली जाती ,खुद लाइक नहीं करती की समझ जायेंगे लेकिन औरों के कॉमेंट पर लाइक कर देती उसे लगता था कि ये चालाकी उसकी किसी को पता भी नही चलेगी और पता चल भी नही पा रहा था क्योंकि ढेरों लाइक और कॉमेंट हुआ करते थे तो उसको पता भी नही चल पा रहा था लेकिन एक दिन अचानक रामजी ने देखा कि उन्होंने एक कॉमेंट लाइक किया था लेकिन उस पर डबल लाइक कहा से आ गया , तो देखा कि ये तो सोमा है। तो समझ गया कि सोमा इसका मतलब रोज पोस्ट पढ़ती है फिर क्या था दर्द बढ़ता ही गया। ओ रोज पोस्ट करे बेस्ट से भी बेस्ट। अपना पूरा प्रयास शायद ही कोई इतना कोशिश करता होगा लेकिन राम जी अपने काम को ईमानदारी से करते रहे। उसे उम्मीद थी कि एक न एक दिन तो सोमा उसको समझेगी ही और उनके जज्बात को भी, कि हर कोई एक जैसा नहीं होता और एक छोटी सी गलती की वजह से इतना अच्छा रिश्ता खत्म कर देना बुद्धिमानी का काम नही कहा जा सकता।
सोमा को छुप कर रोने के लिए उसका इतना बड़ा घर कम पड़ जाता था । राम अपनी जुबान से बोलकर तो खुद को बेकसूर साबित नहीं कर पाये, लेकिन राम के पोस्ट सोमा को अंदर ही अंदर तोड़ते चले गए ।
राम के एक शब्द पर सोंमा की आंखें बरस पड़ती थी क्योंकि सोमा भले ही आज राम से नाराज है लेकिन सोमा के रोम रोम में राम समाए हुए हैं।
सोमा की हर धड़कन पर राम का नाम लिखा हुआ है वह राम को महसूस करती है उसके अंतर्मन से आवाज आती थी ,
कि सोमा तू बहुत गलत कर रही है राम तेरे लिए तड़प रहा है ,
क्या तेरा प्यार इतना कमजोर था कि तुझे अपने गुस्से के आगे राम का दर्द भी नहीं दिख रहा है?
ये कैसा तेरा प्यार है कि तू उसे हर एक पल में सौ मौत मार रही है?
अगर तुझे राम को इतना ही तड़पाना था, पल पल मारना ही था, तो तू क्यों आई उसकी जिंदगी में? क्यों डाल दी उसे अपनी आदत? क्यों खायी साथ जीने की कसमें?क्यों दिखाई साथ निभाने के सपनें? कैसे भी करके राम, जी रहा था ना अपनी जिंदगी, भले ही उसकी जिंदगी बिखरी हुई थी टूटे हुये कांच के टुकड़ों की तरह लेकिन वो अपने दिल के दर्द से तो पीड़ित नहीं था, उसके दिल में किसी के लिए प्यार नहीं था लेकिन वह लोगों के बीच रहकर उनके साथ तो हुआ करता था।
और आज तो तूने उसे भीड़ में भी तन्हा कर दिया है। रूम हो या ऑफिस, मार्केट हो या पार्टी, उसे हर जगह बस तुम ही तुम दिखाई देती हो।
हर पल वह बस तुम्हारे ही बारे में सोचता है,
यहां तक कि 14 से 18 घंटे ऑफिस में काम करने वाले राम जी आज लैपटॉप को हाथ तक नहीं लगाना चाहते हैं ।
काम में बिल्कुल भी मन नहीं लगता है ना खा पाते हैं ना सो पाते हैं इस कदर टूट कर वो तुझसे प्यार करते हैं । तेरी इस हरकत की वजह से वह अपनी जान दे देना चाहते हैं।
इतना प्यार करने वाला इंसान बहुत नसीब से मिलता है, और तू ही तो हमेशा दुआ मांगती थी कि भगवान मुझे सच्चा प्यार चाहिए,
मुझे ऐसे इंसान से मिला दो जो मुझे अपनी जिंदगी बना ले, और आज जब राम के रूप में तुझे सच्चा प्यार मिला। राम ने तुझे अपनी जिंदगी ही नहीं सब कुछ बना लिया तो तू आज एक छोटी सी बात के लिए राम को ही ठोकर मार कर जा रही है।
किसी तीसरे ने आकर एक बात झूठ बोल दिया तो तूने उसे सच मान लिया, और आज तेरा प्यार खुद चिल्लाकर तुझे सच बताने की हजार बार कोशिश कर रहा है तो तू उसे सुनना तक नहीं चाहती है?
ऐसा मत कर सोमा राम तुझसे बहुत प्यार करता है।
तू लौट आ उसकी जिंदगी में, लौटा दे उसकी सारी खुशियों को जो तुझसे जुड़ी हुई हैं ।
राम से ज्यादा प्यार करने वाला इंसान तुझे ज़िंदगी में कभी नहीं मिलेगा।
सोमा की अंतरात्मा उसे धिक्कारने लगी और लाकर कटघरे में खड़ा कर दिया। सोमा की आत्मा चिल्ला-चिल्ला कर राम के लिए इंसाफ मांग रही थी अब सोमा को सब समझ में आ गया था कि वह गलतफहमी में पड़ कर बहुत बड़ा गुनाह कर रही है।
सोमा राम के प्यार के आगे नतमस्तक हो चुकी थी। और राम को गले लगाकर अपने गुनाहों की माफी मांगना चाहती थी।
(#LARA)