सोमा एक छोटे से गाँव में रहने वाली एक सिम्पल सी लड़की है..... उसने बाहर की दुनिया नहीं देखी है वो घर पर ही रहती है गाँव में कोई सुविधा ना मिल पाने की वजह से उसकी पढ़ाई अधूरी रह गई वह पढ़ना चाहती थी आगे बढ़ना चाहती थी अपने सपनों की ऊंचाईयों को छूना चाहती थी लेकिन कुछ मजबूरियों की वजह से वो कुछ भी नहीं कर सकी.....
वो घर पर रहकर कामकाज करती सिलाई कढ़ाई बुनाई यही सब करने लगी, सिलाई को उसने अपना रोजगार बना लिया वो पैसे कमाने लगी, और उन्हीं पैसों से अपनी छोटी छोटी जरूरतें पूरी करने लगी, क्योंकि वह अपने मां-बाप पर बोझ बनकर नहीं रहना चाहती थी वो यही सोचती कि वो किसी लायक बन जाये और अगर परिवार का बोझा नहीं उठा सकती तो कम से कम अपने खर्चो का बोझ तो अपने मां बाप के ऊपर ना डालें, अपनी खुद की छोटी-छोटी जरूरतें तो पूरी कर सके उसका एक छोटा सा सपना था, कि एक प्यारा सा इस्मार्ट फोन उसके पास हो और वह कैसे भी करके अपना सपना पूरा करना चाहती थी, क्योंकि वो देश दुनियाँ से जुड़ना चाहती थी.... उसे मालूम था कि वह घर से निकल कर कुछ भी नहीं कर सकती उसे जो कुछ भी करना घर में रहकर ही करना होगा। इसीलिए उसने फोन को अपना सपना बना लिया उसकी बहुत अच्छी पढ़ाई तो नहीं हुई थी, लेकिन उसे पढ़ना लिखना आता था खुद के लिए उसकी पढ़ाई काफी थी क्युकी हालात देख कर इतने की भी उम्मीद नहीं की जा सकती थी...
वो सोशल मीडिया के बारे में काफी कुछ जानती थी और घर के कामकाज से भी बोर हो चुकी थी इसलिए वह अपने मनोरंजन के लिए भी फोन लेना चाहती थी, ,,, और उसने अपना सपना पूरा किया उसने एक प्यारा सा स्मार्टफोन ले लिया.... और बाकी सब चीजों की तरह वो फेसबुक भी चलाने लगी हलांकि उसे बहुत लोगों ने मना किया की फेसबुक मत चलाना अच्छी चीज नहीं है, लेकिन उसने किसी की भी नहीं सुनी क्योंकि उसकी मम्मा हमेशा कहती हैं कि ''सुनो सबकी और करो अपने दिल की'' और उसने वही किया जो उसके दिल ने कहा.......
लेकिन वो अपनी फैमिली और रिलेशन वालों के पास रिक्वेस्ट भेजने से डरती थी क्योंकि गाँव में सबकी सोच बहुत अजीब होती है। लड़कियों को किसी से मिलना नहीं चाहिए, किसी से बात नहीं करनी चाहिए, किसी से भी किसी भी प्रकार से जुड़ना नहीं चाहिए, कहीं वो किसी की टच में ना आ जाये, लेकिन उसने इन सबको परे रख दिया और सोचा कि कब तक ये सब देख कर कुछ नहीं करेंगे, छुप कर रहेंगें, इन लोगों को मेरा फोन लेना भी तो मंजूर नही था लेकिन मैंने ले लिया ना, तो जब फोन ले लिया फिर फेसबुक चलाने में क्या प्रॉब्लम है । उसने अपनी पूरी फैमिली और कुछ रिलेशन के लोगों के पास रिक्वेस्ट भेजा उम्मीद तो नहीं थी लेकिन हर किसी ने बिना कोई आपत्ति जताये रिक्वेस्ट एक्सेप्ट कर लिया। सोमा को जब भी टाइम मिलता वह तुरंत एफबी पर ऑनलाइन आ जाया करती थी।
उसे पोएट्री शायरी गजलें कहानियां बहुत पसंद है
वह अक्सर शायरी पढ़ा करती थी शायरी उसे बहुत पसंद है
एक दिन सोमा एक पोस्ट पढ़ रही थी उस पोस्ट में शायरी लिखी हुई थी और वह शायरी दर्द से भरी थी
उसके हर लफ्ज़ में एक दर्द था
सोमा को शायरी बहुत पसंद आयी,वह बार-बार पड़ती रही कई बार उसने पढ़ा फिर उसके बाद उसने लाइक कर दिया लाइक करने के बाद कमेंट किया।
जब उसने पोस्ट की प्रोफाइल ओपन की तब उसे पता चला
कि अरे ये तो मेरे ही रिलेशन के रामजी हैं ।
सोमा रामजी के पास रिक्वेस्ट भेजना चाहती थी। लेकिन वह एक बार नहीं हजार बार सोच रही थी कि रिक्वेस्ट भेजें या ना भेजें , कहीं ऐसा ना हो कि उन्हें अच्छा ना लगे और वह एक्सेप्ट ही ना करें ,कहीं उन्हें बुरा ना लगे इसीलिए वह रिक्वेस्ट नहीं भेज रही थी.....
एक दिन उसने रिक्वेस्ट आखिरकार भेज ही दी और 2 दिन बाद उन्होंने रिक्वेस्ट एक्सेप्ट कर भी लिया..
सोमा रोज उनके पोस्ट पड़ती और हर पोस्ट पर लाइक और कमेंट करती।
वो अक्सर पोस्ट किया करते थे कोई ऐसा दिन नहीं जाता था जब वह पोस्ट ना करते और कोई भी ऐसी पोस्ट नहीं जाती थी जिस पर सोमा लाइक और कमेंट नहीं करती,
ऐसे ही सिलसिला चलता रहा 1 दिन दोनों में चैटिंग शुरू हो गई ।
रामजी सोमा को जानते ही नहीं थे उन्हें यह पता ही नहीं था कि वो भी उनके रिलेशन की ही है क्योंकि वो कभी किसी पर फालतू ध्यान नहीं दिया करते थे । सोमा के बहुत बताने पर उन्हें उसका नाम याद आया कि हां मेरे रिलेशन में सोमा नाम की भी लड़की है, लेकिन वह सोमा को पहचानते नहीं थे उन्होंने कहा कि हम कभी तुम्हें देखे ही नहीं हैं जबकि दो-तीन बार वो सोमा से फेस टू फेस मिल चुके हैं, लेकिन उन्हें कुछ याद नहीं आ रहा था तब सोमा ने अपनी फोटो भेज दी, और बताया कि हम लोग कई बार आमने सामने मिल चुके हैं लेकिन उन्हें कुछ याद ही नहीं था । वो बोले अच्छा चलो कोई बात नहीं फिर कभी मुलाकात हो जाएगी तब पहचान लेंगे, राम जी को सोमा की फोटो बहुत पसंद आई सोमा उन्हें बहुत अच्छी लगने लगी, वो सोमा से कांटीन्यू बात करने लगे,
सुबह शाम सोते जागते उठते बैठते हर टाइम दोनों की चैटिंग होती रहती थी। 2,3 घण्टे कब बीत जाते कुछ पता ही नहीं चलता, दिन रात बस चैटिंग ।
सोमा अपने शब्दों से और बात करने के तरीकों से कब रामजी के दिल में उतर गई रामजी को कुछ पता ही नहीं चला.. रामजी दिल ही दिल में सोमा से बहुत प्यार करने लगे।
उन्हें हर टाइम सोमा के मैसेज का इंतजार रहता था वह ऑफिस में काम तो कर रहे होते लेकिन उनका दिल और दिमाग दोनों फोन की स्क्रीन पर ही टिके रहते, कि कब सोमा का मैसेज आएगा कब सोमा फ्री होगी क्या कर रही होगी वह हमेशा सोमा के बारे में ही सोचते रहते थे।
इधर सोमा को भी उनसे बात करना अच्छा लगने लगा, वह भी हमेशा समय की तलाश में ही रहती थी कि कब टाइम मिले कब बात कर ले,
बात करते-करते दोनों में एक दिन प्यार हो गया, राम जी तो पहले से ही सोमा से बहुत प्यार करते थे लेकिन सोमा को भी रामजी से प्यार हो गया, दोनों प्यार की गंगा में गोते लगाने लगे। लेकिन एक दूसरे से अपने प्यार का इजहार नहीं कर पा रहे थे ।
वो यही सोचती कि कहीं कुछ गलत तो नहीं कर रही हूं । लेकिन प्यार तो वो राम से बेपनाह करने लगी....
सोमा सब कुछ भूल गई थी कि राम जी कौन है क्या है वो रिश्ते में उसके क्या लगते हैं उसे कुछ याद नहीं था अगर कुछ याद था तो बस राम जी उसकी बातें.... उसके दर्द भरे पोस्ट बाकी वो सब कुछ भूल चुकी थी। एक दिन रामजी ने फोन पर बात करने की डिमांड की, सोमा तो चाहती ही थी बस बोल नहीं पा रही थी... दोनों फ़ोन पर बात करने लगे, और एक दिन रामजी ने अपने दिल की बात सोमा के सामने रख ही दिया , अपने प्यार का इजहार कर दिया , "आई लब यू" सुनते ही सोमा के आँखों से आँशुओं की बरसात होने लगी ऐसा लग रहा था कि जैसे सोमा को बरसों से इन शब्दों का इंतज़ार था। वो रामजी को गले लगा कर जी भर के रोना चाहती थी, पर सात समंदर पार होने की वजह से वो दोनों चाह कर भी नहीं मिल सकते थे, रामजी ने सोमा को चुप कराया, बोले कि अब तुम मेरी जिंदगी हो तुम्हें कभी नहीं रोना है , तुम जान हो मेरी हमेसा हंसती मुस्काती खिलखिलाती रहा करो। अब दोनों एक दुसरे की जिंदगी बन चुके थे ।सोमा अपनी फैमिली के बीच रह कर दिन में बात नहीं कर पाती, लेकिन वो रात में सब के सो जाने के बाद वो रामजी से पूरी रात बात करने लगी, सोमा के पास कुछ भी नहीं होता था बताने के लिए, वो कुछ बोलती ही नहीं बस हाल-चाल, वो तो बस राम को ही सुनना चाहती थी । बातों ही बातों में कब सुबह के तीन. चार बज जाते कुछ पता ही नहीं चलता था ।
राम की ज़िंदगी में क्या हुआ, क्यों हुआ, कैसे हुआ बस वही जानने की चाह रखती थी। रामजी की ज़िंदगी में बहुत कुछ हो गया था....
उनकी पढ़ाई पूरी कंपलीट भी नहीं हुई थी कि उनके सिर पर घर परिवार की जिम्मेदारी आ गयी थी।
और उन जिम्मेदारियों के बीच वो खुद को भूल गए थे, अपने सपने. अपनी इच्छाएं. अपनी ख्वाहिशें,
रामजी को अपनी ज़िंदगी में खुशियाँ कम, दुख.दर्द गम. तकलीफ़ें सबसे ज्यादा मिली है......
उनके साथ इतना कुछ हो गया कि रामजी हँसना, बोलना, मुस्कुराना तक भूल गए थे, वो दूसरों के लिए ज़िंदगी जीने लगे थे, यहाँ तक कि वो कपड़े भी अपनी पसन्द की लेना जरूरी नहीं समझते थे,जो मिल गया वही पहन लिये, जैसा पहन लिए वही ठीक है, मतलब अगर एक हिसाब से देखा जाए तो रामजी अपनी ज़िंदगी जी नहीं रहे थे, वो अपनी ज़िंदगी को कैसे भी करके काट रहे थे ।
सोमा जब भी फोन पर बात करती तो रामजी, और बताइये, क्या हो रहा है, अच्छा, हाँ, हाँ सब ठीक है, आप बताइये, बस इतना ही बोलते ऐसा लगता था कि जैसे उससे आगे उन्हें बोलना कुछ आता ही नहीं ।
सोमा थोड़ी बातूनी लड़की है, सोमा से बात करते- करते रामजी भी बोलना सीख गए थे।
और राम जी रोज सुबह सोमा की फोटो देखना चाहते थे वह बोले कि सोमा रोज सुबह तुम अपनी एक फोटो मेरे पास सेंड कर दिया करो एक अच्छी सी स्माइल के साथ, सोमा रोज अपनी फोटो मॉर्निंग में राम जी के पास भेजने लगी कभी-कभी सोमा भी राम जी से मांग लिया करती थी यही सिलसिला दोनों में चल रहा था। कि..........
1 दिन रामजी ने सोमा से कहा सोमा मैं तुम्हें देखना चाहता हूं अगर पॉसिबल हो तो प्लीज वीडियो कॉल करें, सोमा कैसे मना कर सकती थी जब वो भी राम जी को देखना चाहती थी क्योंकि जितना प्यार रामजी के दिल में सोमा के लिए उमड़ रहा था उतना ही प्यार सोमा के दिल में भी राम जी के लिए उमड़ रहा था।
सोमा वीडियो कॉल के लिए तुरंत राजी हो गयी।
शाम को लगभग 5:30 बजे के आसपास सोमा ने रामजी को वीडियो कॉल किया, राम जी सोमा को देखते ही खो गए वह कुछ बोल ही नहीं रहे थे,बस एक टक सोमा को देखते रहे,सोमा बोलती रही और बताइए क्या हाल है कैसे हैं आप और रामजी सोमा को बस एक नजर भर देखते ही रह गए।
दोनों बहुत खुश थे एक दूसरे को देख कर ऐसा लग रहा था जैसे उन्हें दुनिया की सारी खुशियां मिल गई हो,भगवान ने सारी खुशियां उनके कदमों में डाल दी हो, एक दूसरे को ऐसे देख रहे थे जैसे लग रहा था कि मानो भगवान के दर्शन कर रहे हो।
राम बोले सोमा तुम बहुत अच्छी लग रही हो सच में तुम बहुत खूबसूरत हो भगवान ने तुम्हें खुद अपने हाथों से बनाया है, और तुम्हारी आवाज का तो कोई जवाब ही नहीं है इतना मीठा बोलती हो ऐसा लगता है जैसे कोई कोयल कान में मिश्री घोल रही हो। रामजी एक भी बात अगर बोलते तो सोमा खिलखिला कर हंस देती, रामको उसका हंसना, मुस्कुराना, बोलना सब घायल करता जा रहा था । राम जी आज पहली बार सोमा को देखे थे, और देखते ही वो उसके इतने दीवाने हो गए कि उन्होंने कसम खा ली । कि अब चाहे जो हो जाए वो सोमा को कभी भी नहीं छोड़ेंगे । पूरी जिंदगी सोमा उनके दिल की रानी बन कर रहेगी, सोमा भी रामजी को बस देखे ही जा रही थी और उसकी आँखें राम से बार- बार यही पूँछ रही थी कि अभी तक आप कहा थे, क्यूँ इतनी देर कर दी आने में और पहले ही आ जाते तो क्या बुराई थी। कहना तो बहुत कुछ चाहता था उसका दिल पर जुबाँन बन्द थी। दोनों एक दूसरे की आँखों में बातें कर रहे थे।
दोनों खुशी से फूले नहीं समा रहे थे उनकी बातें हो ही रही थी, कि उसी बीच रामजी की ऑफिस में काम करने वाला एक नौकर तुरंत उनकी केबिन में एंट्री मारते हुए बोलता है ,
कि अरे आप तो कह रहे थे कि बिल्कुल भी अच्छी नहीं लग रही है लेकिन यह तो बहुत खूबसूरत है बहुत अच्छी लग रही है आप झूठ बोल रहे थे, कि अच्छी नहीं लग रही है कैसे आपने कह दिया, देखो कितनी अच्छी लग रही है बहुत खूबसूरत है
बस फिर क्या था.. ............
सोमा ने इतना सुनते ही तुरंत फोन कट कर दिया।
और मैसेज करके गुस्सा होने लगी, वह बोली कि आप भी बाकी लोगों की तरह हैं वीडियो कॉल पर लोगों को दिखा रहे हैं कि मैं कैसी हूं ,मुझे आपसे यह उम्मीद नहीं थी अब मैं आपसे कभी बात नहीं करूंगी। मैंने आपसे पहले ही बता दिया था कि मुझे फेमस होने की कोई शौक नहीं है ।
रामजी ने बहुत कोशिश की सोमा को समझाने की, कि सोमा जैसा तुम सोच रही हो ऐसा कुछ भी नहीं है, उसकी आदत है उल्टा सीधा बोलते रहने की, वो हर किसी से हर बात को लेकर मजाक करता रहता है, अगर किसी को फोन पर बात करते देखे लेगा तो वो तुरंत बोलने लगेगा, कि अरे तुम इससे बात कर रहे हो तुम्हारी दूसरी वाली का फोन आया था, जिससे तुम कल पुरी रात बात किये थे। माना कि इतना सुनने के बाद में कोई भी लड़की किसी से भी बात नहीं करना चाहेगी, क्योंकि किसी को भी ये मंजूर नही होगा कि उसका प्यार किसी और से बात करे, उसे दुनियाँ से शेयर करे कोई भी लड़की पब्लिक नहीं होना चाहती है । लेकिन फिर भी सोमा को एक बार सुनना तो चाहिए कि राम कहना क्या चाहते हैं। उन्हें अपनी सफाई में कुछ बोलने का मौका तो देना चाहिए था ।
लेकिन नहीं..........
सोमा कुछ भी सुनने को राजी ही नहीं थी, वो खुद ही बोलती रही जो कुछ भी उसके दिल में आता गया वो राम को सुनाती गयी......
और राम को अपने बारे में सफाई देना नहीं आता, अगर सामने वाला उसे समझ सके तो समझे नहीं तो कोई बात ही नहीं ।
और राम को सोमा से ऐसी उम्मीद नहीं थी जो कुछ वो बोल रही थी, कहीं ना कहीं सोमा को अभी राम जी पर उतना भरोसा नहीं था जितने की राम जी उम्मीद किये थे। एक पल में सोमा सब कुछ खत्म कर देने की बात कर रही थी,
एक छोटी सी बात एक गलतफहमी की वजह से अपनी जिंदगी को अपनी आँखों के सामने से जाता देख कर राम एकदम से सुन्न पड़ गए थे। उन्हें कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या बोले क्या करे ?
क्योंकि बहुत बोलने वाले बहुत बातूनी लोग तो बोल कर अपने दिल की बात निकाल देते हैं, उनका दिल हल्का हो जाता है । लेकिन एकदम शान्त रहने वाले बहुत कम बोलने वाले लोग दिल ही दिल में घुटते रहते हैं । उनका दर्द सबसे ज्यादा गहरा होता है, बस किसी को दिखाई नहीं देता ।
आगे की कहानी भाग 2 में।