Red Book in Hindi Horror Stories by Ishita Tiwari books and stories PDF | लाल किताब

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लाल किताब

प्रणाम, मेरा नाम आकांक्षा है। कभी कभी हमारे जीवन में हम अनजाने में वो कर बैठते हैं जो हम कभी नहीं चाहते थे। में भी कुछ ऐसा कर बैठी। मैं हमेशा से डरपोक रही हूं। भूत प्रेत से बचने के लिए प्रयोग करती रहती थी। बात तबके है जब मैं पढ़ाई कर रही थी। मैं बिहार में रहने वाली हूं। पिताजी खेती करते थे। उच्च शिक्षा के लिए मैं मुंबई आ गई। वहां किराए पे एक खाली मकान लिया था। सस्ते में मिल गया। अब मैं वही कॉलेज जाया करती। एक बार मैं एक लाइब्रेरी में गई। वहां बहुत अच्छी किताबें थी। मैं एक किताब रेंट पे लेना चाहती थी। लेकिन इश्यू करने के लिए बहुत पैसे देने पड़ते। मैंने चुपके से एक किताब को उठाया और घर आ गई। किताब को देखा तो उस किताब का कुछ नाम नहीं था। ना ही लेखक का नाम। बस पूरी तरीके से लाल रंग की थी। मैंने खोल के देखा तो बस एक पन्ने पे कुछ मंत्र लिखे थे और पूरी किताब खाली। मैंने सोचा चलो ठीक ही है। मैं उन मंत्रों का जाप करने लगी। जाप करके मैंने किताब बंद कर दी और पढ़ने चली गई। दिन सामान्य बीता। लेकिन अब रात हो चुकी थी। मैं जैसे ही सोने लेटी तो ऐसा लगा कोई हंसा। विचित्र। फिर मैंने देखा की कुछ परछाईं मेरे चारों ओर घूम रही हैं। मैं चीख पड़ी। फिर अचानक से सब गायब हो गया। अजीब आभास हो रहा था। सपने में मैंने पापा को देखा। वो बोल रहे थे, ' ये तुमने क्या कर दिया बेटा। ' मुझे सुबह कॉलेज जाना था। मेरे साथ मेरी एक दोस्त प्रिया चलने वाली थी। ये रोज का काम था। मैं उसे लेने उसके घर जाती थी। फिर हम रिक्शा पकड़ के कॉलेज जाया करते। आज जब मैंने उसके घर की घंटी बजाई, तो उसने नहीं खोला। मैंने देखा दरवाजा तो खुला था। मैं अंदर गई। दृश्य देख कर मेरे होश उड़ गए। प्रिया में मुंह में खून लगा था। मांस फैला हुआ था। घर में और कोई नही था। मैं डर के बाहर भागी। बाहर देख तो प्रिया आ रही थी। मैं उसके पास भागी। प्रिया बोली, " कहां रह गई थी तुम? " मैंने पीछे मुड़कर देखा तो मैं अपने घर के बाहर ही थी। हम दोनो रिक्शा पकड़ कर कॉलेज की तरफ बढ़े। लेकिन तभी एक अजीब से धुएं ने हमे घेरा। रिक्शा रुक गया। आज पास कोई नहीं था। उस अजीब से धुएं से दुर्गंध आ रही थी। अब एक अजीब सी सितार की धुन सुनाई दे रही थी। खुश काली साड़ी में कम से कम दस औरतें हमारी परिक्रमा करने लगीं। उन सब महिलाओं ने घूंघट किया था। हम सब न हिल पा रहे थे ना ही कुछ बोल पाए। मैंने मृत्यु या किसी भी अनहोनी से बचने के लिए महा मृत्युंजय का जाप आरंभ किया।

वो महिलाएं और धुआं गायब होने लगे। हम डर हुए थे। कॉलेज पहुंचे। तो ऐसा लग रहा था की मानो हर किसी में कपट आत्मा का वास है। कॉलेज के बाद में घर पहुंची तो तो विचार आया की हो सकता उन मंत्रों के कारण ऐसा हुआ हो। उन मंत्रों को इंटरनेट पे सर्च किया। सर्च के दौरान मुझे पता चला की वोह मंत्र प्रेत आत्माओं को बुलाते हैं। यदि आत्मा प्रसन्न हो गई, तो उससे पीछा छुड़ाना मुश्किल था। मेरे पसीने छूटने लगे।
लेखक द्वारा:-
दोस्तों, ये रही मेरी नई कहानी। मैं किसी भी भूत प्रेत के सच होने दावा नहीं करती। और ये कहानी काल्पनिक है। अगर ये घटना किसी सत्य घटना से मिलती है, तो ये एक सयोग मात्र है। मेरे साथ बने रहे।
इशिता