Anchaha Rishta - 29 in Hindi Love Stories by Veena books and stories PDF | अनचाहा रिश्ता - ( सच की शुरुवात_१) 29

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अनचाहा रिश्ता - ( सच की शुरुवात_१) 29

DJ की आवाज़ हर तरफ गूंज रही थी। तभी पंडितजीने कहा " ये विवाह संपन्न हुआ।" ये सुन अजय, मीरा और उनके दोस्तों ने एक दूसरे को मुबारक बात देना शुरू किया।

स्वप्निल और समीर मुस्कुराते हुए वही खड़े थे। तभी मीरा वहा आई। उसने समीर से हाथ मिलाकर अपनी खुशी जाहिर की। वही स्वप्निल से सीधा गले लग गई। उसकी इस हरकत को स्वप्निल कुछ पल समझ नही पाया। जैसे ही मीरा ने उसे छोड़ा, स्वप्निलने फिर से मीरा को अपने गले लगा लिया।

कुछ देर पहले,


" नही। No। तुम्हे एक बार कही ना का मतलब समझ नही आता क्या मीरा। मना किया ना मैने।" स्वप्निल ने अपने ही केबिन में चक्कर काटते हुए कहा।

" पर परेशानी क्या है इसमें ? हमने पहले भी तो ये किया है। अब क्या हुवा ?" समीर ने बात को बढ़ावा देते हुए कहा।

" हा। मैं भी तो वही पूछ रही हूं। हमने भी नजाने कितनी बार ये किया है। इसमें क्या गलत है ?" मीरा ने उदास चेहरा करते हुए स्वप्निल से कहा।

" चुप रह समीर ये पति पत्नी के बीच की बात है। उसे गलत चीजे मत सीखा।" स्वप्निल गुस्से में था।

" तू मुझे क्यों डाट रहा है ? जिद्द तो खुद तेरी बीवी कर रही है।" समीर।

" मैने कहा था ना मीरा ये कभी तुम्हे समझ नही सकते। तुम्हारी इतनी सी बात नही मान सकते। जिंदगी भर क्या निभाएंगे ?" अजय ने मीरा के कंधे पे हाथ रखते हुए कहा।
मीरा अजय की तरफ घूमने ही वाली थी, की तभी स्वप्निल ने मीरा को अपनी तरफ खींचा। अजय का हाथ तुरंत उसके कंधे से फिसला। " ऐसे शादी नही करते मीरा। इस से हमारे मां बाप को दुख होगा। मैने भी अपने कॉलेज टाइम में बोहोत दोस्तो को हेल्प की हैं। लेकिन अब हम बड़े हो चुके है।"

" पर दिल तो बच्चा है बॉस।" मीरा ने अपनी इनोसेंट नजरो से कहा।

स्वप्निल ने एक सांस छोड़ी। यही अंत है, इस से ज्यादा वो मीरा को कुछ नही समझा सकता। नजाने वो कब से जिद्द लिए बैठी है। इसका मतलब अब उसे ही समझना होगा। " बताओ क्या करना है तुम्हे ?"

" आप सच में मदद करेंगे ?" मीरा ने खुश होते हुए पूछा।

समीर और अजय ने एक दूसरे को हाई फाई किया। स्वप्निल ने एक नजर उन पर डाली फिर मीरा की तरफ घुमा। " करनी पड़ेगी। क्यों की मैं तीन बच्चों को एक साथ नहीं छोड़ सकता।"

इस पूरे वाक्य का असर ये हुवा के आज वो लोग यहां पर है। एक पुराने मंदिर में सारे रिति-रिवाजों में स्वप्निल ने मीरा के कहने पर लक्ष्मण की शादी उस की प्रेमिका के साथ करवा दी।

शादी तो अच्छे तरीके से पूरी हो गई। लेकिन कहते है ना अच्छे कर्म का फल मिलता है। इन्हे भी शादी का फल मिला। बशर्ते अच्छा या बुरा ये तो वही जाने।

फिलहाल स्वप्निल और समीर, अजय और मीरा को छुड़ाने पुलिस स्टेशन आए हैं। सही समझे लक्ष्मण के पापा ने दोनो की कंप्लेंट की है। उनके बेटे को भड़काने के लिए।

" इंस्पेक्टर मैं कह रहा हूं आपसे ये सब बस गलतफहमी है।" स्वप्निल ने कहा।

" और आप कौन है? यहां ये मिनिस्टर। हे हे हे।" इंस्पेक्टर ने स्वप्निल का मज़ाक बनाते हुए कहा। " गुस्सा बोहोत जल्दी आता है रे तेरेको। पवार पानी दे साहब को।" हवालदार पवार कब से स्वप्निल को घुरे जा रहे थे। पानी देते वक्त उसने गौर से उसका चेहरा देखा।

" हेलो, मोरे सर वो आपका पहचान वाला और उसकी बीवी दोनो पुलिस स्टेशन में है। अरे वही जो गाड़ी बंद कर के अंदर बैठते थे। हा वोही। हा या या तुम्ही। मैं देखता हूं।" पवार ने फोन रख दिया।

" अच्छा तो ऐसी बात है। एक काम करो आप उस लड़के को इधर बुलाओ, अगर वो अपना स्टेटमेंट दे देता है। जैसा अभी आपने कहा, तो सारी परेशानी खत्म। फिर आप ले जाना दोनो को।" इंस्पेक्टर माने।

" अरे लेकिन वो तो अपने हनीमून पर भाग गया गोवा। और एक हफ्ते बाद आएगा।" समीर।

" देखिए हम सच बता रहे हैं इंस्पेक्टर सर। आप कुछ रास्ता बताएं।" स्वप्निल।

तभी पवार वहा आया और उसने इंस्पेक्टर के कान में कुछ कहा। " किधर है फिर मोरे ?" उसने पूछा।

" आ रहे है।" पवार।

तभी मोरे पुलिस स्टेशन पोहछा।

" अरे तू ?" मोरे ने मीरा को सामने देखते हुए कहा।

" अरे आप। कैसे है आप ? और यहां कैसे आना हुवा ?" मीरा ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया।

" अरे मेरा तो रोज का है। तू बता तुम लोग आज यहां कैसे ?" मोरे।

" वो ये इंस्पेक्टर साहब है ना , इन्हे थोड़ी गलतफहमी हो गई हैं। पर आप यहां रोज आने के लिए ..." मीरा ने उन्हें पास बुलाया " चोर हो क्या ?" उसने धीमी आवाज में पूछा।

" हे हे हे। च कुछ भी । बोहोत मज्जकिया है तू। इसलिए मुझे याद है ।" इतना कह मोरे ने स्वप्निल से हाथ मिलाया।

" सर प्लीज इंस्पेक्टर साहब से थोड़ी बात कीजिए।" स्वप्निल ने उसे रिक्वेस्ट की।

" हा। रुक देखता हूं, क्या बात है।" इतना कह वो इंस्पेक्टर माने से बात करने निकल गया।

स्वप्निल ने मीरा को घूरा।

" क्या ? मैं सीरियसली पूछ रही थी।" उसने दोनो हाथ ऊपर किए। " मुझे तो कोई सीरियसली ही नही लेता।"

" मीरा पुलिस से पूछ रही हो, आप क्यों पुलिस स्टेशन आते है। चोर हो क्या ? तुम्हे कौन सीरियसली लेगा।" स्वप्निल ने कहा।

" अरे पर उन्होंने वर्दी कहा पहनी है।" मीरा ने मोरे की तरफ ऊंगली दिखाते हुए कहा।

" एक दिन वर्दी ना पहन ने से क्या वो चोर हो गए? यू आर इंपोसिबल।" इतना कह वो इंस्पेक्टर माने की तरफ गया।

" तू भी ना। पता है मैने इस खड़ूस को इतनी शांति से किसीको समझाते नही देखा।" अजय ने मीरा के कान में कहा।

" और मुझसे वो हमेशा ऐसे ही बात करते है। पर अभी अभी उन्होंने मुझे इंपोसिबल कहा। मुझे बुरा लगा।" मीरा ने उदास होते हुए कहा।

" तुझे चाटा नही मारा, इस बार की खैर मना। अपना सारा काम धंधा छोड़ हमारे लिए कितने घंटो से पुलिस स्टेशन बैठे है, दोनो। थोड़ा गुस्सा तो आएगा ना।" अजय।

" तू कब से उसकी साइड हो गया?" मीरा।

" मैं बस सच बता रहा हूं।" अजय।

" मैं फिर भी नाराज हूं।" कह कर मीरा ने उसके कंधे पर सर रखा।

" देखिए, मोरे को मैने बताया। मतलब मैं भी जानता हु बात मैं दम नही है। पर क्या है ना आप अपनी बीवी को समझा दीजिएगा किसी और के झगड़े में न पड़े। अब उस लड़के ने घर से भाग शादी की लेकिन भड़काने वाला आरोप उसके बाप ने इन पर लगाया। और अब ना हमारा कानून काफी सख्त हो गया है। फिलहाल तो आप इन्हे यहां से ले कर जा सकते है, लेकिन जैसे ही अगले हफ्ते वो लड़का अपने हनीमून से लौटे, उसे यहां भेज दीजिएगा। आप की परेशानी खत्म।" इंस्पेक्टर मोरे ने कहा।

" शुक्रिया सर शुक्रिया।" स्वप्निल।

" अरे इसमें शुक्रिया की कोई बात नही। पुलिस नागरिकों की सेवा के लिए है। आप भी तो कब से यहां बैठे है, ना आपने पैसे का जोर जताया ना पावर का। मुझे ऐसे लोग बोहोत पसंद आते है। और ऊपर से मोरे ने भी आपकी तारीफ की मतलब तो फिक्र की कोई बात ही नही है।" इंस्पेक्ट मोरे।

" शुक्रिया मोरे सर। थैंक यू।" स्वप्निल।

" अरे क्या तुम। हमारे साहेब बड़े सख्त है। पर ईमानदार लोगो को पहचानते है। जा अपनी बीवी को लेकर जा आराम से।" मोरे ने उसे तस्सली दी।

स्वप्निल उठा। उसने अजय के कंधे पर सर रख सो रही मीरा को देखा। " सॉरी।"

स्वप्निल के मुंह से वो शब्द सुन मीरा ने आंखे खोली। " अरे आप क्यों सॉरी बोल रहे हैं।"

" मुझे सब्र की आदत नही है मीरा। में काफी गर्म दिमाग हूं पर प्लीज़ मेरी बातो को दिल पर मत लेना। तुम्हे जो चाहिए वो करो मैं सब संभाल लूंगा। वादा।" स्वप्निल की बाते सुन मीरा ने मुस्कुराते हुए हां में गर्दन हिलाई और उसका हाथ पकड़ खड़ी हुई।

तभी हवालदार पवार के सामने बैठा लड़का जोर से चिल्लाया,
" तुम्हे पता भी है मेरे पापा कौन है ?"

" क्या हुवा पवार ? उसे इधर लेकर आ।" इंस्पेक्टर मोरे ने आवाज लगाई।

" चल अब तेरा बाप आने से पहले तेरी बारात निकलेगी।" पवार उसे इंस्पेक्टर के पास लेकर गया।

" बैठ।" इंस्पेक्टर ने इस लड़के को इशारा किया। " बता पवार क्या हुवा ?" इंस्पेक्टर मोरे ने पूछा।

" सर हिट एंड रन का केस है। खून में शराब मिली है इसके। ४० साल के आदमी को उड़ा के भागा। वो आदमी अभी अस्पताल में सीरियस है।" पवार।

" सर। वो आदमी बीच में आया था। मैं नशे में नही था।" उस लड़के ने कहा।

" सिग्नल रेड था साहेब। वो रोड क्रॉस कर रहा था।" पवार।

" सर मेरे पापा मिस्टर सिंग है। A. P. Sing। हमारे मिनिस्टर। आप जो मांगेगे आपको देंगे। बस इसे समझा दीजिए।" उस ने पवार की तरफ इशारा करते हुए कहा।

" क्या पवार? तू भी ना मैने कितनी बार बोला है, ऐसे लोगो को कुर्सी पर नही, कुर्सी को उनके ऊपर बिठाते है।" इंस्पेक्टर माने उठे और दूसरी कुर्सी उस लड़के के सर दे मारी। उसका सर फूटा और वो वही बेहोश हो गया। " इस के बाप को फोन कर और बता उसका बेटा इतना नशे में था, की कुर्सी पर सर पटक कर बेहोश हो गया।" मोरे और पवार ने एक दूसरे को देखा और हा मैं सर हिलाया।

मीरा ये सब देख डर गई। उसने स्वप्निल को अपने करीब खींचा। स्वप्निल ने अपना हाथ उस के कंधे पर लपेट लिया, " फिक्र मत करो। मैं हूं यहां।" उसने मीरा को कहा और उन लोगो ने बाहर जाने के लिए एक कदम उठाया ही होगा के,

" किसकी इतनी हिम्मत हुई, जो मिस्टर पटेल की बेटी को यहां ले आएं।" कुछ १० वकीलों का काफिला एक साथ पुलिस स्टेशन में आया।