ऑरेंज कलर की इस छोटी सी पर्ची पर कातिल लिखा हुआ था। सार्जेंट सलीम को कुछ समझ में नहीं आया कि आखिर इस का मतलब क्या है? उसने सोहराब से पूछा, “ये कैसी पर्ची है और आप को कहा से मिली? इस पर कातिल लिखे होने का क्या मतलब है?”
“शरबतिया हाउस में थर्टी फर्स्ट की नाइट एक खेल हुआ था... ‘मौत का खेल’। उस खेल में दो किरदार थे... कातिल और जासूस। यह पर्ची उसी खेल की है। यानी यह कातिल के नाम वाली पर्ची है।” सोहराब ने बताया।
झाना कॉफी ले आया था। सलीम ने सोहराब को कॉफी बना कर दी और एक मग में अपने लिए कॉफी उंडेल कर रख ली। उसने सोहराब से पूछा, “ये पर्ची आपको मिली कहां से?”
“राजेश शरबतिया की कोठी से।” सोहराब ने बताया।
“तो क्या राजेश शरबतिया ही डॉ. वरुण वीरानी का कातिल है?” सार्जेंट सलीम ने पूछा।
“ऐसा तो मैंने नहीं कहा।” सोहराब ने कॉफी पीते हुए कहा।
“इस पर्ची से फिर क्या साबित होता है?” सार्जेंट सलीम ने पूछा।
“मैं ये भी नहीं कह रहा हूं कि वो कातिल नहीं है।” सोहराब ने जवाब दिया।
“आप खुल कर कोई बात क्यों नहीं बता रहे हैं! वो कातिल है भी और नहीं भी है! इसका मतलब क्या हुआ आखिर?” सलीम ने भन्नाते हुए कहा।
सोहराब ने राजेश शरबतिया की कोठी पर पहुंचने और वहां के पूरे हालात सलीम को बता दिए। शरबतिया के सिगरेट का ब्रांड और बड्स उठाने वाली बात भी बताई। यह भी बता दिया कि शरबतिया की खिड़की के पास वनिता खड़ी हुई थी।
पूरी बात सुनने के बाद सलीम ने कहा, “फिर तो राजेश शरबतिया के कातिल होने के बारे में कोई शक ही नहीं रह जाता है।”
“इतनी जल्दी नतीजे नहीं निकालने चाहिए।” सोहराब ने कहा।
“बड्स का डीएनए मैच होने की फार्मेल्टी भर ही तो बची है। उसकी सिगरेट का ब्रांड सेम है। वो कपड़े भी लॉर्ड एंड लैरी में सिलवाता है। सबसे अहम बात ये है कि उसके घर से कातिल वाली पर्ची भी मिल गई है। वनिता उसकी कोठी से निकली थी, इसके बावजूद वो यह बात छुपा रहा है। इसमें शक की कोई गुंजाइश बचती ही नहीं है!” सलीम ने कहा।
“फिर वही जल्दबाजी। इतनी जल्दी फैसले करने के अपने खतरे होते हैं। ज्यादातर मामलों में निर्दोष इसीलिए फंस जाते हैं।” सोहराब ने सलीम को दोबारा समझाने की कोशिश की, “ये भी तो मुमकिन है कि राजेश शरबतिया की बड्स जंगल में प्लांट की गई हो! हां ये अहम जरूर है कि उसने कबूल किया है कि वो लॉर्ड एंड लैरी में अपने कपड़े सिलवाता है और उसका नाम भी टेलर की लिस्ट में मौजूद है।”
“एक बात समझ में नहीं आई!” सलीम ने कहा।
“कौन सी बात?” सोहराब ने पूछा।
“आपको आखिर इस बात का अंदाजा कैसे हुआ कि पर्ची में क्या लिखा है? पर्ची तो आप ने यहां आकर खोली है?”
“दरअसल थर्टी फर्स्ट नाइट की पार्टी में मौत का खेल में इसी कलर की पर्ची यूज की गई थी... और ये कलर रेयर है। यानी आमतौर पर ऑरेंज कलर के कागज यूज नहीं होते हैं। इसलिए मैंने बस शक के आधार पर इस पर्ची को उठा लिया था।” सोहराब ने कहा।
“वनिता आखिर खिड़की के पास क्या जानने की कोशिश कर रही थी? आपको उसे वहीं रंगे हाथों पकड़ लेना चाहिए था।” सलीम ने कहा।
“फिजूल का सवाल है!” सोहराब ने कहा, “खिड़की के पास खड़ा होना कोई जुर्म नहीं है। वो मेरा नहीं शरबतिया का घर था। उसका मेहमान कहीं भी खड़ा हो सकता है। दूसरी बात... वह पूछने पर कह सकती थी कि उसकी कार की चाबी या कुछ भी ऐसा गिर गया है, जिसे वो तलाश रही है।”
सार्जेंट सलीम ने कोई जवाब नहीं दिया।
सोहराब ने कहा, “हम कत्ल की तहकीकात कर रहे हैं। लुकाछिपी का खेल नहीं खेल रहे हैं कि हमने किसे देख लिया और कौन अभी छुपा हुआ है!”
“वनिता को किस खाने में रख रहे हैं? वो अब तक कई बार आप से टकरा चुकी है।” सलीम ने बात बदलते हुए कहा।
“वो कातिल नहीं है।” सोहराब ने कहा, “रात जिस वक्त कत्ल हुआ वो मेरे साथ थी।”
“आप यह सब भी करते हैं!” सलीम ने एक आंख दबाकर मुस्कुराते हुए कहा।
“मैं दांत तोड़ दूंगा... फिजूल की बात की तो!” सोहराब ने नाराजगी जताते हुए कहा, “मैं तुम्हें पहले ही बता चुका हूं कि वह किस तरह गलती से आ कर वहां सो गई थी।”
“यह भी तो हो सकता है कि वह डॉ. वीरानी का कत्ल करने के बाद आराम से आ कर सो गई हो!” सलीम ने शक जाहिर किया।
“डॉ. वीरानी की सर्वाइकल स्पाइन टूट गई थी। ऐसा पूरी ताकत से बार-बार गला दबाने से हुआ है। वनिता को देख कर लगता नहीं कि उसमें इतनी ताकत है कि वो सर्वाइकल स्पाइन तोड़ सके। इसके अलावा डॉ. वरुण वीरानी इतनी कमजोर पर्सनाल्टी के नहीं हैं कि वह वनिता से न भिड़ पाते।”
“यानी वनिता हमारी तहकीकात का हिस्सा नहीं है?” सलीम ने पूछा।
“मैंने यह नहीं कहा है कि वह तहकीकात के दायरे से बाहर है।” सोहराब ने कहा, “अगर आपको याद हो तो सभी महिलाओं की तहकीकात मैंने आपके जिम्मे छोड़ दी है।” सोहराब ने कहा।
“मुझे वनिता से किस हैसियत से मिलना है?” सलीम ने पूछा।
“यह मैंने तुम पर छोड़ा है। तुम जैसे चाहो मिलो। तुम्हें खुली छूट है।” सोहराब ने कहा।
रात थोड़ा अलसाई हुई थी। शाम को हलकी बारिश हुई थी। इस वजह से सर्दी भी थोड़ा बढ़ गई थी। चांद ने अभी अपना मुखड़ा नहीं दिखाया था। आसमान पर अब भी कुछ सफेद बादल आवारगी में मशगूल थे। ये बादल इतने सफेद थे कि रात के अंधेरे में भी चमक रहे थे। सफेद बादल बारिश नहीं लाएंगे, ये बात पक्की थी।
बारिश और फिर सर्दी बढ़ जाने की वजह से सड़कों पर रौनक जरा कम थी। मेजर विश्वजीत के फार्म हाउस पर हालांकि न तो बारिश का असर था और न सर्दी का। फार्म हाउस की कोठी के बड़े से हाल में पार्टी अपने पूरे शबाब पर थी। हमेशा की तरह सिर्फ सेलेक्टेड लोग ही पार्टी में शामिल थे। खास बात ये थी कि इस बार रायना के ब्वायफ्रैंड अबीर को भी बुलाया गया था। रायना और राजेश शरबतिया मेजर विश्वजीत की जान थे, इसलिए उनका न होने का सवाल ही नहीं उठता था।
मेजर विश्वजीत की पार्टी की खास बात महंगी विदेशी रेयर शराब हुआ करती थीं। आज की पार्टी से केपटाउन से खास तौर से वाइन मंगाई गई थी। इस वाइन को अफ्रीकी ब्लैकवुड के पीपों में भर कर दस साल तक झील में डाल कर कल्चर किया गया था। इसका स्वाद बहुत अनोखा था।
एक मिस्री रक्कासा क्लासिक इजिप्शियन डांस रक्स शर्की पेश कर रही थी। उसने एक खूबसूरत लहंगा पहन रखा था। यह लहंगा दाहिनी और बाईं तरफ कमर से नीचे तक पूरी तरह से खुला हुआ था। इसमें सिर्फ आगे और पीछे कपड़ों की झालर लटक रही थी। इसके ऊपर उसने काफी चुस्त लिंगरी पहन रखी थी। उसके हाथ में एक खूबसूरत नक्काशीदार चांदी की सुराही थी। वो पूरे हाल में डांस करते हुए घूम रही थी। साथ ही खाली हो चुके पैग में वो सुराही से वाइन भी उंडेल रही थी।
रायना, मेजर विश्वजीत और राजेश शरबतिया साथ खड़े ठहाके लगा रहे थे। अबीर को पार्टी में बुलाया जरूर गया था, लेकिन वह एक दम अलग-थलग था। वह मेजर विश्वजीत को बिल्कुल पसंद नहीं करता था, लेकिन उसकी हिम्मत नहीं थी कि वह मेजर का सामना भी कर सके। दूसरे, रायना ने उससे साफ कह दिया था कि वह उससे यानी रायना से दूरी बना कर रखे। वह मेजर विश्वजीत को नाराज नहीं करना चाहती थी।
मेजर विश्वजीत ने सभी को मुखातिब करते हुए कहा, “लेडीज एंड जेंटलमैन! आज पुराने दिनों में लौटते हैं। आज हम सब म्यूजिकल चेयर गेम खेलते हैं। जो इस गेम में जीतेगा उसे मेरी तरफ से मिलेगा एक खूबसूरत इनाम।”
उसकी बात पूरी होते ही नौकरों ने कुर्सियों को एक लाइन में तेजी से लगा दिया। कुर्सियां लग जाने के बाद आर्क्रेस्ट्रा ने म्यूजिक छेड़ दिया और पार्टी में शामिल सभी लोग कुर्सियों के गिर्द चक्कर लगाने लगे। जैसे ही म्यूजिक बंद हुआ, सभी कुर्सियों पर बैठ गए। सभी को खेल में काफी मजा आ रहा था। हर बार म्यूजिक शुरू होने से पहले एक कुर्सी हटा दी जाती। म्यूजिक फिर से शुरू होता और किसी एक को कुर्सी पर जगह नहीं मिलती तो वो खेल से बाहर हो जाता।
खेल पूरे शबाब पर था। अभी तक रायना और अबीर दूसरे मेहमानों के साथ खेल में बने हुए थे। मेजर विश्वजीत और राजेश शरबतिया खेल से बाहर हो गए थे। इस बार म्यूजिक रुका और अबीर और रायना आगे पीछे की कुर्सी पर बैठ गए। तभी अबीर की कुर्सी के हत्थों से दो छल्ले निकले और उन्होंने उसके कलाई को जकड़ लिया। अबीर ने समझा कि ये भी खेल का हिस्सा है। उसने इस पर कोई एतराज नहीं किया। तभी उसकी कुर्सी धीरे-धीरे ऊपर उठती चली गई। उसकी तरफ रायना की पीठ थी, इसलिए वह देख ही नहीं सकी की अबीर के साथ क्या हुआ?