Taapuon par picnic - 79 in Hindi Fiction Stories by Prabodh Kumar Govil books and stories PDF | टापुओं पर पिकनिक - 79

Featured Books
  • My Wife is Student ? - 25

    वो दोनो जैसे ही अंडर जाते हैं.. वैसे ही हैरान हो जाते है ......

  • एग्जाम ड्यूटी - 3

    दूसरे दिन की परीक्षा: जिम्मेदारी और लापरवाही का द्वंद्वपरीक्...

  • आई कैन सी यू - 52

    अब तक कहानी में हम ने देखा के लूसी को बड़ी मुश्किल से बचाया...

  • All We Imagine As Light - Film Review

                           फिल्म रिव्यु  All We Imagine As Light...

  • दर्द दिलों के - 12

    तो हमने अभी तक देखा धनंजय और शेर सिंह अपने रुतबे को बचाने के...

Categories
Share

टापुओं पर पिकनिक - 79

- फ़िर?
- फ़िर क्या, मैं मर जाऊंगा बस।
- अरे पर क्यों???
- सब बताया तो है न तुझे। फ़िर भी पूछ रहा है?
- यार, जो बताया है वो तो बढ़िया है, एकदम परफेक्ट। लेकिन मर क्यों जाएगा?
- ज़िंदा रहने का भी क्या मतलब!
- बेटा, ये कोई रंगमंच की कहानी नहीं है कि एक शो में तू मरा और दूसरे में फ़िर उठ कर खड़ा हो जाएगा। मरने का मतलब जानता है? ... मरने का मतलब है कि बस, खेल ख़त्म। किसी को कुछ नहीं पता कि फ़िर क्या होना है। ...ये जो मोटे - मोटे ग्रंथों में लिखा पड़ा है न स्वर्ग, नर्क, अवतार, पुनर्जन्म, आत्मा, परमात्मा...और न जाने क्या- क्या...ये सब उन्हीं का लिखा- धरा है जो मर कर फ़िर इस धरा पर कभी नहीं लौटे... साले, क्या ऑथेंटिसिटी है इसकी? यदि ये सब बातें सच हों भी तो क्या खबर जिसकी तस्वीर पर हम माला और अगरबत्तियों का उजाला करके आंसू बहा रहे हों वो कहीं आसपास ही खरगोश बनके घास कुतर रहा हो। किसी बात की कोई प्रामाणिकता तो है नहीं।
- तो प्रामाणिकता का करना क्या है? ज़िन्दगी कौन सी किसी से उधार मांग कर लाए थे जो लौटानी है! ख़तम तो ख़तम। फ़िर बेटा, हम लॉस में कहां हैं? हम कोई खत्म थोड़े ही हो रहे हैं, ये तो एक्सचेंज ऑफर है, सिंपली ट्रांसफॉर्मेशन! आगोश बोला।
- तेरी माया तू ही जाने। आर्यन ने कहा और गिलास एक बड़ी सी सिप से ख़ाली करके रख दिया।
सुबह आर्यन को शूटिंग पर जाना था। तीन - चार घंटे की नींद ज़रूरी थी।
आगोश भी चला गया, फ़िर नहीं आया।
उस दिन सुबह - सुबह आर्यन सो कर भी नहीं उठा था कि फ़ोन की घंटी बजी। आर्यन ने हाथ बढ़ाकर मोबाइल हाथ में लिया तो हड़बड़ा गया। वीडियो कॉल था। उसने झटपट काट दिया।
उसे ऐसे लोगों पर बड़ी खीज होती थी जो बिना किसी सूचना या अनुमति के सीधे वीडियो कॉल ही लगा देते थे। ऐसे लोग ये सोच ही नहीं पाते कि दूसरा आदमी किस स्थिति में हो, किसके साथ हो, अकेला हो...बस, लिया और झट से कॉल लगा दिया।
आर्यन प्रायः ऐसे कॉल्स को ब्लॉक ही कर देता था पर फ़िर भी बाद में एक विचित्र सी बेचैनी बनी ही रहती थी कि क्या पता, कोई ज़रूरी फ़ोन ही हो।
वैसे उसका पर्सनल नंबर केवल कुछ गिने - चुने ही लोगों के पास था। उनमें भी ज़्यादातर घर के लोग या मित्रगण ही थे। व्यावसायिक काम के लिए उसके निर्माता महोदय ने अलग इंतजाम कर रखा था।
वह जिस यूनिट के साथ काम करता था अक्सर उसी का संपर्क नंबर देता था। लेकिन इसमें भी गफलत की आशंका बनी रहती थी। कई बार किसी नए संपर्क पर माकूल जवाब न दिए जाने की शिकायतें भी आती रहती थीं।
यदि कोई काम का संभावनाशील फ़ोन हो तो उस पर उचित जवाब न मिलने से नुकसान भी हो सकता था।
आर्यन के ढंग अब बड़े सितारों वाले होते जा रहे थे। उसे भी अब ज़रूरत पड़ने लगी थी कि उसका कोई परमानेंट ठिकाना भी हो और दफ़्तर भी।
जहां चाह वहां राह!
उस दिन डिनर के बाद वह सोने की तैयारी में ही था कि दरवाज़े की घंटी बजी।
दरवाज़ा खोला तो चौंक गया।
लोग इस समय भी नहीं बख्शते। मन में ऐसा सोचते हुए आर्यन ने जल्दी से कुर्सी के पीछे टंगा हुआ बड़ा सा टॉवेल लपेटा फ़िर दरवाज़े पर खड़े व्यक्ति से मुखातिब हुआ- कहिए?
वैसे आर्यन ऐसे आदमी से बात करने के पक्ष में नहीं था जो बिना समय लिए ही रात के ग्यारह बजे सीधा मिलने ही चला आए।
वो इस शख्स के जाने के बाद रिसेप्शन पर भी डांट लगाने वाला था कि बिना बताए अजनबियों को मिलने कमरे पर क्यों भेज देते हो।
लेकिन आर्यन का ये भी अनुभव था कि कभी - कभी अकस्मात इस तरह चले आने वाले लोग भी बड़े काम के निकलते हैं। उसे दो सीरियल इसी तरह मिले थे। एक फ़िल्म में अच्छी- खासी भूमिका भी उसे ऐसे ही अचानक चले आने वाले व्यक्ति ने दिलवाई थी। ऐसे लोग जीवन में सफ़ल होते हैं किंतु शिक्षित या कल्चर्ड नहीं होते। वो सीढ़ी दर सीढ़ी सफ़ल होकर ही बड़े लोगों के तौर तरीके सीखते हैं।
आर्यन ने उस अजनबी से धीरे से कहा- कहिए, किससे मिलना है?
अजनबी बिना कुछ कहे, आर्यन के हाथ के नीचे से झुक कर भीतर ही चला आया।
आर्यन सकपकाया।
आदमी बिल्कुल गंजा था। उसकी ठोड़ी पर बारीक सी स्टाइलिश कोरियन दाढ़ी थी जो पतले- पतले तीन भागों में पतली चोटियों की तरह बंटी हुई थी।
उसने बहुत नीचे तक खुला एक शर्ट पहना हुआ था जिससे उसके बाजू पर गले तक बना हुआ गहरा टैटू दिखाई देता था।
हल्का अंधेरा होने पर भी आर्यन यह देख सका कि उसकी दोनों आंखों का रंग अलग है। एक आंख गहरी हरी और दूसरी हल्की भूरी नज़र आ रही थी।
आदमी का डीलडौल ज़्यादा भारी - भरकम नहीं था।
आर्यन उससे कुछ कहता, इसके पहले ही वह कुर्सी पर बैठ चुका था।
आर्यन ने अनुमान लगाया कि ये विचित्र आदमी अनोखा दिखते हुए भी काम का व्यक्ति हो सकता है। वह चेहरे पर कोई अप्रिय भाव लाए बिना उसके सामने ही बैठ गया।
- या, व्हाट कैन आई डू... मैं आपके लिए क्या कर सकता हूं? आर्यन ने धीरे से संजीदगी से कहा।
- थैंक यू सर! क्या आप आगोश नाम के किसी आदमी को जानते हैं?
- जी, ज़रूर जानता हूं... क्या हुआ? आप क्यों पूछ रहे हैं। वह मेरा परिचित है.. बताइए, दोस्त है मेरा! व्हाट हैपेंड? क्या हुआ? आपका परिचय?
- आप झूठ बोल रहे हैं। उस शख़्स ने थोड़ी बेरुखी से कहा।
- व्हाट नॉनसेंस, मैं झूठ क्यों बोलूंगा आपसे? आर्यन बोला।
- ओके, अगर आप उसे जानते हैं तो उससे मेरी बात करवाइए। आदमी ने किसी पुलिस अफ़सर की सी सख़्ती से कहा।
- पर आप बताइए तो सही कि बात क्या है, उसने क्या कर दिया? आप का परिचय क्या है, आपको मेरा पता किसने दिया? अब आर्यन भी थोड़ा तैश में आ गया।
- ओह नो, मेरा परिचय मिलने के बाद आपके लिए यहां बैठे रहना भी मुश्किल हो जाएगा। मैं जो कह रहा हूं सिर्फ़ उतना कीजिए। अजनबी जिद पर अड़ा रहा।
- उसने जो भी किया हो, आप जो भी हों, आपको इस तरह बदतमीजी से पेश आने का हक किसने दिया। डू यू नो टू हूम यू आर टॉकिंग? आप जानते हैं आप किससे बात कर रहे हैं? ये मेरी शिष्टता है कि मैंने आपको अपने कमरे के भीतर आने दिया। आप भी इसी शिष्टाचार का परिचय दीजिए और बताइए कि मामला क्या है... वरना..
- वरना क्या? क्या करेंगे आप? गार्ड को बुलाएंगे, सिक्योरिटी को कॉल करेंगे? कोई फ़ायदा नहीं होगा। आई नो, मैं जानता हूं कि आप एक बड़े फिल्मस्टार हैं, यू आर पॉपुलर टू... आप कहेंगे तो लोग आपकी बात मानेंगे, आपकी हेल्प करेंगे। बट बेकार में मैं भी आपका समय नहीं खराब कर रहा आर्यन साहब!
- ओह, यू नो माई नेम ऑलसो.. मुझे नाम से जानते हैं तो कृपया अपना नाम, काम, धाम भी बताइए मिस्टर। आप क्यों बिना बात मुझे हैरेस कर रहे हैं? आर्यन ने अब कुछ प्रमाद के साथ कहा। उसे यकीन हो गया कि ये शख़्स जो भी है, उसे जानता ज़रूर है।
- मैं? मैं आपको हैरेस कर रहा हूं? मैं सिंपली ये चाहता हूं कि आप अपने दोस्त मिस्टर आगोश से मेरी बात करवा दीजिए। उस कोरियन से दिखने वाले अजनबी ने अब कुछ नम्रता से कहा।
- मिस्टर आगोश? ओके... अब आए न आप लाइन पर। तो सुनिए... मैं आपकी बात आगोश से नहीं करवाऊंगा।
- क्यों?
- क्योंकि मेरी मर्ज़ी! न मैं आपका कर्जदार हूं, और न आगोश आपका कर्जदार है..
- तो नहीं करवाएंगे?
- नहीं!
- सोच लीजिए। अजनबी ने दांत पीसते हुए कहा।
- सोच लिया।
- ... तेरी मां .. अजनबी अचानक खड़ा होकर आर्यन पर प्रहार करने के लिए बढ़ा।