Intzaar ek had tak - 15 in Hindi Moral Stories by RACHNA ROY books and stories PDF | इन्तजार एक हद तक (महामारी) -15

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इन्तजार एक हद तक (महामारी) -15

फिर सभी रात तक घर पहुंच गए और सभी इतने थके हुए थे फिर सभी दुध और बिस्कुट का कर सभी सो गए।
दूसरे दिन सुबह सभी जल्दी जल्दी उठकर तैयार हो गए। बच्चे अपने स्कूल को निकल गए। रमेश आज बहुत ही शुकून हो कर चाय की चुस्की ले कर बोला पता है कल अम्मा जी का सपना नहीं आया लगता है कि उनको शान्ति मिल गई होगी।
चन्दू ने कहा हां पर जब तक उर्मी बहु इस घर में वापस नहीं आ जाती तब तक कुछ भी नहीं हो सकता है। रमेश ने कहा हां हमें अब जोधपुर जाना होगा। अच्छा अब मैं आफिस निकलता हूं।ये कहते हुए रमेश भी आफिस निकल गया। आफिस पहुंच कर ही अमित को सारी बात बताई। अमित ने कहा अब हमें जोधपुर को निकलना होगा ज्यादा देर नहीं करनी चाहिए। रमेश ने कहा हां अब शनिवार को ही जाएंगे। उम्मीद है वहीं उर्मी मिल जाएगी।
अमित ने कहा हां भगवान शिव को याद करो । फिर सारी काम, फाइलों को लेकर रमेश उलझा रहा कब शाम हो गई पता ही नहीं चला।
फिर घर पहुंच कर ही रमेश एक दम थक कर चूर हो गया था। तभी रत्ना आ कर बोली कि चाचू ये देखो आज परी ने क्या बनाया है स्कूल में। रमेश ने आश्चर्य होकर बोला हां, क्या किया। रत्ना ने कहा चाचू ये डाईंग बुक में क्या बनाई है। रमेश ने जैसे ही डाईंग बुक लिया तो देखा कि एक औरत पंखे पर झूल रही है। रमेश ने कहा अरे ये कैसे संभव है? रमेश ने चन्दू को बुलाया और फिर कहा अरे ये देख ये तो मोहिनी है ना उर्मी की ममेरी बहन। चन्दू ने कहा हां, हां। रमेश ने कहा परी को बुलाओ।परी को लेकर आ गई। रमेश ने कहा परी ये कौन है।परी ने कहा मासी है। रमेश एकदम से चौंक गया और सोचने लगा कि परी को कैसे पता ये सब। क्योंकि मानसी ने तो आत्म हत्या कर लिया था ये बात उर्मी ने बताया था मुझे।ये सब क्या हो रहा है क्यों हो रहा है कुछ समझ नहीं आ रहा है।

फिर सभी खाना खा कर सो गए।आधी रात को अचानक किसी की आवाज से रमेश उठकर बैठ गया और देखा कि परी खिड़की के पास जाकर किसी से बात कर रही थी। रमेश ने कहा परी क्या हुआ?ये सुनकर ही चन्दू भी उठ गया।परी ने कहा बाबा दादी आई थी और मुझे लोरी सुना रही थी। रमेश एकदम से पागलों की तरह रोने लगा। चन्दू ने समझाया कि हिम्मत रखो उर्मी बहु के आते ही सब कुछ ठीक हो जाएगा।
फिर सभी सो गए।
दूसरे दिन सुबह रमेश एकदम परेशान था रात की बात से। एक दम विचलित हो उठा और बिना कुछ खाए पीए आफिस चला गया और वहां पहुंच कर अमित को सारी बात बताई।
अमित ने सब कुछ सुना और फिर बोला अरे रमेश तुम मंजिल तक पहुंच कर कैसे हार मान सकते हों।
रमेश ने कहा मैं अब और सहन नहीं कर पा रहा हूं मैं उर्मी को कहां और कैसे खोजूंगा।
अमित ने कहा हम जायेंगे भाई।सब ठीक हो जाएगा। किसी तरह से एक दिन निकल गया।
रमेश घर लौटते समय स्टेशन जाकर अलिगढ से जोधपुर तक का टिकट कटवा लिया।
घर पहुंचते ही रमेश ने कहा कि हम सब जोधपुर जा रहे हैं तुम्हारी चाची को लाने। सभी बच्चे खुश हो गए।
शनिवार को निकलना होगा। चन्दू ने कहा चलो खाना खा लो। सभी साथ में खाना खाने लगे रत्ना बड़े प्यार से परी को खिला देती थी। फिर सभी जाकर सो गए। रमेश इधर उधर करवटें बदलते हुए खुली आंखों से सपना देख रहा था कि एक उम्मीद बची थी कि अगर उर्मी मिल जाएगी तो शायद अम्मा जी को शांति मिल जाएगी।ये सोचते हुए कब आंख लग गई। फिर सुबह उठते ही सभी अपने अपने काम में व्यस्त हो गए। बच्चे तैयार हो कर स्कूल को निकल गए। चन्दू भी सब्जी मंडी हो लिया और रमेश भी आफिस के लिए निकल पड़े।
आफिस पहुंच कर ही सबसे पहले अपने काम पर ध्यान केंद्रित किया और सारी फारमालिटज बिना रुके करता रहा।
अमित लंच में बोला अरे भाई चलो खाना खा लिया जाए। रमेश ने कहा हां ठीक है चलते हैं। बाकी सब पिछला काम हो गया है।
फिर इसी तरह से घर जाने का समय भी हो गया। अमित ने कहा चलो भाई मिलता हुं। रमेश ने कहा अरे भाई तुम शुक्रवार को ही मेरे साथ घर चलना। अमित ने कहा हां ठीक है।
फिर रमेश घर लौटते समय कुछ जरूरी सामान खरीद कर घर लौट आया।
चन्दू ने चाय और समोसे दिया। रमेश ने कहा वाह चन्दू आज उर्मी की तरह छोटे समोसे बनाया तुमने। क्या बात है? चन्दू ने कहा हां परी ने कहा कि मुझे छोटे समोसे ही खाना है इसलिए बनाया। रमेश ने मन में सोचा अरे परी को सब कुछ पता है। फिर सभी मिलकर लुडो खेलने लगें। घर का माहौल थोड़ा बदल गया।
फिर सभी रात का खाना खा कर सो गए।पर रमेश को नींद ही नहीं आ रही थी उसे रह,रह कर चिंता सता रही थी कि उर्मी कहां होगी? कैसी होगी? ये सब सोच कर रमेश ने आंखें बन्द कर दिया और उसे सपना आया कि एक बड़े से घर में उर्मी सजी संवरी बात कर रही हैं। हंस रही है। फिर रमेश की नींद खुल गई और देखा कि सुबह के छः बज रहे थे। फिर करवट बदल कर परी के तरफ जैसे ही मुड़ गया तो देखा कि परी कुछ बात कर रही थी।परी ओ परी क्या हुआ? ये कहते हुए रमेश ने पुछा।परी ने कहा अरे बेटा तुम तनिक भी चिंता मत करो उर्मी बहु को हम लाकर रहेंगे। रमेश ये सुनकर ही उठ बैठा और फिर बोला अम्मा जी आप कहां हो? क्यों मुझे इतना परेशान कर रही हो? मेरे सामने ही नहीं आती हो।
कुछ तो बताईए कि उर्मी कहां है?किस हाल में है?उसको तो मेरा पता मालूम है पर फिर भी वो क्यों नहीं आ रही है। फिर कुछ देर बाद ही परी ने आंखें खोल दीं और फिर बोली बाबूजी मुझे मां के पास जाना है। रमेश ने कहा हां ज़रूर बेटी पर क्या तुम्हें पता है कि मां कहां पर है?परी ने कहा हां एक बड़े से घर में है वो।
रोज की तरह सभी अपने अपने काम पर निकल गए। रमेश बहुत ही परेशान हो कर आफिस तो पहुंच गया पर उसने सारी बात अमित को बताया। अमित ने कहा हां भाई थोड़ा सा सब्र करो । रमेश ने कहा हां बस वही तो कर रहा हूं।
फिर शाम को घर निकलते हुए रमेश ने कहा अमित कल अपना बैग लेकर आ जाना। अमित ने कहा हां ठीक है चलो कल मिलते हैं।
रमेश किसी तरह से अपने घर को पहुंच गए। फिर एकदम से फुट फुट कर रोने लगे। अपने कमरे में जाकर लेट गया। सभी बच्चे परेशान हो कर रमेश के पास जाकर बोले कि चाचू आप बिल्कुल चिंता मत करो सब ठीक हो जाएगा।
रमेश ने सभी को अपने पास बुलाया और उनको गले से लगा लिया।
रवि ने कहा चाचू आप बिल्कुल चिंता मत करिए हम जरूर चाची को वापस ले आयेंगे।
इसी तरह एक दिन और बीत गया। रमेश दूसरे दिन सुबह जल्दी उठकर तैयार हो गया। बच्चों का स्कूल बंद था किसी कारण वश।
रमेश आफिस को निकल गए। आफिस में भी रमेश बहुत ही मायुस होकर ही काम करने लगा। अमित ने देखते ही कहा क्या बात है भाई। इतना मत सोचो,जब यहां तक सबकुछ ठीक रहा तो आगे भी ठीक होगा। रमेश ने कहा हां पर एक डर सा लग रहा है। अमित ने कहा ये लो चाय पियो अदरक वाली। अमित ने कहा वो जोधपुर में स्टेशन के पास ही हाॅली -डे होम है हमने पता किया अच्छा ही है। रमेश ने कहा हां ठीक है हम वहीं रह लेंगे।
इसी तरह शाम निकल गया। रमेश घर लौटते समय कुछ किताबें और कुछ खाने पीने का सामान खरीद लिया।
सब कुछ तो था रमेश के पास भगवान का दिया हुआ पर इन बच्चों को सही तरीके से प्यार और देखभाल करने वाला कोई नहीं था।पर भगवान ने शायद कुछ अच्छा सोचा होगा।
घर पहुंचते ही चन्दू के हाथ सब सामान देकर बोला ये सब खानें पीने का सामान रख लेना गाड़ी के लिए।।
रमेश ने कहा और बच्चों ये लो कामिक्स पिंकी और रमन तुम लोगो के लिए। सभी ने कहा थैंक यू चाचू।
रमेश को एक अनजान सा डर लग रहा था कि क्या उर्मी मिलेगी?कैसी होगी वो?अगर जिन्दा है तो अब तक आई क्यों नहीं?
ये सब सोचते हुए रमेश फे्श होने चला गया।
फिर सभी खाना खाने बैठ गए और फिर सभी जाकर सो गए।आधी रात को रमेश एक दम से उठ गए और उसका गला सूख रहा था फिर उसने पानी पी लिया और फिर सोचा कि अरे ये क्या अम्मा जी ने ये क्या कहा कि जल्दी से जाओ उर्मी बहु मुसीबत में है।ओह। क्यों ऐसा हो रहा है शायद मैं ज्यादा सोच रहा हूं।
फिर रमेश जाकर सो गए।।

क्रमशः