Swarn mudra aur Businessman - 7 in Hindi Fiction Stories by Shakti Singh Negi books and stories PDF | स्वर्ण मुद्रा और बिजनेसमैन - भाग 7

Featured Books
Categories
Share

स्वर्ण मुद्रा और बिजनेसमैन - भाग 7

सुना है बिहार के कुछ भागो में बाहुबली लोग लड़कों को जबरदस्ती पकड़ लेते हैं और उनसे जबरदस्ती अपनी लड़कियों की शादी कर देते हैं.


मुझे तो यह बलात्कार लगा. क्या आपकी नजर में यह लड़की द्वारा लड़के का बलात्कार नहीं है? अपनी राय दीजिए.








मुझे अपने देश में प्रधानमंत्री का पद मिला तो सबसे पहले मैंने सभी आयात बंद कर दिए और निर्यात बढ़ा दिए. इससे मेरे पास बहुत सा धन एकत्र हो गया. कुछ बहुत जरूरी वस्तुओं का आयात मैंने रहने दिया.


अब मैंने प्राप्त धन से अपनी अर्थव्यवस्था सुधारी और सभी विदेशी कर्जा चुका दिया. अब मेरा देश सोने की चिड़िया बन गया. आपकी क्या राय है? क्या मैंने सही किया?








मैं अपने अंतरिक्ष यान में बैठकर अंतरिक्ष में घूम रहा था. अंतरिक्ष के दृश्य और ग्रहों की भूलभुलैया से गुजरता हुआ मैं आगे बढ़ता जा रहा था. अचानक एक आग के गोले पर मेरी नजर पड़ी. यह एक ग्रह था. मेरा यान उस ग्रह के नजदीक से गुजरा.


अचानक मेरा यान खराब हो गया. मैं आग के ग्रह में गिरने बैठ गया. मैं समझ गया आज तो मौत तय है. मैं बेहोश हो गया. कुछ समय बाद मेरी आंखें खुली तो मैंने देखा मैं ठीक हूं और वह आग तो एक ठंडी सी आग है.


चारों तरफ आग से बनी हुई सुंदर - सुंदर स्त्रिया नजर आ रही थी. अब तो मैं यहीं का होकर रह गया. चार - पांच साल मैं उसी ग्रह पर रह गया. अब मैं भी अग्नि मानव सब बन चुका था. क्योंकि वहां कोई पुरुष नहीं था. अत: मैंने वहां की सभी स्त्रियों से शादी कर ली और मजे से रहने लगा.


आपकी क्या राय है? क्या मैंने सही किया?








मैं सारी दुनिया घूमा हुआ हूं. मुझे सारी दुनिया एक जैसी लगती है. सभी स्त्री - पुरुषों में लगभग एक जैसी भावना होती है.


सभी एक जैसा हंसते हैंं. सभी एक जैसा रोते हैं. मेरी तो दुनिया के हर देश में 4 -4 व 5 - 5 गर्लफ्रेंड हैं. आपकी क्या राय है?






मैं बहुत दिनों से सोमरस की खोज में था. आज अचानक नर्मदा नदी के किनारे मुझे एक सुंदर सोमरस की झाड़ी दिखाई दी.


मैंने सोमरस का विधि - विधान के साथ प्रयोग किया. इसके बाद मैं अजय अमर व अतुल ऐश्वर्य का स्वामी बन गया.







हमारे क्षेत्र में यह परंपरा है कि दिवाली के दिन सब लोग अपना फालतू और कबाड़ का सामान कबाडी को दे देते हैं और उसमें कुछ धन और मिलाकर सोने या चांदी के सिक्के खरीद लेते हैं.


इससे हमारे क्षेत्र के गरीब से गरीब लोग भी संपन्न और सोने चांदी से भरपूर हैं.






सुना है बहुत से लेखक बहुत सा धन कमाते हैं इस लेखन के काम से. परंतु मैंने तो आज तक ₹1 नहीं कमाया इस काम से.


आपने कितना रुपया कमाया आज तक इस लेखन के काम से. कृपया बताइए. धन्यवाद.






क्योंकि मेरे पास अरबों - खरबों डॉलर हो गए थे. अतः मैंने अपनी इनकम का 75% भाग जनता की भलाई, नये आविष्कार, गरीबों के हित, सड़क, पीने के पानी, बिजली आदि ने व्यय किया.


परंतु वास्तव में क्या यह धन मेरा था? नहीं यह तो प्रभु का दिया हुआ धन था और जनता का ही धन था. जनता के धन का परम परमेश्वर ने मुझे एक ट्रस्टी बनाया था और इस धन का सदुपयोग मैं देश और समाज के हित में ही कर रहा था.