Tash ka Aashiyana ch. 10 in Hindi Fiction Stories by Rajshree books and stories PDF | ताश का आशियाना - भाग 10

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ताश का आशियाना - भाग 10

"यहां रोज आते हो तुम?" एक सवाल की शक्ल देखने के लिए सिद्धार्थ पीछे मुड़ा।
"सॉरी.."
"तुमने तो कोई गलती की ही नहीं।" तड़ाक से जवाब आया।
"मैं तुम्हें यहां रोज देखती जब भी देखती हूं, तब लगता है यही के हो, लेकिन जिस तरह यहां की खूबसूरती में खो जाते हो, इससे लगता है की नए हो।"
सिद्धार्थ उस लड़की के इतने बातों के बावजूद एक शब्द भी बोल नहीं सका।
"गर्लफ्रेंड है तुम्हारी?"
"सॉरी"
"अरे फ़िरसे सॉरी! बिना गलती के सॉरी कभी नहीं बोलना चाहिए।"
"नहीं..." सिर्फ इतना जवाब सिद्धार्थ दे पाया।
"फिर ठीक है, Myself रागिनी भारद्वाज."
"भारद्वाज साडिस के मालिक की बेटी हु, अच्छा खासा कमा लेती हूं। एक मेल फ्रेंड की तलाश में हूं, जिसके गले में एक बार में ही जाकर वरमाला बांध सकूं।"
"मैं तुमसे नाही शादी कर सकता हूं, ना ही दोस्ती।"
"ओ माय गॉड! गे हो क्या?"
सिद्धार्थ उसके बात पे मुंह टेढ़ा करके चौक उठा।
"तुम्हें पता है मैं कौन हूं?"
"कौन हो? वैसे मैं इंडिया के प्रेसिडेंट को तक नहीं जानती।"
"जनरलनॉलेज विक है मेरा, आधे वक्त पागल खाने में जो रहती हूं।"
"हं!!!" सिद्धार्थ इस वाक्य पर चौका। अभी लग रहा था मानो वो बातों में इंटरेस्ट लेने लगा था।
"I'm neurophysiologist From Harvard university."
"हे भगवान!" सिद्धार्थ ने अपने सर पर हाथ मार लिया।
"क्या हुआ? भगवान को क्यों याद कर रहे हो?"
"मेरी किस्मत में सारे डॉक्टर ही क्यों है?" सिद्धार्थ फुसफुसाया,पर रागिनी को सब सुनाई दिया।
"ओह! तो तुम्हारे घर में सभी डॉक्टर है। अच्छा है तबीयत खराब होने पर खुद की ही दवाइयां ले लो।" इतना बोलकर रागिनी हँस दी।
"सिद्धार्थ के होठों के ऊपर पीसते हुए दांत और गुस्से से भरी आंखें देख उसका ठहाका एकाएक बंद हो गया।"
"तुम कितना बोल रही हो पता है तुम्हें?" रागिनी उदास होते हुए, "मैं बहुत बोलती हूं ना!? हा मैं बहुत बोलती हूं। इसलिए बचपन में जब भी काफी बोलती थी, तो लोग या फिर बोल ही नही पाते, या फिर क्या बोलना है ये बीच में ही भूल जाते।"
रागिनी उदास हो गई। "यार!शीट" सिद्धार्थ मन ही मन सोचने लगा, लड़की को रुलाना वह भी जिसे वह पूरी तरह से अनजान था, वो भी उसे असहज कर गया था।
"सॉरी!"
एक बार अपने दुख को भुलकर हंसते हुए सिद्धार्थ को चिढ़ाने लगी- "सॉरी बोलते रहोगे,तो शादी के बाद गलती ना होने पर भी बीवी को सॉरी ही बोलना पड़ेगा।"
सिद्धार्थ अच्छा खासा पक चुका था, रागिनी की बातों से। "क्या चाहिए तुम्हें? पॉकेट में से वॉलेट निकाल उसने ₹500 आगे किया, यह लो और पीछा छोड़ो मेरा।"
"काफी अमीर टाइप के आदमी लगते हो। सीधा ₹500 का नोट सामने रख दिया। वैसे वॉलेट मैं फोटो प्रेमिका है ना? बोलो!बोलो !" सिद्धार्थ को कोनी मार कर, वह मजाकिया तरीके से पूछने लगी।
एकाएक सिद्धार्थ का लटका हुआ मुंह देख, "ब्रेकअप हो गया क्या?"
"मेरा भी अब तक 2 लोगों के साथ हुआ है।"
"तुमने कभी सच्चा प्यार किया ही नही होंगा।" रागिनी ठहाका मारकर हंसने लगी।
पर फिर से सिद्धार्थ का वहीं सड़ा-फटा चेहरा देख वो चुप होकर बोली- "एक से हुआ था, मैंने उसके साथ सोने से मना कर दिया तो मुझे छोड़कर दूसरे तितली पर बैठ गया।"
"और दूसरा?"
यह दो शब्द फूटते ही रागिनी ने भौहों के ऊपर उचकाते ते हुए, "इंटरेस्टेड हा..!"
सिद्धार्थ ने फिर से मुंह गंगा की तरफ कर लिया।
"दूसरा अमेरिकन था। प्रैक्टिस में मेरे साथ ही था बस बाते- शाते फिर प्यार पर जब शादी की बात आयी तो नाही उसके परिवार वाले राजी थे, नाही मेरे, कुंडली मे प्रोब्लेम था।"
"और अब तुम बताओ।"
"इतनी कॉम्प्लिकेटेड नहीं है मेरी स्टोरी।" गंगा में दूर तक पत्थर का निशाना साधते हुए बोला।
"जिस लड़की से प्यार करता था उसकी 5 साल पहले शादी हो गई।"
"5 साल पहले? और तूम अभीभी उसकी फोटो लेकर घूम रहे हो, उसके पति को पता चल गया तो भर रस्ते में फोड़ देगा।" रागिनी अब मजाक भी गंभीरता से कर रही थी। "तुम मजाक उड़ा रही हो? नहीं मैं सीरियस हूं।" रागिनी ने तड़ाक से स्टेटमेंट पास किया।
"वैसे मैं समझ सकती हूं, प्यार में दोनों को बराबर नुकसान होता है; बेचारी वह भी यही महसूस कर रही होंगी।"
कुछ देर के लिए शांति फैल गई। सिद्धार्थ खयालो में कही गुम हो गया।
"कल मिलोगे यहां गंगा आरती के समय?"
"नही मुझे टाइम नही है।" रागिनी को इस बात पर कोफ्त महसूस हुई फिर भी वो बिना कुछ कहे वहा से चल दी ठीक है, शायद हमारा सफर यही तक था।
पहली बार सिद्धार्थ को कुछ गलत करने का अहसास हो रहा था, प्रकाश ने कहा "रोकलो उसे।"
"क्यो, पागल हो तुम?" "हा, तुम भी वैसे कुछ काफी समजदार नही हो।"
"रोकलो वैसे भी चित्रा...चित्रा.. की माला कितने साल जपोगे?"
"रोको उसे अभी..." प्रकाश गरजा।
"ठीक है, कल मिलते है।"
"इंट्रेस्टेड हा..."
"ऐसा ही कुछ समझलो।"
"और अगर कल मै यहा नही आयीं तो?"
"तो वैसे भी मै कल यहा मैं आने वाला ही हु।"
"Attitude हा! ऐसा atttitude लड़को को शोभा नही देता।"
"क्या करूँ फिलहाल यही बचा है।"
"ठीक है देखते है कल।"