Kota - 9 in Hindi Fiction Stories by महेश रौतेला books and stories PDF | कोट - ९

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कोट - ९

कोट-९
मैंने बच्चों से कहा जब तक चश्मे वाला नहीं लौट आता हिमालय से, तुम्हें एक कहानी सुनाता हूँ। बच्चों ने उत्सुकता में कान खड़े कर लिये। मैंने कहा, सुनो-
"बहुत रात हो गयी
चलो, कहानी कहें,
एक था राजा
एक थी रानी,
सपनों में एक साधु आया,
भिक्षा में उसने
राज्य उनका मांगा।

बहुत रात हो गयी
चलो, कहानी कहें,
साँप फिर आया
पुत्र भी खोया।

गरीब थी रानी
श्मशान में राजा,
सत्य के लिये
यह सत्य की कहानी।
बोलो, वह राजा कहाँ से आया?

राज्य फिर लौटा,
पुत्र भी मिला,
एक था राजा
एक थी रानी।

महल थे अनोखे
राम से थे वे पहले,
बोलो, वह राजा कहाँ से आया?"
वे बोले पता नहीं। मैंने कहा मैं बताता हूँ-
"राजा हरिश्चन्द्र हमारे इतिहास के चमकते सितारे हैं।ऋषि विश्वामित्र ने उनकी परीक्षा लेने के लिये उनका राजपाट छीन लिया था। राजपाट भी उन्होंने सपने में विश्वामित्र को दिया था। विश्वामित्र सपने में आते हैं, राज्य माँगते हैं। दूसरे दिन पहुँच जाते हैं दरबार में। बोलते हैं," राजन, आप अपना राज्य दे दीजिये।" हरिश्चन्द्र बोले,"आपको तो राज्य दे चुका हूँ, सपने में।" कैसे राजा थे तब ! राज्य चले जाने के बाद, दक्षिणा के लिये उन्होंने पूरे परिवार को बेचना पड़ा।उन्होंने श्मशान पर काम किया, जीविका के लिये।पत्नी तारा को किसी घर में काम करना पड़ा।वे श्मशान पर दाह संस्कार का कर उसूलते थे। पुत्र रोहताश की साँप के काटने से मृत्यु हो जाती है तो उसके शव को लेकर वह उसी श्मशान में जाती है जहाँ हरिश्चन्द्र कर वसूलते हैं।वे तारा से श्मशान का कर देने को कहते हैं लेकिन उसके पास देने को कुछ भी नहीं होता है, अत: वह अपनी धोती फाड़ने लगती है, कर के रूप में देने के लिये। तभी आकाशवाणी होती है और विश्वामित्र भी प्रकट हो जाते हैं।विष्णु भगवान रोहताश को जीवित कर देते हैं और विश्वामित्र हरिश्चंद्र को राजपाट लौटा देते हैं।"
वे बोले राजा हरिश्चंद्र है उत्तर।

इतने में तीन साल की एक बच्ची रसोईघर में पानी पीने जाती है और जल्दी लौटकर कहती ही- हाफ,हाफ। उसकी माँ की समझ में कुछ नहीं आता है तो वह उठकर रसोईघर की ओर जाती है तो देखती है वहाँ साँप बैठा है। सब डर जाते हैं। पड़ोस के घर में बोलते हैं तो वे भी देखकर डर जाते हैं। फिर बच्ची की माँ फिनायल का पानी बना कर रसोई घर के फर्श पर डाल देती है और साँप को भगाने का प्रयत्न करती है। साँप नल के सहारे रसोई घर की खिड़की से बाहर चला जाता है। सबकी साँस में साँस आती है। उसके बाद खिड़की को बन्द कर दिया जाता है। बच्चे बोलते हैं इसी साँप ने रोहतास को काटा था क्या? मैंने कहा नहीं वह सतयुग की बात थी। यह कलयुग का साँप है लेकिन है बुद्धिमान। जिस रास्ते से आया है, उसी रास्ते से वापिस गया। उसे रास्ता याद था।
बच्चे कहते हैं चश्मे वाला कब लौटेगा? हमारे लिए क्या लायेगा?
मैंने कहा अभी वह वराह पर्वत की कन्दरा में तपस्या कर है। राक्षस उसकी तपस्या में कठिनाई उत्पन्न कर रहे हैं। जब तपस्या पूरी हो जायेगी तो तुम्हारे लिए सुन्दर-सुन्दर फूल लायेगा। ब्रह्म कमल जो हिमालय में होता है उसे लायेगा।

* महेश रौतेला