The Lost Man (Part 39) in Hindi Fiction Stories by Kishanlal Sharma books and stories PDF | हारा हुआ आदमी (भाग 39)

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हारा हुआ आदमी (भाग 39)

"आप?"
आवाज को सुनकार देवेन चोंका था।निशा उसकी पत्नी की मम्मी माया उसके बिस्तर में?न जाने कब वह उसके बिस्तर पर आ गयी थी।उसने कभी स्वप्न मे भी नही सोचा था कि एक दिन ऐसा भी हो सकता है।
"आप। यहां इस वक़्त ---देवेन के मुह से आवाज नही निकल रही थी।"
"मुझे यहां देखकर इतना चोंका क्यो रहे हो?ऐसी क्या बात है?"
माया ऐसे बोली थी,मानो यह बहुत साधारण बात हो।देवेन, माया को अपने बिस्तर पर देखकर घबराया लेकिन माया बिल्कुल विचलित नही हुई।वह सहज सरल स्वर में बोली,"मैं भी एक औरत हूं."
"मैं कब इस बात से इनकार कर रहा हूं?"
"इनकार नही कर रहे तो इतना घबरा क्यो रहे हो।"
माया ने अंधेरे में ही अपनी बांहे देवेन के गले मे डाल दी थी।
"अरे यह आप क्या कर रही हैं?"देवेन, माया की इस हरकत से बौखला गया।वह माया की पकड़ से छूटने के प्रयास करते हुए बोला।
"रात को बंद कमरे में औरत और आदमी क्या करते है?"माया ने देवेन से प्रश्न किया था।फिर उस प्रश्न का उत्तर माया स्वंय ही देते हुए बोली,"मैं औरत हूं और तुम मर्द हो।इस कमरे में हम दोनों ही हैं।ऐसे में एक औरत को जैसा व्यहार करना चाहिए।वैसा ही मैं कर रही हूँ।"
"यह सही नही है।आप बिलकुल गलत कर रही है।"देवेन बोला,"आप जो करने जा रही है।जानती है वह क्या है?"
"क्या है?"माया ने देवेन के प्रश्न का उत्तर प्रश्न से ही दिया था।
"पाप।आप जो करना चाहती है।उसके बारे में सोचना भी पाप है।"देवेन बोला।
"पाप"माया बोली"पाप।कैसा पाप"
"बहुत खूब।आप इस तरह मुझ से पूछ रही है।मानो आप तो इस बारे में जानती ही नही।आप नादान बनने की कोशिश कर रही है।लेकिन आप है नही।सिर्फ आप भोलेपन का ढोंग कर रही है।"
"आखिर तुम कहना क्या चाहते हो?"
"नीशा मेरी पत्नी है।समाज के सामने आपने उसके हाथ पीले किये थे।आपने उसका कन्यादान किया था।आप निशा कक माँ है"।देवेन बोला।
"माँ समाज,"माया बोली,"जहां तक समाज का सवाल है।कुछ काम ऐसे होते है।जो समाज को दिखाने के लिए किए जाते है।रही माँ की बात वह सिर्फ नाम को हूँ।"
"नाम को माँ मतलब?" देवेन बोला।
"कोई भी औरत माँ ऐसे ही नही बन जाती।माँ बनने के लिए उसे शारीरिक पीड़ा भोगनी पड़ती है।पूरे नौ महीने तक बच्चे को अपने पेट मे रखना पड़ता है।नौ महीने बाद प्रसव पीड़ा से गुज़रने के बाद ही उसे माँ कहलाने का हक़ मिलता है।"
देवेन की बात सुनकर माया बोली,"निशा को मैने अपनी कोख से जन्म नही दिया है।निशा से मेरा खून का रिश्ता नही है।मैं निशा कज सौतेली माँ हूँ।हम दोनों का भावात्मक रिश्ता है।जो खून के रिश्ते जैसा मजबूत नही होता।"
"रिश्ता खून का हो।रिश्ता दिल का हो।रिश्ता भावात्मक हो या और किसी तरह का रिश्ता हो।रिश्ता तो रिश्ता ही है।"देवेन ने माया के तर्क का विरोध करते हुए बोला"आप निशा से अपने रिश्ते को सिर्फ इसलिए नकार रही है कि आप अपनी काम इच्छा की पूर्ति कर सके।यह धोखा हैअपने आप को धोखा है।"
"मेरी और निशा की उम्र मे सिर्फ दस साल का अंतर है।पैंतीस साल की उम्र में औरत बूढ़ी नही हो जाती।आजकल तो इस उम्र में लड़कियां शादी करने लगी है।इस उम्र में औरत की इंद्रियां शिथिल नही हो जाती।कामवासना मर नही जाती।मेरी भी इच्छाएं मरी नही है।मेरे पेट के साथ शरीर कज भूख भी है"