फिर बाबा जी ने कहा कि ये जल उस जगह पर ले जाओ जहां पर ये महामारी हुआ था और सभी जगह छिड़काव कर देना पर इसी बच्ची से करवाना। मुक्ति मिलेगी और ये इस बच्ची के हाथों।।
रमेश ने कहा ठीक है बाबा। बाबा बोले अभी बाहर बैठो। फिर सभी बाहर आकर एक जगह बैठ गए। अमित रमेश को बोला देखो किस्मत का फैसला जो अब भाभी जी से मिलायेगा। रमेश ने कहा मुझे तो कुछ समझ नहीं आ रहा है कैसे हम उर्मी को खोजेंगे। अमित ने कहा जैसे परी को ढूंढने निकले थे अब भाभी को भी ढुंढना होगा और मैं तुम्हारे साथ हूं।
फिर कुछ देर बाद ही बाबा ने सबको बुलाया और कहा कि एक पुजा करवानी होगी परी के हाथों और फिर उर्मी को खोजना होगा। शुरू से शुरूआत करनी होगी।
अब चलो पुजा में बैठ जाओ परी को लेकर। फिर रमेश और परी दोनों ही पुजा में बैठ गए।
फिर मंत्र जप शुरू हो गया और फिर अम्मा जी की आत्मा को बुलाया गया।
कुछ देर बाद ही सब शांत हो गया और फिर एक कापी में पेन से लिखना शुरू हो गया। कुछ देर बाद वो लिखावट शान्त हो गई। सभी ने आंखें खोल दीं।
बाबा ने वो कापी उठाया और फिर देखा। और फिर बोलें कि उर्मी बहु अभी अस्वस्थ हैं और जोधपुर में एक साहुकार के घर पर रहती है। पहले तुम तुम्हारे गांव जाओ और उस जगह इस पवित्र जल का छिड़काव करो और फिर जोधपुर जाओ और उर्मी बहु को लेकर आओ। तभी तुम्हारे अम्मा जी की आत्मा को शांति मिल पायेगा नहीं तो अनर्थ हो जायेगा। तुम्हें कभी शान्ति नहीं मिलेगी।
रमेश ने हाथ जोड़कर कहा जो आज्ञा आपका।तो हम जाए। बाबा ने कहा ओम शांति ओम।
फिर सभी वहां से निकल गए। रमेश ने वो जल का लोटा चन्दू को दे दिया और कहा कि इसे सम्हाल कर रखें। रमेश एकदम से फुट फुट कर रोने लगा और बोला अम्मा जी आप जहां भी हो खुश रहो आपको मेरी वजह से इतना कुछ सहना पड़ रहा है मैं कुछ भी नहीं कर सकता। अमित बोलें अरे रमेश अम्मा जी तुमको बहुत ही प्यार और आदर करती थी इसलिए ही उनको तुम्हारे लिए चिंता हो रही हैं अगर उर्मी भाभी तुम्हारे साथ होती तो अम्मा जी को शांति मिल गई होती। रमेश ने कहा हां अमित तुमने ठीक कहा। अब सबसे पहले हुकुलगंज में जाकर अम्मा जी और बाबूजी के नाम पर जो अस्पताल बनाया है वहीं पर उस पवित्र जल का छिड़काव करना होगा।
अमित बोलें हां दोस्त ये तो करना होगा। क्यों न सभी लोग होकर आओ। फिर मैं तुम्हारे साथ जोधपुर चला जाऊंगा। रमेश ने अपनी आंसु को पोंछते हुए कहा कि मेरे दोस्त तुम जो इतना साथ दे रहे हो उसका कोई मोल नहीं चुका सकता हूं मैं बस इतना भगवान से प्रार्थना करता हूं कि ऐसा दोस्त सभी को दे।
फिर सभी रात तक घर पहुंच गए। रमेश ने कहा बाबूलाल रात यहीं रुक जाओ कल चले जाना। बाबूलाल ने हामी भर दी। और फिर चन्दू ने जल्दी से खिचड़ी बनाने लगा और दूसरे तरफ एक आलू दम चढ़ा दिया।रात के ग्यारह बजे तक सभी ने बहुत ही अच्छे से गर्म गर्म खिचड़ी, आलू दम, पापड़, दही खा कर सो गए।
अगले दिन सुबह को ही सभी लोग अपने अपने काम पर निकल गए।रवि, रत्ना परी को लेकर स्कूल निकल गए।परी भी खुशी से झूम उठी।नया स्कूल,नया युनिफोर्म,बैग, किताब कापी सबकुछ। अमित और रमेश भी आफिस निकल गए साथ में बाबूलाल को भी लेकर गए।
रमेश ने आफिस में जाकर सबसे पहले बड़े सहाब को सारी बात बताई क्योंकि हमेशा से बड़े सहाब रमेश के परिवार वालों को जानते थे बहुत बार हुकुलगंज में जाकर अम्मा जी के हाथ का खाना भी खा कर आएं और तो और रमेश और उर्मी की शादी में बराती बन कर गए थे। बड़े सहाब सारी बात सुनने के बाद कहा हां रमेश ठीक है तुम जरूर जाओ और बहु को लेकर आओ। मुझे पता है तुम यहां अपना काम पुरा करके ही जाओगे। रमेश ने कहा हां सर, मुझे शनिवार को हुकुलगंज जाना होगा।
फिर रमेश आकर अपना सारा पुराना काम पुरा किया और फिर जो जो जरूरी काम था उसको करने लगा।
शाम को थक कर चूर हो चुके थे रमेश घर लौट कर देखा बच्चे अपनी पढ़ाई कर रहे थे।परी भी अपनी पढ़ाई कर रही थी फिर चन्दू ने चाय नाश्ता देते हुए सब दिन भर का वयोरा दिया कुछ देर बाद रवि ने आकर कहा कि आज परी का पहला दिन बहुत ही अच्छा बीता।
रमेश ने कहा हां बच्चों मुझे पुरा यकिन है कि परी को तुमलोग अपने जैसा ही बना दोगे।
फिर सभी मिलकर खाना खा कर सो गए।
इसी तरह एक एक दिन बीत गए और फिर शनिवार की सुबह सब नहा धोकर सभी नाश्ता करके तैयार हो गए। रमेश ने चन्दू को बोला कि वो पवित्र जल लिए हो ना , हमें एक रात वहीं रुकना होगा और फिर रविवार को वापस आ जाएंगे। चन्दू ने कहा हां सब कुछ ले लिया।रवि, रत्ना और परी को लेकर रमेश और चन्दू निकल गए अलिगढ स्टेशन।
प्लेटफार्म पर गाड़ी खड़ी थी सब लोग जाकर अपने सीट पर बैठ गए।
रवि और रत्ना परी को अपने पास ही बैठाएं थे। रत्ना ने पूछा कि चाचू हम कब पहुंचेंगे? रमेश ने कहा बेटा हम शाम तक पहुंच जाएंगे।
फिर चन्दू और रमेश ने चाय पिया और फिर सारी बातचीत करने लगे। दोपहर को चन्दू ने सबको पुरी और आलू की सुखी सब्जी बनाई थी वो ही दे दिया। रत्ना ने परी को खिला दिया और फिर खुद भी खा लिया। फिर बच्चे थोड़ी देर सो गए। फिर शाम हुकुलगंज स्टेशन आ गया।हम सभी नीचे उतर गए। स्टेशन के बाहर ही टांगा मिल गया और फिर सभी बैठ गए और रमेश ने पोस्ट आफिस के पास अस्पताल बोला।
टांगा वाला एकदम अस्पताल तक पहुंचा दिया। वहां के मैनेजर को पहले ही रमेश ने आने की सुचना दे दिया था। फिर वहां के गेस्ट रूम में ये लोग चले गए। रमेश ने अस्पताल बनवाते समय ही एक गेस्ट रूम भी बनवाया था।
सबसे पहले तो वो लोग बहार ही अम्मा जी और बाबूजी के मुर्तियो पर पुजा अर्चना किया, और सभी मरीजों को परी के हाथों चादर और फल बंजाएंगे
परी तो खुशी के मारे नाचने लगीं। रमेश को बहुत ही आश्चर्य हुआ कि परी तो पहली बार वहां आईं थीं तो उसे कैसे पता चला कि ये उसका घर था।
फिर अस्पताल के गेस्ट रूम में जाकर ये लोग बैठे फिर इन सब को नाश्ता दिया गया। रमेश ने कहा बच्चों सब खाना खा कर जल्दी सो जाओ कल हमें पुजा करना होगा। कुछ देर बाद चन्दू बच्चों को चावल, दाल, सब्जी लाकर दे दिया। सभी खा कर सो गए। फिर रमेश और चन्दू भी खाने लगे। रमेश ने कहा चन्दू मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है कि क्या करना है कैसे करना है। उर्मी को हम कहां से वापस लाएं? चन्दू ने कहा हां अम्मा जी सब ठीक कर देंगी।आप सो जाइए। फिर दोनों खाना खा कर सो गए। दूसरे दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करके तैयार हो कर सब बाहर पहुंच गए। और जैसा बाबा ने कहा था कि पवित्र जल का छिड़काव परी के हाथों से करवाना होगा तो वैसे ही रमेश ने कहा परी बेटी पहले यहां जल का छिड़काव करो। फिर जैसा, जैसे जहां जहां जल का छिड़काव करने को कहा परी ने वही किया।छत पर भी जाकर छिड़काव किया गया कोई भी जगह बचा नहीं था जहां पर छिड़काव ना किया गया हो।
फिर सभी मिलकर हाथ जोड़कर प्रार्थना करने लगे।
फिर उसके बाद सभी नाश्ता करने बैठ गए। रमेश ने मन में सोचा कि अब शायद अम्मा जी को शांति मिल गई होगी।
रत्ना और रवि जिद करने लगे की परी को हुकुलगंज घुमाना होगा तो इसी बात पर सभी निकल गए। रमेश ने कहा ठीक है बच्चों पर हमें शाम को ही निकलना होगा।
फिर सभी इधर उधर घुमने लगें। रमेश ने बच्चों को कुछ किताबें और खिलौने भी खरीद कर दिए।
फिर दोपहर का भोजन करके तैयार हो कर सभी वहां से निकल गए स्टेशन की ओर।
प्लेटफार्म पर गाड़ी अभी तक लगी नहीं थी।बस कुछ देर बाद ही गाड़ी आ गई और फिर सभी यात्री चढ़ने लगें। रमेश रवि, रत्ना,परी और चन्दू भी चढ़ गए।
फिर गाड़ी निकल पड़ी। रत्ना ने पूछा चाचू हम कब पहुंचेंगे? रमेश ने कहा हम रात तक पहुंचेंगे।
क्रमशः