Swarn mudra aur Businessman - 3 in Hindi Fiction Stories by Shakti Singh Negi books and stories PDF | स्वर्ण मुद्रा और बिजनेसमैन - भाग 3

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स्वर्ण मुद्रा और बिजनेसमैन - भाग 3

मैं एक बहुत दयालु व्यक्ति हूं. एक बार में प्रयागराज कुंभ के मेले में गया. वहां मुझे एक बहुत ही बुरी अवस्था में एक वृद्ध व्यक्ति मिला. वृद्ध व्यक्ति फटे हुए कपड़े पहने हुए था. उसकी दाढ़ी बढ़ी हुई थी और सर के बाल भी बढ़े हुए थे. वह बहुत गंदा दिख रहा था. वह बहुत बीमार था और एक सड़क के किनारे पड़ा हुआ था.


मुझे उस पर दया आ गई. मैं एक गाड़ी बुक करके उसे उस में बिठा कर अपने घर ले आया. मैंने उसके बाल, दाढ़ी आदि कटवा कर उसे स्नान आदि करवाया और उसे अच्छे नए कपड़े पहनाए. इसके बाद मैं उसे धीरे-धीरे दवाई, फल, अच्छा भोजन आदि प्रदान करने लग गया. कुछ ही दिन में वृद्ध व्यक्ति स्वस्थ और हट्टटा - कट्टा हो गया. वह वृद्ध व्यक्ति मेरी सेवा से बड़ा खुश हुआ.


वह व्यक्ति एक बहुत ही विद्वान व्यक्ति था. घरवालों के व्यवहार के कारण उसका दिल बहुत दुखी हो गया था और वह घर से निकल पड़ा था. उस व्यक्ति ने मुझे एक सिद्धि प्रदान की. उस सिद्धि के द्वारा में तारों से बात कर सकता था और तारे मुझसे बात करके सभी ज्ञान विज्ञान मुझे प्रदान कर सकते थे. मैं तारों के नीचे बैठकर तारों से बातें करने लगा और उनसे प्राप्त ज्ञान के द्वारा लोगों का भला करने लग गया.


क्या मैंने यह सही किया? अपनी राय दीजिए और धड़ाधड़ धड़ाधड़ कमेंट कीजिए. धन्यवाद.








मैंने अपने पास मौजूद सभी फालतू सामान बेच दिया. इससे मुझे बहुत मात्रा में धन प्राप्त हुआ. मैंने इस धन को सोने की ईंटों में कन्वर्ट करा लिया. इसके बाद मैंने इस धन को एक सुंदर सा तहखाना बनाकर सफाई से रखवा दिया.


यह धन मैंने भविष्य की पीढियों के लिए रखा ताकि वह अपना, समाज का व देश का उत्थान कर सके. क्या मैंने सही किया? अपनी राय दीजिए. और कमेंट कीजिए धड़ाधड़ धड़ाधड़.









मैं एक बढ़िया मकान खरीदना चाहता था. इसके लिए मैंने एक बहुत बड़ा बजट अपने पास रखा. मैंने मकानों की ढूंढ खोज की तो मैंने पाया कि पाश एरिया में काफी बड़ा मकान इतनी रकम में आ जाएगा. अचानक मेरा दिल बदल गया मैंने सोचा किसी गंदी बस्ती में ही मकान लिया जाए.


मैं मकान खरीदने गंदी बस्ती में पहुंच गया. वहां चारों तरफ कूड़े के ढेर लगे हुए थे. नालियां बज - बजा रही थी. सुअर नालियों में और कचरे के ढेरों में अपना मुंह मार रहे थे. मैंने देखा तो पाया कि मेरे बजट में पाश एरिये में एक ही मकान आएगा. लेकिन इस गंदी बस्ती में इतने ही बड़े बजट में मैं 10-15 मकान खरीद सकता हूं. मैंने गंदी बस्ती में ही 10 - 15 मकान उस रकम से खरीद लिए.


सबसे पहले मैंने मकानों को खरीदा. उसके बाद उनकी रिपेयरिंग करवाई, साफ सफाई करवाई और उन्हें सुंदर बना दिया. इसके बाद मैंने मकानों की अगल-बगल की गलियों में भी कचरा साफ करवाया. अब मेरी गली के यह 15 मकान ऐसे लगने लगे जैसे यह पॉश कॉलोनी में ही हो. उसके बाद मैंने पूरी बस्ती की सफाई करवाई. अब मैंने गंदी बस्ती को ही पाश एरिया बना दिया था.


इनमें से एक सुंदर मकान को अपने पर्सनल यूज़ के लिए रख कर बाकी मकानों को मैंने किराए पर चढ़ा दिया. इससे मेरी अच्छी इनकम होने लगी.


आपकी क्या राय है? मैंने सही किया या गलत. कमेंट कीजिए धड़ाधड़ धड़ाधड़.









1 दिन मैं स्वर्ण मुद्राएं गिन रहा था. अचानक सामने हवा में एक होलोग्राफिक इमेज बनी. यह एक बहुत सुंदर 18 वर्ष की लड़की थी. मैंने उससे पूछा वह कौन है तो वह बोली मैं गंधर्व लोक की राजकुमारी गंधर्वसेना हूं.


मैंने बोला तुम यहां क्यों आई हो. वह बोली मैं आपसे जनम - जनम से प्यार करती हूं. मैंने कहा मुझे तो ऐसा नहीं लगता. उसने अपना हाथ हिलाया तो मुझे सब कुछ याद आ गया. वह मेरी पूर्व जन्म की प्रेमिका गंधर्वसेना थी. वह गंधर्व लोग की राजकुमारी थी.


अचानक उसने अपना हाथ फिर हिलाया और जादू सा हुआ और मैं गंधर्व लोक पहुंच गया. गंधर्व लोक में गंधर्वसेना सशरीर स्थित थी. मैंने उससे शादी कर ली और मजे से गंधर्व लोक में कुछ समय तक रहा. आपकी क्या राय है? क्या मैंने सही किया? तो कमेंट कीजिए धड़ाधड़ धड़ाधड़.






एक बार मैं कहीं यात्रा पर जा रहा था. अचानक किसी जहर खुरान ने मुझे चाय के साथ कुछ पिला दिया. मैं बेहोश हो गया. जहर खुरान ने मेरा सब सामान लूट लिया और मुझे धक्का मारकर ट्रेन से नीचे रास्ते में फेंक दिया.


जहां मैं गिरा, वहां के लोगों ने मुझे बेहोश देखा तो उठाकर अपनी झुग्गी में ले गए. वहां उन्होंने मेरा इलाज किया और रहने खाने के लिए सब कुछ दिया. मैं बेहोश था. कुछ दिन बाद मैं होश में आ गया. धीरे-धीरे स्तिथि मेरी समझ में आती गई. तब तक मुझे समझ में आ गया था कि मैं एक झुग्गी - झोपड़ी वाले इलाके में हूं. वहां लगभग 5000 परिवार थे. सब गरीबी में अपना दिन काट रहे थे. मैं अनुभव प्राप्त करने के लिए उन्हीं के साथ रहने लगा और उन्हीं के जैसा मजदूरी करने लगा.


मुझे उनकी परेशानियां समझ में आई. अब मैंने अपने पर्सनल असिस्टेंट को भेस बदलवा कर वहां बुला लिया. धीरे-धीरे मैंने अपने धन से ही झुग्गियों का विकास करना शुरू कर दिया. मैंने वहां बिजली, पानी, सड़क आदि की व्यवस्था की. अस्पताल, स्कूल आदि खुलवाए. सभी लोगों को धीरे - धीरे मैंने झुग्गियों की जगह क्रमबद्ध रूप से बने हुए पक्के मकान किए.


उनके लिए मैंने एक कपड़े की फैक्ट्री भी खोली. जिसमें मैं उन्हें बाजार रेट से दुगना मेहनताना - मजदूरी दिया करता था. झुग्गी वाले मुझसे बहुत प्रसन्न हुए. उसी झुग्गी - झोपड़ी वाली बस्ती में तीन-चार कन्याओं का मुझसे प्यार हो गया. सभी कन्याए बहुत सुंदर थी. मैंने उनसे शादी कर ली. आपकी क्या राय है? मैंने गलत किया या सही? तो कमेंट कीजिए धड़ाधड़ धड़ाधड़.