Swarn mudra aur Businessman - 2 in Hindi Fiction Stories by Shakti Singh Negi books and stories PDF | स्वर्ण मुद्रा और बिजनेसमैन - भाग 2

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स्वर्ण मुद्रा और बिजनेसमैन - भाग 2

मैं एक बार अपनी ननिहाल घूमने गया. मेरा ननिहाल चंबल नदी के किनारे था. मेरा अपने ननिहाल में बहुत स्वागत हुआ. एक बार मैं अकेले शौच के लिये नदी किनारे गया.


अचानक 20 - 25 सुंदर सी दस्यु सुंदरियों ने मेरा अपहरण कर दिया और मुझे जबरदस्ती पकड़कर अपने अड्डे पर ले गई. उनका अड्डा एक पुराने से मकान में था. मुझे यह देखकर आश्चर्य हुआ कि उनका सारा गैंग सुंदर-सुंदर लड़कियों से भरा पड़ा था. पूरे गैंग में कम से कम 40 - 50 लड़कियां थी.


यह लड़कियां मुझसे पति जैसा व्यवहार करने लगी. मैं भी कामोन्माद में बह गया. कई साल मैं उनके साथ रहा. 1 दिन में मौका पाकर मैं वहां से भाग कर घर आ गया.


आपकी क्या राय है? क्या मैंने सही किया? कमेंट कीजिए धड़ाधड़ धड़ाधड़.







मैं सुबह-सुबह अपनी गाड़ी से कहीं जा रहा था. अचानक मुझे बहुत पुराने कपड़े पहने एक आदमी दिखाई दिया. वह आदमी मजदूरी कर रहा था. मुझे उस आदमी की जिस बात ने आकर्षित किया था, वह था उसका बहुत लंबा - चौड़ा कद. वह आदमी लगभग 8 फीट लंबा - चौड़ा था.


मैंने अपनी गाड़ी उस आदमी के सामने रोक दी और उससे कुछ पूछा. उसके शरीर में काफी ताकत थी. उसके साथ उसकी बीवी भी थी. वह सड़क किनारे एक झोपड़ी बनाकर रहते थे. मैंने दोनों को अपने घर में नौकरी दे दी. दोनों अगले ही दिन अपना थोड़ा सा सामान लेकर मेरे घर आ गए. मैंने उन्हें एक कमरा और किचन रहने के लिए दे दिया.


उसकी घरवाली हमारे यहां खाना बनाने लग गई और वह मेरे बॉडीगार्ड के रूप में काम करने बैठ गया. मैंने दोनों के लिए चार जोड़ी नए कपड़े खरीदे और उनके लिये आवश्यक राशन आदि की व्यवस्था की.


आपकी क्या राय है? क्या मैंने सही किया? तो कमेंट दीजिए धड़ाधड़ धड़ाधड़ और कमेंट कम से 100 तक होने चाहिए. तभी मैं अगली किस्त लिखूंगा. धन्यवाद.








मैं अक्सर अपने शहर के बाहर अपनी गाड़ी से घूमने जाता था. वहां मैंने कठोर मेहनत करते हुए किसान देखे. मैंने देखा कि इतनी मेहनत करने के बाद भी वह गरीब ही हैं.


मैंने 500 किसान परिवारों को गोद ले लिया. मैंने उनका सब बैंक - ऋण व अन्य ऋण अपने पास से चुका दिया. उनको बीज, खाद, ट्रैक्टर आदि के लिए अपने पास से निशुल्क धन दिया. इस सब के बाद मैंने उन्हें दस - दस लाख अपनी तरफ से नगद भी दिया.


आपकी क्या राय है? क्या मैंने सही किया? तो धड़ाधड़ धड़ाधड़ कमेंट करें. धन्यवाद.







एक बार मैं समुद्र में घूमने जा रहा था. अचानक मेरा पानी का जहाज खराब हो गया. मैंने इमरजेंसी में एक नजदीक के द्वीप में शरण ली. द्वीप जंगली लोगों से भरा पड़ा हुआ था. जंगली लोगों ने मेरा बहुत आदर - सत्कार किया. इन जंगलियों की संख्या लगभग एक लाख के करीब थी.


जंगलियों ने मुझे अपना राजा मान लिया. मैंने जंगलियों के लिए एक बहुत बड़ा स्मार्ट शहर वहां बसाया. यह एक अत्याधुनिक शहर था इसमें सभी सुविधाएं थी.


हॉस्पिटल, स्कूल, कॉलेज सभी मैंने वहां विश्वस्तरीय खोले. जंगलियों के लिए मेंने रोजगार, भोजन, वस्त्र आदि उपलब्ध कराए. उनकी शिक्षा-दीक्षा के लिए भी अच्छे शिक्षक रखे. कुछ ही दिनों में सभी जंगली बहुत सभ्य और आधुनिक हो गये.


आपको मेरा काम कैसे लगा? क्या मैंने सही किया? कृपया राय दें और कमेंट करें धड़ाधड़ धड़ाधड़.








एक बार मैं प्रभु की भक्ति में लीन था. मैंने कई वर्षों तक तपस्या की थी. इसलिए प्रभु प्रसन्न होकर प्रकट हो गये और बोले वत्स तुम्हें क्या चाहिए? मैंने प्रभु से वरदान मांगा हे प्रभु! मुझे कुछ समय के लिए यमराज बना दीजिए. प्रभु बोले तथास्तु.


बस कुछ समय के लिए मुझे यमराज का पद दिया गया. यमराज का 1 दिन का टारगेट लगभग एक लाख मनुष्यों की मृत्यु था. मैंने देखा कि भूतपूर्व यमराज अलग - अलग किस्म के मनुष्यों को हर दिन मृत्यु देते थे. लेकिन मैंने अपना टारगेट दूसरे ढंग से अचीव किया. मैं हर दिन सब से नीच, सबसे गंदे और सबसे बड़े अपराधियों को मृत्यु देने लगा.


इस तरह मैं सबसे बेकार और सबसे दुष्ट एक लाख लोगों को रोज मृत्यु देने लगा और मेरा टारगेट पूरा होता गया. इससे धीरे-धीरे धरती पर पापियों की कमी होती गई और धीरे-धीरे धरती सतयुग की ओर बढ़ने लगी .आपकी क्या राय है? क्या मैंने सही किया? तो धड़ाधड़ धड़ाधड़ कमेंट कीजिए धन्यवाद. 😁😁😁😁😁😁