Red Planet - The Quest for Life (Final Part) in Hindi Science-Fiction by Kishanlal Sharma books and stories PDF | लाल ग्रह - जीवन की खोज (अंतिम भाग)

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लाल ग्रह - जीवन की खोज (अंतिम भाग)

और उसके भी आगे बढ़ते कदम ठहर गए।कुछ देर तक वे दोनों दूर खड़े होकर एक दूसरे को देखते रहे।फिर दूर से ही एक दूसरे को इशारे करने लगे।काफी देर बाद जब उन्हें विश्वास हो गया कि वे एक दूसरे को कोई नुकसान नही पहुंचाएंगे तब वे आगे बढ़े।
दो अलग अलग अलग दुनिया ग्रह के लोग पास तो आ गए।एक दूसरे अभिवादन करने के बाद उन्होंंने बात शुरू की लेकिन दोनो एक दूसरे की भाषा नही समझ सके।तब
उन्होंने इशारों और सांकेतिक भाषा का सहारा लिया।
"मैं मानव पृथ्वी से,"मानव इशारों में अपने बारे में बताते हुए बोला,"और तुम?"
"मैं शनि ग्रह से, औरात अपने बारे में बताते हुए बोली,"मंगल ग्रह पर जीवन की संभावना का पता करने के लिए मुझे यहां पर भ भेजा गया था।"
मानव ने सांकेतिक भाषा मे उस औरत को पृथ्वी के बारे में बताया था।उस औरत ने मानव को शनि ग्रह के बारे में बताया था।दो अलग अलग ग्रह के इंसान तीसरे ग्रह पर एक दूसरे से बाते कर रहे थे।अपने विचार साझा कर रहे थे।दो अलग अलग ग्रह की सभ्यताएं अंतरिक्ष मे तीसरे ग्रह पर मिल रही थी।यह इत्तफाक ही था।
"तुम यहाँ कब आयी?" मानव ने प्रश्न किया था।
"तुम्हारे आने से कुछ घण्टे पहले।"
"मेरा मिशन चौबीस घण्टे का है।चौबीस घण्टे बाद यान मुझे यहां से वापस ले जाएगा,"मानव बोला,"और तुम?"
"मिशन तो मेरा भी चौबीस घण्टे का ही था।लेकिन मैं यहां से वापस नही लौट पाऊंगी।"
"क्यो?"उसकी बात समझकर मानव बोला।
औरत कुछ बोली नही।मानव का हाथ पकड़कर अपने यान के पास ले जाकर बोली,"मेरे यान ने मंगल की सतह को छुआ तब यहां भयंकर तूफान आया हुआ था।जिसकी चपेट में आकर मेरा यान क्षतिग्रस्त हो गया।मैं तो बच गई लेकिन यान का मेरे ग्रह से सम्पर्क टूट गया।
"ऊ हो"मानव अफसोस जताते हए बोला,"मैं देखूं?"
मानव ने देखा यान का काफी हिस्सा जल भी चुका था।मानव बोला,"यह तो नष्ट हो गया है।आओ चले।"
मानव उस औरत के साथ मंगल ग्रह पर घूमने लगा।वहां पर ऊंचे पहाड़,उबड़ खाबड़ जमीन, कहीं कहीं पानी भी था।लेकिन प्राणी कोई नही।शायद उसका यान निर्जन जगह में उतरा था।जीवन है या नही कुछ नही कहा जा सकता था।लेकिन जीवन संभव था।
मंगल ग्रह की तरफ यान से आते समय वह सोच रहा था।कैसे नई दुनिया मे अकेले रहेगा।लेकिन यहां आकर एक अलग ही दुनिया की औरत का ऐसा साथ मिला कि पता ही नही चला कब समय गुज़र गया उस औरत के साथ रहते हुए भी मानव ने वो सब काम किये थेजो उसे यहां करने थे।
और समय पूरा होते ही धरती से कमांड मिलते ही यान जाने के लिए तैयार हो गया।
"अलविदा,"मानव उस औरत से बोला,"मेरे लौटने का समय हो गया।मुझे अब जाना होगा।"
"मुझे अकेला छोड़कर।"वह औरत बोली।
"तुम्हे अकेला छोड़ना नहीं चाहता।लेकिन क्या करूँ।यह यान सिर्फ मुझे ही ले जा सकता है।"
"तुम जानते हो मेरा यान नष्ट हो चुका है।मैं अपने ग्रह पर नही लौट सकती।कितने सालों के प्रयास के बाद पहली बार यह यान आया था।पहले तो मुझे लेने कोई आएगा नही।और आया भी तो न जाने कितने साल बाद।"
"फिर?"मानव यान में चढ़कर बोला
"मुझे अकेली छोड़कर मत जाओ।हम यहां नई दुनिया बसायेंगे।"औरत ने मानव से याचना की थी।
मानव ने कुछ देर सोचा और यान से कूद गया।
मानव उस औरत का हाथ पकड़े यान को जाते हुए देख रहा था।