Wo Chaar Log in Hindi Motivational Stories by Mayank Saxena Honey books and stories PDF | वो चार लोग

Featured Books
Categories
Share

वो चार लोग

वो चार लोग

(सत्यता पर आधारित एक प्रेरक दर्शन।)

चार लोग देखेंगे तो क्या कहेंगे? चार लोग सुनेंगे तो क्या कहेंगे? आप सभी ने ये वाक्य अवश्य सुने होंगे। आखिर वो चार लोग हैं कौन? और आखिर उनकी हर किसी के निजी जीवन में इतनी रूचि क्यों हैं? ये चार लोग उस वक़्त क्यों नहीं देखते जब किसी को कोई सहायता की आवश्यकता होती है? ये चार लोग तब क्यों नहीं सुनते जब कोई मदद के लिए पुकारता है? ये चार लोग तो अक्सर उस वक़्त भी ग़ायब होते हैं जब किसी की अर्थी को कन्धा देना होता है। इन चार लोगों का अस्तित्व महज़ टाँग खींच कर गिराने तक ही सीमित होता है। यही चार लोग दीवारों के कान बन कर आपके सत्कार्यों पर भी पलीता लगा देते हैं। सोच कर देखिए, आपसे कोई चूक हुई और आपके सामने अचानक से चार लोग प्रकट हो गए। हास्यास्पद लगता है न? तो आखिर ये चार लोग प्रतीक्षारत क्यों रहते हैं, कि कुछ गलत हो तब वह देखें, और तब वह सुनें।

यथार्थ में यही चार लोग वो चार लोग हैं जो आपकी प्रगति में सबसे बड़े बाधक है। निन्दकों के विषय में सोचना भी बुद्धि का ह्रास है। जिसकी प्रकृति ही सबकी निन्दा करना है उससे आप अपनी प्रशंसा की झूठी उम्मीद स्वप्न में भी कैसे सोच सकते हैं। ईर्ष्याग्रस्त निन्दकों का तो इलाज साक्षात त्रिदेवों की भी पहुँच से बाहर का विषय है आप और हम तो तुच्छ से प्राणी हैं। ये चार लोग यदि अस्तित्वविहीन होकर भी आपकी सोच और चिंता का विषय बन रहे हैं तो यकीन मानिए ये चिंता आपके लिए चिता के समान होगी। ये चार लोग मिल कर भी आपके परिवार के लिए दो वक़्त की रोटी का प्रबंध नहीं करेंगे और आप बेवज़ह ही इन चार लोगों के चिन्तन में मगन हो जाते हो।

जीवन के वो क्षण जब आपकी जेब खाली होगी और आप नज़रे घुमाए इन चार लोगों के आगमन की उम्मीद में प्रतीक्षारत होंगे, यकीन मानिए आप निराश होगे। ये चार लोग नकारात्मकता की वो खान है जो आपके समृद्धि, सुख, वैभव, सम्पदा का हरण करने आपके जीवन में प्रविष्ट होते हैं और अंततः आपको दरिद्रता के एकान्त में छोड़कर पुनः पूर्व की भाँति अस्तित्वविहीन हो जाते हैं।

यदि मेरे इस लेख से उन चार लोगों के चिन्तन का परित्याग कर कोई भी अपने कर्मों की ओर उन्मुख होकर दिवास्वप्नों से बाहर आता है तो सौभाग्य, अन्यथा वो चार लोग कब चार कन्धे बन जाएंगे आपको इसका एहसास तक नहीं रहेगा। जीवन के प्रतिक्षण को मौत से भी बद्तर करना है या मौत को जीवन से भी ज़्यादा खुशनुमा करना है ये अब आपका निर्णय।…

लेखक

मयंक सक्सैना 'हनी'

पुरानी विजय नगर कॉलोनी,

आगरा, उत्तर प्रदेश – 282004

(दिनांक 19/अगस्त/2021 को लिखा गया एक लेख)
________________________________

"वो चार लोग" लेखक द्वारा वर्णित सत्यता के आधार पर एक प्रेरक दर्शन है। इसका यद्यपि किसी व्यक्ति विशेष से प्रत्यक्ष या परोक्ष सम्बन्ध नहीं है। तथापि यदि यह किसी का चरित्र चित्रण है तो अनुरोध है इस माध्यम से कि दूसरे के पैर पकड़ कर खींचने से बेहतर है कि किसी का सहारा बनें।