Koun hai wo - 3 in Gujarati Horror Stories by Surekha Nayak books and stories PDF | कौन है वो? - 3

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कौन है वो? - 3

हैलो दोस्तो !
कैसे हो आप सब ?
मैं उम्मीद करती हूं कि आप सब ठीक होंगे.
खुशी कि कहानी के तीसरे भाग में खुशी के साथ क्या होता है देखते हैं। खुशी को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि अब मैं क्या करूं ? आखिर में खुशी अपने मम्मी पापा की तरफ भाग के चली गई। और उस फोन मे से आवाज आती बंद हो गई। और वो अपने मम्मी पापा के पास जा कर रोने लगी। खुशी को कुछ समज नहीं आ रहा था । खुशी और उसके मम्मी पाप फोन को वहीं छोड़ कर अपने घर चले गए।
खुशी के पापा उस दुकान पर गये जहासे उन्होंने मोबाइल फोन लीया था । उन्होंंने खुशी के साथ जो हुआ वो दुकान दार को बताया। और पुछा कि वो फोन किसका है? दुकान दार ने कोई भी बात करने से मना कर दिया। वो बोला कि मुझे कुछ नहीं पता।
लेकिन उस दुकान मैं काम करनें वाला लड़का बार बार खुशी के पापा को देख रहा था। खुशी के पापा को उस पे शख हुआ वो दुकान से बाहर आने लगे। उनके पीछे वो लड़का भी आ रहा था। थोडा दूर निकलते ही....

लड़का बोला: अंकल रूकिए।
खुशी के पापा रुक गये।
लड़का: मैं आपको कुछ बताना चाहता हूं।
खुशी के पापा: क्या?
लड़का: अंकल उस मोबाइल फोन में कुछ तो है। जो कोई उसे खरीद के ले जाता था वो ......
खुशी के पापा: वो ? क्या बेटा? बोलो वो क्या?
लड़का: वो या तो मर गया है या जो समाज गया वो फोन वापस कर देता है। इसलिए दुकान दार उस फोन के बारे में किसी को कुछ नहीं बताता। मुझे भी बताने से मना किया है।
खुशी के पापा समज गये थे कि अब उन्हें क्या करना है। वो अपने घर चले गए। खुशी सो रही थी। उसे जगाया और बोले: खुशी बेटा चलो।
खुशी: कहा जाना है पापा?
खुशी के पापा: सवाल जवाब मत करो बेटा अभी चलो।
वो खुशी को लेकर वहां गये जहा फोन गीरा था। खुशी डर गई बो बोली: पापा आप मुझे यहां क्यु लेकर आए? मुझे बहुत डर लग रहा है। मुझे घर जाना है। आपको पता है उस फोन कि वजह से मैं आज मरते मरते बचीं हुं।
खुशी के पापा: खुशी। बेटा तुम्हे मुझसे भरोसा है ना?
खुशी: हा। पापा।
खुशी के पापा: बस तो फिर आगे चलो।
खुशी: लेकिन पापा हमें करना क्या है?
खुशी के पापा: हमें नहीं बेटा तुम्हे। जो भी करना है वो तुम्हें करना होगा। उस फोन को तुम्हे ढूंढना होगा और उसे लेकर हमारे गांव मै जो मन्दिर है उस मन्दिर के आगे जो कुआं है उस मैं डालना होगा। और ये काम तुम्हे बीना डरे करना है वैसे जैसे तुम्हें कुछ पता ही ना हो। समझ गई बेटा। मैं तुम्हारे आसपास ही रहुंगा। बस तुम कुछ भी हो जाये डरना मत ।
खुशी: ठीक है पापा।
अब खुशी वहां जाके फोन ढूंढती है। थोड़ी ही देर में उसे फ़ोन मील गया।
खुशी: (डरे बीना बोली) अरे ये रहा मेरा फ़ोन। मील गया। मां-पाप भी ना कुछ भी बोलते हैं, की ईस फोन मैं किसी कि आत्मा है। कुछ भी तो नहीं आत्मा होती तो ये फोन यहां थोड़ी पड़ा होता अभी। और खुशी हस पड़ी। फोन लेके वो जाने लगी.......