Jindagi ke Pal - 1 in Hindi Fiction Stories by Kalyani Wadile books and stories PDF | जिन्दगी के पल - 1

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जिन्दगी के पल - 1

आज सुबह सुबह उठकर मैं तयार हो रहीं थीं, कॉलेज जो जाना था। कॉलेज चले जाने के बाद मुझे पता चला को इलेक्शन के वजहसे कॉलेज को 3 दिनों की छुट्टियाँ दी गईं हैं, मैं भर से होस्टल आ गईं।फ़्रेंड्स के साथ कुछ देर तक बातें करने में ऐक डेढ़ घंटे बाद मैंने मेरा फ़ोन हात में लिया। देखा तो कुनाल का मैसेज आया था, Hi कहाँ हो और क्या कर रहीं हो?? मैंने कहाँ कुछ नहीं खाली टाइम पास कर रही हूं।और तुम कया कर रहें हों?उसी पल रिप्लाई भी आया तुम्हारे मैसेज का इंतजार। मैंने कहाँ अच्छा तो आप लड़कियोके साथ फ़्लर्ट करते हैं? उसने जवाब दिया फ़्लर्ट तो नहीं करता पर तुमसे बातें करना अच्छा लगता हैं।वैसेभी मैं गवरमेंट जॉब करता हूँ। कुछ समय मिल जाता है तो तुम्हें मैसेज कर देता हूँ।मेने कहाँ अच्छा थिक हैं, वैसे तुम कहाँके रहने वाले हों? उसने कहाँ मैं चालीसगांव से हु। जॉब के वजहसे मुम्बई मैं रहना पड़ता हैं।
मैंने कहाँ ओके तो तुम अकेले रहते हो? तो उसने कहाँ नहीं मैं और मेरे दोस्त साथ एक फ़्लैट में रहते हैं।और कभी कभी रूम में ही खाना बनाया करतें हैं। उसने कहाँ तुम ने तो सब पूछ लिया मेरे बारे मैं ओर खुदके बारे मैं कुछ बताया नहीं? मैंने कहाँ, में पुने के पास छोटासा गाँव हैं वहीं से हूँ। एजुकेशन के वजहसे में एग्रीकल्चर बिज़नेस मैनजमेंट कॉलेज में पड़ने के लिए आई हूँ। उसने कहाँ ओ गुड, एक बात करनी थीं तुमसे क्या कुछ माँग सकता हूँ मैं तुमसे? मैंने कुछ देर बाद बोला क्या चाहिए? उसने स्माइल भेजकर तुम्हारा फ़ोन नंबर चाहिए था,डोन्ट वरी अगर नही देना चाहती तो जब मन करे कि मैं एक अच्छा लड़का हूँ तब दे देना।मैंने कहाँ वैसे भी मैं कोनसा तुम्हें मेरा फ़ोन नंबर देने वाली थी।वो मुस्कुराते हूए मुझे कहता हैं, ओ आप मुझे बदमाश समझ रही हो।
मैंने कहाँ नहीं मैं तो तुम्हें लुच्चा समज रही हूँ।कुनाल ने कहाँ उप्स तुम मुज़े कुछ तो समझती हो आज पता चला मुज़े।वो दिन दूर नही तुम मुझे अपना फ़ोन नंबर दोगी। मैंने भी कहाँ देखते हैं, तुम जीतते हो या मैं।जिन्दगी के पन्ने
श्याम हो रहीं थीं तभी कुणाल का मैसेज आया क्या कर रही हो? मैने रिप्लाई दिया तुम हर पल लड़कियों को मैसेज करते रहते हो क्या? उसने कहां बाकी लड़कियोसे तो नहीं पर तुम्हें जरूर करता हूं, रहा सवाल मेरे काम का तो में बॉस हूं यहां का। में काम करता नहीं करवाता हूं समझी। मैने कहां ठीक है क्या काम है मुझसे? तो वो बोला कुछ नहीं ऎसे ही मैसेज किया । मैने कहां ठीक है में कुछ नहीं बस खाली बैठी हुई थीं। तुम्हारी तरह में भी फ़िलहाल फालतू समय का टाइमपास कर रहीं हूं, हा वेसेभी तुम जैसे लड़के लड़कियों के फ़ोन नंबर का इंतजार करते बैठे होंगे ना। उसने जवाब दिया जी आप कुछ भूल रहीं हैं,मैने आपसे कहां था आप ख़ुद मुझे मेरा फ़ोन नंबर मांगोगी।
मेंने कहां हा देखते है। वैसे क्या कर रहे हो तुम? ओह रुको तुम अब कहोगे में तो तुमसे बाते कर रहा हूं। उसने जवाब दिया तुम तो मुझे बहुत जल्दी समजने लगी हो, दिवानी तो नहीं ना हो गई मेरी। मेंने कहां जी नहीं,तुम ज्यादा ओवर स्मार्ट मत बनो समझें। उसने कहां ओके बाबा सॉरी चलो में बाद में बात करता हूं थोड़ा काम हैं, बाय टेक केयर डियर। मेंने भी बाय कर दिया।
मेंने कुछ समय अपनी पसंदीदा काम पेंटिंग करने में निकाल दिया, बाद में मेस में खाना खाने का टाइम हो गया तो में चली गई। वापस आते आते दोपहर के दो बज गए थे,तो में सो गई। बाद में पापा का कॉल आया लगभग साढ़े चार बजे थे,मैने पापा के साथ बात की और फोन रख दिया। पर मुझे कुणाल की याद आ गई उसने बहोत देर से एक भी मैसेज नहीं किया था। मेंने सोचा है करके देख लू क्या, भिर मैने सोचा मैने मैसेज किया तो बोले गा तुम्हें मेरी याद आ रही थी क्या? मेंने मैसेज नहीं किया और पढ़ाई करने बैठ गई।
आगे की कहानी कल प्रकाशित की जाए गी।