Vishal Chhaya - 5 in Hindi Detective stories by Ibne Safi books and stories PDF | विशाल छाया - 5

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विशाल छाया - 5

(5)

“हेलो ! कर्नल विनोद स्पीकिंग ?”

“इट इज सिक्स नाईन सर !”

“हां हां ...कहो क्या रिपोर्ट है ?” विनोद ने कलाई घडी कि ओर देखा। 

समय एक घंटे से अधिक हो गया था। 

“केप्टन साहब सड़क पर जा रहे थे कि तरबी ने लिली और उसकी माँ से यह कहा कि गुप्तचर विभाग का एक आदमी उसकी निगरानी कर रहा है। उन लोंगों ने खिड़की से झाँका मगर उन्हें कोई नहीं दिखाई पड़ा। मगर फिर केप्टन साहब उनके सामने आ गए । फिर टेबि उनको फ्लैट में ले गया और फिर ...” उसकी आवाज भर्रा उठी। 

“टेबि ने कोई दूसरा मार्ग क्यों नहीं अपनाया । यह कहने की क्या आवश्यकता थी कि गुप्तचर विभाग का आदमी है। ”

“उससे भूल हो गई सर...बेचारा टेबि ..शायद वह अब कभी होश में न आ सके। !”

“लाश !”

“नहीं सर ! वह जीवित है। सांस चल रही है। उसके शरीर पर कहीं घाव के चिन्ह भी नहीं है मगर उसके चेहरे पर मौत का पीलापन प्रकट हो गया है। ”

“और केप्टन का क्या हुआ ?”

“यही तो आश्चर्य जनक बात है सर ! केप्टन साहब, लिली, उसकी माँतथा लिली के साथ वाली लड़की का पता नहीं है । मुझे आग आग का शोर सुनाई पड़ा था और फिर फ्लैट से बहुत लोग भागते हुए दिखाई दिये थे। मगर उन लोगों में न तो केप्टन साहब थे और न वह तीनों औरतें थीं। टेबी किस गलियारे नें बेहोश पड़ा हुआ मिला था !”

“उसी खंड के गलियारे में ?”

“क्या बकवास है” मंद से अट्टहास के साथ एक आवाज सुनाई पड़ी जो सिक्स नाईन की नहीं थी। 

यह आवाज ऐसी ही थी जैसे कडी सर्दी में गला बैठ जाये। 

“कर्नल विनोद ! क्या तुम मेरी आवाज सुन रहे हो ...ओह तुम बहुत चतुर आदमी हो। तुम इसलिये नहीं बोलोगे कि तुम्हारे गर्व को ठेस न पहुंचे ..खैर, तुमने मुझे टेबी द्वारा चोट दी और मैंने तुम्हारे दो अच्छे साथी बर्बाद कर दिया। रमेश पागल हो गया और हमीद अब मेरे साथ जा रहा है..घबड़ाओ नहीं! मैं हमीद को क़त्ल नहीं करूँगा .क्या समझे” आवाज आनी बंद हो गई। 

“यह कौन था ?” सिक्स नाईन की भर्राई हुई आवाज सुनाई पड़ी। 

“शटअप ! कर्नल साहब नहीं है .” विनोद ने स्वर बदल कर कहा। 

और फिर सम्बन्ध भी कट दिया । 

“फिर वह लेबोरेटरी का द्वार बंद कर के बाहर निकला। उसके चेहरे पर झल्लाहट के चिन्ह थे, वह स्टडी की ओर चला आया। 

रमेश अभी तक बेहोश पड़ा हुआ था। सरला उसी चेर पर बैठी हुई समाचार पत्र देख रही थी। 

“तुम्हें अब रत में सिंगसिंग बार के सामने वाले होटल में रेखा के साथ एक प्रोग्राम में भाग लेना है शेष विवरण तुम्हें रेखा से मालूम होगा। ” विनोद ने कहा। 

“और यह ?” सरला ने रमेश की ओर संकेत करके पूछा। 

“तुम इसकी चिन्ता न करो। ” विनोद ने कहा और बाहर निकल आया फिर उसने नौकरों को आदेश दिया और लिंकन निकलकर वाली केम्प की ओर चल पड़ा। 

लिंकन शीघ्र ही नगर की सीमा से निकलकर सुनसान सड़को पर दौड़ने लगी। वाली केम्प से कुछ पहले ही एक बस्ती पड़ती थी। यह बस्ती केम्प में काम करने वाले नौकरों, आफिसर तथा सुपरवाईजरों के लिए बनाई गई थी। बस्ती में आफिसर और छोटे मजदूरों के क्वार्टर थे। विनोद ने उसी ओर अपनी गाड़ी मोड़ ली। यह क्वार्टर्स विभिन्न टाइप के थे जैसे ए.बी.सी. डी. इत्यादि और इनका टाईप इनमें रहने वालों की तनख्वाहो पर आधारित था। ए. में हजार से ऊपर बी.में सात सौ से एक हजार तक और सी. में चार सौ से सात सौ वेतन पाने वाले थे। डी. में चार सौ से कम वेतन पाने वाले रहते थे । विनोद ने बी. टाईप वाले एक क्वार्टर के सामने कर रोक दी और उतर कर लान पार किया, फिर पोर्टिको में आकर कालबेल पर अंगुली रख दी। 

थोड़ी ही देर बाद द्वार खुला और एक आदमी ने झांक कर देखा, झाँकने वाले का मुंह खुला का खुला ही रह गया। 

“जल्दी करो..” विनोद ने रूखे स्वर में कहा टेबी की भी हालत ख़राब है, वह सिक्स नाईन के साथ है, दोनों को कान्टेक्ट करो और सिक्स नाईन को आदेश दे दो कि अब वह फोन पर कभी मुझसे बात करने की कोशिश न करे। वह अपनी रिपोर्ट अब तुम्हें देगा। ”

“यस सर.” झाँकने वाले ने कहा। 

“मिस्टर अब्राहम मैं तुम से बहुत खुश हूं। ”

“आपकी कृपा है श्रीमान जी जो मैं इज्ज़त के साथ जीवन व्यतीत कर रहा हूं। ”

“अच्छा ..मैं चला” विनोद ने कहा और कार की ओर मुड़ गया। 

कर बेक करके वह फिर नगर की ओर चल पड़ा, लेकिन कार कुछ ही गज आगे बढ़ी होगी कि विनोद को चौकना पड़ा, शीशे में उसने देखा कि पिछली सीट पर एक आदमी बैठा हुआ है और उसके रिवाल्वर की नाल उसकी गर्दन पर है। 

“चलते रहो । ” रूखे स्वर में कहा गया । 

विनोद अचानक मूड में आ गया, उसने हँसते हुये कहा । 

“तुम तो खून बहाना पसंद नहीं करते, फिर यह रिवाल्वर क्यों ?”

“तुम ठीक कह रहे हो, मगर इसका यह अर्थ भी नहीं है कि मैं तुम्हारे हाथों मारा जाऊं । ”

“मैं तुम्हारी बुध्धिमानी की प्रशंसा करता हूँ । ”

“केवल प्रशंसा ही !” पीछे बैठे हुये आदमी ने कहा, जिसका चेहरा छिपा हुआ था । 

“इससे अधिक की आशा भी तुम्हें मुझसे नहीं रखनी चाहिये, क्योंकि जो आदमी मुझसे इतना डरता हो कि अपना चेहरा न दिखा सके । ”

“मैं तुमसे डरता हूँ हा हा हा । ” पीछे बैठे हुये आदमी ने अट्टहास करके विनोद की बात काटी । ”तुम नीच पतित आदमी जो हिंसक पशुओं के समान अपनी शक्ति का प्रदर्शन करते फिरते हो और यह सोच सोच कर खुश होते हो कि तुम बहुत बड़े आदमी हो....बुध्धि से काम लेना चाहिये मिस्टर विनोद । ”

“अच्छा मिस्टर नारेन ?” विनोद ने मुस्कुरा कर कहा”अब मैं तुम्हारे कहने के अनुसार ही किया करूँगा, मगर एक बार अपना चेहरा तो मुझे दिखा दो । ”

“तुम मेरा नाम लेकर अपने विवेक का रोब मुझ पर डालने की कोशिश कर रहे हो, शायद तुम्हें यह नहीं मालूम है कि मेरा नाम संसार के हर देश के जासूसों के मुख में रहता है, मगर क्या यह कमाल की बात नहीं है कि अब तक मेरा पता कोई न लगा सका, कार बाई ओर मोड़ लो, मैं तुमसे अभी और बातें करना चाहता हूँ । ”

विनोद ने कार बाई ओर मोड़ ली । 

आगे वाला मार्ग झरियाली और उससे आगे ओसरा घाट तक जाता था । 

“मैंने तुम्हें पहले वार्निंग दी मगर फिर भी तुम नहीं माने तुम्हारे ब्लैक फ़ोर्स वाले मेरे पीछे लगे रहे, रमेश ने यहां तक साहस किया कि वह मुझसे खुल्लम खुल्ला टकरा गया, उसने मेरी टोली की एक लड़की को हरण करके कुछ उगलवाने की कोशिश की इसलिये मुझे उसे दंड देना पड़ा, अगर मेरी जगल तुम होते तो तुम भी यही करते । ”

“मैं होता तो उसे क़त्ल कर डालता । ” विनोद ने कहा । 

“क़त्ल – बकवास । ” नारेन ने कहा”किसी आदमी को मार डालने से क्या लाभ ! नाहक खून से हाथ रंगना होता है । मै तो लोगों को आत्महत्या करने पर विवश कर देता हूँ और अगर तुम नहीं माने तो एक दिन तुम्हें भी आत्महत्या करनी पड़ेगी । ”

“तुमने जीराल्ड शास्त्री, डा. डारकेन, सिन्धी और वार्टन के नाम सुने होंगे । ”

“आदमी और केचुओं में क्या अंतर होता है यह तुम नहीं जानते मिस्टर कर्नल । ” नारेन ने विषैली हँसी के साथ कहा”यह सब हत्यारे, षड्यंत्रकारी और लुच्चे किस्म के लूटमार करने वाले थे । ”

“और तुम एक साधारण ब्लैक मेलर और स्मगलर हो । ” विनोद ने उसकी हँसी उड़ाते हुये कहा । 

“मुझे तुम्हारी जानकारी पर रोना आता है । ” नारेन ने कहा । ”मैं क्या हूँ यह शायद तुम अपने जीवन के अंतिम क्षणों में भी न जान सकोगे । मैं तुम लोगों के मध्य रहता हूँ, तुम लोग मेरा सम्मान करते हो, मुझे सर आंखों पर चढाते हो मगर जब मेरा नाम सुनते हो तो तुम्हें अपने पास बैठे हुये हर आदमी पर संदेह होने लगता है कि कहीं वह आदमी मैं ही तो नहीं हूँ और यही संदेह तुम लोगों को पागल बना देता है । ”

“मैं अभी तक पागल नहीं हुआ । ” विनोद ने हँसकर कहा । 

“हो तो नहीं, मगर पागलों से भी गये गुजरे हो, अगर दिमाग पर जरा सा भी जोर डालो तो तुम्हें पराजय स्वीकार कर लेनी चाहिये, तुम्हारी ब्लैक फ़ोर्स जिसका पता कोई न चला सका, उसके कई आदमी मेरी नजर में आ गये, अब्राहम, टेवी और डेविड जिसका नाम तुमने सिक्स नाइन रक्खा है मेरी नजरों में है, जब तुम डेविड से बातें कर रहे थे तो तुम्हारे यहां का पूरा टेलीफोन सिस्टम मेरे संकेतो पर नाच रहा था.....बोलो, उत्तर दो....और तुम हो कि इस पराजय के बाद भी मुझसे इस प्रकार अकड़ कर बातें कर रहे हो । हमीद मेरे पास है और जब मैं चाहूं उसे क़त्ल कर सकता हूँ, लेकिन अगर मेरी सभ्यता देखो कि मैंने केवल उसे बेहोश ही रख छोड़ा है, लेकिन अगर तुम न माने तो मैं उसे क़त्ल कर दूँगा और यह क़त्ल मेरे जीवन का पहला और अंतिम क़त्ल होगा । ”

“तुम चाहते क्या हो ?” विनोद ने तंग आकर कहा । 

“मेरा पीछा छोड़ दो । ” नारेन ने कहा । 

अचानक विनोद ने भरपूर अट्टहास किया और फिर बोला । 

“तुम हार गए दोस्त! तुमने यह बात जताकर अपनी सारी चतुराई और वीरता पर पानी फेर दिया, तुम्हारा यह कहेना कि मेरा पीछा छोड़ दो

, इस बात का प्रमाण है कि तुम मुझसे भयभीत होऔर जब कोई आदमी किसी से भयभीत हो जाता है तो उसके पतन कीकहानी आरंभ हो जाती है। क्या इस समय भी तुम मुझसे भयभीत नहीं हो, जबकि तुम्हारे रिवाल्वर की नाल मेरी गर्दन से लगी हुई है। 

“नहीं मैं तुमसे भयभीत नहीं हूं। ” नारेन ने कहा”बात केवल इतनी है कितुम्हारे राकट स्व अपने हाथ रंगना नहीं चाहता!”

“तुम झूठ कह रहे हो मिस्टर नारेन । ” विनोद ने हँसते हुये कहा । 

“अच्छा, तुम नहीं मानते तो मैं ट्रिगर दबाने जा रहा हूँ । ”

“ट्रिगर !” विनिद फिर हँसा । ”तुम मुझ पर फायर नहीं कर सकते दोस्त मैं तुम्हारी कमजोरी जानता हूँ । ”

“तुम फिर मेरे ऊपर अपनी शारीरिक शक्ति का रोष डालने की चेष्टा कर रहे हो !” नारेन ने गरज कर कहा । 

“नहीं डियर !” विनोद ने हँसते हुये कहा”अगर मैंने अपनी शारीरिक शक्ति को प्रयोग करना चाहा होता तो तुम अब तक ख़त्म हो गये होते । ”

और फिर अचानक विनोद की आवाज में तेज़ी आ गई । उसने भी गरजकर कहा”मैं आमने सामने की लड़ाई करना पसंद करता हूँ और अपने बराबर वालों से लड़ता हूँ । तुम्हारे जैसे आदमियों से लड़ना मैं अपना अपमान समझता हूँ, मगर यूंकि तुमने मुझे चैलेंज किया है इसलिये मैं तुम्हारा चैलेंज स्वीकार करने के लिये विवश हो गया हूँ, मगर फिर भी मैं तुम्हें हाथ नहीं लगाऊंगा, तुमने चैलेंज किया है कि तुम मुझे आत्महत्या करने पर विवश कर दोगे और अब मैं तुम्हें चैलेंज कर रहा हूँ कि मैं तुमको आत्महत्या करने पर विवश कर दूँगा । ”

“तो इसका अर्थ यह हुआ कि हमारे तुम्हारे मध्य समझौता नहीं हो सकता...क्यों ?” नारेन ने विवशता से कहा । 

“कानून के रक्षक और समग्लर में समझौता हो भी कैसे सकता है दोस्त !”

“अच्छा, कार रोक दो । ” नारेन ने कहा । 

विनोद ने कार रोक दी और नारेन उतर पड़ा । विनोद भी नीचे उतर आया । 

“मैं एक बार फिर तुम्हें समझा रहा हूँ कर्नल कि अपनी हट छोड़ दो । ” नारेन ने कहा ।