Unnecessary thoughts - 3 in Hindi Fiction Stories by Merikhanii books and stories PDF | बेवजहा के ख़याल - 3

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बेवजहा के ख़याल - 3

कुछ भी मेरे मनमुताबिक नही होता ,किसी काम से ये सोच कर बाहर जाता हूँ कि पैदल चलने से फिट रहूँगा भले ही एटीएम से पैसे निकालने हो तो उस दिन उस एटीएम में पैसे नही होंगे यानी घर लौटो बाइक उठाओ फिर दूसरे एटीएम जाओ तब गुस्सा आता है बेवजह की दौड़ हो गईं।
अच्छा मेरी आदत नही है इंतजार करने की लेकिन जब किसी का बड़ी शिद्दत से इंतजार करने लग जाता हूँ तो , वही शख्स मुझे इंतजार कराने के अलावा मुझे कुछ नही देता ,और में मायूस होकर रह जाता हूँ ,इंतजार की बेचैनियाँ समेट कर । हा अगर ऐसी ही बात है वो एक बार यही कह दे में नही आऊँगा तो में बेवजहा क्यों मारा मारा फिरू। में रोज ऑफिस से लौट कर यही सोचता हूँ के अब जाकर अपनी हसरते तुमसे बयाँ करूँगा लेकिन तुम सभी को हासिल हो मुझे छोड़ कर , ऐसी ही बकवास किस्मत है मेरी । दिल सिर्फ उसे मत दो जो उसे कभी न तोड़े जो तुम्हे अपना बनाए सहारा दे जो खुद को भूलकर बिना किसी वज़ह के तुम्हारा हो जाए जो तुम्हारे साथ कही एक घर बसाए और उसे सवार दे बल्कि दिल उसे ही दो जो तुम्हारा दिल तोड़ दे तुम्हे बेसहारा ,बेबस तड़पता छोड़ अपने स्वार्थ ,अपनी ही मंजिल की खोज में निकल पड़े चाहे हमारा सारा वजूद आसुंओ के दरिये में गर्क हो जाए, अपना दिल उसी जालिम को दो जिसे कुछ परवाह न हो तुम्हारी जिसे कोई फर्क नही पड़ता कुछ भी कह देने पर ,जिसे कोई फिक्र नही हमारी हालत की ,दिल उसे दो जिसे रोक नही सकते हमारे लफ्ज, हमारे अर्थ ,हमारे आँसु , दिल उसे ही दो जो कभी तुम्हारा होगा ही नहीं, न ही तुम्हे अपना ही होने दे, न बसेगा न बसायेंगा जो बार बार झटक कर फेक देगा बहुत दूर जो उजाड़ देगा बार बार तुम्हारा बसाया बनाया सब। जो तुम्हे इस बेरहमी से तबाह बर्बाद कर डाले की तुम्हारे पाऊँ तले जमी न रहे ,क्योंकि दिल की तड़प तुम कभी समझोगी नही क्योंकि वह घर जिसे तुम तामीर करोगे अपने हौसलों से अपने अंदर बार बार उजाड़े जाने पर वही तुम्हारा अपना घर वही अपनी जमीन जो हम हासिल करेंगे अपने पैरों पर टिके रहने के लिए ,जो साँस लेने भर के लिए जुटा लिया है आस पास वही है हमारा आसमाँ क्योंकि यहीं रास्ता है खुद को और खुदा को पाने का, बस यही है मेरी किस्मत, अब तुम जो चाहो मर्जी करो,में बेनाम हूँ और सदा बेनाम ही रहूंगा। तुम मुझे कभी मेरे अंदर झाँक कर देख ही नही पाऊँगी



आगे का हिस्सा जल्द ही आपके बीच पेस करूँगा पढ़ते रहिए और महसूस करिये अपने सभी दिन जो मेने तुमने सभी ने ज़िये है जिसका कोई ताल्लुक नही होता किसी से जो तुम्हे जह्नझोर कर रख देते है याद कर लेने भर से ही आँसू निकल जाते है ,बहुत ही मुश्किल होता है उन्ही लम्हो को फिर से याद करना । ये मेरी नही आप सब की कहानी है याद करिए।


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