khauff - 2 in Hindi Horror Stories by सीमा कपूर books and stories PDF | खौफ - 2

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खौफ - 2

जैसा कि आप अध्यय१में पढ़ चुके हैं कि किस प्रकार से (ज़फ़र) के साथ जंगल में एक हादसा होता हैं।
अब इसके आगे का भाग मैं लेेेेकर आईं हूूं_
ಠಠ■-■
(ज़फ़र) कामयाब हो जाता है उस घने जंगल से बाहर निकलने मेंंजैसे तैसे अपने शहर अपने घर वापस आ जाता हैं,अपनी पत्नी अपने बच्चों से मिलता हैं
जब वह आराम करने लगता हैैं तो वह अपने साथ हुए जंगल में हादसे को याद करता हैं थोड़ी देर आराम करने के बाद वह /फ़िर वह अपने दिनचर्या के अनुसार अपने सारे अधूरे काम करने के लिए काम करके के लिए जाता हैं और रात को घर आता हैं, बच्चों के सो जाने केेे बाद वह अपनी पत्नी को जंगल में हुए हादसे के बारे में बताताा है।
उसकी पत्नी को उसकी किसी भी बात विश्वास ही नहीं होता हैैं, वह अपनेेे पति से कहती हैं आपकी दूर की नज़र कमजोर है शायद इसलिए आपको कोई भ्रम होगा __
(ज़फ़र) भी सोचता हैं कि हो सकता है शायद भ्रम ही हो क्योंकि ऐसा उसकेे साथ कुछ हुुआ ही नहीं
केवल एक डर ही था अंधेरे में वहम था/कुछ दिन यूूूंही बीतते चलेे गए एक दिन रात के समय जब सब परिवार अपना खाना खा कर गहरी नींद में सो जाते हैं (ज़फ़र)भी सो रहा होता हैं
तब अचानक उसे ऐसा महसूस हो रहा होता है।।
जैसा कि कोई उसके सीने पर बैठकर उसका गला दबा रहा होता हैं
(ज़फ़र) भी पूरी कोशिश करताा है कि जो कोई उसका गला दबा रहा है उससे अपने गले को छुड़ाने की परंतु उसके सीने में बहुत दर्द होने लगता है और उसकी शक्ति खत्म हो रही होती है अपनेे गले को छुड़ाने की, सुुबह केे4.00बच रहें होते हैं (ज़फ़र)की नींद खुल जाती है तब वह अपनी चारों तरफ़ देखता है उसने अपने चारों तरफ़ कोो भी नहीं दिखाई देता
परंतु उसके सीने में बहुत दर्द हो रही होती हैं थोड़ी देर बाद उसकी पत्नी भी उठ जाती हैं और वह रात का सारा वाकया अपनी पत्नी को बताता हैं
और सीने में दर्द की बात करता है परंतु उसकी पत्नी इस बात को नहीं समझती और उसे कहती है तुम्हारे सीने में दर्द किसी और कारण से हो रहा होगी बाकी सब तुम्हारा भ्रम है ऐसा कुछ नहीं होता।
(ज़फ़र) मॉर्निंग वॉक के लिए पार्क में जाता हैं वहां वह अपने दोस्त से मिलता है और वह अपने दोस्त को सभी बातें बतलाता है जो अब तक उसके साथ घटी होती हैं,
तब उसका दोस्त बोलता है कहीं ऐसा तो नहीं कि कोई आत्मा वात्मा का चक्कर हो /जिसने तुम्हें जकड़ रखा हो एक पल को (ज़फ़र) सोच में डूब जाता हैं कि क्या यह सत्य भी हों सकता हैं,
(ज़फ़र) अपने दोस्त से कहता है यार तुम मज़क तो तो नहीं बना रहें_उसका दोस्त कहता हैं भला मैं ऐसा क्यों करुंगा पर जो भी हैं तुम्हारी बातों से तो यही लगता हैं कि कोई बुरा साया है तुम सोच लो फिर मुझे बताना।।
अपने मन के भीतर के सभी वाद विवादों को मिटाकर ज़फ़र पुनः घर आता हैं--यूहीं दिन निकल जाता हैं__
क्रमशः