कायरा ( हैरान होकर आरव से ) - आपने बिना मुझे बताए , या फिर बिना मुझसे पूछे उन्हें हां कह दी, कि मैं उनके यहां पार्टी अटेंड करने आऊंगी....!!!!
इतना कहते हुए कायरा आरव को गुस्से से घूरने लगी । तो आरव ने बेपरवाही से कहा ।
आरव - ओह प्लीज कायरा....!!!! डोंट टेक अनदर । मैं खुद पसंद नहीं करता ये बिजनेस पार्टीस वगेरह । लेकिन उन्होंने इतना ज्यादा इंसिस्ट किया , कि मुझे भी मजबूरन हां बोलना पड़ा । ( कायरा की तरफ देखकर ) और रही बात पार्टीस की , तो तुम्हें इसके लिए प्रेपर होना चाहिए था , पहले से ही । जब हम किसी कंपनी में जॉब करते हैं, तो वहां के अकॉर्डिंग हमें अपने आपको ढालना ही पड़ता है , वहां ये बात बिल्कुल भी मायने नहीं रखती, कि आपको ऐसी जगह पर जाना पसंद है या नहीं । बॉस ने अगर कह दिया , जाना है...., तो जाना है ।
कायरा - पर मैंने ऐसा तो नहीं कहा न , कि मैं आपकी बातों का उल्लंघन कर रही हूं । आप मेरी बात समझ क्यों नहीं रहे हैं....????
आरव - गलती हुई मुझसे कायरा, मुझे हां कहने से पहले तुमसे पूछना चाहिए था । पर मेहरा साहब हमसे उम्र में बड़े हैं , जब उन्होंने इतना ज्यादा इंसिस्ट किया , तभी मैंने हां कहा । वरना शायद मैं कभी हां नहीं कहता । दूसरी बात ये भी है कायरा, कि ये छोटी - छोटी बातें बिजनेस साइडस पर कब बड़ी हो जाती हैं , हमें पता भी नहीं चलता । एक तो बात डील की भी है , दूसरा अगर बात डील की न भी होती , तो भी मुझे मजबूरन हां कहनी ही पड़ती , जैसे कि मैंने कहा भी है । क्योंकि ये कंपनी, सिर्फ मेरे नाम से नहीं चलती । इसमें मेरे पिता और भाई , दोनों का नाम जुड़ा है । इस लिए मैं छोटी - छोटी बातों के पीछे , उनके नाम और मेहनत पर तो आंच नहीं आने दे सकता न...!!!! मैं जानता हूं कायरा, कि अपने नाम, रुतबे और कंपनी के बारे में बस सोचकर मैं सेल्फिश हो रहा हूं । लेकिन मैं अपने पिता की मेहनत को , छोटी - छोटी बातों के कारण सड़क पर तो नहीं ला सकता न ...!!!!
कायरा ( शांत भाव से ) - आप जो कह रहे हैं , वह पूरी तरह सही है । लेकिन आरव मुझे इन सबकी.....।
आरव ( बीच में ही ) - इजाजत नहीं है, राइट ...!!!! ( कायरा अपना सिर झुका लेती है , आरव उसके तरफ देखकर बोलता है ) जब उन्होंने तुम्हें पढ़ाई के साथ - साथ जॉब करने की भी परमिशन दी है , तो इतना ट्रस्ट तो उनपर तुम कर ही सकती हो , कि वो तुम्हें इन बिजनेस पार्टीस में जाने के लिए एलाऊ तो करेंगे ही । और अगर ऐसा नहीं है , तो लाओ ...., दो नंबर अपने घर वालों का , या फिर तुम खुद उन्हें कॉल करो और मुझे दो फोन...., मैं बात करूंगा उनसे...., समझाऊंगा उन्हें , कि उसमें फायदा उनकी बेटी का ही है । जब तुम ये सब इवेंट्स अटेंड करोगी , तभी तो जानोगी बिजनेस के उतार - चढ़ाव । घर बैठे, चार दिवारी में कैद होकर , सिर्फ ग्यारह से सात की नौकरी कर, तुम इतना सब तो नहीं जान पाओगी न...!!! लाओ....., कराओ बात मेरी अपने घर वालों से ।
कायरा ( हल्के गुस्से से ) - आप समझ क्यों नहीं रहे हैं मेरी बात...???
आरव - बात अगर बिजनेस के अलावा कहीं बाहर जाने की होती , तो जरूर समझता । या फिर मैं तुम्हारे साथ नहीं जाता , तो भी समझता । क्योंकि मैं तुम्हें अकेले तो नहीं भेजूंगा । लेकिन बात तब की है , जब मैं तुम्हारे साथ भी हूं और तुम्हें बिजनेस के सारे रूल्स और बिजनेस करने के तरीके समझाना भी चाहता हूं । मैं चाहता हूं , कि एक दोस्त होने के नाते प्रोफेशनल लाइफ से जुड़ी वो तमाम चीजें सीखा सकूं तुम्हें , जो मुझे आती हैं । क्या पता, कब तुम्हारे काम आए जाएं , मेरी ये सीख.....।
कायरा ( नजरें झुका कर ) - मुझे नहीं सीखना....।
आरव - सीखना तो तुम्हें होगा । इंडिपेंडेंट बनना है , तो हर तरह से बनो कायरा ।
कायरा ( आरव की तरफ देखकर ) - लेकिन अगर मेरे घर वालों ने इजाजत नहीं दी तो...????
आरव ( कायरा की नजरों में देखकर ) - कहीं इजाजत सिर्फ बहाना तो नहीं....???? कहीं तुम जाना ही नहीं चाहती हो हमारे साथ....???? ( कुछ पल रुककर ) देखो कायरा...., मेहरा साहब उम्र में बड़े हैं , इस लिए उनका मान रखना हमारा कर्तव्य है । वे तुम्हारे काम से बहुत ज्यादा इंप्रेस हैं । लेकिन अगर तुम्हारे पूछने पर, तुम्हारे घर वालों ने मना कर दिया पार्टी में जाने से , तो फिर मैं तुम्हें फोर्स नहीं करूंगा । लेकिन उससे पहले तुम पूछो तो उनसे । बिना जंग में उतरे ही तुम हथियार डाल दोगी , तो कैसे चलेगा कायरा....????
कायरा अब फंस चुकी थी , इसके अलावा कोई और एस्क्यूज बचा ही नहीं था उसके पास । आरव की बात सही थी । वो जो भी कह रहा था , सही और उसके भले के लिए ही कह रहा था । लेकिन उसे टेंशन ये थी , कि अगर दादी को पता चला , तो वो तो हंगामा ही कर देंगी घर पर । लेकिन अब आरव ने जिद पकड़ ली थी , इस लिए उसे मजबूरन ही कॉल करना पड़ा । उसने देवेश जी को कॉल किया और आरव के केबिन की बालकनी में आ गई । आरव ने भी उसे कुछ नहीं कहा और वहीं अपनी चेयर पर बैठे हुए कायरा के आने का वेट करने लगा । तीन घंटी जाने के बाद कॉल रिसीव हुआ और देवेश जी ने कहा ।
देवेश जी - हां बेटा...., बोलो ।
कायरा ( डरते हुए ) - पापा.....।
देवेश जी - हां...., बोलो न बेटा ।
कायरा - वो पापा....., इजाजत चाहिए थी ।
देवेश जी - कैसी इजाजत बेटा..????
कायरा - बिजनेस पार्टी में जाने की । मुझे वहां पर स्पेशली इन्वाइट किया गया है , जहां पर मुझे डील से रिलेटेड प्रेजेंटेशन भी देनी है, और क्लाइंट ने आरव के साथ मुझसे भी मिलने की इच्छा जाहिर की है , उन्हें मेरा काम पसंद आया है इस लिए । आरव , नील , राहुल और आदित्य चारों साथ रहेंगे मेरे ।
देवेश जी - तो प्रॉब्लम क्या है बेटा...???
कायरा - आपकी इजाजत है पापा...???
देवेश जी - मैंने तुम्हें कभी किसी भी चीज़ के लिए मना किया है क्या बेटा...???? वैसे भी, बड़ी कंपनीज ज्वाइन करने के बाद इन पार्टीस में जाना तो नॉर्मल सी बात है । मुझे इसमें कोई परेशानी नहीं है । और जब तुम्हारे बॉस तुम्हें ये मौका दे रहे हैं , खुद वो और बाकी सब तुम्हारे सपोर्ट में हैं , तो जाने में हर्ज ही क्या है बेटा...!!!!
कायरा - लेकिन दादी....।
देवेश जी - उन्हें मैं संभाल लूंगा , तुम सिर्फ अपने काम पर ध्यान दो बेटा । घर की इन छोटी - मोटी मुश्किलों को मुझपर और अपनी मम्मा पर छोड़ दो । हम सब संभाल लेंगे । और वैसे भी , मुझे अपनी बेटी पर पूरा भरोसा है , शायद खुद से भी ज्यादा । मुझे पता है , कि मेरी बेटी ऐसा कोई काम नहीं करेगी , जिससे हमारे सम्मान पर रत्ती भर भी आंच आए या मुझे शर्मिंदगी महसूस हो अपनी बेटी के कामों पर ।
देवेश जी की बात सुनकर कायरा के मन में एक टीस सी उठी । क्योंकि उसे जिसकी इजाजत नहीं थी , वो गुनाह तो उससे जाने कब का हो चुका था । जिसे वो नाकाम थी झुठलाने में , लेकिन फिर भी झुठलाए जा रही थी । यही बात सोचकर उसकी दाहिनी आंख से आसूं का कतरा बह चला । जिसे कायरा ने बड़ी सफाई से पोंछ लिया , जिससे आरव को इसकी खबर तक न हो । अपनी बात का प्रतिउत्तर कायरा की तरफ से न आने पर देवेश जी बोले ।
देवेश जी - तुम सुन रही हो न बेटा...???
कायरा ( खुद को संभालकर ) - जी....., जी पापा ।
देवेश जी - ठीक है फिर , अच्छे से प्रेजेंटेशन देना ...., और भगवान से प्रार्थना करूंगा मैं , कि तुम्हारी प्रेजेंटेशन सफल हो ।
कायरा - थैंक्यू पापा ।
देवेश जी ( मुस्कुराकर ) - हमेशा खुश रहो मेरे बच्चे ।
इतना कहकर उन्होंने कॉल कट कर दिया । कायरा कुछ पल तक वहीं बालकनी में खड़ी रही । फिर केबिन के अंदर आई । उसे देखकर आरव ने तुरंत पूछा ।
आरव - क्या कहा घर वालों ने...???
कायरा ( बिना आरव की तरफ देखे ) - पापा ने इजाजत दे दी है ।
आरव ( कायरा के चेहरे को पढ़ने की कोशिश करते हुए ) - तो फिर तुम खुश क्यों नहीं हो..??? यूं चेहरा क्यों लटकाया हुआ है तुमने ...??? मेरी तरफ क्यों नहीं देख रही ?
कायरा ( आसुओं को अपनी पलकों पर ही रोके हुए, मुस्कुराकर आरव की तरफ देखकर कहती है ) - नहीं तो...., मैंने कब चेहरा लटकाया । वो तो मैं कुछ सोच रही थी , हां......, प्रेजेंटेशन की टेंशन थी थोड़ी मुझे ...., बस और कुछ नहीं । पहली बार प्रेजेंटेशन बाहर देने जाना है , इस लिए डर लग रहा है, कि कहीं कोई मिस्टेक न हो जाए ।
अपनी बात कहते हुए कायरा चेयर पर आकर बैठ गई । तो आरव ने कहा ।
आरव - डोंट वरी । सब ठीक होगा । मुझपर ट्रस्ट है न तुम्हें ...???
कायरा ( धीरे से ) - खुद से भी ज्यादा ।
आरव - क्या...???? मैंने ठीक से सुना नहीं , जो तुमने अभी - अभी कहा वो ।
कायरा ( अपनी हड़बड़ाहट कम करते हुए, मुस्कुराकर ) - हैं न ....., आप पर और बाकी सभी दोस्तों पर भी ट्रस्ट है मुझे । मुझे अच्छे से पता है , आप लोग मुझसे गलती होने पर भी सब संभाल लेंगे ।
आरव ( मुस्कराते हुए ) - गुड....। चलो मैं तुम्हें एक बार अच्छे से समझा देता हूं , कि कैसे प्रेजेंट करना है । वैसे ये फाइल तुमने भी स्टडी की हुई है , तो तुम्हें ज्यादा डिफिकल्टी नहीं जायेगी , इसे प्रेजेंट करने में ।
इतना कहकर आरव उसे फाइल से रिलेटेड जानकारी और उसे प्रेजेंट कैसे करना है , वो सब सिखाने लगा । अभी तक कायरा फाइल्स तो रेडी करती थी , पर उसे प्रेजेंट राहुल , नील या फिर आदित्य ही करते थे । उसे कभी मौका ही नहीं मिला था प्रेजेंट करने का । ये उसके लिए फर्स्ट टाइम था , और सबसे बड़ी बात ये डील ऑफिस में न होकर बाहर होने वाली थी । इस लिए कायरा के मन में घबराहट होना , प्रेजेंटेशन को लेकर लाजमी था । एक घंटे बाद कायरा आरव से सारी चीज़ें समझकर , फाइल अपने साथ ले जाती है । और आरव भी उसे वो फाइल अपने पास ही रखने को कहता है , और वो फाइल सीधे पार्टी में ही लेगा , ऐसा कायरा से कहता है । कायरा अपने केबिन में आकर , आज का सारा पेंडिंग काम फिनिश करती है । और काम फिनिश करने के बाद , वह दोबारा से मेहरा कंपनी की फाइल लेकर बैठ जाती है । वह अपनी तरफ से कोई भी गलती नहीं करना चाहती थी । इस लिए वो हर तरह से अपनी होने वाली गलतियों को ठीक करने की कोशिश में पहले से ही लगी होती है ।
इधर राहुल आरव के केबिन में आता है । और फिर चेयर पर बैठकर कुछ पेपर्स आरव की तरफ बढ़ाकर कहता है ।
राहुल - इन पेपर्स पर तेरे सिग्नेचर चाहिए हैं आरव । कर दे...., शाम से पहले पहुंचाने हैं ।
आरव ( लैपटॉप स्क्रीन से नजरें हटाकर , पेपर्स लेते हुए कहता है ) - तू कहां था अब तक...???? सब आ गए ...., लेकिन तू तो आज मुझे दिखा ही नहीं कॉलेज के बाद से ।
राहुल - वो आज कॉलेज में तेरे ऑफिस आने के बाद बहुत कुछ घट गया । इसी लिए मैं रूही के साथ था , ताकि वह कुछ बेहतर महसूस करे ।
इतना कहकर राहुल उसे सुबह की हुई सारी घटना बता देता है । राहुल की बात सुनकर आरव के चेहरे मुस्कान तैर जाती है । तो राहुल उसे ऐसे देखकर तुरंत कहता है ।
राहुल - तू मुस्कुरा क्यों रहा है..????
आरव ( खोए हुए अंदाज़ में ) - सोच रहा हूं , कि मुझे बहुत सही लड़की से इश्क़ हुआ है । वह खुद की रक्षा करने में तो सक्षम है ही , साथ ही वह अपने दोस्तों को भी मुसीबत से बचाने में पूरी तरह सक्षम है । सोच राहुल...., जो लड़की अपनी दोस्त से इतना प्यार करती है ,के उसके लिए किसी से भी भिड़ जाती है , तो वो लड़की अपने हमसफर के लिए क्या कुछ नहीं कर जायेगी । और वो टूटकर प्यार करेगी , अपने हमसफर से ।
राहुल ( मुस्कुराकर ) - ये बात तो तूने सौ आने सच कही । कायरा बहुत बहादुर है , उसके साथ ही दिमाग दार भी । और दूसरों को खुश रखना , उन्हें हर मुसीबत से बचाना , उन्हें दिल खोलकर प्यार करना कोई कायरा से सीखे ।
आरव ( मुंह बनाकर ) - चल - चल.....। नज़र मत लगा मेरी कायरा को ।
राहुल ( उसे छेड़ते हुए ) - वाह जी वाह.....। आप कहें तो तारीफ और हम कहें तो नज़र लग जाएगी । डैट्स नॉट फेयर आरव शर्मा.....। ( आरव उसे घूरकर देखता है , तो राहुल मजे लेते हुए कहता है ) ओह......, जलन हो रही है किसी को ।
आरव ( झूठे गुस्से से ) - चुप कर अब ....., ज्यादा ही बोल रहा है । मुझे कभी उसे लेकर जलन महसूस हो ही नहीं सकती ।
राहुल - क्यों....., क्यों भई....???? तू उससे प्यार नहीं करता क्या...??? और वैसे भी , किसी दूसरे से अपने प्रेमिका या फिर पत्नी के बारे में तारीफ सुनने के बाद जलन महसूस होना तो , सच्चे प्यार की निशानी होती है ।
आरव - हर प्यार के रिश्ते में इस तरह की जलन महसूस हो , ये जरूरी तो नहीं । मुझे कायरा पर पूरा भरोसा है । और जहां भरोसा हो , वहां जलन की गुंजाइश रहती ही नहीं है । और वैसे भी , तुम लोग तो दोस्त हो ....., तुम्हारी बातों से क्या जलना ।
राहुल - ये सही है तेरा । अभी इकरार भी नहीं हुआ , और इतना भरोसा करने लगा हमारा भाई उस पर । जब वो पूरी तरह से तेरी हो जायेगी , तब तो तू हमें भूल ही जायेगा ।
आरव - ऐसा कुछ नहीं होगा । सबकी अहमियत अपनी - अपनी जगह है । कोई किसी से कम नहीं है मेरी लाइफ में । अगर कायरा इंपोर्टेंट है मेरी लाइफ में , तो तुम सब भी कम इंपोर्टेंट नहीं हो ।
राहुल - हम्मम....., ये भी सही है । ( गंभीर होकर ) वैसे आज जब अंशिका के मुंह से सुना , कि रूही के साथ क्या हो रहा था , तो एक पल को मेरे दिमाग ने काम करना ही बंद कर दिया था और दिल में एक डर बैठ गया , कि रूही ठीक होगी या नहीं । ( फिर मुस्कुराकर ) लेकिन थैंक्स टू कायरा....। उसने न सिर्फ उन लड़कों से रूही को बचाया , बल्कि रूही को समझाया भी और उसे मेंटली प्रिपेयर भी किया आगे ऐसी सिचुएशन को हैंडल करने के लिए । मैं तो रूही के साथ इस लिए टाइम स्पेंड करना चाहता था , ताकि उसे डर न लगे और वह सेफ फील करे । लेकिन कायरा की बातों का उसपर ऐसा असर हुआ , कि उल्टा वो मुझे निश्चिंत करने लगी , कि वो ठीक है । इसी लिए कॉलेज में ही छोड़ कर आया हूं उसे । कई बार मैंने कहा , कि घर चली जाओ , मैं छोड़ देता हूं । लेकिन नहीं ....., मैडम ने मेरी एक नहीं सुनी और मुझे ट्रस्ट दिलाया , कि वो खुद का खयाल रख लेगी ।
आरव ( पेपर्स राहुल की तरफ बढ़ाकर ) - अच्छा ही है न राहुल । लड़कियों को आज के समय में एडवांस ही होना चाहिए । ऐसा नहीं है , कि हम उन्हें प्रोटेक्ट नहीं कर सकते । हम उन्हें हर तरह से प्रोटेक्ट कर सकते हैं , लेकिन अगर लड़कियां खुद की वैल्यू समझने लगें और खुद को हर पल एक योद्धा के रूप में देखें , जहां उन्हें हर एक रास्ते पर नई जंग लड़ने को मिलेगी और वो उसके लिए प्रिपेयर रहें , तो हमें उनकी फिक्र करने की कोई जरूरत ही नहीं होगी । क्योंकि हमें पता होगा , अगर हम टाइम पर कभी नहीं भी पहुंच सके , तो वो सब संभाल लेंगी । जैसे कि मुझे कायरा पर हमेशा ये भरोसा रहता है , कि वो हर तरह की सिचुएशन फेस कर सकती है ।
राहुल - या....., यू आर राइट । ( चेयर से उठते हुए ) चल मैं चलता हूं । काम जल्दी खत्म कर लेता हूं , क्योंकि शाम को तुम लोगों के साथ जाना भी है , तो एक्स्ट्रा टाइम यहां रुक भी नहीं सकता ।
आरव मुस्कुराकर हां में सिर हिला देता है और राहुल केबिन से चला जाता है । आरव कायरा की बहादुरी के किस्से सुन - सुनकर अपने आप में गर्वित महसूस कर रहा होता है । और ऐसा महसूस करता भी क्यों न , आखिर ये उसकी अपनी कायरा के किस्से से , जिससे वह बेइंतहा मोहब्बत जो करता था । कायरा के बारे में सोच - सोच कर ही आरव मुस्कुरा देता है और खुद से कहता है ।
आरव - सच अ अमेजिंग गर्ल.....😍।
शाम के छः बज रहे होते हैं । और सभी दोस्तों के दिमाग में कुछ न कुछ खिचड़ी पक रही होती है । जिससे रूही , अंशिका , रेहान , कायरा और आरव अंजान होते हैं । इस खिचड़ी को एक्सिक्यूट कैसे करना है , इसकी जिम्मेदारी नील और शिवानी को दी गई होती है । जिसे उन्हें पार्टी में पहुंचने के बाद , बाकी के तीनों से शेयर करना होता है । जल्दी - जल्दी काम करने के चक्कर में आज काम पहले ही कंप्लीट हो चुका था । तो आरव पांचों को जल्दी ही जाने के लिए कह देता है । कायर अभी भी प्रिपरेशन में लगी थी , तो आरव उसे डिस्टर्ब नहीं करता । और खुद भी रुकता है , क्योंकि वर्किंग स्टाफ के जाने में अभी आधा से पौन घंटा बाकी थे ।
सात बजे तक पूरा ऑफिस खाली हो जाता है और वर्किंग स्टाफ भी चला जाता है । समय को देखते हुए आरव कायर के केबिन में जाता है , तो देखता है कि वह अभी भी उसी फाइल को हाथ में लिए पढ़ रही थी , या ये कहें कि रट्टा मार रही थी । आरव उसके पास जाता है और कहता है ।
आरव - बस करो.....। क्या इसे ही लिए बैठी रहोगी...??? चलना नहीं है क्या..??? या फिर आज यहीं पर प्रेजेंटेशन देने का इरादा है...???
आरव की बात पर कायर झेंप जाती है और तुरंत चेयर से उठ जाती है , फिर कहती है ।
कायरा - नहीं....। ऐसा कुछ नहीं है । ( फाइल की तरफ इशारा कर ) इसके पॉइंट्स दिमाग में फीड करने में इतनी बिजी थी , कि वक्त का ध्यान ही नहीं रहा ।
आरव - चलो फिर.....। तुम्हें घर छोड़ देता हूं , रेडी होकर कॉल कर देना , मैं लेने आ जाऊंगा ।
कायरा ( आरव की तरफ देखकर ) - मैं चली जाऊंगी... ।
आरव - टाइम वेस्ट होगा कायरा । वैसे भी तुमने तो मुझे अपना ड्राइवर मान ही लिया है, डेली शाम को घर ड्रॉप करने के लिए । तो फिर मैं अपनी ड्यूटी निभा ही लेता हूं ।
इतना कह आरव मुस्कुरा देता है । तो कायरा दोबारा झेंप जाती है , फिर वो भी हंसने लगती है ।
कायरा ( हंस कर ) - वैसे मैं जा सकती हूं....., लेकिन आपको अपनी ड्यूटी निभाने का इतना ही फितूर चढ़ा है , तो कोई बात नहीं । फ्री में ड्राइवर मिल रहा है , तो मुझे तो कोई दिक्कत होनी ही नहीं है ।
आरव ( कायर को देखकर , शरारती अंदाज में ) - रियली....!!!!!
कायरा ( उसी के अंदाज में ) - यस......।
और इतना कहकर वह खिलखिला कर हंस देती है । आरव एक बार फिर उसकी खिलखिलाहट में खोने लगता है , लेकिन तुरंत खुद को उसकी हंसी में गिरफ्त होने से बचाता है और कहता है ।
आरव - चलो...., वरना हम लेट हो जायेंगे । तुम पार्किंग में मिलो , और ये फाइल साथ में लेकर चलना । मैं अपना लैपटॉप लेकर आता हूं , हमें उसकी खास जरूरत पड़ेगी , सारा डाटा उसी में है ।
कायर हां में सिर हिलाकर नीचे चली जाती है । और आरव लैपटॉप लेकर नीचे आता है । नीचे उसे कायरा अपनी कार के सामने उसका वेट करते मिलती है । आरव दूर से ही कार की चाबी से कार अनलॉक करता है । और कायर फटाफट कार में बैठ जाती है, जैसे उसे सबसे ज्यादा जल्दी हो जाने की । आरव उसकी हरकत देख , मुस्कुराए बिना नहीं रह पाता है । वह आकर अपनी सीट पर बैठता है और सीट बेल्ट लगाते हुए कायरा की तरफ देखता है , जो कि एकदम तैयार हुई बैठी थी सीट बेल्ट वगेरह सब लगाकर । आरव कार स्टार्ट करता है और कायरा अपनी स्कूटी की चाबी आरव की ओर बढ़ा देती है । आरव उसे जेब में रख लेता है और कार सड़क पर दौड़ा देता है ।
घर पहुंच कर कायर कार से उतरती है , तो आरव कहता है ।
आरव - रेडी होकर तुरंत मुझे कॉल करना । और हां...., एक घंटे से ज्यादा टाइम मत लगाना रेडी होने में । मुझे टाइम पर पहुंचना ही पसंद है ।
कायरा ( आरव को देखकर मुंह बनाते हुए ) - मुझे बाकी लड़कियों की तरह रेडी होने में घंटों नहीं लगते हैं । सिर्फ पांच मिनट लगते हैं बस.....।
आरव - ओके देन....। मैं अगले दस मिनट में हाजिर होता हूं फिर आपकी सेवा में ।
ये सुनकर कायरा का मुंह खुला का खुला रह जाता है और आरव उसे देखकर अपनी एक आंख विंक कर देता है।कायरा उसकी इस हरकत पर अपना मुंह बंद कर लेती है और कमर पर हाथ रखकर मटकते हुए कहती है ।
कायरा - इतनी भी जल्दी नहीं है मुझे आरव जी...., कि आप मुझे ठीक से मेरे घर पर सांस भी न लेने दें । आप एक घंटे बाद ही आइएगा , ताकि मैं भी थोड़ा अपने घर की आबो हवा का आनंद ले सकूं । ( फाइल आरव की बगल वाली सीट पर रखते हुए ) ये फाइल अभी आप अपने लैपटॉप के साथ ही रखिए , गुमने का डर कम होगा ।
ये कहते हुए वह कार का डोर बंद कर देती है और आरव अपनी कार अपने घर की ओर बढ़ा देता है । कायरा घर के अंदर आती है , तो मालती जी उसे पहले मुंह हाथ धोकर कुछ खाने को कहती हैं । भूंख तो कायरा को लगी ही थी , लंच किए बहुत समय जो हो गया था । अपना सामान अपने रूम में रखकर कायरा मुंह हाथ धोकर डाइनिंग टेबल पर आ जाती है और मालती जी उसे कुछ स्नैक्स और चाय सर्व करती हैं । मालती जी को देवेश जी ने बता दिया था , कि आज कायरा पार्टी में जाने वाली है । उन्हें अंदाजा था कि कायरा को वापस आने में लेट हो जायेगा , इस लिए वे कायरा से कुछ खाने को कहती हैं । राधा जी अपनी संध्या वंदन में लगी हुई थीं । घर में क्या चल रहा था , उसकी भनक उन्हें अब तक नहीं लगी थी । वरना कायरा को जाने की मनाही तो होती ही , साथ में घर में जो हंगामा होता वो अलग से सभी को झेलना पड़ता । स्नैक्स और चाय खत्म कर कायरा अपने रूम में पहुंचती है और अगले दस मिनट बाद उसके पूरे कमरे में उसके कपड़े फैले रहते हैं । जिसमें कई सारी डिजाइंस के कपड़ों के साथ - साथ कई रंग के शेड्स भी होते हैं । लेकिन कायरा अपना सिर खुजाते हुए सोचती रहती है , कि वह पहने तो आखिर पहने क्या । ये शायद पहली बार था , जब कायरा इस तरह से कपड़ों को लेकर कन्फ्यूज थी । एक तो पहली बार बिजनेस पार्टी में जा रही थी , दूसरा वह ये भी चाहती थी , कि भले ही वह दूसरों को अच्छी लगे या न लगे , लेकिन आरव को अच्छी लगनी चाहिए , सीधी तरह से कहा जाए तो वह आरव की इमेज डाउन नहीं करना चाहती थी बुरी लग कर । क्योंकि उससे ही तो मिलना था क्लाइंट को , और अगर वह उनके सामने अजीब लगी तो क्लाइंट क्या सोचेंगे उसके और आरव के बारे में । ये खयाल लाइफ में पहली बार कायरा को आ रहे थे । शायद ये प्यार की ही निशानी थी , जहां कायरा गणित तो खूब लगा रही थी , पर असल में वह आरव के सामने खूबसूरत दिखना चाहती थी । अब ये क्यों चाहती थी ....., इतना तो आप सभी जान ही गए होंगे । हर किसी के साथ होता होगा यही पहले प्यार में पड़ने के बाद , शायद कायरा भी इसी दौर से गुजर रही थी । तभी मालती जी कमरे में आयीं और कायरा को कमरे में कपड़ों का मेला लगाए देख वे हैरान नजरों से उसे देखने लगीं । लाजमी था यार....., जो लड़की कुछ भी उठा के पहन लेती थी , चाहे वो स्टाइलिश हो या न हो..., वो आज भंडारा लगाए बैठी थी ...., तो देखने वालों की आश्चर्य से आंखें फैलना तो तय था । कायरा की नज़र दरवाजे से थोड़ा अंदर खड़ी मालती जी पर पड़ी , तो वह बिस्तर से कूद कर उनके पास आई और उन्हें गोल - गोल घुमाकर बोली ।
कायरा ( परेशान सी ) - मम्मा ...., मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा , मैं क्या पहनू..??? बिजनेस पार्टीस में कैसे कपड़े पहनते हैं , मुझे तो इसका भी आइडिया नहीं है । इनमें से भी सब ट्राय कर चुकी हूं , पर एक भी ड्रेस परफेक्ट नहीं लग रही । ( छोटे बच्चे की तरह उछलते हुए ) बताइए न , क्या पहनूं मैं । मुझे तो कुछ समझ में ही नहीं आ रहा । आप ही बताओ न...., प्लीज....। हेल्प कर दो न मेरी....। प्लीज....., प्लीज न....। ( जबरदस्ती मालती जी के गले लगकर ) मेरी प्यारी मम्मा...., मेरी भोली मम्मा ....., मेरी अच्छी मम्मा....., मेरी राजदुलारी......।
मालती जी ( उसे पकड़कर सीधे खड़े करते हुए , टोककर बोली ) - बस......, बस....., बस भई.......। तुम्हारी ट्रेन तो रुक ही नहीं रही है । और बचपन में जैसे कपड़ों को बिखराकर ऐसे ही मेरे पास आकर उछलती थी , आज भी वैसी ही हरकतें कर रही हो । और भई....., ब्रेक लगाओ । हेल्प करने को कह रही हो , लेकिन तुम शांत होगी तभी तो हेल्प करूंगी न मैं ....।
कायरा ( मासूम सी शकल बनाकर बच्चों की तरह कान पकड़ कर , होठों और मुंह को बनाकर बोली ) - छोली मम्मा ......।
मालती जी ( उसके सिर पर चपत लगाकर ) - चुप....., पागल कहीं की । बावरी हो गई हो आज तुम । बिल्कुल बचपने वाली हरकतें कर रही हो । ( प्यार से उसके गालों पर हाथ रखकर ) लेकिन बहुत प्यारी लग रही हो । बहुत मिस किया मैंने पिछले दिनों , अपनी इस शैतान और मासूम सी बच्ची को । ( कायरा हंस देती है , मालती जी कपड़ों की तरफ देखकर ) वैसे मेरे पास इससे भी अच्छा ऑप्शन है , अगर ट्राय करोगी तो बताओ....।
कायरा ( मालती जी के गले में बाहों का घेरा बनाकर ) - आप लाइए तो मम्मा .....। फिर न बताऊंगी , जिस ऑप्शन की बात आप कर रही हैं , वो कैसा है...!!!!
मालती जी - हां ....., हां..... ठीक है । ला रही हूं । ( पूरे कमरे में बिखरे कपड़ों की तरफ इशारा कर ) लेकिन दोबारा मेरे इस कमरे में कदम रखने से पहले , ये पूरा बिखरा हुआ ताम - झाम साफ हो जाना चाहिए । वरना आज तुम्हारी कुटाई होगी , वो भी मेरे हाथों से ।
इतना कहकर मालती जी मुस्कुराकर चली गईं । और कायरा को कुछ देर पहले कही गई आरव की बात याद आ गई , " एक घंटे से ज्यादा समय मत लगाना रेडी होने में " , उसके बाद जो कायरा ने रिप्लाई दिया था , उसे याद कर कायरा के चेहरे पर मुस्कान आ गई । और वह मुस्कुराते हुए खुद से कहने लगी ।
कायरा - पता नहीं....., आज सच में मुझे क्या हो गया है । आपकी बात सच हो रही है आरव । पांच मिनट में रेडी होने वाली लड़की को आज घंटों लगने वाले हैं । ( फिर अपने सिर पर चपत लगाते हुए ) नो......, नो कायरा नो.....। अगर आरव मेरे रेडी होने से पहले ही आ गए , तो मेरा तो बंटाधार हो जाना है बाय गॉड.....। ( ऊपर सीलिंग की तरफ देख, दोनों हाथ जोड़कर ) हे भगवान...., अपनी इस छोटी सी, नटखट सी, मासूम सी और प्यारी सी भक्त को बचा लीजिएगा आज । क्योंकि मैं नहीं चाहती , आरव टाइम को लेकर मेरा मज़ाक बनाएं । वैसे वो ऐसे हैं तो नहीं , लेकिन कभी - कभी उनपर भूत सवार हो जाता है , मज़ाक उड़ाने वाला । जैसे थोड़ी देर पहले हो गया था । इस लिए उनसे बचा लीजिएगा भगवान । और मुझे उनके आने से पहले ही रेडी करवा दीजिएगा , प्लीज ....., प्लीज..... प्लीज......। ( बेड पर देखते हुए ) ओह शिट यार...., आज मम्मा पक्का मेरी पूजा करेंगी , वो भी करछी और बेलन से । ( सारे कपड़े समेट कर जबरदस्ती अलमारी में ठूंसते हुए ) जल्दी से काम खत्म कर कायरा बेटा....., वरना आज तुम्हें अपनी देवी मां ( मालती जी ) से कोई नहीं बचा सकता ।
अगले पांच मिनट में कायरा ने सारे कपड़े समेट कर अलमारी में रख दिए थे , या ये कहें कि जबरदस्ती ठूंसे थे । अब इतने कम टाइम में बीस से पच्चीस जोड़ी कपड़े तह करके तो रखे जा नहीं सकते थे , इस लिए कायरा ने ये तरकीब निकाली । दिमाग है कायरा के पास खूब...., और इन सब चीजों में तो बहुत एडवांस चलता है । सिर्फ प्यार में ही मैडम की बोलती बंद हो जाती है । बाकी तो इनसे ज्यादा होशियार कोई है ही नहीं ।
अगले ही पल मालती जी वापस रूम में आईं , और कमरे को साफ - सुथरा देख , हैरान नजरों से कमरा देखकर मसखरी करते हुए बोलीं ।
मालती जी - क्या बात है....!!!! हमारी बेटी इतनी होशियार है , कि पांच मिनट में ही कमरा जस के तस जमा दिया । ग्रेट....., आई एम प्राउड ऑफ़ यू ।
कायरा ( मालती जी के कंधे पर सिर रखकर , इतराते हुए ) - आखिर बेटी किसकी है ।
मालती जी ( उसके सिर पर चपत लगाकर , उसे अपने सामने खड़ा करते हुए ) - ऑब्वासली मेरी ...।
इतना कहकर वे मुस्करा देती हैं और कायरा मुंह बनाकर कहती है ।
कायरा - हा, हा , हा......., वेरी फनी ।
मालती जी ( दोबारा उसके सिर पर चपत लगाकर ) - धत् पगली ।
वे इसके आगे कुछ कहतीं, कि तभी कायरा की नज़र मालती जी के हाथ पा गई , जिसमें एक ब्लैक कलर की सिल्क और शिफॉन की मिक्सअप फेब्रिक की साड़ी थी , जिसकी बॉर्डर वाइट कलर के स्टोन से जड़ी हुई थी , बहुत ही खूबसूरत सी साड़ी थी वह । कायरा ने उनके हाथ से साड़ी ली और उसे छू कर , फिर उसे ओपन कर देखने लगी और मुस्कुराकर बोली ।
कायरा - ये आपकी है...????
मालती जी - हां.....,वो पड़ोस वाली वर्मा आंटी है न , उनके साथ ही गई थी शॉपिंग करने । उन्होंने जबरदस्ती ये कहकर ये साड़ी खरीदवा दी , कि मुझपर बहुत अच्छी लगेगी । तुम्हें तो पता है , तुम्हारी दादी को ये कलर अच्छे नहीं लगते । उनका कहना तो तुम जानती हो.....।
कायरा ( बीच में ही ) - "काला और सफेद कलर अशुभ कलर होते हैं सुहागनो के लिए । उन्हें ऐसे कलर नहीं पहनने चाहिए ।"
मालती जी ( मुस्कुराकर ) - राइट ......। शॉप से लाने के बाद इस साड़ी को पहनने का कभी मुझे मौका ही नहीं मिला । वैसे कैसी है...???? तुम्हें पसंद आई...???
कायरा ( मुस्कुराकर ) - हां मम्मा ....., बहुत प्यारी साड़ी है ये । ( फिर कुछ सोचकर ) लेकिन आप ये मत कहना , कि मैं ये साड़ी पहनकर पार्टी में जाऊं ।
मालती जी ( उससे साड़ी लेकर , उसके कंधे से डालते हुए उसे आइने के सामने लेकर जाती है ) - अरे......, तो इसमें खराबी क्या है...???? ( सामने आइने की तरफ इशारा कर ) देखो तो...., मेरी बेटी कितनी प्यारी लग रही है इस साड़ी में ।
कायरा ( मालती जी की तरफ पलटकर ) - पर मम्मा.....! आपको पता है न , मैने ये साड़ी वगेरह कभी पहनी ही नहीं है । मुझसे ये संभाली नहीं जाएगी । और फिर वहां सब स्टाइलिश कपड़े पहनकर आयेंगे और मैं साड़ी पहनकर कहीं बहन जी न लगने लगूं...????
मालती जी ( साड़ी का ब्लाउज कायरा को दिखाकर ) - ये देखो......, इसे देखकर तुम्हें लगता है , कि ये पहनकर तुम बहन जी टाइप लगोगी...??? और वैसे भी बेटा, सूट और साड़ी पहनने से कोई बहन जी नहीं हो जाता । और फिर आजकल तो इंडो वेस्टर्न का फैशन है । ये साड़ी भी इंडो वेस्टर्न लुक में है , तुम एक बार ट्राय तो करो । अगर पहनने के बाद अच्छी नहीं लगी , तो चेंज कर लेना, कुछ और पहन लेना । वैसे मुझे पता है , तुम बहुत अच्छी लगोगी इस साड़ी में । और रही साड़ी संभालने की बात , तो बेटा जब तक इसे वियर नहीं करोगी , तो संभालना कैसे सीखोगी....????
कायरा उस ब्लाउज की डिजाइन को देखती है , जिसमें वह स्लीव लेस था और ऊपर से नेट के कपड़े की नेक तक की जैकेट थी । काफी सुंदर लग रहा था वह ब्लाउज , एक दम न्यू फैशन का । कायरा को वह बहुत अच्छा लगा और उसने एक बार साड़ी और मैचिंग ब्लाउज को देखा और दूसरी बार अपनी बंद पड़ी अलमारी को , जिसमें अब अच्छी सी एक ड्रेस चूज करना काफी सिर दर्दी वाला काम था । उसने मालती जी से कहा ।
कायरा - ठीक है मम्मा । ट्राय कर लेते हैं इसे ....। पर मुझे तो ये पहनना नहीं आता ।
मालती जी ( उससे साड़ी लेते हुए ) - तो तुम्हारी मम्मा किस दिन काम आएंगी ...???? मैं हूं न...., मैं पहनाऊंगी तुम्हें साड़ी । और आज मैं ही तुम्हें रेडी करूंगी...।
कायरा ( मालती जी की तरफ हैरान नजरों से देखकर ) - मम्मा आप....!!!! आपको आता है मेकअप करना ...??? आपने कभी मुझे तो नहीं सिखाया ।
मालती जी ( बेपरवाही से ) - हां ....., आता है थोड़ा बहुत । ( फिर कायरा की तरफ देखकर ) तुमने कभी कहा ही नहीं सीखने को ।
कायरा ( मुस्कुराकर ) - ओके...., अब कह रही हूं , सीखा दीजिए मुझे भी ।
मालती जी ( उसे डपटते हुए ) - सीखा दूंगी बाद में । पहले चेंज करके आओ । वरना लेट हो जाओगी ....।
मालती जी की बात सुनकर कायरा तुरंत कपड़े लेकर बाथरूम में घुस गई । उसने दोबारा मुंह हाथ धोए और चेंज कर तुरंत बाहर आ गई । मालती जी अब उसे प्यार से समझाते हुए साड़ी पहनाने लगीं , कि कैसे संभालना है साड़ी को , कैसे चलना है , वगेरह - वगेरह । वैसे ये खूबसूरत पल हर लड़की की लाइफ में आता है जब मां अपनी बेटी को साड़ी पहनना सिखाती है , डांटती है फिर लाड़ करती है । पर ये पल वाकई में बहुत ही ज्यादा खूबसूरत होता है , जिसमें लड़कियां अपनी जिंदगी की एक अहम सीख लेती है , जो कि है तो बहुत छोटी सी , पर फायदे इसके बहुत बड़े होते हैं । और जब ये पल आता है , तो समझ जाना चाहिए कि वो अपने नन्हें - नन्हें कदमों में पायल पहने छन - छन की आवाज़ करती हुई घर के हर कोने में इधर से उधर अपनी खिलखिलाहट के साथ कूदने वाली छोटी सी बच्ची , अब बड़ी हो गई है । इतनी ....., कि अब वह अपनी मां के कपड़े पहनने लगी है । जैसे बाप के जूते अगर बेटे के पैर में आ जाएं , तो कहा जाता है कि बेटा घर की जिम्मेदारी लेने लायक हो गया है । वैसे ही अपनी मां की साड़ी जब लडकियां पहनने लगती हैं , तो उन्हें भी कहा जाता है कि वे अब जिम्मेदारी संभालने लायक हो गई हैं । कायरा को साड़ी पहनाते हुए मालती जी भी आज यही महसूस कर रही थीं । कायरा का तो पता नहीं , लेकिन मालती जी अपनी छोटी सी बच्ची को अपनी जिम्मेदारियां सौंपने का आनंद बखूबी उठा रही थीं । साड़ी पहनाने के बाद मालती जी कायरा को आइने के सामने बैठाकर उसे तैयार करने लगती हैं ।
इधर आरव घर पहुंचता है , तो घर का नौकर हमेशा की तरह उसकी कार से सामान निकाल कर आरव के रूम में ले जाने वाला होता है , कि आरव रोक देता है और उसे बताता है कि उसे वापस जाना है । अगले दस मिनट बाद आरव रेडी होकर वापस से कार में बैठता है । और अरनव को मैसेज कर , कि वह पार्टी में जा रहा है , वह निकल जाता है ।
मालती जी कायरा को बहुत सुंदर तैयार करती हैं । उन्होंने कायरा का हल्का मेकअप किया होता है और होठों पर रोज़ पिंक कलर की लिपस्टिक लगाई होती है । माथे पर स्टोन की छोटी सी बिंदी , एक हाथ में वॉच और एक हाथ में अंश का गिफ्ट किया हुआ चांदी का ब्रेसलेट पहनाया हुआ होता है , जो कि व्हाइट स्टोन्स से जड़ा हुआ, लेटेस्ट डिजाइन से भरपूर कायरा की कलाई में शोभा पा रहा था । आंखों में गहरा काजल और बालों में प्यारी सी हेयर स्टाइल बनाकर , उसे बाएं कंधे पर सामने की तरफ डाल देती हैं । आंखों में नाम मात्र का आई शैडो और कानों में प्यारी सी व्हाइट स्टोन की छोटी सी ईयर रिंग्स पहना देती हैं । कुलमिलाकर मालती जी ने कायरा को बहुत ही प्यारा तैयार किया था , जिससे कायरा भी आइने में देखकर खुद को पहचान नहीं पा रही थी , कि ये वही कायरा है जो थोड़ी देर पहले कैसे अस्त व्यस्त सी थी और अब रेडी होने के बाद किसी खूबसूरत सी परी से कम नहीं लग रही थी । मालती जी ने उसकी बलाइयां ली और फिर उसके कान के नीचे काजल का टीका लगाते हुए मुस्कुराकर बोलीं ।
मालती जी - नज़र न लग जाए मेरी प्यारी बेटी को । देखो तो , कितनी सुंदर लग रही है आज मेरी बेटी । पक्का देखने वालों की पलकें झपकना बंद हो जाएंगी , इतनी सुंदर लग रही है मेरी बच्ची ।
इतना कहकर वे कायरा का माथा चूम लेती हैं । कायरा उनकी बातों से झेंप कर कहती है ।
कायरा - क्या मम्मा आप भी ....। चढ़ाए के चौंक पर नहीं बैठ रही हूं मैं , जो आप ऐसे तारीफों के पुल बांधे जा रही हैं, जैसे अभी ही आपका दामाद मुझे ब्याह कर ले जायेगा ।
मालती जी ( अपने एक हाथ में अपनी ठोड़ी रखकर , मुस्कुराकर कायरा को छेड़ते हुए ) - वैसे मुझे तो कोई प्रॉब्लम नहीं है , अगर दामाद आकर तुम्हे अभी ही ब्याह के ले जाते हैं तो । वैसे अगर तुम कहो तो तुम्हारी अभी ही पिक्स क्लिक कर लेती हूं और कल भिजवा दूंगी पंडित जी के पास । देखना......, चुटकियों में लाइन लग जायेगी शादी के रिश्तों की ।
कायरा ( चिढ़ते हुए ) - बस कीजिए मम्मा ...., आप तो आज ही सारा मजाक उड़ा लीजिए मेरा ।
मालती जी हंसते कुछ कहने वाली होती हैं , कि कायरा का फोन बजने लगता है । कायरा फोन स्क्रीन देखती है , तो आरव का नाम फ्लैश हो रहा होता है , वह तुरंत कॉल कट करती है और मालती जी से कहती है ।
कायरा - मम्मा...., मुझे जाना होगा....। आरव बाहर मेरा वेट कर रहे हैं , इसी लिए उन्होंने मुझे कॉल किया होगा ।
मालती जी - ठीक है....., तुम जाओ और जल्दी वापस आना । और हां....., ध्यान रखना खुद का ।
कायरा उनकी बात सुनते हुए अपना फोन खूबसूरत से वाइट स्टोन से जड़े हुए क्लच में डालती है , जो कि उसे मालती जी ने ही दिया था , साड़ी के साथ मैच करता हुआ क्लच साथ ले जाने को । फिर कायरा मालती जी के गले लगती है और जाने लगती है , कि मालती जी उसे रोकती हैं ।
मालती जी - अरे ......, फुट वियर तो पहनती जा ।
ये कहकर वे एक प्यारी सी ब्लैक कलर की हील्स की सैंडल उसे निकाल कर देती हैं पहनने को , जो कि कायरा ने मालती जी के जिद करने पर ही ली थी कभी । उसे देखकर कायरा का मुंह बन जाता है , क्योंकि उसे ये भी पहली बार पहननी पड़ रही थी । इससे पहले कायरा ने ये हील्स कभी नहीं पहनी थी । कायरा ने मुंह बनाकर मालती जी को देखा , तो उन्होंने उसे आंखें दिखाई । और कायरा ने बेमन से ही सही , पर उसे पहन लिया । और जाने लगी , तो मालती जी ने पीछे से कहा ।
मालती जी - ध्यान से.....। कहीं देखने वाले पलकें झपकाना भी न भूल जाएं ।
कायरा ( झूठा चिढ़ते हुए ) - प्लीज मम्मा.....।
मालती जी उसके चिढ़ने पर हंस देती हैं और उसे अपना ध्यान रखने का कह कर उसे दरवाजे तक छोड़ने आती हैं और फिर कायरा के जाते ही दरवाज़ा लॉक कर लेती हैं । कायरा किसी तरह साड़ी को , उन हील्स की सेंडिल्स के साथ संभालते हुए आरव की कार में आकर बैठती है , जो उसके घर के सामने ही आरव ने खड़ी कर रखी थी । कायरा के बैठते ही आरव कार सड़कों पर दौड़ा देता है , और सामने देखते हुए कायरा से कहता है ।
आरव - क्या बात है...!!!! पांच मिनट में रेडी होने वाली लड़की , मुझे कॉल करना ही भूल गई । या फिर मुझसे झूठ कहा था , कि तुम्हें सिर्फ पांच मिनट लगते हैं रेडी होने में ।
कायरा ( मन में ) - लो......, जिनसे बचते - बचाते आए , आखिरी में उन्होंने पकड़ ही लिया । यही बाकी था अब । इनका सवाल पूछना जरूरी था क्या...??? कभी तो अपनी कृपा दृष्टि मुझपर डाल लिया कीजिए भगवान , देखिए...., कितने ट्रंबल में फंसा देते हैं आप मुझे ।
आरव - जवाब नहीं आया मिस कायरा....!!!!!!
कायरा ( मुंह बनाकर बिना उसे देखे ) - ज्यादा ही सोच रहे हैं आप । जल्दी ही रेडी हो गई थी मैं । मम्मा ने कुछ काम दिया था उसे करने के चक्कर में, आपको कॉल करना भूल गई ।
आरव - झूठ......, सफेद झूठ । ( कायरा कुछ नहीं कहती और मुंह बनाकर विंडो के बाहर झांकने लगती है ) वैसे मैं वक्त पर तो आया हूं न...????
कायरा ( तपाक से ) - जी नहीं.....। पूरे दस मिनट लेट आए हैं आप ।
आरव - अच्छा जी.....!!!! और जो अपना ड्राइवर बनाकर तुमने एक्सट्रा दस मिनट अपने घर से बाहर कदम रखने में लगाएं हैं, वो....!!!! उन एक्स्ट्रा वेस्ट हुए दस मिनट का कौन हिसाब देगा....?????
आरव की बात सुनकर कायरा का मुंह गुस्से से खुल जाता है और वह आरव की तरफ पलटती है उसे गुस्से से घूरने को और उसे जवाब देने को , पर......, पर वह जैसे ही आरव को देखती है , तो बस देखती ही रह जाती है । ब्लैक बेरी कलर के थ्री पीस सूट में क्या गजब ढा रहा था आरव । कार के अंदर की लाइट तो ऑफ थी , पर सामने से आती हुई गाडियों की रोशनी में आरव का चेहरा दमक रहा था । बकायदा जेल से सेट किए हुए बाल , हाथों में ब्रांडेड घड़ी , चेहरे पर फुल हैंडसमनेस और साथ में थोड़ा सा एटीट्यूड....., जो कि उसके लुक को परफेक्ट बना रहा था । कायरा तो उसे देखते ही , उसकी पर्सनेलिटी में खो गई थी । जबकि आरव ये बात बिना उसे देखे भी नोटिस कर पा रहा था । उसने कुछ कहने का सोचा, फिर कुछ सोचकर रुक गया और मुस्कुराने लगा । ये सोचकर कि ये मौका हर बार नहीं मिलता , जब कायरा उसे इस तरह से इतने प्यार से देखे । वहीं आरव की वो कातिलाना मुस्कान देख कायरा को लगा , जैसे यहीं जन्नत है , क्योंकि आरव की मुस्कान उसे एक अलग ही सुकून दे रही थी । इन सबमें आरव ने एक बार भी कायरा को नहीं देखा था , या ये कहें कि उसे वक्त ही नहीं मिला था कायरा को देखने का । आधे घंटे में कार मेहरा मेंशन के सामने थी ...........।
क्रमशः