Ahsaas pyar ka khubsurat sa - 60 in Hindi Fiction Stories by ARUANDHATEE GARG मीठी books and stories PDF | एहसास प्यार का खूबसूरत सा - 60

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एहसास प्यार का खूबसूरत सा - 60




आरव कायरा के हाथ से गिलास लेकर सामने रखी टेबल पर रख चुका था और कायरा अभी भी कहीं खोई सी अपने हाथ को देख रही थी । असल में आरव ने आज कायरा के हाथ को पकड़ कर उसे पानी पिलाया और दोबारा उसके हाथ से लेकर गिलास रखा, तो उसे हाथों में आरव के स्पर्श की एक मीठी छुअन का एहसास हुआ , जिसमें कायरा कुछ पल को खो चुकी थी । तभी उसके कानों में आरव की जोरदार आवाज आई।

आरव - कायरा.......!!!!! आर यू हियर मी...??? ( कायरा अपने खोए पन से बाहर आई और आरव की तरफ ऐसे देखने लगी जैसे आरव ने उसे पहली बार पुकारा हो ) कब से आवाज दे रहा हूं तुम्हें , ध्यान कहां है तुम्हारा ...???

कायरा मन में - आपके मीठे एहसास पर....।

आरव - बताओ लंच में क्या लोगी...???

आरव के इस प्रश्न पर जैसे कायरा को पूर्णतः होश आया , तब उसने देखा कि आरव उसकी वर्किंग टेबल के पास खड़ा , लैंडलाइन का रिसीवर कान से लगाए हुए है । कोई जवाब न पाकर आरव दोबारा बोला ।

आरव - जवाब आज दोगी या फिर कल...??? ऑर्डर देना है , तभी रमेश ला पाएगा ...!!! जल्दी बताओ, फोन पर है वो ।

कायरा ( झेंप कर ) - सॉरी....., ( वॉल घड़ी की ओर देखकर ) पर इस वक्त लंच...??? और वो भी....???

आरव ( खीझ कर ) - ओह प्लीज....., अब ये मत कहना कि बाहर का खाना है , कैंटीन से मंगा रहा हूं और मुझे पता है कि तुम टिफिन नहीं लाई हो । कैंटीन का खाना इतना बुरा भी नहीं है , अच्छे लोग काम पर लगा रखे हैं मैंने । और " इस वक्त " की रट तो मत ही लगाओ तुम, कल से खाना नहीं खाया है और " इस वक्त " बता रही हो.....!!!! फटाफट से बताओ क्या खाओगी..???

कायरा को आरव की बातों से साफ समझ आ रहा था , कि आरव उसकी की गई लापरवाही से कितना ज्यादा नाराज़ है । उसने नजरें झुका कर कहा ।

कायर - आप जो मंगाना चाहें....।

आरव - पक्का...!!!!???

कायरा ने हां में सिर हिला दिया और अपना सिर पीछे सोफे से टिका कर बैठ गई और उसने आंखें बंद कर ली । काफी अच्छा महसूस हो रहा था उसे , ये देख कर कि आरव उसकी कितनी केयर कर रहा है । आरव ऑर्डर देकर कायरा के पास आया और उसने जब कायरा को ऐसे निढ़ाल तरह से सोफे पर बैठे देखा तो थोड़ा घबरा गया और कायरा से कहा।

आरव - कायरा ...!!! आर यू ओके...??? तुम इस तरह...!!!

कायरा ( आंखें खोलकर ) - जी..., मैं ठीक हूं ।

आरव ( कायरा के माथे की तरफ हाथ बढ़ा कर ) - केन आई...!!!???

कायरा ने एक नज़र आरव को देखा , जिसके चेहरे पर उसे लेकर परेशानी साफ झलक रही थी । फिर उसके हाथ को देखा , जो इजाजत लेने के लिए रुके हुए थे । उसने पलकें झपकाकर सहमति जताई और आरव ने उसके माथे को चेक किया और कहा ।

आरव - फीवर तो नहीं है , फिर तुम इस तरह...!!!??? ठीक फील नहीं कर रही हो क्या..???

कायरा ( आरव की तरफ देखकर ) - ठीक हूं आरव मैं । प्लीज आप टेंशन मत लीजिए । बस सिर में दर्द है ।

आरव - तुम कहो तो मैं सिर दबा दूं..??? ठीक लगेगा तुम्हें ।

कायरा ( एक नज़र आरव को देखकर ) - नहीं...., मैं ठीक हूं ।

आरव ने जवाब पाकर कुछ नहीं कहा और कायरा ने दोबारा आंख बंद कर सोफे से सिर टिका लिया और मन ही मन खुद से कहने लगी ।

कायरा - कैसी बिडंबना है....???!!! चाहती हूं, कि जो आप कर रहे हैं, उसे खुले मन से स्वीकार करूं और आपको सारे हक दे दूं । लेकिन बात वहीं आकर रुक जाती है , जिसकी वजह से मैं आपसे दूर हूं । मन करता है कभी - कभी, कि आपसे कह दूं अपने दिल की बात , लेकिन अपनो का खयाल आते ही चुप हो जाती हूं । आप तो अगर दूर भी हो गए , तो कोई गम नहीं , क्योंकि मैंने आपको अपनी तरफ से ऐसी कोई उम्मीद ही नहीं दी , जिससे आप मुझे अपना मान कर सारे फर्ज़ निभा सकें । मुझे पता है, अगर कभी मैंने आपका प्यार स्वीकार करने से मना भी कर दिया , तो आप कभी बुरा नहीं मानेंगे, बल्कि मुझे समझेंगे , क्योंकि अगर आपको जबरदस्ती ही करनी होती तो अब तक कई बार मुझे अपने दिल की बात कह चुके होते और उसे मानने को मुझे फोर्स भी करते , लेकिन आपके लिए भी सिर्फ मेरी खुशी मायने रखती हैं, ये मैने अभी - अभी महसूस कर लिया , जब आपने मुझे छूने से पहले मुझसे पूछा । जबकि इसकी कोई जरूरत नहीं थी , फिर भी आपने मेरी इच्छा पूछी । मेरे लिए भी आपकी खुशी मायने रखती है , जो कि मेरे आपसे दूर रहने में ही है । नहीं चाहती कि आपका मेरे साथ जुड़ने से आपके ऊपर कोई भी विपदा आए या फिर आपको किसी भी परेशानी का सामना करना पड़े , चाहे वो राजवीर हो , मिशा हो या फिर मेरे अप.....। मेरे लिए आप और आपकी खुशियां भी जरूरी है और अपनों की खुशियां भी । इस लिए मेरा आपसे दूर रहना , आपकी आखों में दिख रहे मेरे लिए इंतजार को नजरंदाज करना ही ठीक होगा ।

कायरा मन ही मन ये सब सोच रही थी और आरव उसे ही देख रहा था । वो भी पता नहीं किस सोच में गुम था । तभी पियून खाना लेकर आ गया और आरव ने कायरा को मुंह हाथ धोने के लिए कहा । कायरा सोफे से उठी और दो कदम चली ही थी कि दोबारा से लड़खड़ा गई । आरव ने उसे संभाल लिया और उसे सहारा देकर वाशरूम के दरवाजे तक छोड़ा , कायरा ने भी उसका विरोध नहीं किया । करती भी कैसे , प्यार जो करती थी उससे और प्यार में इंसान खुद को कितना भी समझा ले , लेकिन करना उसे वही पड़ता है , जो हालात और दिल कहते हैं । कायरा के साथ भी यही हो रहा था । कायरा वाशरूम से बाहर आई, तो आरव ने उसका हाथ पकड़ना चाहा , ताकि वो दोबारा उसे संभाल सके , लेकिन कायरा ने उसका हाथ पकड़ने से मना कर दिया और खुद धीरे कदमों से चलते हुए सोफे तक आ गई । आरव ने कुछ नहीं कहा , बस उसके साथ उसके पीछे चलता रहा , ताकि अगर कायरा दोबारा लड़खड़ाए , तो वह उसे संभाल सके । कायरा बैठी , तो आरव ने उसे खाना शुरू करने के लिए कहा और फिर वह भी वाशरूम चला गया । उसने वाशरूम जाकर शीशे में देखा और नल से पानी चालू कर खुद के चेहरे पर जोर - जोर से मारने लगा लगा । अंततः उसका सब्र जवाब दे गया और वह वहीं वाशबेसिन से टिक कर जमीन पर बैठ गया और खुद से धीमी आवाज़ में कहने लगा ।

आरव - क्यों कर रही हो तुम ऐसा कायरा...??? क्यों मुझसे अपनी तकलीफ नहीं बता रही ...??? एक प्रेमी के नाते न सही , लेकिन एक अच्छे दोस्त के नाते तो मुझसे कह ही सकती हो न। मुझे नहीं चाहिए वो सब , जो एक प्रेमी को चाहिए होता है । लेकिन मुझे तुम्हारी हर तकलीफ का हिस्सा बनना है , सिर्फ और सिर्फ एक दोस्त के नाते । तुम्हारी आंखें पढ़ सकता हूं मैं , कि तुम कितनी तकलीफ में हो । पर तुम किसी से कुछ कहती ही नहीं । कई बार मैने रूही को फोन कर ये पूछने की कोशिश की है , कि तुम अचानक से बदल कैसे गई , पहले तो उसे खुद कुछ पता नहीं था , पर आज जब मैंने तुम्हारे मिशा के घर जाने के बाद उससे पूछा , तब उसने साफ बताने से मना कर दिया । बात साफ है , कि तुम हमसे कुछ न कुछ छुपा रही हो । ठीक है , अगर उस वजह से तुम मुझसे अपने दिल के जज्बात नहीं बता रही हो , कि तुम मेरे लिए क्या फील करती हो , तो न सही । मुझे कोई दिक्कत नहीं है , लेकिन कम से कम तुम खुश तो रहो । तुम तो इसमें भी खुश नहीं हो और न ही खुद का ध्यान रख रही हो । आज अगर तुम्हें सच में कुछ हो जाता , तो पता नहीं मेरा क्या होता । कितना घबरा गया था मैं , तुम्हें बेहोश देखकर । सांसें मेरा साथ देने से मना कर रही थीं । और उसके बाद भी तुमने कितनी आसानी से कह दिया , कि तुम ठीक हो । जबकि इस बार भी तुम्हारी आंखें , तुम्हारे लफ्जों का साथ नहीं दे रही थीं । क्यों कायरा...???? क्यों...???? क्यों इस तरह की लापरवाही कर रही हो तुम , खुद के साथ ...???? मुझे कुछ नही चाहिए कायरा , न तुम्हारा प्यार और न ही तुम्हारा जिंदगी भर का साथ । क्योंकि शायद ये हमारी जिंदगी में लिखा ही नहीं है । तभी तो दोनो तरफ प्यार होकर भी , हम एक दूसरे से जुदा से हैं । लेकिन मैं तुम्हें हर हाल में खुश देखना चाहता हूं , भले ही तुम मेरे साथ हो या न हो ।

ये सब खुद से कहते हुए आरव की आंखें भीग चुकी थीं , लेकिन उसने अपने आंसू नहीं बहने दिए । और वह फटाफट से उठ बैठा और उसने दोबारा से अपना चेहरा धोया और खुद से कहा ।

आरव - नो आरव, नो.....। रोने से किसी प्रोब्लम का सॉल्यूशन नहीं निकलता , और वैसे भी हम लड़कों को रोना अलाउ नहीं है ।

इतना कह आरव अपना चेहरा वहां रखे टॉवेल से साफ करता है और फिर वाशरूम से बाहर आ जाता है । सच ही तो कहा आरव ने , कितनी भी तकलीफ क्यों न हो सीने में , लेकिन लड़कों को रोना अलाउ नहीं है । अगर धोखे से उन्होंने आसूं का एक कतरा बहा भी दिया , तो सौ लोग और सौ बातें शुरू हो जाती हैं । काश कि ये दुनिया किसी भी इंसान को , चाहे वो लड़का हो या लड़की , किसी भी तरह के बंधन चाहे वो लड़कों का रोना हो या फिर लड़कियों का नई पहचान बनाना , इन सबसे उन्हें न रोके , तो शायद इस दुनिया में जी रहे लोग सचमुच में आगे बढ़ें और दिल से आगे बढ़ें ।

बाहर आकर आरव कायर के पास बैठा और देखा कि कायरा ने अब तक खाना शुरू नहीं किया है और वो किसी सोच में गुम है। उसे ये देखकर काफी हैरानी हुई । उसने कायरा को आवाज़ दी।

आरव - कायरा..!!!!! ( कायरा अपनी सोच से बाहर आई और आरव की तरफ देखने लगी ) तुमने खाना स्टार्ट नहीं किया ...!!!!

कायरा - आपने आज लंच किया..???

आरव ( नजरें चुराकर ) - हां....।

कायरा - कब...???

आरव - जब तुम बेहोश थी तब ।

कायरा ने उसके जवाब में कुछ नहीं कहा , लेकिन उसने खाने की प्लेट की तरफ भी नहीं देखा । आरव ने जब उसे ऐसे देखा , तो प्लेट पर ढकी दूसरी प्लेट को हटाते हुए कहा ।

आरव - देखो कायरा , तुमने कल दोपहर से कुछ नहीं खाया है । अगर अब तुमने कुछ नहीं खाया , तो तुम्हें हमें हॉस्पिटल में एडमिट करना पड़ेगा और फिर तुम्हें खूब सारे इंजेक्शन लगेंगे और बॉटल चढ़ेंगी , फिर तुम्हारे घर वालों को भी पता चल जायेगा । फिर मुझे दोष मत देना , कि मैने आंटी से तुम्हारी तबियत के बारे में बताया ।

इतना कहकर आरव ने कायरा की तरफ एक निवाला बढ़ाया । कायरा ने पहले खाने से मना कर दिया , तो आरव ने कहा ।

आरव - नहीं खाओगी तो मैं अभी तुम्हारी मम्मा को कॉल कर तुम्हारी सारी हरकतें बता दूंगा , फिर वो तुम्हें डांट लगाएंगी तब समझ आएगा तुम्हें ।

कायरा ने उसकी तरफ देखा , जिसकी आंखों में सिर्फ कायरा की फिक्र थी और उसका गुस्सा एकदम झूठा । कायरा के उदास चेहरे पर मुस्कान आ गई और उसने निवाला खा लिया और फिर प्लेट की तरफ देखा , जिसमें घर के खाने की तरह डिश थीं, दाल , चावल, रोटी , आलू की सब्जी और सेलेड ( सलाद ) और स्वाद भी बिल्कुल वैसा ही था । प्लेट की ओर देखकर , उसने आरव की तरफ हैरानी से देखा , तो आरव ने दूसरा निवाला उठाया और उसकी तरफ बढ़ाकर कहा ।

आरव - मुझे लगा , कि तुम्हें सिंपल खाना ही खाना चाहिए , जिससे तुम्हारा मन और पेट दोनो भर जाएं ।

इतना कहकर उसने निवाला कायरा को खिला दिया । कायरा दोबारा मुस्कुरा दी । आरव ने फिर तीसरा निवाला तोड़ना चाहा , तो कायरा ने उसे रोक दिया और फिर मुस्कुराकर उसने निवाला तोड़ा और फिर कहने लगी ।

कायरा - आपको पता है , मुझे यही सिंपल खाना ही खाना था ।

इतना कहकर उसने निवाला आरव की तरफ बढ़ा दिया , तो आरव ने मना कर दिया । ये देख कायरा ने उसके मुंह में जबरदस्ती निवाला ठूंस दिया और आरव आंखें फाड़े हैरानी से उसे देखने लगा । कायरा उसका रिएक्शन देख , खिलखिलाकर हंस दी और आरव उसकी हंसी में खो गया । काफी अच्छा लगा उसे , कायरा को इतने दिनों बाद खुलकर हंसता देख । इसी तरह हंसते मुस्कुराते दोनो ने खाना खत्म किया और कायरा ने जिद करके आरव को खाना खिला ही दिया । क्योंकि उसे इस बात का एहसास था, कि आरव उसे इस हालत में देखकर खाना तो दूर, एक घूंट पानी भी नहीं पी सकता । आरव ने प्लेट बाहर भिजवाई और कायरा को वहीं सोफे पर आराम करने के लिए कहा । कायरा वहीं लेट गई और आरव ने एसी नॉर्मल टेंपेचर पर कर दी , ज्यादा ठंडक से कायरा बीमार भी पड़ सकती थी , क्योंकि विक्नेस में आसपास के वारावरण के टेंपरेचर का काफी इफेक्ट पड़ता है । आरव अपने केबिन में आ गया और कायरा वहीं सोफे पर आराम करने लगी । कायरा के हिस्से का सारा काम , सारे दोस्तों ने मिलकर किया ।

शाम सात बजे , आरव कायरा के केबिन में आया , उसने देखा कायरा सो रही है । आरव ने उसे जगाया और घर चलने के लिए कहा । कायरा उठकर बैठ गई , तभी आदित्य केबिन में आया और उसने आरव से कहा ।

आदित्य - मैंने डॉक्टर से बात की थी और उन्हें कायरा की कंडीशन के बारे में बताया भी । ( अपनी फोन स्क्रीन आरव को दिखाकर ) उन्होंने ये दवाई लेने को कहा है , रात में सोते टाइम । खाने पीने का ध्यान रखने के साथ - साथ उन्होंने ये भी कहा , कि अगर ज्यादा विक्नेस फील हो रही हो, तो कायरा एक बार उनसे मिल ले.... ।

आरव आदित्य की बात पर कुछ कहता , उससे पहले ही कायरा सोफे से उठ गई और उसने तुरंत कहा ।

कायरा - नो...., नो.... नो....। इसकी क्या जरूरत है...???? आई एम फाइन.....। ( फिर गोल - गोल घूमकर ) आई एम टोटली फाइन । देखो , मुझे चक्कर भी नहीं आ रहे ( दोनों के पास आकर ) और मैं ठीक से चल भी पा रही हूं । कोई जरूरत नहीं है डॉक्टर के पास जाने की , मैं बिल्कुल ठीक हूं ।

कायरा की बात पर दोनों ने उसे ऐसे घूरा , जैसे कायरा ने ये बात बोलकर कोई गुनाह कर दिया हो । कायरा उनकी नजरें देख झेंप गई और उसने नजरें झुका ली । आदित्य ने उसे घूरते हुए ही गुस्से से कहा ।

आदित्य - तुम्हारी बेहोशी के टाइम हमारी क्या हालत थी , इसका अंदाजा भी नहीं है तुम्हें । पूरे 2 घंटे बेहोश थी तुम । और ये कोई छोटी - मोटी बात नहीं है । सांसें अटक गई थी हमारी , शुक्र है कि ये बात केबिन से बाहर नहीं गई , वरना अब तक क्या से क्या हो जाता यहां । इस लिए डॉक्टर ने जो कहा है वो करो , वही ठीक होगा तुम्हारे लिए।

कायरा आदित्य के गुस्से से डर गई , क्योंकि उसने आदित्य को कभी गुस्सा करते देखा ही नहीं था । जबकि आरव ने कुछ नहीं कहा, क्योंकि आदित्य बिल्कुल सही बात कर रहा था । पर कायरा ने उनकी एक नहीं सुनी और कहा ।

कायरा ( बिना किसी भाव के ) - मैं सक्षम हूं , खुद का खयाल रख सकती हूं । आदित्य तुम मुझे मेडिसिन का नाम मेरे नंबर पर सेंड कर दो , मैं घर जाते वक्त रास्ते में ले लूंगी ।

इतना कह कायरा ने अपना बैग उठाया और केबिन से बाहर निकल गई। आदित्य उसे घूर रहा था और आरव उसे रुकने के लिए कह रहा था । मगर मजाल है , जो कायरा रुके । उसके जाते ही आदित्य ने आरव से कहा ।

आदित्य - यार कैसे झेलेगा तू इसे जिंदगी भर..??? मतलब न खुद की फिकर है और न ही किसी की बात मानना है ।

आरव - भाई , यहां हम एक दूसरे को अपने जज़्बात नहीं बता पा रहे हैं और तू जिंदगी भर साथ जीने की बात कर रहा है । रहन दे भाई , सपने तो मत ही देख । एंड डोंट वरी , हमने ऑलरेडी उसपर नज़र रखने के लिए जय को उसके पीछे लगा रखा है , अगर बीच रास्ते में उसे कुछ होगा भी , तो वो हमें बता देगा । और मुझे मेरी कायरा पर पूरा भरोसा है , वो खुद को संभाल लेगी ।

इतना कह कर आरव केबिन से बाहर निकल गया और आदित्य मुस्कुराते हुए खुद से बोला ।

आदित्य - तुम दोनों भले ही एक दूसरे से कुछ न कहो , लेकिन हमें मालूम सब है , कि दोनों एक दूसरे को कितना चाहते हो । और ऐसी चाहत बड़े जन्मों बाद मिलती है , जिसमें भगवान खुद दो लोगों को पहले से ही एक दूसरे का हमसफर बना के भेजते हैं । मुझे विश्वास है ऊपर वाले पर , वो इतने निर्दयी तो नहीं हो सकते । जब दोनों को आमने - सामने लाया है , तो दोनों को एक दूसरे के जीवन में शामिल करना भी उन्हीं का काम है ।

खुद से इतना कहकर , आदित्य मुस्कुरा दिया और केबिन से बाहर निकल गया । इधर कायरा पार्किंग एरिया में आई और खुद में बड़बड़ाने लगी ।

कायरा - समझते क्या हैं दोनों खुद को.... , मैं किसी भी चीज में असमर्थ थोड़े ही हूं , न ही अपाहिज हूं और न ही इतनी ज्यादा बीमार कि मुझे हर वक्त सहारे की जरूरत पड़े । हो गया...., आ गया चक्कर , हो गई बेहोश । इसका मतलब ये तो नहीं , कि हमेशा ही सहारा लेकर चलूं । ( फिर कुछ मिनट रुक कर ) लेकिन यार, अगर सच में चक्कर खाकर गिर गई तो । अभी डेढ़ घंटे पहले तो आरव के सहारे से ही चल रही थी । ( फिर आरव के खयालों में खोते हुए ) कुछ भी कहो , आज बहुत अच्छा लग रहा था , जब आरव मेरी केयर कर रहे थे । आज के इतने बड़े दिन में , एक वो ही सुकून के पल थे मेरे लिए , जब आरव मेरे सामने थे । काश कि वो जिंदगी भर ऐसे ही मेरे साथ रहें , मुझे हमेशा गिरने से पहले ही थाम लें । ( फिर अपना सिर खुजाते हुए ) पर अब...., अब क्या करूं ...??? वहां तो दोनों के सामने आत्मनिर्भर बन के आ गई , लेकिन यहां तो सारी निर्भरता मिट्टी में मिलती दिख रही है । ( इमेजिन करते हुए ) कहीं अगर सच में रास्ते में स्कूटी चलाते - चलाते गिर गई तो...??? फिर हॉस्पिटल....., फिर इंजेक्शन ....., फिर बॉटल.....। ( सिर झटककर ) नो ... नो..... नो.....। मुझे इन सबसे बहुत डर लगता है , कहीं लास्ट टाइम के स्कूटी एक्सीडेंट से भी ज्यादा लग गई तो । और उस वक्त तो आरव भी नहीं होगें.....। नहीं यार...., मैं अकेले नहीं जा सकती ।

यही सब कहते - कहते उसने अपनी उंगली दांतों तले दबा ली और सोच में पड़ गई । अगले ही पल उसके दिमाग में एक आइडिया आया और उसने खुद को अपने आइडिया को रियल में कन्वर्ट करने के लिए खुद को श्योर किया और फिर बढ़ गई अपनी स्कूटी की ओर । सबसे पहले उसने अपना बैग में हाथ डाला , जहां उसे कुछ खास नहीं मिला । थोड़ा और खंगालने पर उसे नेल कटर मिल गया , जिसमें पतली सौर नुलिकी सी नाइफ भी थी । उसे देखते ही कायर की आखें चमक गई । उसने उसे हाथ में पकड़ा और फिर नाइफ ओपन कर उसने भगवान का नाम लिया और फिर अपने स्कूटी के पीछे वाले टायर के पास बैठ गई । बैठने के बाद उसने अपने चारों तरफ नज़र दौड़ाई , जहां उसे इस वक्त कोई नहीं दिखा । ये देख वो लग गई अपने काम में । वीकनेस थी उसके अंदर अभी भी , लेकिन मैडम ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी और फिर काम होते ही उठ खड़ी हुई , और अपने काम के पूरे होते ही उसने अपनी पीठ थपथपाई और मुस्कुराने लगी । उसी वक्त आरव ऑफिस से बाहर , पार्किंग एरिया में आया था । उसने कायरा को ये सब करते , दूर से ही देख लिया था । उसे काफी हैरानी हुई कायरा की इस हरकत पर । क्योंकि उसे लग रहा था , कि कायरा अब तक तो जा चुकी होगी , लेकिन कायरा तो गई ही नहीं , ऊपर से वह करस्तानी भी कर रही थी । आरव ने अपनी नजरें चारो ओर घुमाई , तो उसे जय एक कार के पीछे छुपा हुआ मिला । जय की नजरें जब आरव से मिली , तो जय मुस्कुरा दिया और आरव उसके इस रिएक्शन पर नासमझ सा उसे देखने लगा ।

अब आरव ने अपने कदम कायरा की ओर बढ़ाए । वो कुछ कहता , उसके पहले ही कायरा उसकी तरफ मुड़ गई , उसे पता ही नहीं था कि जिसका वो इंतजार कर रही थी , वो उसकी हरकतें देख चुका था । आरव को देखकर कायरा सकपका गई , कहना उसे बहुत कुछ था , लेकिन अचानक से आरव को देखकर उससे कुछ कहते ही नहीं बना । कायरा को ऐसे चुप देखकर आरव ने कहा ।

आरव - तुम गई नहीं अब तक..??? और ऐसे यहां क्यों खड़ी हो...??? और अभी...???

कायरा ( आरव के कुछ और कहने से पहले ही परेशान सी शकल बनाकर बोली ) - वो मेरी स्कूटी का टायर पंचर हो गया है ( ये कहते हुए उसने अपने पिछले टायर की ओर इशारा किया ) इसलिए मुझे समझ नहीं आ रहा , कि मैं कैसे घर जाऊं..????

आरव ने जब उसकी बात सुनी , तो कुछ सोचकर मन ही मन मुस्कुरा दिया । उसे अब समझ आ रहा था , कि जय उसे देख मुस्कुराया क्यों था। फिर उसने होठों पर बिना मुस्कान लाए , गंभीर भाव से कहा ।

आरव - बट ये हुआ कैसे...???

कायरा ( नजरें चुराकर ) - पता नहीं ....। मैंने जब स्कूटी स्टार्ट की , तब मुझे पता चला कि ये पंचर है ।

आरव - अब क्या करोगी ...??? ( इस बात पर कायरा उसकी तरफ देखने लगी ) मेरा मतलब कि टायर तो पंचर हो गया , अब घर कैसे जाओगी...???

कायरा ( हल्का सा चिढ़ते हुए , इधर उधर देखकर ) - पता नहीं । ( मन में ) कह नहीं सकते , कि चल मेरे साथ , मैं घर छोड़ दूंगा ।

कायरा अपने फैसले को भूलकर , ऐसा क्यों सोच और कर रही थी , उसे खुद नहीं पता था । बहाना अच्छा था , तबियत का , लेकिन असल बात तो ये थी कि वो खुद आरव का साथ चाहती थी । जिसे वह नकार रही थी , लेकिन आज दिमाग भी उसके दिल का साथ दे रहा था । एक तरह से कहा जाए , तो कायरा अपना फैसला भूल चुकी थी इस वक्त । उसे बस आरव के साथ जाना है , यही बस सूझ रहा था । जबकि आरव उसकी हरकतें बखूबी नोटिस कर रहा था और उसे अच्छे से समझ आ रहा था , कि कायरा इस वक्त क्या चाहती है । वह उसकी हरकतें देख खुश भी हो रहा था और हैरान भी । अगले ही पल आरव ने कह ही दिया ।

आरव - एक काम करो , मेरे साथ चलो , मैं तुम्हें ड्रॉप कर देता हूं ।

कायरा की ये सुनते ही आंखें चमक गईं और खुशी का कोई ठिकाना ही नहीं रहा । लेकिन खुशी से उछलने से पहले ही उसने खुद को काबू किया और फिर थोड़ा भाव खाते हुए, पर नॉर्मल वे में कहा ।

कायरा - आरव , आप सच में मेरे ड्राइवर बन गए हैं । रहने दीजिए , मैं आपको मेरे लिए इतना परेशान नहीं कर सकती । ऑलरेडी आप मेरे लिए आज कितना कुछ कर चुके हैं , वो भी अपना काम छोड़ कर ।

आरव - पर इस वक्त तुम्हारा अकेले जाना , या फिर टैक्सी वगेरह में जाना रिस्की हो सकता है । काफी अंधेरा हो चुका हैं, और तुम्हारी तबियत अभी पूरी तरह ठीक नहीं हुई है । और तुम तो जानती हो , कितना सूनसान रास्ता पड़ता है तुम्हारे घर जाते वक्त बीच में ।

कायरा - लेकिन मैं....!!!!

आरव - ओके....., अगर तुम नहीं जाना चाहती तो ठीक है , मैं कैब बुक कर देता हूं , उसी में चली जाना और रास्ते में मेडिसिन भी ले लेना । वैसे भी तुम बहुत ब्रेव हो , सारी प्रॉब्लम फेस कर सकती हो अकेले ही । बाय...., एंड टेक केयर ।

इतना कहकर आरव पलट गया और उसके होठों पर मुस्कान तैर गई । उसने अपने कदम बढ़ाए और फिर मन ही मन काउंट करने लगा ।

आरव - वन....., टू......., थ्री.....।

कायरा ( पीछे से आवाज़ देते हुए ) - आरव ....., सुनिए...।

कायरा की आवाज़ सुनकर आरव की मुस्कान और चौड़ी हो गई , वह रुक गया । फिर उसने अपनी मुस्कान छुपाई और कायरा की तरफ मुड़कर कहा ।

आरव - कहो....., क्यों पुकारा तुमने...????

कायरा ( अपने नाखून दांतों तले चबाते हुए ) - वो....., वो......।

आरव ( खीझने की एक्टिंग कर ) - ओफ्फो कायरा.....। अगर काम है तो कहो , वॉर्न मेरा टाइम वेस्ट मत करो । काफी लंबा दिन बीता है आज मेरा , मुझे घर जाना है । थक गया हूं मैं आज , आराम करना चाहता हूं ।

कायरा ( आरव की तरफ देखकर ) - मैं ये कह रही थी ....., कि कैब का कोई भरोसा नहीं होता , आए या न आए । कब तक मैं यहां इंतजार करती रहूंगी । और फिर मेरी तबियत भी तो ठीक नहीं है , तो......।

आरव ( उसके चेहरे को देखकर ) - तो...?????

कायरा ( हकलाते हुए ) - तो ....., तो आ.... प, आप .... मुझे छोड़ दीजिए ।

आरव - लेकिन तुमने ही तो आदि से......।

कायरा ( अपना बैग संभालकर तपाक से ) - आई एम रेडी ....।

आरव - ओके...., कम ।

आरव के कहने पर कायरा उसके आगे - आगे चल दी और वह मन ही मन खुद की कारस्तानी पर खुद को ही शाबाशी दिए जा रही थी । जबकि आरव उसकी हरकतों पर खुश हो रहा था और उसकी मुस्कान तो जाने का नाम ही नहीं ले रही थी । आरव ने जय को इशारे से घर जाने को कहा और फिर दोनों गाड़ी में आ बैठे । आरव ने कार सड़क की ओर बढ़ा दी । कायरा खामोश बैठी रही , जबकि आरव मन ही मन खुद से कहने लगा ।

आरव - चलो किसी बहाने से ही सही , कम से कम तुम मेरे साथ तो हो । कुछ वक्त और तुम्हारे साथ बिता पाऊंगा आज मैं । सुबह तुमने जितना मेरा दिन खराब किया था , आज का दिन बीतते - बीतते उतनी ही मुस्कुराहट देती जा रही हो मेरे होठों पर । बिगड़ा हुआ दिन बना दिया तुमने तो आज । कसम से , जब अभी तुम्हारे ये हाल हैं , तो मेरी हमसफर अगर तुम बन गई , फिर पता नहीं क्या होगा ।

लास्ट लाइन सोचते हुए वह हंस दिया और कायरा उसके बेमतलब हंसने पर अजीब ढंग से उसे देखने लगी । आरव ने अपनी बत्तीसी अंदर कर ली और फिर अपनी हरकत पर पर्दा डालने के लिए उसने म्यूजिक ऑन कर दिया । गाना बजा ......, " ले बेटा सेल्फी ले ले रे...." , गाना सुन कायरा हंसते हुए उसे देखने लगी , आरव झेंप गया और उसने तुरंत गाना चेंज कर दिया । अगला सोंग बजा " ओ लगदी लाहौर दिया, जिस हिसाब ना हँसदी आ " , गाना सुनकर कायरा की हंसी बंद हो गई और वह गुस्से से खा जाने वाली नजरों से आरव को घूरने लगी । आरव कायरा को डर कर देखने लगा, और उसने तुरंत गाना चेंज कर दिया , पर लगता है आज आरव की किस्मत इस मामले में खराब ही थी , क्योंकि नेक्स्ट गाना बजा " करो न हमपे ग़ुस्सा गोरी , हम तो हैं दीवाने " , अब कायरा ने आरव को गुस्साई नजरों से ऐसे घूरा , जैसे कह रही हो कि बंद करो ये सोंग नहीं तो सिर फोड़ दूंगी आपका । बेचारे आरव ने म्यूजिक ही बंद कर दिया और चुप - चाप गाड़ी ड्राइव करने लगा । कुछ देर तक तो सब शांत रहा , लेकिन अब इतनी शांति दोनों को बर्दास्त नहीं हो रही थी । क्योंकि कुछ पल पहले जो हुआ , उसके बाद तो आरव के मुंह पर जैसे ताला ही लग चुका था और कायरा को तो कुछ समझ ही नहीं आ रहा था , कि वो क्या बोले । शांति जब बर्दाश्त के बाहर हुई , तो दोनों ने इस वक्त एक दूसरे के मन में चल रहे जज्बातों से अनजान एकसाथ म्यूजिक ऑन करने के लिए हाथ बढ़ाया , दोनों का हाथ एकसाथ बटन पर पहुंचा और म्यूजिक ऑन हो गया , लेकिन इन सब में दोनों के हाथ एक दूसरे से टकरा गए, अगले ही पल दोनों ने तुरंत अपने हाथ खींच लिए और एक दूसरे से नजरें चुराने लगे , दिल की धड़कने सामान्य से भी तेज़ चलने लगी । कायरा ने अपने मन को शांत करने के लिए कांच ओपन किया और खिड़की से अपना सिर टिका कर बाहर की हवा को महसूस करने लगी और आरव भी सामने देखने लगा । अगले ही पल गाने के बोल सुनकर दोनों ने एक दूसरे को देखा , फिर तुरंत ही दोनों ने नजरें फेर लीं और वापस से एक खिड़की के बाहर तो दूसरा सामने रास्ते पर देखने लगा।

कह दो ना, कह दो ना
कह दो ना.. कह दो ना
कह दो ना, कह दो ना तुम मेरे हो

कहीं कायरा कुछ गलत न समझ ले सोचकर आरव ने अपने हाथ गाने को बंद करने के लिए बढ़ाए , लेकिन अगले ही पल उसकी नज़र कायरा की तरफ चली गई , जो आंखें बंद कर इस गाने को महसूस कर रही थी । ये उसके चेहरे से साफ पता पड़ रहा था । आरव के हाथ रुक गए , और वह उसे देख मुस्कुराने लगा ।

कह दो ना, कह दो ना तुम मेरे हो
ऐसे सताया ना करो..
तुमको ना देखूं तो घबराता हूँ
जाने क्यूँ पागल सा हो जाता हूँ
तुम दूर जाया ना करो
ऐसे सताया ना करो

शब्द सुनकर आरव ने दोबारा कायरा की तरफ देखा , तो पाया वह अब रास्ते को देख रही थी । आरव ने उससे नजरें हटा लीं । सच तो ये था , कि ये शब्द आज आरव की कायरा के लिए फिक्र को बयां कर रहे थे , जो कि शायद कायरा भी समझ रही थी , इसी लिए उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी अब आरव की तरफ देखने की ।

शौक़ आँखों का ऐ हमनशीं
सिर्फ तुम हो तुम्ही हो बस तुम्ही

कायरा ने अपनी आंखें बंद कर लीं और फिर जब खोली तो तेज़ हवा के झोंके से उसके बाल , उसके चेहरे को छू रहे थे । उसने सिर खिड़की से अंदर किया और आरव की तरफ देखा , तो पाया आरव भी उसी की तरफ बड़े प्यार से देख रहा है । कायरा ने उसे इशारे से सामने देखने को कहा , तो आरव झेंपकर सामने देखने लगा और कायरा उसकी इस हरकत पर मुस्कुरा दी । वो भी उसे बड़े प्यार से देखने लगी ।

शौक़ आँखों का ऐ हमनशीं
सिर्फ तुम हो तुम्ही हो बस तुम्ही
दूसरा ख्वाब देखा ही नहीं

आरव को जब महसूस हुआ , कि कायरा उसे ही देख रही है , तो वह मुस्कुरा दिया । और खुद भी गुनगुनाने लगा, जैसे वह ये शब्द उसे टारगेट कर ही कह रहा हो ।

दूसरा ख्वाब देखा ही नहीं
दीवाना हूँ हद से बढ़ जाऊँगा

आरव को गाते देख , कायरा होश में आई और फिर दोबारा खिड़की से बाहर देखने लगी , तो आरव ने कहा ।

तुमने नज़र फेरी तो मर जाऊँगा

इस बात पर कायरा ने उसकी तरफ देखा , तो आरव मुस्कुरा दिया और फिर उसे देखते हुए ही कहा ।

यूँ आजमाया ना करो

कायरा ने मुस्कुरा कर नजरें दोबारा से खिड़की से बाहर की ओर टिका ली और आरव अब थोड़ा सा उदास हो गया । कहीं न कहीं उसके जज्बातों से मैच कर रहा था ये सोंग ।

कह दो ना, कह दो ना तुम मेरे हो
कह दो ना, कह दो ना तुम मेरे हो
ऐसे सताया ना करो..
तुमको ना देखूं तो घबराता हूँ
जाने क्यूँ पागल सा हो जाता हूँ
तुम दूर जाया ना करो
ऐसे सताया ना करो
हे.. हे......।

दोनों को देखकर लग रहा था , कि दोनों ही चुपके - चुपके एक दूसरे को अपने दिल के जज्बात बयां कर रहे हैं , लेकिन सोंग सुनने से जज्बात अगर बयां हो जाते , तो एक्स्ट्रा शब्दों की कभी जरूरत ही नहीं होती । ऐसा ही कुछ इन दोनों के साथ हो रहा था । गाना दोनों को अपने जज्बातों को दिल से बाहर निकालने को कह रहा था और ये दोनों अपने दिल को समझाए बैठे थे । अगले ही पल कायरा को याद आया , कि उसने अपनी मुस्कुहाट से क्या कर दिया है । आरव को उसका प्यार एक्सेप्ट करने की एक उम्मीद दे दी है उसने । कायरा ये सब सोच ही रही थी , कि आरव ने गाड़ी रोक दी और कायरा उसे असमंजस से देखने लगी । तो आरव ने मेडिकल स्टोर की तरफ इशारा किया और फिर वह गाड़ी से उतरकर उस ओर चल दिया । उसके जाते ही , कायरा उसे देखकर खुद से कहने लगी ।

कायरा -
एक अजनबी से मुझे इतना प्यार क्यों है,
इंकार करने पर चाहत का इकरार क्यों है,
उसे पाना नहीं मेरी तकदीर में शायद,
फिर भी हर मोड़ पर उसका इंतजार क्यों है.!!!
( - सुनील पराशर जी के द्वारा )

सही ही तो कह रही थी कायरा , आखिर एक दोस्त के अलावा नाता ही क्या जुड़ा था आरव का उससे अभी, जिसे वह नाम दे सके । और फिर जब उसे पता है , कि उसका और आरव का मिलना संभव है ही नहीं , फिर वह क्यों आरव के साथ रहने के बहाने ढूंढ रही है , जैसा कि आज उसने किया । वो आरव से प्यार करती है , ये तो वह जानती है , लेकिन उसका प्यार अब गहराई पकड़ने लगा था , ये उसे अब महसूस हो रहा था । इन सबमें कायरा ये भूल चुकी थी , कि जो नाता किस्मत में पहले ही बन चुका हो , उसे इंसानी नाम देने की जरूरत कभी होती ही नहीं है । और इंसान चाहे कितना भी खुद को काबू में करने की कोशिश कर ले , लेकिन होता वही है जो ऊपर वाला किस्मत में पहले से लिख चुका होता है ।

आरव आ चुका था और कायरा ने उससे मेडिसन लेकर अपने बैग में रख लिया था । आरव ने गाड़ी स्टार्ट की और अगले पांच मिनट बाद दोनों कायरा के घर के बाहर थे । कायरा ने अपना बैग उठाया और फिर बिना कुछ कहे , वह कार से उतरकर जाने लगी । जब आरव ने उसे शांत देखा , तो उसे पीछे से आवाज़ लगाई ।

आरव - कायरा.....!!!!

कायरा ( जैसे होश में आई हो , वह पीछे पलटी और कार में बैठे आरव से कहा ) - जी.....!!!!!

आरव ( मुस्कुराकर ) - गुड नाईट .....।

आरव को मुस्कुराते देख कायरा भी मुस्कुरा दी और फिर वह भी उससे बोली ।

कायरा - गुड नाईट....., ध्यान से जाइएगा ।

बदले में आरव ने मुस्कुराकर कार वापसी की ओर ले ली और कायरा घर आ गई । कायरा के यहां से निकलते ही आरव को नील का कॉल आया , और उसने बताया कि "आज चारों दोस्तों ने बॉयज पार्टी करने का प्लान बनाया है, एड्रेस सेंड कर रहा हूं , जल्दी से आ जा " । इतना कह , उसने कॉल कट कर दिया और आरव को एड्रेस मैसेज कर दिया । रेस्टोरेंट का नाम देखकर आरव को याद आया , कि ये वही रेस्टोरेंट है जहां इन पांचों ने लास्ट टाइम डिनर किया था । दोस्तों का ऑर्डर था , इस लिए आरव मना तो कर नहीं सकता था। इसलिए आरव ने बिना वक्त गंवाए कार उस रेस्टोरेंट की तरफ घुमा दी । अगले एक घंटे बाद पांचों दोस्त हमेशा की तरह डिनर पार्टी कर रहे थे और इतनी परेशानियों से जूझने के बाबजूद आज पांचों एक दूसरे के साथ टाइम स्पेंड कर खुश थे । आखिर यही तो खासियत होती है दोस्तों की , परेशानी में भी मुस्कुराने पर मजबूर कर देते हैं ये प्यारे दोस्त । अगले एक घंटे बाद पांचों अपने फेवरेट अड्डे , जुहू बीच पर होते हैं । समंदर की लहरों का शोर उन्हें अलग ही सुकून पहुंचा रहा था । अक्सर ये पांचों यहां आया करते थे और यहां बैठकर कभी मस्ती , तो कभी अपने पुराने स्कूल और ग्रेजुएशन के दौरान के किस्से याद किया करते थे , जिसमें नील की शैतानियों का सबसे ज्यादा जिक्र होता था । वैसे नील अब भी उतनी ही मस्ती करता है , बस शिवानी के आने से थोड़ा सुधर रहा है बेचारा । आज भी पांचों वही पुराने किस्से याद कर रहे थे , तभी अचानक से नील के दिमाग में एक सवाल कौंधा और उसने सभी से कहा ।

नील - यार , ये प्यार चीज है क्या यारों ...???

राहुल ( हंस कर ) - शिवानी से प्यार करके भी तुझे समझ नहीं आया , कि प्यार क्या है ...???

आदित्य - बावरा है दोस्त हमारा । बेटा तू ये सवाल शिवानी से पूछ , वही तो तुझे करेक्ट आंसर बताएगी ।

आदित्य की बात पर सभी हंस दिए । तो नील झल्लाकर बोला ।

नील - आई एम सीरियस यार । प्लीज आंसर दो....।

आदित्य ( गंभीर होकर ) - इश्क़ मोहब्बत के पर्चे तो हमने भी भरे हैं , लेकिन कभी इसका सही अर्थ या परिभाषा हमें समझ ही नहीं आई । राहुल तेरा क्या कहना है इस बारे में ।

राहुल - सच कहूं तो मेरा भी यही हाल है । प्यार , मोहब्बत , इश्क़ की परिभाषा असल में है क्या , ये तो मैं खुद भी कभी जान नहीं पाया हूं , या ये कहूं कि जानने की कभी कोशिश ही नहीं की । पर हां , ये कह सकता हूं कि जिस इंसान को देखकर आपको सुकून मिले , शायद उस एहसास को ही प्यार कहा जाता है ।

आदित्य - हम्मम....., बात तो तेरी मुझे भी सही लगी । अच्छा आरव तू बता , तेरे लिए मोहब्बत क्या है??,

राहुल - मुझे भी जानना है आरव , कि तेरे लिए प्यार क्या है??

नील ( आरव से ) - मैं भी जानना चाहता हूं , कि तेरे लिए इश्क़ क्या है, मेरे भाई..??

आरव ( मुस्कुराते हुए रेहान के कंधे पर हाथ रखकर , समुद्र में उठती लहरों को देखकर कहता है ) -

मोहब्बत बेपनाह होती है,
प्यार एकतरफा होता है,
मगर इश्क़..., इश्क़ बेवजह होता है।
जो अगर इश्क़ में वजह ही ढूंढी जाए,
तो फिर वो इश्क़ नहीं... ,
बल्कि सौदा कहलाता है ।
और हम सौदेबाजी से नहीं,
बल्कि बेवजह इश्क़ से ताल्लुक रखते हैं।

मेरे लिए तो बेवजह इश्क़ ही प्यार और मोहब्बत है ।

आरव की बात सुन, रेहान मुस्कुरा दिया😊। और बाकी के तीनों दोस्त हूटिंग करने लगते हैं । तभी नील कहता है ।

नील - रेहान तेरे लिए प्यार, मोहब्बत, इश्क़ ये सब क्या है ...???

रेहान ( मुस्कुराकर आरव की तरफ देखते हुए ) - इस मामले में मेरी सोच भी आरव से मिलती है ।

सभी मुस्कुरा देते हैं और आरव रेहान को गले लगा लेता है । रात के साढ़े दस बज चुके थे , इस लिए सारे दोस्त अब वापस घर की ओर चल देते हैं । लगभग साढ़े ग्यारह बजे के आस - पास आरव घर पहुंचता है और अंदर आते ही वह सबसे पहले पूरे घर में नज़र दौड़ता है , कि कहीं अरनव तो नहीं बैठा , आखिर उसी से बचने के लिए तो उसने आज दोस्तों से घर जल्दी आने को नहीं कहा । नीचे पूरे एरिया में उसे अरनव कहीं नहीं दिखता । तभी नकुल स्टोर रूम से बाहर निकलता है , शायद वहां से वह कोई समान रखकर निकला था । आरव को देखकर वह उसके पास आता है और कहता है ।

नकुल - आ गए आरव भैया आप । चलिए मुंह हाथ धो लीजिए , मैं खाना लगा देता हूं ।

आरव - नहीं , मैं खाना खा कर आया हूं । आप ये बताइए , कि घर में सब सो गए ...??? अरनव भैया कहां है ...????

नकुल - सभी एक घंटे पहले ही डिनर करके अपने - अपने कमरों में गए हैं । अरनव भैया भी ....., अब तक तो अरनव भैया सो गए होंगे । आपको कुछ काम हो अगर , तो मैं उन्हें जगा देता हूं ।

आरव ( मन में ) - बाल - बाल बचे ...। ( नकुल से ) नहीं ....., कोई काम नहीं है मुझे उनसे । मैं तो बस यूं ही पूंछ रहा था । आप जाइए , दरवाजा लॉक कर सो जाइए ।

इतना कह आरव खुश होकर अपने रूम की ओर बढ़ गया । क्योंकि वो अरनव का सामना करने से बचना चाहता था , क्योंकि शायद उसके सवालों के जवाब देना वह चाहता ही नहीं था। आरव अपने रूम में आया और उसने अपने रूम की लाइट ऑन की और फिर बिस्तर की तरफ आते हुए खुद से बोला ।

आरव - अच्छा हुआ , जो भैया सो गए । वरना वो मुझसे अपने सवालों का जवाब लिए बिना , मेरा पीछा ही नहीं छोड़ते ।

इतना कह आरव अपने बिस्तर में बैठने लगा , कि जानी पहचानी से आवाज उसके कानों में पड़ी, " पीछा तो मैं अब भी नहीं छोड़ने वाला तेरा , मेरे छोटे भाई ..." । आवाज सुनकर आरव ने सोफे की तरफ देखा , जहां से आवाज़ आ रही थी और वहां अरनव को बैठा देख , वह बिस्तर पर बैठने से पहले ही उठ गया ।

अरनव - क्या हुआ यंगर ब्रदर ...???? बड़े भाई से मस्ती करेगा । तूने क्या सोचा ..., कल तू मेरे सवालों से बच गया , तो आज भी बच जायेगा..??? मुझे पता है , कल भी तू लेट इसी लिए आया था और आज भी तू लेट इसी लिए आया है , ताकि तू मुझसे बच सके । लेकिन मैं भी तेरा बड़ा भाई हूं , अच्छे से जानता हूं तुझे । मेरे सवालों के जवाब जब तुझे नहीं देने होते , तो तू बचता फिरता है मुझसे । लेकिन आज ऐसा नहीं होगा , मैं जवाब लेकर ही रहूंगा। यहां आ मेरे पास.....।

इतना कहकर उसने आरव को अपने पास बैठने का इशारा किया । और आरव सकपकाया हुआ सा , उसके पास दूसरे सोफे पर बैठते हुए बोला ।

आरव - ऐसा नहीं है भैया , मैं भला आपसे क्यों बचता फिरूंगा ....!!!!!

अरनव - मुझे सिखाएगा बेटा....???? ( आरव अब चुप लगा गया , बड़ा भाई था आखिर अरनव , और उसके सामने आरव की कभी चली ही नहीं , तो अब कैसे चल जाती ...??? उसने आगे कहा ) चल.... , अब शुरू से शुरू हो जा । राजवीर की एक - एक हरकतों का हिसाब चाहिए मुझे , जो - जो कल तुमने हमें बताई हैं और जो - जो छुपाई हैं , सबकी - सब.... ।

मरता क्या न करता , बड़े भाई की आज्ञा का पालन तो करना ही था आखिर । तो फिर आरव ने राजवीर की सारी हरकतों के बारे में अरनव को कह सुनाया , चाहे वो कायरा के साथ की गई हों , या फिर उसे कायरा को लेकर धमकी दी गई हो । आरव ने वो बातें भी अरनव को बता दी थीं , जो उसने कल सबके सामने उजागर नहीं की थी । सबकुछ बताने का साथ - साथ आरव , अरनव के चेहरे के बनते बिगड़ते भाव भी देख रहा था , जिससे वह अंदाजा लगाने की कोशिश कर रहा था , कि अरनव का इस बात पर क्या रिएक्शन होगा । सबकुछ सुनने के बाद , अरनव कुछ पल शांत रहा , फिर आरव के कंधे पर हाथ रखकर कहा ।

अरनव - तू इतने दिनो से ये सब फेस कर रहा था और तूने हममें से किसी को भी राजवीर की हरकतों की भनक तक नहीं लगने दी । साथ में वो मासूम लड़की भी इसका शिकार होती रही । हमें क्यों नहीं बताया ये सब...???

आरव - भैया , मुझे ये सब घर में बताना जरूरी नहीं लगा । और एक रीजन तो आप भी जानते हैं , इनफेक्ट पूरा घर जानता है , कि खुशी भाभी के कारण राजवीर की हरकतों को उजागर करना मेरे लिए सही नहीं होता । वो तो जब बात सिर से ऊपर हुई , तब मुझे उसकी हरकतों से पर्दा हटाना पड़ा । वरना अगर वो मुझ तक ही सीमित रहता , तो मैं शायद कल भी किसी से कुछ नहीं कहता । लेकिन उसकी हरकतों ने कल मुझे उसे जवाब देने पर मजबूर कर दिया ।

अरनव - जरूरी भी था , उसे जवाब देना । तूने जो किया ठीक किया और मैं हमेशा तेरे साथ हूं । इस लिए नहीं कि तू मेरा भाई है और वो मेरी पत्नी का भाई । बल्कि इस लिए , क्योंकि तू सही है और वो गलत । और मुझे पूरा भरोसा है , मेरा भाई कभी गलत कर ही नहीं सकता ।

अरनव की बात सुनकर आरव मुस्कुरा दिया । फिर अरनव उसे बड़े ध्यान से देखने लगा । तो आरव उसकी इस हरकत से चौंक कर बोला ।

आरव - मैं खुशी भाभी नहीं हूं भैया , जो आप मुझे ऐसे देख रहे हो । ( बेचारा सा मुंह बना कर ) मुझे मेरी इज्जत खतरे में दिख रही है आज ।

अरनव उसकी बात पर हंस दिया , साथ में आरव को भी अपनी बात पर हंसी आ गई । फिर अरनव गंभीर भाव से आरव के चेहरे की तरफ देखते हुए बोला , जैसे वो उसका चेहरा पढ़ना चाहता हो ।

अरनव - तेरी क्लास मेट...., जो हमारे ऑफिस में भी काम करती है , क्या नाम है उसका ...???

आरव ( तपाक से ) - कायरा....।

अरनव - प्यार करता है न तू उससे...???

आरव अब उसके सवाल पर झेंप गया , सुझा ही नहीं उसे अब कुछ । वह सोचने लगा , कि सारे दोस्त तो उसे इस बात को लेकर चिढ़ाते ही हैं , अब भैया भी उससे इस बारे में सवाल करने लगे , क्या जवाब दे समझ ही नहीं आ रहा था उसे ।

अरनव - कुछ पूंछ रहा हूं मैं । मुझसे छुपाना चाहता है तू , इतनी बड़ी बात...????

आरव ( एक नज़र अरनव को देखकर बोला ) - हां...., करता हूं मैं उससे प्यार ।

अरनव - और वो....!!! क्या वो भी तुझे पसंद करती है ..???

आरव - शायद....!!!!

अरनव ( नासमझ सा ) - शायद...???? शायद क्या होता है ..!!! या तो हां होता है या फिर न .....। या तो वो तुझे पसंद करती है या फिर नहीं ।

आरव ( सोफे से उठ गया और फिर गहरी सांस लेकर , खिड़की तक आते हुए बोला ) - सच तो ये है भैया , कि उसकी आखों में मैने खुद को देखा है , एक बार नहीं कई बार ......। महसूस किया है उसके जज्बातों को , पढ़ा है मैने उसके चेहरे को , जो कि ये गवाही दे रहे थे कि उसके दिल में भी मेरी तस्वीर बन चुकी है । लेकिन ......।

अरनव ( आरव के पास आकर ) - लेकिन से क्या मतलब है तेरा...????

आरव ( खिड़की से बाहर दिख रहे चांद को देखते हुए ) - लेकिन डरता हूं मैं , कि कहीं ये मेरी आंखों का धोखा न हो , जैसे कि ये चांद......, दिखाता कुछ और है और असलियत है इसकी कुछ और .....।

अरनव - तूने कभी उससे अपने दिल की बात कही...???

आरव - नहीं ....। हिम्मत ही नहीं होती मेरी , कि मैं उससे कुछ कहूं । कई बार कहते - कहते रुक जाता हूं । जुबान पर बात आते - आते रुक जाती हैं, पता नहीं क्यों...., क्यों होता है ऐसा मेरे साथ । डर लगता है , कि इन प्यार मोहब्बत की उलझनों के बीच में कहीं मैं, उसकी दोस्ती ही न खो दूं । और सच कहूं , तो एक दर्द सा देखा है मैने उसकी आखों में , कई बार.... । कुछ दिनों से उसका बिहेव भी काफी रूखा सा हो चुका है मेरे प्रति । इस लिए और डर लगता है मुझे , कि कहीं मैं उसे अपनी किसी बात से हर्ट न कर दूं ।

अरनव ( आरव के कंधे पर हाथ रखकर ) - लेकिन मेरे भाई , जब तक तू उससे कुछ कहेगा नहीं , तो उसे पता कैसे चलेगा कि तू क्या महसूस करता है उसे लेकर ।

आरव ( झटके से अरनव की तरफ पलटकर ) - कैसे...??? कैसे कहूं मैं उससे अपने दिल की बात । कभी हालात साथ नहीं देते मेरा , तो कभी वक्त साथ नहीं देता । ऊपर से उसका बेवजह का गुस्सा , जान निकाल देता है मेरी । समझ नहीं आ रहा , कि परेशानी क्या है उसे...??? किसी से कुछ कहती ही नहीं है किसी भी प्रॉब्लम के बारे में , हमेशा उसे अकेले ही सारी उलझने सुलझानी है । एक बार बताए तो , कि कौन सी बात उसे अंदर ही अंदर खाए जा रही हैं, जिससे वह मुझसे कुछ भी कह पाने को राजी ही नहीं है।

अरनव ( एक गहरी सांस लेकर ) - हो सकता है वो जो बात छुपा रही है , उसे किसी से कहना ही न चाहती हो । इसी वजह से वो तुमसे भाग रही हो । क्योंकि अगर मेरे भाई ने उसकी आखों में अपने लिए चाहत देखी है , तो वो धोखा नहीं हो सकती । मुझे अपने भाई पर पूरा विश्वास है , ऐसे ही उसकी नजरें दगा नहीं दे सकतीं । ( आरव उदास नजरों से अरनव को देखने लगा ) तू एक काम कर , पहले उसके ऐसे बिहेव के पीछे का कारण जान , फिर उसे अपने दिल के जज्बातों से अवगत करा ।

आरव ( परेशान होकर ) - कोशिश की है मैने , कि वो मुझसे कुछ तो कहे इस बारे में । लेकिन उसने नहीं कहा , कभी नहीं कहा....।

अरनव - ओके देन......, तू उसे अपने दिल की बात कह , फिर देखते हैं आगे क्या होता है। अगर वो तुझे हां कहेगी , तो ठीक , और अगर न कहेगी तो उसके इंकार की वजह पूछना । जरूर कोई न कोई सॉल्यूशन निकल आएगा । वैसे जिस हिसाब से तू बता रहा हैं, उस हिसाब से बात पक्का बड़ी हैं, वरना कोई लड़की प्यार होने के बाद भी एक्सेप्ट न करे , ऐसा हो ही नहीं सकता ।

आरव - अगर आप कहते हैं , तो यही सही । मैं बस उसे खुश देखना चाहता हूं , चाहे वो मेरे साथ रहने में हो या फिर मुझसे दूर रहने में ।

अरनव ( आरव को गले लगाकर ) - अपने भाई से मुझे यही उम्मीद है । सब ठीक हो जायेगा । ( फिर उससे अलग होकर ) चल आराम कर , थक गया होगा तू । और तेरी भाभी भी मेरा वेट कर रही होगी , आजकल उसे बिना मेरे नींद ही नहीं आती ।

आरव ( मुस्कुराकर ) - ओह्ह्ह्ह...., तो ये बात है । तभी आपके पास आजकल अपने भाई के लिए टाइम ही नहीं रहता ।

अरनव ( आरव के गाल पर हल्की सी चपत लगाकर ) - ज्यादा मसखरी मत कर, वरना पिटेगा तू । और भूल मत , तेरा भी दिन आएगा , तब मैं करूंगा तेरे साथ मसखरी , फिर बताना बच्चू कि कैसा लगता है ।

आरव ( झेंप कर ) - क्या भाई आप भी ।

अरनव उसे देख हंस देता है और उसे आराम करने को कह , कमरे से बाहर निकल जाते है । आरव भी अरनव की बातों के बारे में सोचते हुए कपड़े चेंज करता है और बिस्तर में आखें बंद कर लेट जाता है। कुछ ही मिनटों में उसे गहरी नींद आ जाती है । इधर कायरा भी आज जल्दी सो गई थी । शायद मेडिसिन का असर था । बाकी सोने से पहले उसके दिल और दिमाग में आज आरव की भरपूर यादें बस गई थी। कह सकते हैं , कि वह भी आरव के बारे में सोचते - सोचते सो गई थी ।

अगले दिन क्लास अटेंड करने के बाद कायरा लाइब्रेरी चली गई थी और उसके पीछे - पीछे रूही भी। आरव आज क्लास अटेंड कर तुरंत ही ऑफिस निकल गया था, उसे आज बहुत काम था ऑफिस में । वहीं बाकी के बचे हुए कैंडीडेट बैठे थे अपनी पसंदीदा जगह पर , कैंटीन....। आज अंशिका उनमें शामिल नहीं थी । वह क्लास अटेंड कर रही थी । इधर रूही कायरा के आगे पीछे घूम - घूमकर उससे पूछ रही थी , कि उसकी और अनय की आखिर बात क्या हुई । लेकिन कायरा रॉ में बुक्स ढूंढने में इतनी बिजी थी , कि उसे रूही की बातें समझ ही नहीं आ रही थी और वह उसे इग्नोर कर रही थी । तंग आकर रूही ने उसका पीछा ही छोड़ दिया और फिर वह लाइब्रेरी से अपने काम की बुक्स इशू करवाकर बाहर आ गई । कायरा उसके जाते ही मुस्कुरा दी और मन ही मन कहने लगी , कि चलो अच्छा हुआ कि पीछा छूटा और उसे कुछ भी बताना नहीं पड़ा । लेकिन वो ये भी जानती थी , कि ज्यादा समय तक वो रूही से सारी बातें छुपा नहीं पायेगी । उसे रूही को वो सब बताना होगा , जो कल हुआ । चाहे वो अनय से की गई बात हो या फिर मिशा से की हुई उसकी बहस ।

इधर रूही लाइब्रेरी से बाहर आकर दो कदम ही चली होगी , कि उसके सामने कॉलेज का एक सीनियर लड़का आकर खड़ा हो गया और उसे अजीब सी नज़रों से देखने लगा । रूही उसके अचानक सामने आने से घबरा गई , अगले ही पल जब उसने देखा कि वो लड़का उसे ही गंदी नजरों से घूर रहा है , तो रूही ने उसके साइड से जाना ही ठीक समझा । क्योंकि उसे उलझने का कोई शौक नहीं था , ऊपर से वो इस वक्त अकेले भी थी। रूही उस लड़के के बगल से जाने लगी , कि उसके सामने एक और लड़का आ गया , जो कि पहले वाले लड़के का दोस्त था । इस बार भी रूही ने दोनों को इग्नोर कर दिया, और दूसरी तरफ से जाने लगी , कि वहां पर तीसरा लड़का जो कि उन दोनों का दोस्त था , आकर उसके रास्ते पर खड़ा हो गया । रूही अब उन तीनो को देखकर बुरी तरह घबरा गई और उसने अपने आस - पास देखा , तो वह एक तरह से उन तीनों से घिरी हुई थी । अब वह क्या करे उसे समझ ही नहीं आ रहा था ......।

क्रमशः