कायरा के चेहरे पर परेशानी के भाव आरव बहुत देर से भांप रहा था । वह उसके चेहरे से वजह पढ़ने की कोशिश कर ही रहा था , कि कायरा ने एक बार उम्मीद भरी नजरों से उसे देखा । आरव को उसे देखकर हल्का गुस्सा आ गया । और उसने उससे कहा ।
आरव - नो......।
कायरा - प्लीज.....!!!!!
आरव - नहीं...., बिल्कुल भी नहीं । पिछले बार मुंबई से बाहर जाना था , तो मैं समझ सकता था , लेकिन इस बार यहीं रहना है । और अगर इतनी ही पाबंदियां हैं तुम्हारे घर में , तो तुम मुझसे बात करवाओ । पक्का वो मेरी बात समझेंगे । सब होंगे वहां , सारे दोस्त...., और तुम नहीं होगी तो .......।
आरव आगे के शब्द नहीं कह पाता और चुप हो जाता है ।कायरा उसकी नजरों से ही उसके शब्दों का मतलब समझ लेती है । इसी लिए वो आरव से कुछ कह नहीं पा रही थी , क्योंकि आरव बिल्कुल भी ये नहीं चाहेगा , कि सबके होने के बाद भी कायरा उसके साथ न रहे । दूसरा अब उसे आरव की आंखों में वो दिख गया था , जिसे देखने से वो कतरा रही थी काफी दिनों से । हां....., प्यार....., अब उसे यकीन हो गया था, कि आरव उससे प्यार करता है । अब शायद कायरा चाह कर भी उसे मना नहीं कर पा रही थी , कि वो आरव के घर नहीं आ सकती । जबकि रूही और राहुल जो आरव से इस बारे में बात करने ही वाले थे , कि रूही उस दिन नहीं आ पायेगी , आरव का बरताव देखकर वो दोनो भी चुप पड़ गए थे । दोनो ही अच्छे से जानते थे , कि आरव के लिए दोस्त और उनका साथ हर सुख दुख में क्या मायने रखता है । और फिर तो उसने कायरा की भी बात नहीं मानी थी , तो उन लोगों की तो वो सुनने से रहा । वहीं बाकी सब भी समझ गए थे , कि आरव ऐसा क्यों कह रहा था। अंशिका ने कायरा के हाथ पर हाथ रखकर कहा ।
अंशिका - दी....., आपको पता है ...!!!! भाभी मुझसे आपके बारे में हमेशा पूछती रहती हैं...। ( अंशिका की बात पर आरव और कायरा दोनो ही हैरानी से उसे देखते हैं , तो वह बात संभालकर कहती है ) मैं हमेशा आपके और रूही दी के बारे में उन्हें बताती रहती हूं न , इस लिए वो आप दोनों को जानती हैं । और उन्होंने खुद मुझसे कहा था , कि वो आप दोनों से जल्द ही मिलना चाहती हैं । जब जन्माष्टमी की बात हुई , तो उन्होंने सबसे पहले मुझसे यही कहा, कि मैं आपको और रूही दी को भी इन्वाइट करूं , जन्माष्टमी पर । इस लिए कम से कम उनसे मिलने के लिए तो आप आ ही सकती हैं न.... ।
कायरा परेशान सी कुछ कहने को हुई , कि उससे पहले ही आरव ने कह दिया ।
आरव - पिछली बार की तरह ऑर्डर नहीं सुनाऊंगा और न ही जबरदस्ती करूंगा , कि तुम आओ । लेकिन अगर तुम आओगी , तो मुझे अच्छा लगेगा । लेकिन इतना जान लो , मुझे उस दिन अपने घर में सारे दोस्त चाहिए हैं.... । अब तुम देख लो , मेरी बात का मान रखना है तुम्हें , या फिर अपनी जिद पकड़ कर बैठना है । नील....., राहुल...., बहुत वक्त से हम यहां बैठे हैं , चलो ऑफिस चलते हैं , टाइम हो गया है ।
नील और राहुल उसकी बात पर सिर्फ हां में सिर हिला देते हैं । और आरव अपनी बात रखने के बाद , बिना किसी की तरफ देखे कैंटीन से बाहर निकल जाता है , नील और राहुल भी उसके पीछे निकल जाते हैं । अंशिका भी एक बार फिर कायरा को आने का कहकर अपनी क्लास के लिए चली जाती है । सौम्या , शिवानी और रेहान भी क्लास की ओर बढ़ जाते हैं , सौम्या रूही को चलने को कहती है , तो वह थोड़ी देर में आऊंगी कहती है , तो तीनों उसे जल्दी आने का कहकर चले जाते हैं । कायरा अब मुंह बनाते हुए खुद से कहती है ।
कायरा ( चिढ़कर ) - जबरदस्ती कर भी रहे हैं और कह रहे हैं कि नही कर रहा । हद है यार मतलब । जैसे अगर मैं नहीं जाऊंगी उनके घर , तो कोई भी उनके घर में जन्माष्टमी ही नहीं मनाएगा ।
रूही - अरे ...., लेकिन तुम मना ही क्यों कर रही हो..????
कायरा - पता तो है न दादी का...., इजाजत तो देगी नहीं , ऊपर से पचास बातें और सुनाएंगी और घर का माहौल खराब होगा वो अलग । मैं त्योहार से पहले कोई हंगामा नहीं चाहती यार अपने घर में रूही । तंग आ चुकी हूं , इन सबसे । कैसे समझाऊं अब आरव को मैं...????
रूही - आरव को नहीं , बल्कि जरूरत तुम्हारी दादी को समझाने की है ।
कायर - ये तू मुझसे कह रही है , जो थोड़ी देर पहले मेरे साथ हां में हां मिलाने वाली थी , आरव के घर जन्माष्टमी में न जाने के लिए । ( रूही उसे हैरानी से देखने लगती है ) मुझे ऐसे हैरान होकर देखने की जरूरत नहीं है रूही , सब जानती हूं मैं , कि तू कब क्या करने वाली होती है । बचपन से साथ हैं हम दोनो , इस लिए एक दूसरे को अच्छे से जानते हैं और समझते भी हैं । अब तू बता , तू क्यों माना करना चाहती थी...????
रूही उसे क्या जवाब देती..??? क्योंकि अगर कायरा को उसने कुछ बताया, तो कायरा उसका भला करने के चक्कर में खुद ही मुसीबत में फंस जायेगी । इस लिए ही तो वह कायरा से अब तक अपनी सच्चाई छुपाए बैठी है । अब जब रूही को कुछ समझ नहीं आता कि वह क्या कहे , तो वह बात को ही घूमा देती है और उल्टा कायरा से सवाल करती है ।
रूही - तुम बताओ...., कि अब क्या करोगी तुम...??? कैसे इजाजत लोगी आरव के घर जाने की ..??? या फिर तुम नहीं जाओगी..???
कायरा ( परेशान होकर ) - क्या करूं कुछ समझ ही नहीं आ रहा है । पहली बार उन्होंने बुलाया है अपने घर , वो भी इतने बड़े त्योहार में । सच ही कह रहे हैं वो , सब होंगे , लेकिन अगर हम ( रूही और कायरा ) न गए तो शायद सबको बुरा भी लग सकता है । और अंशिका भी कह रही थी , कि उसे खुशी भाभी ने तुम्हें और मुझे आने के लिए कहा है । अगर मैं नहीं गई , तो बाकियों का तो पता नहीं , लेकिन कहीं खुशी भाभी को बुरा न लग जाए , और अगर वो बुरा मान गईं , तो कहीं आरव भी......। नहीं यार...., आरव से मैं अपनी दोस्ती खट्टी नहीं कर सकती । लेकिन घर में दादी को कैसे कहूं , कैसे मनाऊं उन्हें...??? उनके लिए तो लड़कों से दोस्ती करना ही गुनाह है , फिर तो मुझे खुद मेरा दोस्त जो लड़का है वो मुझे बुला रहा है , वो भी अपने घर । दादी के लिए ये बातें गलत भी हो सकती हैं....। ( अपना सिर पकड़कर ) समझ नहीं आ रहा , कि कैसे निकलूं इस उलझन से बाहर ...???
रूही ( उसे अपनी ओर करके बोली ) - वो सब छोड़ो..., उस उलझन का कोई न कोई हल तो निकल ही आएगा । तुम हमें ये बताओ , कि तुम इतनी परेशान क्यों हो..?? ( कायरा का चेहरा अपने हाथों में लेकर ) और ये तुम्हारे चेहरे पर इतना पसीना क्यों हैं, साथ ही आज तुम्हारा चेहरा कुछ बुझा - बुझा सा भी लग रहा है । बताओ, क्यों है ऐसा..????
रूही के सवाल पर कायरा नजरें चुराने लगी , तो रूही ने अब उसका चेहरा दोबारा अपने हाथों में लिया और अपने दुपट्टे से, उसके माथे पर आया पसीना पोछते हुए बोली ।
रूही - बताओ न कायरा...!!! आखिर क्या परेशानी है तुम्हें , या फिर तुम्हारी तबियत ठीक नहीं है ??? बताओ यार तुम हमें.... , टेंशन हो रही हैं हमें तुम्हारी ।
कायरा ( उसकी तरफ देखकर , उसका हाथ पकड़कर बोली ) - पहले ये बताओ , कि तुम मुझपर गुस्सा तो नहीं करोगी ..??? और किसी को बताओगी तो नहीं...???
रूही ( उसे घूरकर ) - क्या किया है तुमने , और वो भी बिना हमें खबर लगे..????
कायरा ( मिन्नतें करते हुए ) - प्लीज...., पहले तुम प्रॉमिस करो न , कि किसी को नहीं बताओगी , राहुल को भी नहीं , तभी मैं तुम्हारे सवालों के जवाब दूंगी ।
रूही मुंह बनाने लगी , तो कायरा ने एक बार आस भरी नजरों से उसे देखा । अब बचपन की दोस्त थी कायरा उसकी , और बहन से बढ़कर माना था उसे रूही ने । फिर उसकी बात तो रूही को माननी ही थी । तो उसने कहा ।
रूही - ठीक है , न ही गुस्सा करेंगे और न किसी से कुछ इस बारे में कहेंगे , लेकिन तुम्हें हमें सब सच - सच बताना होगा ।
कायरा - पक्का बताऊंगी ...।
रूही - तो बताओ...।
कायरा - बोलने का मौका तो दो...।
रूही - जाओ दिया ।
कायरा ( अपने बालों में उंगली फिराते हुए ) - वो ...., वो मैंने....., मतलब की ।
रूही ( झल्लाकर ) - साफ - साफ कहो कायरा , वरना हम अभी आरव को कॉल करके यहां बुला लेंगे ।
कायरा ( झट से बोली ) - नो....., खबरदार जो उन्हें बुलाया तो । मैं बता रही हूं न ...., ( इस बात पर रूही उसे घूरती है , तो कायरा तुरंत कहती है ) मैने कल पार्क से आने के बाद से खाना नहीं खाया , और रात में सोई भी नही ।
रूही उसकी बात पर उसे हैरानी से देखती है , अगले ही पल उसे गुस्सा आ जाता है कायरा पर और वो चेयर से उठकर, उस पर गुस्से से फटते हुए कहती है ।
रूही - पागल हो तुम..??? नहीं बताओ न .., सच में पागल हो क्या..??? कल सुबह ही आंटी ने हमें बताया था कॉल करके , कि तुमने सुबह से कुछ नहीं खाया है । और पार्क में खाने को खाना कहती हो , चिड़िया के जैसे खाया था तुमने वहां पर खाना, और ये तो पक्का है कि आज भी सुबह से तुमने कुछ नहीं खाया होगा , वरना ऐसे चेहरा नहीं मुरझाता तुम्हारा । और ऊपर से सोई भी नहीं हो रात भर....। ये सारे करामात किस खुशी में किए हैं आपने बहन जी , बताने का कष्ट करेंगी आप थोड़ा हमें...???
कायर ( उसे वापस चेयर पर बैठा कर कहती है ) - तुमने कहा था , कि तुम मुझपर गुस्सा नहीं करोगी ।
रूही ( उसे गुस्से से खा जाने वाली नजरों से देखकर बोली ) - तो क्या आरती उतारें हम तुम्हारी..??? ये बताओ , कि क्यों किया ये सब , और सुबह से थी कहां तुम...???? बताओ अभी के अभी...!!!
कायर - बताती हूं न , इतना गुस्सा क्यों हो रही हैं ।
इतना कह कर वह उसे , कल रात भर राजवीर के कारण सोच - सोच कर जो वह परेशान हो रही थी , और आज सुबह उसने जो राजवीर को धमकाया था , सब कुछ रूही को कह सुनाती है । और रूही उसे हैरान सी देखती रह जाती है । उसकी बात खत्म होने पर रूही उससे कहती है ।
रूही - क्या जरूरत थी तुम्हें उसके घर जाने की , और आरव ने तो उसका हिसाब कर दिया था न । फिर क्यों गई तुम , अगर तुम्हें कुछ हो जाता , या वो दोबारा तुम्हारे साथ बत्तमीजी या फिर कुछ......, ( कुछ पल चुप रहने के बाद ) क्यों किया तुमने ऐसा , क्यों गई तुम, और ये बात आरव या घर में किसी को पता है...????
कायरा - उसने जो हरकत की , उसके लिए उसे ये बताना बहुत जरूरी था , कि मैं बाकी लड़कियों की तरह चुप - चाप न ही अपने साथ और न किसी और के साथ गलत होता हुआ देख सकती हूं। उसे भी पता चलें, कि उसने किस लड़की को ललकारा है । मैं कमजोर नहीं हूं , जो वो आए और मेरे साथ कुछ भी करके चला जाए , मैं वो लड़की हूं , जो बिना अपनी मर्जी के किसी को खुद को देखने तक की इजाजत नहीं देती , फिर उसने तो बिना मेरी इजाजत के मुझे किडनैप करवाया है । कल की हरकत की सजा उसे आरव ने दे दी , लेकिन मैं उसे आगाह करके आई हूं , अगर दोबारा उसने ऐसा कुछ करने की सोची , तो उसकी जिंदगी के पन्ने पर , उसकी मौत की अजमाइश मैं खुद अपनी कलम की स्याही से करूंगी । ये बात उसे समझ आ गई तो ठीक , वरना उसका जो हाल होगा न , हर जन्म में उसका दर्द वो याद रखेगा , भूल नही पाएगा ये बात , कि उसके कितनी बड़ी गलती की थी और उसकी सज़ा उसे मौत से भी बत्तर मिली थी ।
रूही - और घर में इस मैटर के बारे में किसे पता है कायरा , या फिर आज जो तुम गई थी राजवीर के घर , उस बारे में क्या आरव जानते हैं...????
कायरा ( नजरें नीची कर ) - नहीं....., न ही आरव जानते हैं और न ही घर का कोई सदस्य इस बारे में जानता है । आरव ने मुझसे कहा था उस दिन , कि घर वालो से कुछ भी मत छुपाओ , सब बता दो । लेकिन मैं कैसे बताऊं उन्हें, इन सब बातों के बारे में ...??? एक सेकंड नहीं लगेगा , बात का बतंगड़ बनने में .....।
रूही - पर ऐसा क्यों होगा कायरा...???? दादी भले ही तुम्हें पसंद न करती हों , पर घर के बाकी लोग तो तुम्हारा सपोर्ट करेंगे न । और एक बात बताओ तुम हमें , तुम तो आरव से प्यार करती हो न , फिर क्यों उनसे नजरें फेरी तुमने , हमने देखा आज तुम्हारा बरताव आरव के साथ । क्यों कर रही हो तुम उनके साथ ऐसा...???
कायरा ( रूही के ओर बिना देखे ) - तुम्हारे दोनों सवालों की वजह एक ही हैं, जो मैं तुम्हें कभी नही बता सकती ।
रूही ( कायरा का चेहरा अपनी तरफ करके ) - क्यों....??? क्यों नही बता सकती तुम हमें , बचपन से लेकर आज तक तुमने हमसे एक भी बात नहीं छुपाई , और इसी वजह से हम दोनों ने साथ मिलकर हर प्रॉब्लम का सॉल्यूशन ढूंढा है , इस बात का भी सॉल्यूशन ढूंढ लेंगे । तुम एक बार कह कर तो देखो , हम तुम्हें सारी प्रॉब्लम्स से आजाद कर देंगे ।
( हा ....., हा......, हा......, हंसी आ रही है मुझे रूही पर । जो खुद की प्रॉब्लम को कभी कायरा से नहीं कह पाई , जिसे खुद के लिए हथियार उठाने में डर लगता है , कि कहीं सब कुछ खत्म न हो जाए , वो अपनी दोस्त के लिए जमीन आसमान एक करने में लगी है । शायद इसे ही गहरी दोस्ती कहा जाता हैं, जहां अपनी समस्या..., समस्या नहीं लगती और अपने दोस्त की समस्या खुद की जिंदगी से बढ़ कर हो जाती है । दोनों दोस्त कहीं न कहीं एक जैसी सिचुएशन में खड़ी हैं , लेकिन कहना एक दूसरे नहीं चाहती । क्यों......, क्योंकि कहीं इनकी प्रॉब्लम्स को सॉल्व करने के चक्कर में , इनके दोस्त की जिंदगी ही न लपेटे में आ जाए । यही सच्ची दोस्ती कहलाती है शायद और यही दो बहनों का प्यार भी...., जहां खुद की तकलीफ से ज्यादा , अपनी बहन ,अपनी दोस्त की तकलीफ मायने रखती है । )
कायरा ( उसके हाथो से अपना चेहरा अलग कर, नजरें चुराते हुए कहती है ) - नहीं कर पाओगी , जो तुम कह रही हो.... । और न ही मैं तुम्हें कुछ बता पाऊंगी ।
रूही ( कायरा का एक हाथ अपने हाथ में लेकर बोली ) - क्या हमारी दोस्ती इतनी बेगानी हो गई , कि तुम अब अपनी प्रॉब्लम्स भी हमसे छिपाने लगी हो ।
कायरा ( उसकी तरफ तिरछी नजरों से देखकर बोली ) - इस लिए दोस्ती नहीं की थी मैंने तुमसे , और न ही इस लिए आज तक मैं हमारी दोस्ती बचपन से निभाती आ रही हूं...., कि ये खयाल तुम्हारे मन में आए , कि हमारी दोस्ती बेगानी हो चुकी है । ( रूही से नजरें हटाकर ) रही तुम्हें प्रॉब्लम बताने की बात , तो कुछ बातें किसी से नहीं कही जा सकती , अपनी सबसे अजीज दोस्त या ये कहूं की अपनो से भी नहीं.. । कुछ बातें मन के किसी कोने में दबी रहें , तो ही बेहतर होता है .....।
रूही ( बीच में ही ) - आरव से भी नहीं कह सकती...????
कायरा ( उसकी आखों में नमी भर आती है , जिसे वह साफ करते हुए कहती है ) - उन्हें ही इन सबसे बचाने के लिए ये सब कर रही हूं । नहीं चाहती मैं रूही , कि उनकी जिंदगी में मेरी प्रॉब्लम्स की परछाईं भी पड़े । नहीं चाहती मैं , कि वो उस तकलीफ से गुजरें , जिसके वो हकदार हैं ही नहीं । मेरे उनके जिंदगी में शामिल होने से , उनकी जिंदगी में कई तरह के भूचाल आ जायेंगे , जो कि मैं उनकी जिंदगी में आने नहीं देना चाहती । उन्हें उन गलतियों की सज़ा कभी नहीं मिलने दे सकती , जिनकी भनक तक उन्हें नहीं है ।
रूही ( नासमझ सी परेशान होकर बोली ) - क्या कह रही हो तुम , हमारी तो कुछ समझ नहीं आ रहा । क्या तकलीफ , क्या वजह , किस तरह की गलती , कैसी परछाईं......., साफ - साफ कहो न तुम हमसे , क्यों बातों को गोल - गोल घुमा रही हो तुम...???
कायरा ( रूही की तरफ देखकर ) - कहा न मैंने तुमसे , कि हर बात सभी से नही शेयर की जा सकती , इवन अपनी दोस्त से भी नहीं.....।
कायरा की बात पर रूही सोच में पड़ जाती है , और मन ही मन खुद से कहने लगती है ।
रूही - सच ही तो कह रही है कायरा....., हम भी तो इससे अपनी असलियत छिपाए बैठे हैं । सच बात ही तो है , हर बात हर किसी से नही कही जा सकती , वरना हम भी अब तक तुम्हें सब कुछ कह डालते कायरा , जो बीते वक्त से हम फेस करते आ रहे हैं । ( कायरा से ) तुम क्यों कह रही हो , किस वजह से कह रही हो ऐसा , हमें तो कुछ समझ नहीं आ रहा । हम बस इतना जानते हैं कायरा , कि तुम गलत कर रही हो आरव के साथ । प्यार करते हैं वो तुमसे , आंखों में दिखाता है उनकी । और बीते वक्त में जो कुछ भी हो रहा है और आरव हर बार जिस तरह से तुम्हारी केयर कर रहे हैं , उन्हें देखकर कोई भी उनके दिल में छुपी तुम्हारे लिए पनपती मोहब्बत को , आसानी से समझ सकता है । और तुम भी तो ये बात जानती हो । जब हम सब उनकी आंखों में तुम्हारे लिए मोहब्बत देख सकते हैं , तो क्या तुम नहीं देख सकती ..??? और एक बात बताओ , तुम भी तो उनसे प्यार करती हो , तब भी अपनी फीलिंग्स को आरव से शेयर नहीं कर रही हो । गलत कर रही हो तुम ऐसा करके कायरा , खुद के और आरव के साथ ....। तुमने हमसे इस बारे में सबसे छुपाने के लिया कहा, हमने भी तुम्हारी बात मानी और कभी किसी से तुम्हारी फीलिंग्स का जिक्र नहीं किया । पर आरव....., उन्हें जानने का हक है , कि वो जिससे मोहब्बत करते हैं , वह भी उसे उतना ही चाहती है । और तुम्हें क्या लगता है कायरा , कि तुम्हारी फीलिंग्स किसी को नज़र नहीं आएंगी..??? अगर आरव की मोहब्बत के हम सब गवाह हैं , तो तुम्हारी मोहब्बत के एहसास भी किसी से छिपे नहीं है .....।
कायरा ( बीच में ही , फीका मुस्कुराकर बोली ) - तकलीफ तो यही है मेरी जान कि ,
" जो भावनाएं हम सभी को दिखाना नहीं चाहते ,
उनका ढिंढोरा सारे जहां में पीट दिया जाता है ।
और जिस तकलीफ से हम सालों से गुजर रहे हैं,
उनकी तो कोई खबर ही नहीं रखना चाहता.....। "
रूही - हमारी समझ से परे हैं तुम्हारी ये बातें , जिन्हें तुमने कविता में बड़ी आसानी से पिरो दिया । लेकिन हम बस इतना चाहते हैं , कि तुम खुश रहो , और साथ में आरव को वो दर्द न दो , जिसके वो हकदार ही नहीं है ।
कायरा ( कहीं कोई हुई सी ) - भविष्य में होने वाले बड़े दर्द से बचाने के लिए , इन छोटी मोटी चोटों को उन्हें ( आरव ) सहना होगा.... । ( अपना सिर झटक कर, चेयर से उठते हुए ) छोड़ो ये सब बातें रूही , ये बातें तो कभी खत्म ही नहीं होंगी । देर हो रही है मुझे , इस लिए मुझे जाने होगा । अनय मेरा इंतजार कर रहा होगा ।
" अनय मेरा इंतजार कर रहा होगा " , ये बात कायरा के मुंह से सुनकर रूही को एक झटका सा लगता है और वो हैरान नजरों से उसे देखती है । कायरा उसकी तरफ नहीं देखती और अपना सामान उठाकर जाने लगती है । लेकिन जाति हुई कायरा का पीछे से रूही हाथ पकड़ लेती है और उसे अपनी तरफ घुमाकर उससे कहती है ।
रूही - क्या मतलब है तुम्हारा इस बात से , कि अनय तुम्हारा इंतजार कर रहा होगा । और अनय से तुम्हारी इतनी दोस्ती कब बढ़ी , कि उसे तुम्हारा इंतजार करना पड़े..??? और वजह क्या है इस बात की...????
कायरा - क्या जरूरी है तुम्हारा वजह जानना..????
रूही ( हल्के गुस्से से कायरा को घूरते हुए ) - पिछली दो वजहें तो तुमने हमें नहीं बताई , इनफेक्ट ये कहूं कि तुमने बताना जरूरी नहीं समझा । लेकिन तीसरी के बारे में तुम हमसे छुपाओ , ये हमें कुछ हजम नहीं हो रहा । क्या ये वजह भी नहीं बताई जा सकती हर किसी से...?? अगर ऐसा है , तो बता दो , कि और कौन - कौन सी वजहें हैं , जो तुम हमसे आज तक छुपाती आ रही हो , या अब छुपाने लगी हो..????
कायरा रूही की बातों से अंदाजा लगा चुकी थी , कि अगर उसने ये नहीं बताया कि वो " अनय से मिलने क्यों जा रही हैं...???" , तो रूही काफी अपसेट होगी , और रात दिन टेंशन में रहेगी कि आखिर कायरा क्यों उससे सब छुपाने लगी है । इस बात को ध्यान में रखते हुए उसने रूही की आखों में झांकते हुए, रिक्वेस्ट भारी नजरों से कहा।
कायरा - मैं तुम्हें बता देती हूं वो वजह हैं , लेकिन वादा करो मुझसे , कि तुम किसी से इस बारे में जिक्र नहीं करोगी ।
रूही - क्यों हर बार हमें वादे की आड़ में चुप करवा देती हो तुम...????
कायरा - जरूरी है , इस लिए....।
रूही - किया वादा ....., नहीं कहेंगे किसी से कुछ इस बारे में । अब वजह बताओ , कि क्यों अनय से मिलने जा रही हो ..???
कायरा उसे वजह बताती है , जिसे जानने के बाद रूही की आखें पहले से भी ज्यादा हैरानी और टेंशन से फैल जाती हैं । रूही उससे कहती है ।
रूही ( हल्के टेंशन के साथ ) - क्या तुम ठीक कर रही हो ...??? मेरा मतलब कि , बेवजह रिस्क तो नहीं ले रही न तुम ...????
कायरा ( पलकें झपकाकर बोली ) - बड़े नुकसान से बचने के लिए , छोटे मोटे रिस्क उठाने पड़ते हैं रूही ।
रूही - हमें तुम पर विश्वास है , कि तुम जो भी करोगी , सही ही करोगी । बस खुद का खयाल रखना , बाकी हमें तुमसे कुछ नहीं चाहिए ।
कायरा - थैंक्स रूही , मुझपर इतना ट्रस्ट करने के लिए ।
रूही - हमारे बीच में कभी सॉरी और थैंक्यू की जगह नहीं रही है कायरा , और आगे भी नहीं रहनी चाहिए । ( मुंह बनाकर ) इस लिए अपना थैंक्स अपनी जेब में डालो ।
कायरा उसकी बात पर मुस्कुरा देती है । ये शायद पूरे दिन में पहली बार था , जब वह दिल से मुस्कुराई थी ।
कायरा - मैं निकलती हूं । लेट हो रहा है ।
रूही - कुछ खा लो कायरा , तुम वैसे भी बीमार लग रही हो । हमें तुम्हारी चिंता हो रही है । कुछ खा लो फिर चली जाना ।
कायरा - मन नहीं है मेरा रूही । वैसे भी रूही , इस वक्त इससे भी ज्यादा जरूरी काम है मुझे । प्लीज टेंशन मत लो , और क्लास जाओ । शाम को फोन पर सब बताती हूं मैं तुम्हें ।
रूही - पक्का...???
कायरा ( मुस्कुराकर , उसकी हथेली पर अपनी हथेली कस कर बोली ) - प्रॉमिस.....।
रूही मुस्कुरा देती है और कायरा कॉलेज से निकल जाती है । रूही मन ही मन भगवान से प्रार्थना करती है , कि कायरा की इंटेंशन और अनय से मिलने की आज की उसकी वजह सफल हो........ ।
क्रमशः