Ahsaas pyar ka khubsurat sa - 52 in Hindi Fiction Stories by ARUANDHATEE GARG मीठी books and stories PDF | एहसास प्यार का खूबसूरत सा - 52

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एहसास प्यार का खूबसूरत सा - 52





अनय से जब अपने दोस्तों के द्वारा , कायरा के लिए कहे हुए अपशब्द बर्दास्त नही हुए , तो उसने अपने दोस्तों में से एक की कॉलर पकड़ ली और उसकी आखों में गुस्से से देखते हुए बोला ।

अनय - दोस्त है वो मेरी , तमीज से बात कर उससे...। और अगर दोस्ती का मतलब नही जानता , तो शांत रह । अपना ये घटिया मुंह और घटिया शब्द कहीं और जाकर इस्तेमाल कर , समझा......।

कायरा अनय से उस लड़के को छुड़ाने के लिए , उसका हाथ कस कर पकड़ते हुए बोली ।

कायरा - प्लीज अनय, लीव हिम....। छोड़ दो अनय उसे , तमाशा मत बनाओ सबके सामने....।

अनय ने उस लड़के को छोड़ा और कायरा की तरफ तुरंत पलटते हुए गुस्से से बोला ।

अनय - गलत वो कर रहा है , अपशब्द वो कह रहा है और तुम मुझे कह रही हो , कि मैं तमाशा न बनाऊं । ( लड़के की तरफ मुड़ते हुए ) अरे इस नालायक की हिम्मत कैसे हुई , इतनी ओछी बात कहने की ।

वो लड़का अपनी कॉलर ठीक करके खांसने लगा, क्योंकि अनय के कॉलर पकड़ने के कारण उसे अपने गले में बेहद ज्यादा खिंचाव महसूस हो रहा था । दूसरा लड़का उसे संभालते हुआ , तेज़ आवाज़ में बोला ।

दूसरा लड़का - कल की आयी लड़की के लिए तू हम दोस्तों से बहस कर रहा है , हम दोस्तों से लड़ाई करने में उतर आया है । क्या गलत बोला इसने ...???? एक लड़का और एक लड़की दोस्त कब से बनने लगे ...???? और हमने ऐसी कौन सी ओछी बात कर दी, जो तुझे हजम नही हुई ...???? सिर्फ इस लड़की को खेलने के लिए ही तो बोल रहे हैं , क्योंकि इसकी तारीफ खुद इस कॉलेज का प्रिंसिपल करके गया था , पूरी क्लास के सामने । तो क्या गलत बोला हमने...???? बता तू..???? और तुम कायरा....., तुम्हें नहीं खेलना , या नहीं आती बास्केट बॉल, तो साफ - साफ मना कर दो ना , क्यों हम दोस्तों की आपस में लड़ाई करवा रही हो तुम....????

अनय गुस्से से उस दूसरे लड़के की ओर बढ़ा और उसकी कॉलर पकड़ कर उसे मारने के लिए उसने अपना हाथ उठाया ही था , कि कायरा ने उसका हाथ रोक लिया और उस लड़के की कॉलर अनय से छुड़ाते हुए बोली ।

कायरा ( अनय से ) - छोड़ो अनय उसे....., प्लीज हमारी दोस्ती की खातिर छोड़ दो । भले ही हमारी दोस्ती कुछ दिनों की हो , पर तुम मेरे लिए इनके खिलाफ खड़े हो , वही काफी है मेरे लिए । ( कायरा की बात सुनकर अनय ने उस लड़के को छोड़ दिया , कायरा दूसरे लड़के से बोली ) और मिस्टर तुम..., तुम जो भी हो , ये बात जान लो , कि अगर कोई लड़की खेलना नही चाहती या उसका मन नहीं है खेलने का तो इसका मतलब ये नही होता कि उससे वो खेल आता नही है या उसके लिए झूठी तारीफ की गई हो किसी के भी द्वारा । मेरा मन नहीं था खेलने का इस लिए मैं नहीं खेल रही थी , लेकिन इसका मतलब ये कतई नहीं है, कि मुझे बास्केट बॉल या बाकी के स्पोर्ट्स खेलने नहीं आते । मुझे सब कुछ आता है , पर मैं दुनिया को दिखाने के लिए नहीं खेलती । साथ ही , प्रिंसिपल सर ने मेरी झूठी तारीफ नहीं की थी , सच ही कहा था उन्होंने । लेकिन तुमने मुझे एक तरह से चैलेंज करके बहुत बड़ी गलती कर दी है । वैसे तो मैं किसी भी अजनबी की बात पर कोई रिएक्ट नहीं करती , लेकिन बात अब मेरे स्वाभिमान और मेरे स्पोर्ट्स स्किल पर आ चुकी है , इस लिए मैं ये बास्केट बॉल खेलूंगी भी और जीतूंगी । मैं बिना किसी टीम स्पोर्ट के खेलूंगी, मेरे साथ कोई भी नहीं होगा ...., समझे तुम ।

लड़का ( हंसते हुए ) - तुम...., तुम खेलोगी और भी इन कपड़ों में । जींस, इतनी लंबी कुर्ती और दुपट्टे पर कौन स्पोर्ट्स खेलता है । और तुम्हारे साथ खेलने के लिए तो हमें लड़कियों को बुलाना पड़ेगा । रहने दो यार तुम तो , न खेलो तुम वही अच्छा है । अकेले खेलने की बात करती है , ये अकेली लड़की.....।

इतना कहकर उसने अपने दूसरे दोस्त को हाई - फाइव किया और अनय का गुस्सा एक बार फिर बढ़ गया । अनय गुस्से में उनसे कुछ बोलने ही जा रहा था , कि तभी कायरा ने तुरंत उसके पास जाकर , उन लड़कों के सामने अकड़ कर कहा ।

कायरा - इन्हीं कपड़ों में खेलूंगी मैं , और वो भी तुम लड़कों के साथ । मेरे साथ न ही अनय होगा और न ही कोई और ....। मुझमें हिम्मत और ताकत , दोनो ही बहुत ज्यादा हैं । अब तुम लोग अपना देखो , क्या तुम लोग एक अकेले लड़की के साथ खेल सकते हो बास्केट बॉल या नहीं.....। अगर डिसाइड लोगे , तो बास्केट कोर्ट में आ जाना । और हां , थोड़ा जल्दी करना , वक्त नहीं है मेरे पास ज्यादा फालतू के कामों के लिए ।

इतना कह कर कायर ने अपने बाल झटके और सीढ़ियों से नीचे , बास्केट बॉल स्टेडियम की ओर तेजी से बढ़ गई । अनय ने उन लड़कों को एक नज़र घूरा और कायरा की ओर वह भी , उसका नाम पुकारते हुए बढ़ गया । पर कायरा ने उसकी आवाज़ को अनसुना कर दिया । उसने अपने बालों का जूड़ा बनाया और और दुपट्टे को गले से निकाल कर , एक तरफ के कंधे पर डाला और उसे अपने कमर के चारों ओर कड़क गठान के साथ बांध लिया । वो लड़के कायरा के इस एटीट्यूड को देखकर हैरान थे । उनमें से एक लड़का , दूसरे लड़के से बोला ।

लड़का - यार रोहन ..., एक दम सॉलिड लड़की है भाई ये तो । बिना किसी डर के कैसे हमें खुली चेतावनी देकर गई है ये लड़की । ऊपर से कितना एटीट्यूड है भाई इसके अंदर । एक अकेली लड़की हमसे अकेले सामना करने का चैलेंज देकर गई है भाई । मुझे तो लग रहा है , कि इस लड़की ने जो कहा है , वो करके दिखाएगी । इसकी आखों में गजब का कॉन्फिडेंस देखा है मैंने , और इसकी बात में दम भी लगा मुझे ।

रोहन ( फीका हंसते हुए ) - तू ज्यादा सोच रहा है विक्की । ये लड़की कुछ नही कर पायेगी । क्योंकि ये अकेली है और दूसरा , ये एक लड़की भी है । लड़कियां लड़कों से कभी मुकाबला नहीं कर सकती , ये बात गांठ बांध ले भाई तू अपने दिमाग में । और ऐसे कितने आए और कितने गए, जो जाने कहां - कहां के स्पोर्ट्स टॉपर रह चुके हैं । हमने सबको धूल चटाई हैं, तो फिर ये कौन से खेत की मूली है । ( विक्की का कंधा थपथपाते हुए ) चल भाई , मजा चखाते हैं इस लड़की को आज और बताते हैं , कि लड़की - लड़की ही होती है । अगर लड़का बनने की कोशिश लड़कियां करती हैं , तो औंधे मुंह ही जमीन पर गिरती हैं ।

ये सुनकर विक्की का खोया हुआ कॉफिडेंस वापस आ गया और दोनो हंसते हुए बास्केट बॉल , जो कुछ देर पहले अनय के हाथ से गिर गई थी , उसे उठाकर बास्केट बॉल स्टेडियम की ओर बढ़ गए ।

इधर आरव कुछ ज्यादा ही परेशान था और उसकी नज़र सिर्फ और सिर्फ दरवाजे की ओर थी । सभी दोस्त उसे देख रहे थे और उसकी इस हालत का रीजन भी समझ रहे थे । लेकिन सब ऐसी परिस्थिति में मौजूद थे , जहां वो आरव से बात तक नहीं कर सकते थे । आरव लगातार दरवाजे की तरफ देखते हुए , कायरा के आने का इंतजार कर रहा था , साथ ही उसके दिल की धड़कने जो कुछ देर पहले तक कायरा के खयालों में खोई हुई थोड़ी सी शांत थी , अब वो कायरा का इंतजार करते हुए बैचेन हो रही थीं । जिसका कारण आरव समझ नही पा रहा था , और वो सिर्फ और सिर्फ दरवाजे की तरफ देख रहा था । तभी प्रोफेस सक्सेना मैडम की नज़र आरव पर पड़ी , जो बड़ी ही शिद्दत से अकाउंट सब्जेक्ट का एक टॉपिक एक्सप्लेन कर रही थी , साथ ही व्हाइट बोर्ड पर कुछ सवाल भी उन्होंने एक्सप्लेन किए हुए थे । मगर जब उन्हें दिखाई दिया , कि इस क्लास के टॉपर का ध्यान उनके एक्सप्लेनेशन और बोर्ड की तरफ न होकर , क्लास के दरवाजे की तरफ है , तो उन्हें बेहद गुस्सा आया । उन्होंने पढ़ाना बंद किया और बिना किसी से कुछ कहे आरव के सामने दोनो हाथों की घड़ी बांधे, जाकर खड़ी हो गई । आरव इतनी शिद्दत से कायरा का इंतजार करते हुए दरवाजे को देख रहा था, कि उसे पता ही नही चला , कब प्रोफेसर सक्सेना मैडम उसके सामने आकर खड़ी उसे ही घूर रही हैं । प्रोफेसर मैडम ने आरव को आवाज़ दी, पर आरव के कानों में तो जैसे जूं तक नहीं रेंगा । ये सब देखकर , सारे दोस्तों ने अपना सिर पकड़ लिया और बाकी की क्लास तेज़ आवाज़ में हंस दी । जोर से हंसने की आवाज़ जब आरव के कानों में पड़ी , तो आरव ने पूरी क्लास की तरफ देखा और फिर प्रोफेसर मैडम की तरफ देखा , जो अब पूरी क्लास को घूर रही थी और उनके गुस्से से घूरने के कारण पूरी क्लास ऐसे शांत बैठ गई थी , जैसे इन्हें हंसना आता ही न हो । आरव ने जब प्रोफेसर मैडम को अपने सामने देखा , तो तुरंत हड़बड़ा कर उठ खड़ा हुआ । और उसके उठते ही उसकी उंगलियों में पकड़ा पेन , फर्श पर गिर गया और सक्सेना मैडम उसकी तरफ पलट कर उसे घूरते हुए बोली ।

सक्सेना मैडम - आपका ध्यान कहां है आरव शर्मा ....???

आरव ( सिर झुकाते हुए ) - सॉरी मैम....।

सक्सेना मैडम - सॉरी बोलने से आपकी गलती पर पर्दा नहीं डाला जा सकता मिस्टर आरव शर्मा । आपको और आपके काम को , यहां बैठा लगभग हर इंसान जानता होगा । और जो नही जानता है , वो जल्द ही जान जायेगा । लेकिन इसका मतलब ये बिल्कुल भी नही है आरव , कि आप क्लास को भी अपना ऑफिस समझ लें । आप सिर्फ इस क्लास के ही नही , बल्कि इस पूरे कॉलेज के टॉपर स्टूडेंट हैं और आप अपनी जिंदगी में अपनी पढ़ाई के साथ - साथ , कई चीज़ें भी हैडल करते हैं , जो काबिले तारीफ हैं । और आपके जैसे स्टूडेंट से मुझे ये उम्मीद तो बिल्कुल नही थी आरव , कि आप मेरे एक्सप्लेनेशन पर ध्यान न देकर , इस क्लास के मेन गेट पर ध्यान देंगे । मैं चाहती तो आपसे अभी के पढ़ाए टॉपिक से रिलेटेड क्वेश्चन पूछ सकती थी । पर मैं जानती हूं, आपने ये सब पहले ही स्टडी कर लिया होगा और मेरे पूछने पर आप सारे आंसर करेक्ट बता देंगे । और मैं ये भी जानती हूं , कि आप यहां सिर्फ अटेंडेंस के लिए आते हैं , बाकी आप जैसे होनहार स्टूडेंट्स को तो पढ़ाने की भी जरूरत नहीं है हमें । फिर भी आज मैं आपसे ये कह रही हूं , कि आप अगर क्लास में हैं , तो पूर्ण रूप से क्लास में ही रहें , इस तरह क्लास के मेन गेट को न देखें । इससे आपका तो कुछ नहीं जाता , लेकिन जो आपकी तरह होनहार स्टूडेंट्स नहीं हैं , उनका बहुत कुछ जाता है । क्योंकि किसी एक स्टूडेंट की भी ऐसी हरकत करने के कारण , पढ़ाने वाले प्रोफेसर का दिमाग बहुत ज्यादा खराब हो जाता है । मैं आपको ये सब इस लिए आपको समझा रही हूं , क्योंकि पिछले साढ़े तीन सालों में ये पहली गलती है आपकी , क्लास के अंदर । अगर आप बाकी के स्टूडेंट्स की तरह , हमेशा ऐसी ही हरकतें करते होते , तो शायद मैं आपको इग्नोर कर देती । बट आप क्या हैं , ये इस कॉलेज के सारे प्रोफेसर्स अच्छी तरह से जानते हैं । इसीलिए ये सब मैं आपको एक्सप्लेन कर रही हूं । साथ ही एक टॉपर की ये पहली गलती होने के कारण , मैं आपको कुछ नही कहना चाहती । पर मेरा टाइम वेस्ट करवाने के कारण , मैं आपको अब दोबारा आज के दिन इस क्लास में नहीं देखना चाहती । इस लिए आप चुप - चाप क्लास से बाहर चले जाइए । ये मेरा ऑर्डर है , जो आपको मानना ही पड़ेगा । क्योंकि ये कॉलेज है और इस वक्त आपको आपकी प्रोफेसर ये करने को कह रही है ।

प्रोफेसर सक्सेना मैम ने , बड़ी ही शालीनता से आरव की पूरी क्लास के सामने, सरे आम बेज्जती कर दी थी । उन्होंने अपनी शालीनता का परिचय देते हुए , न ही ऊंची आवाज़ में बात की और न ही उन्होंने आरव को डांटा । पर उन्होंने ऐसी बातें कह दी थी , जो आरव जैसे स्टूडेंट के दिलों - दिमाग में तीर की तरह लगना तय थी और शायद क्या , यकीनन यही हुआ । आरव ने अपनी डेस्क पर रखे अपने नोट्स और बाकी चीज़ों , साथ ही फर्श पर पड़े उसके फेवरेट पेन को उसने हाथ तक नहीं लगाया और नजरें झुकाए , बिना किसी से कुछ कहे क्लास से बाहर चला गया । सक्सेना मैम और आरव के सारे दोस्तों को ये आभाष हो चुका था , कि आरव को इस बात का बेहद बुरा लगा है । लेकिन वो सब ये भी जानते थे , कि प्रोफेसर मैम ने कुछ भी गलत नही कहा है । अगर शायद कोई और होता , तो अब तक बहुत ही गंदे तरह से आरव की इंसल्ट करता , पर मैम ने ऐसा नहीं किया और बड़ी ही शालीनता से आरव के सामने अपनी बात रखी , जो कि किसी आम स्टूडेंट के लिए नॉर्मल बात थी , पर आरव के लिए ये बहुत बड़ी बात बन चुकी थी । पूरे क्लास में इतनी शांति पसरी हुई थी , कि अगर सुई तक वहां गिरे , तो उसकी भी आवाज़ सभी के कानों तक पहुंच जाए । मैम ने सभी बातों को अब इग्नोर किया और एक बार फिर अपने टॉपिक को उन्होंने पढ़ना स्टार्ट कर दिया । सारे दोस्त सिर्फ पढ़ाई करने की एक्टिंग कर रहे थे , क्योंकि सबका ध्यान तो आरव की तरफ था । सभी क्लास के फिनिश होने का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे , ताकि वे सभी जल्द से जल्द आरव के पास पहुंच सकें ।

इधर आरव क्लास से बाहर निकलने के बाद , क्लास के बाहर पड़ी एक बेंच पर बैठ गया और उसने अपने दोनो हाथो से अपने चेहरे को ढंक लिया । बुरा तो उसे बहुत ज्यादा लगा , लेकिन उसे पता था , पहली बार ही सही , लेकिन क्लास में आज उससे गलती हो ही गई है । उसने एक लंबी सांस ली और चेहरे से हाथ हटाकर , वहीं क्लास के बाहर कॉरिडोर में बनी , खिड़की के पास आ गया और खिड़की से बाहर देखने लगा और सोचने लगा , कि उसकी इमेज आजकल प्रोफेसर्स के सामने कुछ खराब सी होने लगी है । क्योंकि न तो वो सारी क्लासेस अटेंड कर पता है और न ही आजकल किसी प्रोफेसर के टच में रहता है स्टडी से रिलेटेड कामों के लिए । पर था तो आखिर वो भी मजबूर ही , इतनी सारी जिम्मेदारी जब इंसान के ऊपर आयेगी , तो कहीं न कहीं, कुछ न कुछ तो छूटेगा ही । आरव ये सब सोच ही रहा था , तभी उसका ध्यान खिड़की से बाहर दिख रहे , बास्केट बॉल स्टेडियम की ओर गया , जिसके गेट पर कुछ ज्यादा ही भीड़ लगी हुई थी । आरव के कदम उस ओर देखकर , अपने आप ही सीढ़ियों की ओर बढ़ गए और वह सीढ़ियों से उतरते हुई बास्केट बॉल स्टेडियम की ओर चला गया ।

कायरा बास्केट बॉल खेलने के लिए तैयार थी । उसने अनय को जानबूझकर , अपनी ऑपोजिट टीम में शामिल कर दिया था , क्योंकि वो आज अकेले ही लड़ना या कहें खेलना चाहती थी । अनय को न चाहते हुए भी कायरा की बात माननी पड़ी थी । कायरा अकेले थी और वो लगभग , सात लोगों के बॉयज टीम के साथ खेल रही थी । जिसमें अनय , विक्की और रोहन के साथ - साथ और भी बॉयज थे । कॉलेज के अधिकतर स्टूडेंट्स ये ही देखने आए थे , कि एक अकेली लड़की इतने सारे बॉयज का सामना कैसे करेगी और कैसे वो सभी लोगों को हराएगी । कई स्टूडेंट्स ने आपस में शर्त भी लगाई हुई थी , कि इस गेम में कायरा हारेगी और बॉयज जीतेंगे । इन सबसे बेखबर कायरा खेलने के लिए एक दम तैयार खड़ी थी । तीन पॉइंट्स का गेम खेलना डिसाइड हुआ । कायरा का , बॉयज के टीम के साथ टॉस हुआ और उसमें बॉयज की टीम जीत गई और कायरा के होठों पर एक जहरीली मुस्कान बिखर गई , जैसे वो यही चाहती थी कि टॉस बॉयज ही जीतें । बॉयज में से विक्की ने बास्केट बॉल ली और जमीन में हाथों के सहारे से बॉल को उचकाते हुए उसने , बॉल रोहन को पास की और कायरा बस इसी तलाश में थी, कि कब उनके हाथ से बॉल छीने और तुरंत बास्केट कर दे । लेकिन यहां रोहन ने दूसरे लड़के को बॉल पास कर दी और कायरा एक बार फिर उनसे बॉल नही छीन पाई । उस लड़के ने कायरा से बचते हुए एक और लड़के को बॉल पास की और कायरा के हाथ से एक बार फिर ये चांस मिस हो गया । ये देखकर सारे स्टेडियम में फैले स्टूडेंट्स कायरा को लूजर - लूजर कह कर चिढ़ाने लगे , जबकि कायरा का उनकी आवाज पर ध्यान ही नही था । वो तो बस , अर्जुन की तरह बॉल को मछली की आंख समझ रही थी और उसका पूरा ध्यान सिर्फ और सिर्फ बास्केट बॉल में था । तभी आरव भी शोर कर रहे स्टूडेंट्स के बीच आकर खड़ा हो गया और कायरा को इतने सारे लोगों से अकेले सामना करते देख उसका दिमाग घूम गया । उसने नीचे उतर कर कायरा के पास जाने की कोशिश की , लेकिन वहां इतनी भीड़ थी, कि आरव अपना एक भी कदम ऊपर की तरफ की सीढ़ियों से नीचे की ओर नहीं बढ़ा पा रहा था । जब वो नीचे नहीं पहुंच पाया , तो उसने अब चुप रहना ही ठीक समझा और चुप - चाप कोर्ट के अंदर की ओर खेलती हुई कायरा को देखने लगा । कायरा की नज़र बॉल पर गई , जिसे दूसरे लड़के ने अनय की तरफ पास किया था बास्केट करने के लिए । लेकिन अनय की नज़र कायरा पर थी , जो जस्ट उसके सामने खड़ी थी और अपनी नज़र बॉल पर गड़ाए हुए थी । अनय ने तुरंत बॉल इस तरह फेंकी , कि उसे कायरा आसानी से कैच कर बास्केट कर सके और यही हुआ । अनय के बॉल फेंकते ही, कायरा ने बॉल खुद के हाथ में ली और उसे जोरदार जंप के साथ बास्केट में डाल दिया और कायरा को बास्केट करने के बाद एक प्वाइंट मिल गया । कायरा अपनी पहली जीत पर बहुत खुश हुई , पर उसका ध्यान अनय के चेहरे पर चला गया , जो उसे देखकर मुस्कुरा रहा था । जबकि विक्की , रोहन और बाकी सब स्टूडेंट्स हैरान थे कायरा के इस बास्केट शॉट से और उसकी जंप को देखकर भी । क्योंकि कायरा ने काफी बड़ी जंप मारी थी और बास्केट किया था । विक्की और रोहन ने एक दूसरे को हैरानी से देखा और फिर वे दोनो कायरा को देखने लगे , जो बड़े ही आराम से खड़ी थी , चेहरे पर बिना कोई भाव लिए । आरव भी कायरा के इस शॉट से बेहद खुश हुआ , पर उसने बाकियों को कहते सुना , कि अभी दो पॉइंट्स और चाहिए इस लड़की को , तभी ये जीती हुई कहलाएगी । आरव ने ये सुनकर , अपनी नजरें एक बार फिर कायरा पर टिका ली , जो इस वक्त अनय को देख रही थी ।

कायरा ने जब अनय को खुद को मुस्कुराते हुए देखा , तो उसके सामने आकर खड़ी हो गई और उसके हाथ से पानी की बॉटल लेकर , उसका ढक्कन खोलते हुए बोली ।

कायरा ( बिना किसी भाव के ) - खुद की काबिलियत और ताकत से खेलने की आदत है मुझे । चीटिंग करना मैंने कभी नहीं सीखा और उम्मीद करती हूं , तुमने जो अभी किया वो दोबारा नहीं करोगे । ईमानदारी मैं भी उस वक्त दिखा सकती थी , पर लोग जान जाते, कि तुमने खुद की टीम के साथ धोखा किया है और फालतू में तुम्हें लोगों की बातों और नजरों का सामना करना पड़ता , जो कि मैं हरगिज़ नहीं चाहती । उम्मीद है , अगली बार ईमानदारी दोनो तरफ से होगी , तुम दोबारा ऐसी कोई हरकत नहीं करोगे , मुझे हेल्प करने का नाम देकर । ( पानी के एक दो घूंट पीते हुए ) और मुझे भी किसी से हेल्प लेने की आदत नही है , दोस्त होने के नाते मेरा साथ दोगे और मुझे समझोगे , इतनी उम्मीद तो तुमसे मैं कर ही सकती हूं ।

इतना कह कर कायरा ने अनय को बॉटल थमाई और अपने दुपट्टे को और कसकर बांधते हुए कोर्ट के दूसरी तरफ चली गई । जबकि अनय हैरान था , कायरा का ये रूप देखकर । और उसने खुद से कहा ।

अनय - ये लड़की आखिर है क्या चीज़ ...???? मैंने तो इतनी सफाई से बॉल इसकी तरफ पास की थी , कि लोगों को ये लगे कि मेरे हाथों से बॉल मिस हो गई है , साथ ही लोगों के साथ - साथ इसे भी पता न चले । पर इस लड़की को तो पता भी चल गया और इसने मुझे खुद की हेल्प करने से मना भी कर दिया । मैं तुम्हें जिताने के लिए ही तुम्हारी हेल्प कर रहा था , बट तुम्हें तो मेरी हेल्प भी मजूर नहीं है । कैसी लड़की है यार ये .....!!!!! कसम से तुम अजूबा हो कायरा , वन पीस इस दुनिया में । जिंदगी में आजतक ऐसी लड़की कहीं नहीं देखी मैंने ।

तभी कायरा ने दूर खड़े होकर , अपनी मुंडी घुमाई और अनय की तरफ देखकर मुस्कुरा दी । अनय अब और हैरान था , लेकिन उसने भी कायरा की तरफ देखकर एक बनावटी स्माइल पास कर दी और मन ही मन कहने लगा ।

अनय - भगवान इसकी मुस्कुराहट देखकर ऐसा लग रहा है , जैसे मैं जो कुछ भी सोच रहा हूं , ये लड़की उसे पहले से जानती हो । अंतर्यामी बनाया है क्या भगवान आपने इसे , या फिर दिमाग हम नॉर्मल इंसान से भी ज्यादा दे दिया है इसे , जो लोगों के दिमाग क्या चल रहा है , सब जान जाती है ।

ये सब सोचते हुए उसकी नजर आरव पर गई , जो सबसे ऊपर वाली सीढ़ी पर खड़े होकर बस कायरा को ही देख रहा था । ये देखकर अनय के चेहरे पर मुस्कान तैर गई , जो नेचुरल थी , बनावटी नहीं..... ।

क्रमशः