कुछ ही देर में गन अपने कमरे से बाहर आया। उसने एक ग्लास में दूध लिया और एक ब्रेड ली। अपने नाश्ते की शुरुवात बस करने ही वाला था की दादाजी की आवाज आई, " हान शंग्यान।"
" जी दादाजी।" उसने अपने हाथ रोक दिए और नाश्ता टेबल पर रखा।
" नियान कहा है ?" दादाजी
" यूनिवर्सिटी में होगी।" गन।
" तुम्हे इस बात का तक पता नहीं है, के तुम्हारी गर्लफ्रेंड कहा है। किस तरीके के बॉयफ्रेंड हो तुम।" दादाजी ने उसे डाटते हुए कहा। " सच बताओ मुझे, तुमने उस लड़की को भी अपने से दूर कर दिया ना ? तुमने उस से लड़ाई की?"
दादाजी की बढ़ी हुई आवाज सुन डी टी अपने कमरे से बाहर आया। गन ने एक नजर उस पर डाली। " इस ने आपको बताया ना ? गद्दार। "
" अपने भाई पर गुस्सा मत निकालो। मेरी बातों का जवाब दो ?" दादाजी ने कहा।
" नही हमारी कोई लड़ाई नही हुई है। मैं सच कह रहा हूं, वो अपनी यूनिवर्सिटी में ही होगी।" गन।
" आज रविवार है। साथ ही साथ उसका जन्मदिन। जानते हो क्या ?" दादाजी।
" मुझे कैसे पता होगा कि उसका जन्मदिन है, उसने कभी बताया ही नहीं।" गन।
" ये सब बताने की नही, जानने की चीजे होती हैं। जाओ जाकर उसे दोपेहर के खाने पर ले आओ।" दादाजी ने हुक्म सुनाया।
" जावूंगा लेकिन एक शर्त पर, ये भी मेरे साथ आएगा।" गन ने डीटी की तरफ ऊंगली दिखाते हुए कहा।
" मैं क्यों ?" डीटी।
" उसे भी साथ लेकर जाओ। जाओ भी।" दादाजी।
" सिर्फ नाश्ता कर लूं, कल रात से मैंने कुछ खाया नही है। आपकी जानकारी के लिए बता दूं।" गन ने दूध और ब्रेड लेकर नाश्ता करना शुरू किया।
" झगड़ा कम करोगे तो भूख ज्यादा और वक्त पर लगेगी।" दादाजी अपने पोते की नस नस से वाकिब थे। वो उन दोनो को देख कर उनकी परेशानी बता सकते थे।
कुछ देर बाद दोनो भाई नियान की यूनिवर्सिटी के अंदर उसका इंतजार कर रहे थे।
" तो वो सच मैं यहां है। तुम्हे कैसे पता चला ?" डीटी ने पूछा।
" मैने ब्लूबेरी के हसबैंड से पूछा, उसने ब्लूबेरी से पूछा और ब्लूबेरी ने नियान से पूछा।" गन।
" काफी अच्छे जासुस लगा रखे हैं, तुमने उसके पीछे।" डीटी ने गन का मज़ाक उड़ाते हुए कहा। बदले मैं उसे सिर्फ गुस्से से घूरती आखें मिली।
कुछ ही देर बाद नियान बाहर अपनी क्लास से बाहर आई। गुमसुम उदास उसे देख कर कोई नही कहेगा आज उसका जन्मदिन है। गन उस तक पोहचे उस से पहले एक लड़का वहा आया।
" हैप्पी बर्थडे नियान।"
" शुक्रिया।" नियान ने उसे एक नजर देखा फिर वापस नजरे झुका ली।
" तो हम चले।" उस लड़के ने पूछा।
" कहा ?" नियान।
" मैने और याया ने तुमसे वादा किया था, ना तुम्हारे जन्मदिन की पार्टी हम देंगे। चलो चलते हैं।" उसने नियान का हाथ पकड़ उसे खींचने की कोशिश की लेकिन नियान ने तुरंत अपने आप को छुड़वा लिया। और दो कदम पीछे हो गई।
‘ किस बात की पार्टी ? मेरा दिल टूटने की ?’ नियान ने सोचा। " मुझे कोई ....." आगे नियान कुछ बोल पाए उस से पहले गन ने उस लड़के को पकड़ कर उसका हाथ घूमा दिया।
" ये तुम्हे छेड़ रहा था ? इतनी हिम्मत।" गन।
उसकी हरकत से पहले नियान डर गई, लेकिन अब उसके चेहरे पर हसी वापस आ गई थी। " तुम ! यहां! क्या कर रहे हो ?" फिर उसे याद आया की गन ने अभी भी उस लड़के का हाथ मोड़ा हुवा है। " उसे छोड़ दो। वो मेरी टीम का कप्तान है। वो मुझे छेड़ नही रहा था।"
" तुम्हारी टीम मतलब वो यूनिवर्सिटी चैंपियनशिप क्या ?" गन ने उसे छोड़ते हुए पूछा।
नियान ने सिर्फ हां में गर्दन हिलाई।
" ए तुम, उस लड़के जानते हो ?" गन ने डीटी की तरफ हाथ दिखाते हुए कहा। डीटी ने सिर्फ एक मुस्कान के साथ अपना हाथ हिलाया।
" ये। ये तो वही चैम्पियन है। नियान देखो ये तो वही लड़का है जो अपनी टीम के साथ आया था।" उसने अचंभे से कहा।
" देखो, बुरा मत मानना। उसके अनुभव के आगे तुम लोग अभी भी बच्चे हो। कोशिश जारी रखो।" गन ने उस लड़के से सहानुभूति जताई। फिर वो नियान की तरफ मुड़ा। " अब चले ?"
उसके आने से ही नियान का चेहरा खुल गया था। उसके सवाल को वो कुछ समझ नही पाई। " कहां ?" उसने पूछा।
" आज मुझे छुट्टी है। चलो खेलने चलते हैं।" गन ने उसका हाथ पकड़ा और उसे गाड़ी की तरफ ले जाने लगा।
" पर नियान...." उसके कैप्टन ने उसे रोकने की कोशिश की।
" बाय । मुझे जाना है।" उसने मुस्कुराते हुए कहा।
वो तीनों गाड़ी में बैठे,
" मुझे माफ कर देना वू बाई। मैं तुम्हे पहचान नहीं सकी।" नियान ने कहा।
" कोई बात नही।" डीटी।
गन ने गाड़ी घर के बाहर रोकी।
" अच्छा, तो हम यहां क्या खेलने आए हैं ?" नियान ने पूछा।
" मुझे माफ कर दो। दादाजी तुमसे मिलने की जिद्द कर रहे है। आज तुम्हारे जन्मदिन के बारे में पता चला तो तुम्हे यहां लंच पर बुलाना चाहते हैं। बस एक बार संभाल लो आगे से ऐसा ना हो। मैं इस बात का ध्यान रखूंगा।" गन ने एक सांस में सारी बाते कह दी।
" तुम्हें नहीं लगता आखिरी वाली मेरी लाइन होनी चाहिए।" नियान ने मुस्कुराते हुए कहा। फिर दोनो गाड़ी से नीचे उतरे। डीटी ने गन से चाबी मांगी और कही चला गया।
" नियान" दादाजी ने मुस्कुराते हुए उसका स्वागत किया।
" दादाजी। कैसे है आप ?" नियान ने उनसे पूछा।
" अब बोहोत अच्छा हूं। आओ आओ।" ददाजीने नियान से काफी सारी बातें की, तब तक हान शंग्यान ने खाना मंगवा कर टेबल पर सजा दिया। फिर तीनों साथ खाना खाने बैठे।
बातो बातों में दादाजी ने बात निकाली, " नियान मैने सुना तुम्हे प्लेन में बैठने से डर लगता हैं। "
नियान और शंग्यान ने एक दूसरे को देखा। " ऐसा तो कुछ नही है दादाजी क्यो ?" नियान ने पूछा।
" मैने आखरीबार जब तुम्हारी मां से शादी कहा होगी पूछा था। तब उन्होंने बताया। हमारे कई रिश्तेदार नॉर्वे में है। तो मैं चाहता था, की शादी नॉर्वे में हो।" दादाजी।
" ओह।।। वो । मेरे रिश्तेदार अक्सर मुझे उनके साथ ले जाने की जिद्द करते है। मां को ये बात बिल्कुल पसंद नहीं है। मैं उनकी इकलौती बेटी हूं ना, इसलिए वो मुझे अपने से दूर नहीं करना चाहती। शायद इसीलिए उन्होंने ऐसा कहा होगा।" नियान ने जवाब दे चुपचाप अपना खाना शुरू किया।
" वैसे किसकी शादी हो रही हैं ?" हान शंग्यान ने पूछा।
" किसकी से क्या मतलब तुम्हारा ? तुम्हारी और नियान की।" दादाजी का गुस्सा फिर चढ़ने लगा।
" क्या मज़ाक है ? मैने कब कहा की हम शादी करेंगे ?" हान शंग्यान ।