Intzaar ek had tak - 12 in Hindi Moral Stories by RACHNA ROY books and stories PDF | इन्तजार एक हद तक - 12 - (महामारी)

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इन्तजार एक हद तक - 12 - (महामारी)




फिर खाना खा कर कागज़ की प्लेट फेंकने गया अमित, फिर हाथ धोकर आ गए तो रमेश अपना हाथ धोने गया ‌।
फिर बोटल से पानी पीने लगे और उसके बाद दोनों ही अपनी सीट पर सो गए। रमेश तो परी के पास ही सो गया।
शाम को चाय चाय की आवाज से तीनों ही उठ गए।
रमेश ने कहा यार आज बड़े दिनों के बाद अच्छी नींद आ गई। चलो चाय पीते है।
अमित ने चाय वाले को आवाज लगाई और फिर एक चाय वाला आया और बोला अदरक वाली चाय है सहाब।
रमेश ने कहा हां भाई चाय पीला दो जल्दी से।
फिर दोनों चाय पीने लगे और गाड़ी चल पड़ी।
परी ने आंखें मलते हुए कहा मुझे भुख लगी है।
अमित ने कहा अरे वाह परी को भुख लगी है तो ये लो परी चाकलेट वाला बिस्कुट मामी जी ने दिया था।
परी ने अमित से बिस्कुट का पैकेट लेकर खाने लगीं। ये देख दोनों हंसने लगे।
रमेश ने कहा अच्छा हुआ कि कल सन्डे है मंडे से जोय्न करना होगा और फिर चन्दू को समझना होगा कि परी का विशेष ख्याल रखें। अमित ने सर हिला कर कहा हां भाई ये तो बहुत जरूरी है।

फिर देखते देखते रात के दस बज गए।
अमित ने स्टेशन से समोसे ख़रीदा और परी के लिए एक जूस का डिब्बा खरीद लिया।
अमित ने कहा बहुत भूख लगी थी इसलिए ये खरीद लिया।
रमेश ने समोसे खाते हुए कहा वाह समोसे तो गर्म है।
परी भी खुशी से जूस पीने लगी।
फिर ग्यारह बजे तक अलीगढ़ स्टेशन आ गई।
सभी धीरे धीरे उतरने लगे। रमेश ने परी को गोद में उठा लिया और अमित ने एक कूली के द्वारा सब सामान उठवा दिया।
फिर सभी आराम से स्टेशन के बाहर आटो स्टैंड पर आ गए।
फिर रमेश ने आटो रिक्शा को पता बताया और सभी बैठ गए। अमित ने कूली को पैसे दिए।
परी रमेश की गोद में सोने लगी।

फिर रमेश का कालोनी आ गया और आटो रिक्शा चालक को किराए दे दिया और फिर तीनों ही सामान लेकर सीढ़ी चढ़ गए।
रमेश ने डोर बेल बजा दिया कुछ देर बाद चन्दू ने दरवाजा खोला दिया।
चन्दू देखते ही बोला अरे आज मेरा मन बोल रहा था कि आप लोग आने वाले हो।
आइए आइए।।
फिर चन्दू सारा सामान लेकर अन्दर रखा।
आवाज सुनकर ही रत्ना और रवि आ गए और उसने चाचू की गोद में एक बच्ची को देख कर बोलें अरे चाचू ये परी है क्या? रमेश ने मुस्कुराते हुए कहा हां भाई ये तुमलोगो की छोटी बहन है।
रत्ना और रवि खुशी से झूम उठे।
फिर रमेश ने कहा चन्दू अमित को गेस्ट रूम में ले जाओ और नहाने के लिए पानी गर्म कर दो। मैं तब तक परी को तैयार कर देता हूं।
फिर सभी फे्श हो कर खाना खाने बैठे।
चन्दू बोला कि आज मैंने ज्यादा करके ही खाना बनाया था।
अमित ने कहा अरे वाह।
फिर चन्दू ने सबको गरम गरम खाना परोसने लगा। रमेश ने कहा पहले मैं परी को खिला देता हूं।दाल,चावल और आलू की भाजी ये पसंद है परी को ये कहते हुए एक निवाला परी के मुंह में रमेश ने डाला। अमित और रवि रत्ना भी खाना खाने लगे। अमित बोलें वाह महाराज के हाथों में जादू है जरुर अम्मा जी ने सिखाया। चन्दू ने कहा हां भाई सब अम्मा जी ने सिखाया था।परी भी बहुत मन से खाना खा लिया और फिर रमेश भी जल्दी से खाना खा लिया और परी को अपने कमरे में जाकर सुला दिया।
रविं और रत्ना भी सोने चले गए। अमित भी थक गया था तो वो भी सोने चले गए।
चन्दू रमेश को दूध देने गया तो देखा रमेश थोड़े परेशान दिख रहे थे। चन्दू ने कहा क्या बात है? रमेश ने कहा हां,बस परी के बारे में सोच रहा था कि इस बच्ची ने बहुत कुछ झेला है।इन सब से उसके दिमाग में असर पड़ा है।
चन्दू ने कहा दादा आप एक बार एक डाक्टर को दिखा दिजिए। रमेश ने कहा हां बस मैं ये ही सोच रहा था। फिर रमेश ने दूध का गिलास लेकर पीने लगा और फिर वो भी सो गए। आधी रात अचानक रोने की आवाज आई तो रमेश उठ खड़ा हुआ और देखा कि परी पलंग से नीचे खड़ी थी और रो रही थी और फिर रमेश ने जल्दी से परी को गोद ले लिया और उसे पुछने लगा कि क्या बात है?
परी ने जो कहा वो सुनकर रमेश एकदम हैरान रह गया परी ने कहा कि उसकी मां उसे ले जाने आईं थीं और उसे प्यार कर रही थी और जब रमेश ने उर्मी की तस्वीर दिखाई तो परी ने कहा हां तस्वीर से मां आईं थीं। फिर किसी तरह से रमेश ने परी को सुला दिया और खुद भी सो गए। सुबह उठकर तैयार हो कर रमेश अमित चाय पी रहे थे और फिर रमेश ने कल रात वाली बात बताई। ये सुनकर अमित बोलें हां हो सकता है कि परी ने सपना देखा था। रमेश ने कहा नहीं, नहीं कुछ तो है जो छूट रहा है एक बार उस बाबा से मिलना होगा। अमित ने कहा हां पर इस हफ्ते के रविवार को ही हो सकता है क्योंकि हमलोगो ने बहुत छुट्टी ले ली है। रमेश ने कहा हां, फिर चन्दू ने सबको गरम गरम पुरी और छोले नाश्ते पर दे दिया। सभी आराम से खाने लगे। कुछ देर बाद परी भी उठ गई तो रमेश ने उसे नहला दिया और उसे एक सुंदर सा फ्राक पहना दिया, बालों को सुंदर सुंदर किल्प लगा कर तैयार कर लिया और उसे भी नाश्ता कराने लगा।
फिर रत्ना और रवि परी को लेकर टीवी पर कार्टून देखने लगें।
रमेश और अमित बैठ कर बातें करने लगे, अमित बोलें भाई कल से आफिस। रमेश ने कहा हां एक काम करो कल हम साथ ही आफिस निकल जाते हैं अपनी कार तो है ही, गाड़ी की डिक्की में अपना लगेज रख देना फिर आफिस से वापसी में तुम्हें बस अड्डे पर छोड़ दुंगा। अमित ने मुस्कुराते हुए कहा अरे भाई तुमने तो मेरे मुंह की बात छिन ली।
दोपहर को खाना खाते समय रवि ने कहा चाचू आज शाम को सर्कस देखने चले,परी को भी अच्छा लगेगा। रमेश ने कहा हां ठीक है हम सब चलेंगे क्यों परी जाओगी?परी ने कहा बाबा वहां जानवर होगा। रत्ना ने कहा हां बड़ा मज़ा आएगा।
फिर सभी सो कर पांच बजे तक उठ गए। फिर सभी ने चाय नाश्ता किया। रमेश ने कहा भाई तुमलोग को जाना है तो तैयार हो जाओ। सभी जल्दी तैयार होने लगें। रमेश ने परी को तैयार कर दिया।
चन्दू ने कहा बेटा तुम लोग जाओ, मैं घर पर रुकता हुं। रमेश ने कहा क्यों काका तुमको भी जाना होगा याद है ना हकीम पुर में हम सब साथ जाते थे और अम्मा जी क्या कहती थी याद है।। चन्दू ने कहा हां कैसे भुल सकता हूं अम्मा जी कहती थी चन्दू साथ नहीं आयेगा तो कोई भी नहीं जाएगा।
फिर सभी खुशी खुशी निकल गए। रमेश ने अपनी कार निकाली।
रमेश तो ड्राईवर की जगह बैठ गया बगल में अमित। और पीछे तीनों बच्चों को लेकर चन्दू बैठ गए।परी खुशी से ताली बजाने लगीं।
फिर गाड़ी निकल पड़ी। जहां पर जम्बो सर्कस लगी थी वहां पहुंच कर अमित ने टिकट बुक करवाया और फिर सभी अन्दर पहुंच कर अपनी अपनी सीट पर बैठ गए।परी रमेश के गोद में बैठ गई। फिर सर्कस शुरू हो गया। बहुत तरह के जानवर,जोकर अपनी अपनी करतब दिखाए जा रहे थे। एक घंटे बाद ही सर्कस समाप्त हो गया फिर वहां से बगल में मेला लगा हुआ था सभी मेले में जाकर घुमाने लगें। रमेश ने रवि, रत्ना को उनकी पसंद का सामान लेकर दिया।परी ने भी अपने लिए रंग बिरंगी चुड़िया खरीदा।तो रमेश को अपनी उर्मी की याद आ गई उर्मी को भी चुड़ियों का शौक था और परी भी अपनी मां पर गई है।
फिर सभी ने चाट ,गोल गप्पे भी खाएं और कुछ देर बाद घर लौट आए।


फिर रमेश ने कहा चन्दू अम्मा जी के हाथ का खिचड़ी बना दो,साथ में पापड़, दही और अचार बस यही बहुत है। चन्दू ने कहा हां ठीक है। अमित ने कहा अरे वाह बड़े दिनों बाद खिचड़ी का स्वाद लुंगा।
फिर सभी फे्श हो कर खाना खाने बैठे। चन्दू ने सबको गरम गरम खिचड़ी परोसा साथ में दही,अचार भी। अमित बोलें वाह मुऺग दाल की खिचड़ी का स्वाद बहुत ही अच्छा है। सभी बहुत मन से खाना खा लिया और फिर सभी सोने चले गए।
रमेश भी परी को सुला दिया और चन्दू को बोला कि कल से परी की जिम्मेदारी तुम्हारे ऊपर। चन्दू बोला हां बेटा तुम चिंता मत करो मैं परी का विशेष ध्यान रखुगा।
फिर रमेश भी सोने चला गया।
अगले दिन सुबह रत्ना रवि तैयार हो कर नाश्ता करके स्कूल निकल गए। फिर अमित और रमेश भी तैयार हो कर नाश्ता करके आफिस निकल गए। रमेश ने जाते समय बोला कि परी का विशेष ध्यान रखें। चन्दू ने कहा हां ठीक है।
फिर अमित और रमेश भी गाड़ी से निकल गए।
उधर परी उठ गई तो चन्दू ने उर्मी बहु की कहानी सुनाते हुए उसको तैयार कर दिया फिर नाश्ता करवाया और फिर परी को एक डाईंग बुक और रंग का डिब्बा देकर बैठाया और बोला परी बिटिया रंग भरो।
परी भी खुशी से रंग भरने लगी और इधर चन्दू रसोई का सारा काम करने के बाद दोपहर का भोजन तैयार कर लिया।
फिर परी को टीवी पर कार्टून चला कर दिया। और फिर देखते देखते दो बज गए और रत्ना और रवि भी स्कूल से घर आ गए।
परी उन दोनों को देख कर खुश हो गई फिर तीनों मिलकर भोजन करने बैठे।
परी को उसकी रत्ना दीदी ने बड़े प्यार से खाना खिलाया और खुद भी खा कर तीनों भाई बहन सोने चले गए।
उधर रमेश के दफ्तर में सभी को पता चला तो सभी ने रमेश को बधाई दी और रमेश ने सभी को समोसे और कोल्ड ड्रिंक, मिठाई बंटवाया।
बाबूलाल ने कहा सहाब एक बार आप बाबा के पास जाकर आओ।
रमेश ने कहा हां बाबूलाल जाना तो होगा ही।।


क्रमशः