anjan katil - 5 in Hindi Detective stories by V Dhruva books and stories PDF | अनजान कातिल - 5

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अनजान कातिल - 5

भाग 5
दोनो अमन सहगल की ऑफिस पहुंचते है। वहां पर रिसेप्शन पर बैठा लड़का पुलिस को देखकर थोड़ा घबरा जाता है। तावड़े उसे पूछता है - तुम्हारे बड़े साहब आ गए ऑफिस?
लड़का - उनकी तबियत नादुरस्त है, तो दो दिनो से ऑफिस नही आ रहे। मै आपकी क्या सहायता कर सकता हुं सर?
तावड़े कहता है - हमे आपके अमन साहब की ऑफिस दिखाइए, छानबीन करनी है।

वह लड़का उन्हे अमन की ऑफिस के साथ साथ अपने बड़े साहब की ऑफिस भी दिखा देता है। फिर वापस अपनी जगह आ गया और अपने बड़े साहब को फोन करने लगा। वहां पर स्टाफ के लोग सब एकदूसरे को देखने लगते है।

अमन की ऑफिस में जाकर तावड़े सब से पहले उसका लैपटॉप चालू करता है, पर पासवर्ड की वजह से वह खुलता नही है। वह ऑफिस के बाहर जाकर सबसे पुछता है की किसी को लैपटॉप का पासवर्ड पता है क्या? पर सब ना में जवाब देते है। इस बीच इं. मिश्रा ने लैपटॉप में कुछ पासवर्ड ट्राई किए जैसे उसके घरवालों के नाम, कंपनी का नाम, उसका खुद का नाम पर कोई फायदा नही हुआ। वह उसे छोड़कर दूसरी सब चीजे देखने लगता है। टेबल के ड्रॉअर, वहां रखी फाइल्स, कुछ कागजात पर वहां भी उसे कुछ ऐसा नहीं मिला जो उसके काम का हो।

वह गुस्सा करते हुऐ तावड़े से कहता है - यार ये अमन चीज क्या था? कही पर भी कुछ भी नही मिल रहा है। एक काम कर उसका लैपटॉप साथ ले चल। और उसे हमारे साइबर क्राईम विभाग में भिजवा दे। वे लोग ही इसे ओपन कर देंगे। और अभी हमारे पास तफ्तीश के लिए वॉरंट नही है तो मि. सहगल की ऑफिस को नही चेक करते। वरना क्या पता फिर बवाल खड़ा हो जाए।
तावड़े - जी सर! अभी हम रात की तैयारी कर ले?
इं. मिश्रा - हां, तुम राजेश, तुकाराम, अमित (ये सब थाने में कॉन्स्टेबल है) को बोल दो रात की तैयारी कर ले। और आज जो नए सब इंस्पेक्टर अनिल मोरे आनेवाले थे वह आ गए थाने? जरा फ़ोन कर के थाने में पूछ ले। उन्हे आज साथ ले चलेंगे।

तावड़े - जी सर! वह सुबह जल्दी ही आ गए थे ऐसा तुकारामजी ने बताया था। पर कमिश्नर साहब ने उन्हें बुलाया था तो वे हेड ऑफिस चले गए।
इं. मिश्रा - वो सब इंस्पेक्टर कमिश्नर साहब के कुछ पहचान वाले है न?
तावड़े - हां, उनकी मौसी के लड़के का लड़का है। यानी भाई का लड़का।
इं. मिश्रा हंसते हुए - तब तो बचके रहना पड़ेगा। यह केस शुरू हुआ है तब से कमिश्नर साहब भी भड़के हुए है मुज पर। चल अभी थाने पहुंचते है। फिर मोरे साहब के साथ ही आगे का प्लान डिस्कस करते है।

****
जब वे लोग थाने पहुंचे तो सब इंस्पेक्टर अनिल मोरे उन्ही का इंतज़ार कर रहे थे। इं. मिश्रा को देखकर वह उन्हे सेल्यूट करते है। इं. मिश्रा उन्हे अपने केबिन में आने के लिए कहते है। इं. मिश्रा सब इंस्पेक्टर अनिल को शुरू से अब तक की स्टोरी सुना देते है।
इं. अनिल कहता है - सर, हम फिर से अमन के ऑफिस और घर की तलाशी ले? शायद कुछ मिल जाए!
इं. मिश्रा कहते है - मै भी यही सोच रहा हुं। पर अब की बार वॉरंट लेकर जाएंगे। घर और ऑफिस दोनो का वॉरंट इश्यू करवा दो फिर चलते है।

****
दूसरे दिन इं. मिश्रा तावड़े को तुकाराम के साथ सुदेश कुमार की ऑफिस भेज देता है। वह खुद इं. अनिल और एक लेडी कॉन्स्टेबल महिमा के साथ अमन के घर की तलाशी के लिए निकल पड़ता है।

वे जब अमन के घर पहुंचे तो उसके पिता बाहर गार्डन मे ही मिल गए। इं. मिश्रा को देख वह उसको अपने साथ बैठने के लिए कहते है। पर इं. मिश्रा उन्हे बताते है कि उन्हें अमन के रूम के साथ साथ पूरे घर की तलाशी लेनी है।ताकि कोई सबूत मिले जो इस केस को सुलझा सके। हमारे पास सर्च वोरेंट है घर की तलाशी का और ऑफिस का भी।
पहले तो मि. सहगल थोड़ा हड़बड़ा जाते है। फिर अपनी हड़बड़ाहट को छुपाते हुए उनको अपने घर की तलाशी लेने देते है।

इं. मिश्रा महिमा को नजदीक बुलाकर कहते है - आप अमन की मां और उसकी पत्नी से बात कीजिए अपने अंदाज में। (महिमा बोलने में इतनी शातिर दिमाग की थी। सामने वाले को इमोशनली अपने बातों के जाल में फंसाकर सारी बाते उगलवा लेती थी।)
इं. मिश्रा और सब इं. अनिल मि. सहगल के साथ पहले अमन के रूम में ऊपर जाते है।

महिमा अमन की मां और उसकी पत्नी शीतल के साथ नीचे ड्रॉइंग रूम में बैठती है। वह पहले अमन की मां और उसकी पत्नी के सामने दुख व्यक्त करती है फीर दोनो से ही पूछती है - माताजी और भाभीजी आज कल अमन के बरताव में जो भी कुछ बदलाव हुए हो वह सच सच बताईए। कोई ऐसी बात जो असामन्य लगी हो। इससे हमे जल्द से जल्द उस मुजरिम को पकड़ने में सहायता मिलेगी। हम उस कातिल को आप दोनो के सामने लाकर खड़ा कर देंगे। एक मां की कोख और एक पत्नी के माथे का सिंदूर जिसने मिटाया है उसे तो हम छोड़ेंगे नही। पर इसके लिए आपको हमारा साथ देना होगा। बताइए जो भी मालूम हो वह।

अमन की मां कहती है - बेटी तुम पहली ऐसी मिली जो इतने प्यार से हमसे बात कर रही हो। वरना अमन की हरकतों की वजह से सब हमारे पीठ पीछे बाते करते है।
शीतल - मम्मीजी आप...
अमन की मां- अब इनसे क्या छुपाना शीतल? अमन रोज शराब पिता था। और घर भी देर से आता था। शीतल हमेशा अमन के आने पर उसे संभालती थी और खाना खिलाती थी। बेटे के खोने का दुख बहुत है पर खुशी इस बात की है की उस जानवर से मेरी बहु शीतल का छुटकारा हुआ।
शीतल कहती है - मम्मीजी plz..., अब इस बात का क्या रोना? मेरा भाग्य ही वही थे।
महिमा बीच में ही अमन की मां से पूछती है - आप ऐसा क्यों कह रही है माताजी?
अमन की मां उसे बताती है कि अमन रोज शराब के नशे में इतना चूर हो जाता था की अपने होश तक नही संभाल पाता था। ड्राइवर को शाम को छुट्टी देकर खुद ही कही किसी बार में शराब पीने चला जाता था। हमे हमेशा उसकी फिक्र लगी रहती की कही कोई एक्सिडेंट ना कर बैठे। और हुआ भी यही..।

इतना बोलकर वह रो पड़ी। शीतल उनके और महिमा के लिए पानी ले आती है। शीतल भी रोते हुए उन्हे चुप कराती है। अमन की मां आगे बताती है - मैने और उसके पापा ने उसे कई बार समझाया कि शराब छोड़ दे और अपनी घर गृहस्थी पे भी ध्यान दे। पर वह कभी माना ही नही। हमेशा शराब, शराब और शराब...! आखिर उस शराब ने ही उसकी जान ले ली।

इतना बोलकर अमन की मां फुट फुटकर रोने लगी। महिमा उन्हे शांत करने की कोशिश करती है। वह अब शीतल के साथ किचन मे चली जाती है। वह शीतल से वहां पूछती है - शीतल बुरा ना मानो तो एक बात पूछूं?
शीतल- हां, पूछिए जो पूछना चाहते है।
महिमा पुछती है कि क्या आप दोनो के बीच पति पत्नी का संबंध था या...?
शीतल कहती है कि था भी और नही भी।
महिमा - मतलब?
शीतल मायूस होकर कहती है कि अमन दिन में सब के सामने अच्छे पति होने का फर्ज अदा करते थे। पर रात मे वही पति वहशी बन जाता था। उसका प्यार शराब के नशे मे महसूस ही नही होता था। पर क्या करू पति थे वो मेरे। मुजे पता है वह बाहर लड़कियों के साथ गुलछल्ले उड़ता थे। रात को जब देर से आने का कारण पूछती तो मुंह के बदले उसका हाथ जवाब देता था। पर मै आपसे एक बात कहना चाहती हुं के वह लड़कियों के साथ घूमते थे, शराबी थे पर कभी गलत काम नहीं कर सकते थे। उन्हे पुलिस से डर लगता था।

महिमा मन मे ही बोलती है, 'अब इस बेचारी को क्या पता की उसका पति सिर्फ शराबी नही नशेड़ी भी है।'
शीतल - एक बार एक लड़की ने कॉलेज में फंसा दिया था पुलिस के चक्कर में। तब पुलिस ने उन्हें बहुत पीटा था। तब से वह पुलिस से दूर ही रहते थे।
महिमा - उस लडकी ने क्यों फंसाया था?
शीतल - अमन ने मुजे बताया था कि गलती से उस लड़की को मेरा हाथ लग गया था तो उस लड़की ने हंगामा खड़ा कर के पुलिस बुला ली थी।
महिमा- और आपने उसकी बात मान ली थी?
शीतल - हां, मेरा भाई उसी कॉलेज में था। उसने बताया था उस वक्त मुजे, ऐसा कुछ हुआ था। जब अमन से सगाई हुई तभी उन्होंने मुजे ये बात क्लियर कर दी थी। तब मुजे पता चला मेरे भाई ने जिस लड़के की बात कही थी वह अमन ही थे।
महिमा - आपके भाई ने अमन को देखकर नही बताया था की यह वही लड़का है?
शीतल - उसने देखा नही था सिर्फ सुना था। वह तो अपने क्लास में था। सुनी सुनाई बात ही बताई थीं घर आकर।
महिमा - फिर उस लड़की ने कोई कॉन्टेक किया था अमन को? या अमन ने कोई...?
शीतल - वह मुजे नही पता। आप जल्द से जल्द उस कातिल को ढूंढिए। मेरे अमन पहले ऐसे नही थे। पिछले छः महीने में ही उसका बर्ताव ऐसा हो गया था। शायद कोई था जो उन्हे इस रास्ते पर ले आया था।
महिमा - कौन?
शीतल - पता नही मैडम। कुछ तो था जो मुजे भी नही पता।
महिमा आगे कुछ सवालात कर के किचन से बाहर आ गई।