ZEN AUR KAIZEN DARSHAN in Hindi Spiritual Stories by Anand M Mishra books and stories PDF | ‘जेन’ और ‘काइज़ेन’ दर्शन

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‘जेन’ और ‘काइज़ेन’ दर्शन

जिस तरह हमारे देश ने अध्यात्म, योग, खगोलशास्त्र आदि बहुत-सी बातें विश्व को दी हैं, उसी प्रकार जापान ने बहुत कुछ दिया है। इस कड़ी में ‘जेन’, ‘काइज़ेन’ प्रमुख है। जापान में जो ‘जेन’ है, वही भारत में ‘ध्यान’ है। बुद्ध ने यही ध्यान, यही बुद्धत्व संसार को दिया था।

बुद्ध का ही अर्थ है "जागृत" या "प्रबुद्ध"। पद्मासन में बैठ कर ध्यान योग में संलिप्त योगी बुद्ध ब्रह्मा और शिव के समदृश प्रतीत होते हैं। सभी तीर्थांकर और और बुद्ध जिस ध्यान योग में गोचर होते हैं उसी को ध्यान कहते हैं। भगवान बुद्ध को बोधगया, में एक पवित्र बोधि वृक्ष के नीचे ज्ञान प्राप्त हुआ। यह गर्व की बात है कि उन्होंने जापान में भी अध्यापन और उपदेश देते हुए दुनिया भर की यात्रा की। आज जापान एक बौद्ध अनुयायी देश है। बाहरी प्रगति और विकास के साथ आंतरिक शांति इसकी विशेषता है। जेन दर्शन में शान्ति, संतुलन और सादगी मनुष्य को प्राप्त होती है। इसका अनुभव युगों से हम योग के रूप में करते आए हैं। ध्यान और योग एक दूसरे के पूरक है और ध्यान व योग भारत में बुद्ध से लाखों वर्ष पूर्व से प्रचलित है जिसे ऋषि मुनियों ने अपनाया और आगे बढ़ाया। हड़प्पा व राजस्थान से प्राप्त अधिकतर मोहरों पर ध्यान व योग मुद्रा में ऋषि मुनि अंकित है!

जहां तक ‘काईज़ेन’ की संकल्पना है, ये वर्तमान में हमारे इरादों की मजबूती को, निरंतर आगे बढ़ने की हमारी इच्छाशक्ति का प्रतीक है। यह एक जापनी व्यापार दर्शन है। जिसमे ‘परिवर्तन’ को ‘बेहतर’ बनाने के लिए किया जाता है। इसे निरंतर सुधार कह सकते हैं। इसमें सभी कर्मचारियों या हितधारकों की भागीदारी सुनिश्चित की जाती है। इससे कर्मचारियों की कार्यकुशलता में वृद्धि होती है। कार्यस्थान का वातावरण उत्पादकता को बढ़ाने के लिए अनुकूल किया जाता है। इससे उत्पादकता बढ़ने लगती है। कार्यशैली, कौशल तथा अनुशासन का होना एक कर्मचारी में आवश्यक है। काईज़ेन दर्शन की आवश्यकता अभी अपने देश में हमारे इरादों को मजबूती देने के लिए है। भारतीयों के निरंतर आगे बढ़ने की इच्छाशक्ति के प्रतीक के रूप में है। काईजेन से सदविचार, सद-इच्छा, आशय, उद्देश्य, मजबूती, सुदृढ़ता, बलशालिता और शक्तिमत्ता आती है।

पारंपरिक जापानी काईज़न विचार कुछ बुनियादी सिद्धांतों का पालन करते हैं। टीम वर्क, व्यक्तिगत अनुशासन, मनोबल में सुधार तथा उत्पादकता में सुधार के लिए गुणवत्ता और सुझाव। इन बुनियादी सिद्धांतों से महत्वपूर्ण परिणाम प्राप्त होते हैं। कचरे का उन्मूलन, मानकीकरण और रखरखाव अच्छे से होता है।

आदर्श रूप से, काइज़ेन की सोच कंपनी की संस्कृति में इतनी अंतर्निहित हो जाती है कि यह अंततः सभी कर्मचारियों के लिए स्वयं स्पष्ट हो जाती है।

काइज़न अवधारणा मानती है कि कोई पूर्ण अंत नहीं है और सब कुछ सुधारा जा सकता है। इसलिए कंपनियों और कर्मचारियों को लगातार विकसित और नया करने का प्रयास करना चाहिए। यह काइज़न सिद्धांत में निहित है कि कुछ गतिविधियों और कार्यों को करने वाले कर्मचारियों को उस कार्य के बारे में सबसे अधिक जानकारी होती है। परिवर्तन करने के लिए उन्हें शामिल करना सुधार की सर्वोत्तम रणनीति है।

अंत में हम कह सकते हैं कि दुनिया में भौतिक विकास के साथ अविश्वास,असुरक्षा, असंतुलन, अमानवीयता भी बढ़ता गया। 21वीं सदी में हमें ह्रास व विकास में स्पष्टता के साथ विश्वास, अभयता, सुरक्षा, समृद्धि, संतुलन, मानवीयता की दिशा में आगे बढ़ाना चाहिए। बुद्धत्व की तरह 'मानवत्व' वर्तमान में संसार की आवश्यकता है।