Agle Janm Mohe America Men Kutta Banaeeyo in Hindi Animals by S Sinha books and stories PDF | अगले जन्म मोहे अमेरिका में कुत्ता बनइयो

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अगले जन्म मोहे अमेरिका में कुत्ता बनइयो


व्यंग - अगले जन्म मोहे अमेरिका में कुत्ता बनइयो

अमेरिका में कुत्तों की भी बड़ी इज्जत है . बार बार अमेरिका आने जाने से यहाँ के लाइफ स्टाइल की बहुत कुछ जानकारी मिल सकी है . एक चीज जो आश्चर्यचजनक लगता है और कुछ हद तक प्रभावित भी करता है , वह है यहाँ के कुत्तों की जिंदगी .अमेरिका में स्ट्रीट डॉग्स तो होते नहीं हैं . अमेरिका के घरों में लोग जिस लाड़ प्यार से इनका पालन पोषण करते हैं , उसे देख कर कभी ईर्ष्या भी होती है और मन कहता है - काश अगले जन्म हम भी यहाँ कुत्ते में जन्म लेते .


2018 के एक सर्वे में देखा गया है कि यहाँ के घरों में करीब 9 करोड़ पालतू कुत्ते हैं जबकि बच्चों ( 18 साल से कम ) की संख्या करीब 7. 4 करोड़ है . यहाँ सबसे ज्यादा लोकप्रिय पेट कुत्ता ही है . करीब 60 . 2 घरों में लोग कुत्ते पालते हैं . कुत्ते का रहन सहन किसी आम आदमी के रहन सहन से कम नहीं होता है या अगर बेहतर है कहा जाये तो अतिशयोक्ति नहीं होगी . कुत्ते को लोग परिवार का सदस्य समझते हैं और कभी उससे भी ज्यादा महत्व दिया जाता है . यहाँ कुत्तों के लिए भिन्न प्रकार के स्पेशल खाने , कूकीज आदि प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं . इनके अतिरिक्त उनके लिए स्पेशल सैलून , अस्पताल , बुटिक , डे केयर , गहने , खिलौने आदि मनोरंजन के साधन भी उपलब्ध हैं .


कुत्ते बड़े बड़े एयरकंडीशन घरों में रहते हैं और आलिशान गाड़ियों में सफर करते हैं . सिर्फ गाड़ियों ही नहीं कभी अपने मालिक के साथ हवाई जहाज में भी सफर करते हैं . कुत्ते पर औसत करीब 150 डॉलर्स मासिक खर्च आता है और कुछ लोग 300 डॉलर ( 1 डॉलर = करीब 75 रुपये ) तक भी खर्च करते हैं .इनके लिए अलग से बीमा ली जाती है . हालांकि कुछ लोगों के अनुसार अमेरिकी परिवार की व्यवस्था से मजबूर होकर बहुत लोग पेट पालते हैं . बढ़ती उम्र में अकेलेपन से निपटने का यह सहज उपाय है . पेट पशुओं में सबसे ज्यादा लोकप्रिय और भरोसेमंद कुत्ता ही है .


क्या मस्त जिंदगी है अमेरिकन कुत्ते की -


1 . इन्हें पढ़ने लिखने या स्कूलिंग का झंझट नहीं है .


2 .घर के सदस्यों द्वारा प्यार ही प्यार , इंसान से ज्यादा प्यार इन्हें मिलता है .


3 . दिन भर टाइम पर खाना मिलते रहता है .


4 . इन्हें अपने पेशाब करने या मल त्यागने और उसकी सफाई की चिंता नहीं है , ये सब मालिक की जिम्मेवारी है .


5 . घर में ये स्वतंत्र घूमते हैं , सोफा हो या बेड कहीं भी मालिक की गोद में बैठ सकते हैं जबकि बच्चों को सिखाया जाता है कि फलां जगह नहीं जाना है , अब तुम बड़े हो गए हो .


6 . परिवार में वह आकर्षण का केंद्र होता है , औरतें खास कर बहुत प्यार से पेश आती हैं .


7 . कुत्तों को घर में कोई काम नहीं करना पड़ता है .


8 . अगर मालिक को कभी बाहर जाना हुआ तब या तो कुत्ते को भी साथ ले जाता है या किसी भाई बंधु अथवा डे केयर की देख रेख में रख कर जाता है . डे केयर वाले इनके खाने और रखने का प्रतिदिन के हिसाब से डॉलर लेते हैं , कोई चाहे तो अपने कुत्ते का मनपसंद भोजन दे कर जा सकता है .


9 . इनके लिए स्पेशल साबुन , शैम्पू , कंडीशनर , डिओ आदि कॉस्मेटिक होते हैं और अलग से स्पेशल सैलून भी होता है .


10 . इनके लिए अलग एयर कंडीशन अस्पताल है .


11 . इनके लिए अलग कपड़े तो होते हैं पर इन्हें निर्वस्त्र कहीं भी घूमने की पूरी आज़ादी है .


12 . इन्हें रोज नहाना जरूरी नहीं है , कुछ सप्ताह या महीने में एक बार नहाना काफी है .


13 इन्हें अपने भविष्य की कोई चिंता नहीं करनी पड़ती है . मालिक अगर मर भी जाता है तो उसकी देखभाल के लिए वह पहले से इंतजाम कर देता है . उसकी देखभाल के लिए समुचित धन छोड़ जाता है ताकि कोई भरोसे का आदमी कुत्ते की जिम्मेदारी ले और उसे कष्ट न हो .


14 . जो इन्हें पसंद नहीं उन पर ये भौंक कर डरा सकते हैं या बाहर का रास्ता भी दिखा सकते हैं .


15 . ये अपने मालिक के लिए स्टेट्स सिंबल भी होते हैं .


16 . अगर कुत्ता किसी पर आक्रमण कर किसी तरह की हानि पहुंचाए तब भी कुत्ते का कुछ नहीं बिगड़ता है . अगर मुआवजा देना भी पड़े तो मालिक की जिम्मेवारी है .


17 . हर पेट जिसमें कुत्ता भी है उसका रजिस्ट्रेशन जरूरी है और उनका एक आई डी होता है . इसके लिए RFID ( रेडियो फ्रीक्वेंसी आईडेंटिफिकेशन इम्प्लांट ) चिप लगाना होता है जो पूरे लाइफ टाइम काम करता है .


18 . आदमी अपने लिए हेल्थ इंश्योरेंस ले न ले इनके लिए लेना जरूरी है वरना कुत्ते की तबीयत बिगड़ी तो हजारों नहीं तो कम से कम सैकड़ों डॉलर की चपत लगेगी . इंश्योरेंस रहने पर भी आमतौर पर मालिक को अपनी जेब से कुछ प्रतिशत देना ही पड़ता है .


19 . कुत्तों के लिए भी आमतौर पर स्पेशल ट्रेनिंग की आवश्यकता पड़ती है ताकि वह घर में तरीके से रहना सीख ले . इसके लिए खास ट्रेनर होता है जिसके लिए अलग अलग रेट हैं .