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अजय मोहते को जब अंजन की गिरफ्तारी के बारे में पता चला तो वह घबरा गया। उसे लगने लगा कि अब उस पर भी गाज गिरने वाली है। पामेला ने मीरा को मारकर जो गलती की थी उससे वह पहले ही परेशान था। अब तो उसे अपने बचाव का कोई चांस ही नज़र नहीं आ रहा था। अलग अलग तरह के खयाल उसके मन में आ रहे थे। कभी वह सोचता कि बात उसकी गिरफ्तारी तक आए उससे पहले ही वह किसी ऐसी जगह भाग जाए जहाँ बाकी की ज़िंदगी बिता सके। पर वह जानता था कि उसके लिए कहीं भी छिपकर रहना आसान नहीं होगा। वह राज्य सरकार में मंत्री है। अंजन के पास उसके भ्रष्टाचार के सुबूत मौजूद हैं। वह कहीं भी जाएगा पुलिस उसे ढूंढ़ निकालेगी।
वह सोचता था कि उसका यहाँ एक रुतबा है। बहुत सी प्रॉपर्टी है। सबकुछ छोड़कर आखिर कहाँ जाएगा। पर उसे लगता था कि अगर यहाँ से नहीं गया तो भ्रष्टाचार के लिए जेल जाना पड़ेगा। कभी उसे लगता था कि भागने की जगह वह यहीं रहे। अभी तो उसका रुतबा बरकरार है। वह उसका प्रयोग करके ऐसी व्यवस्था कर ले कि अंजन के इल्ज़ाम निराधार साबित हो जाएं। एक बात और उसके मन में आ रही थी कि मामला कोर्ट में जाएगा। वैसे भी कोर्ट में मामले का निपटारा जल्दी नहीं हो पाएगा। उसे कुछ दिनों के लिए जेल जाना पड़ेगा। पर वह वकीलों के ज़रिए ज़मानत पर बाहर रह सकता है।
एक साथ कई विचार उसके दिमाग में आ रहे थे। उसका दिमाग बहुत परेशान था। वह समझ नहीं पा रहा था कि क्या करे। उलझन में वह पागल हुआ जा रहा था।
मानवी और निर्भय भी अंजन की गिरफ्तारी की खबर सुनकर परेशान थे। उन दोनों ने सोचा था कि अजय मोहते अंजन को मरवा देगा। उनका बदला पूरा हो जाएगा। अजय मोहते उसके बदले में उनकी मदद करेगा। उन्हें अंजन पर हमला करने वाले केस से बाहर निकलवा लेगा। लेकिन अब अजय मोहते खुद मुसीबत में था। वह उनकी सहायता नहीं कर सकता था। निर्भय खबर मिलने के बाद से ही लोकेश कुमार का नंबर मिला रहा था। पर लोकेश कुमार का नंबर बंद था। निर्भय और मानवी ने तय किया कि अब वह अपनी कोशिश करेंगे। किसी अच्छे वकील को केस के लिए हायर करेंगे।
उन्होंने बैकुंठ आगरकर को बुलाया था। उसे सारी बात बताने के बाद निर्भय ने कहा,
"बैकुंठ तुमने बेल के लिए केस लड़ा था। पर अब बात हमें इस केस से बरी कराने की है। तुम सोच लो। क्या तुम हमें इस केस से बरी करवा सकते हो ?"
बैकुंठ आगरकर ने अंजन की गिरफ्तारी के बारे में सुना था। वह यह भी जानता था कि इंस्पेक्टर कौशल सावंत ने इस केस के लिए बहुत से सबूत एकत्र किए हैं। उसने कुछ क्षणों तक ईमानदारी के साथ मन ही मन विश्लेषण किया। उसे लगा कि यह केस उसके लिए कठिन होगा। उसने ईमानदारी के साथ कहा,
"बेहतर होगा कि आप किसी दूसरे वकील को इस केस की ज़िम्मेदारी सौंपें। मैं आपको एक वकील का नाम सुझा सकता हूँ जो यह केस जीत सकता है। लेकिन वह गोवा के बहुत नामी और महंगे वकील हैं।"
निर्भय ने कहा,
"तुम मेरी मुलाकात उनसे करवा दो। फीस की कोई चिंता नहीं है।"
बैकुंठ आगरकर ने निर्भय की मुलाकात जॉली विंसेंट नाम के वकील से करवा दी। सब कहते थे कि जॉली विंसेंट बहुत ही शातिर वकील है। वह अब तक कोई केस नहीं हारा है। निर्भय और मानवी उसे केस सौंपकर निश्चिंत हो गए।
एसीपी सत्यपाल वागले ने अंजन को भारत ले जाने की अपनी कोशिशें तेज़ कर दी थीं। इसके लिए उसने मुंबई पुलिस की तरफ से उन सारे इल्ज़ामों की लिस्ट सिंगापुर सरकार को दी थी जो अंजन पर लगे थे। एसीपी सत्यपाल वागले ने सिंगापुर सरकार से प्रार्थना की थी कि अंजन पर बहुत संगीन आरोप हैं। अतः उसे भारत ले जाने की इजाज़त दी जाए। ताकी उस पर भारतीय कोर्ट में मुकदमा चलाकर उचित दंड दिया जा सके।
अपनी दलील में एसीपी सत्यपाल वागले ने कहा कि अंजन के साथ कुछ प्रभावशाली लोगों पर भी इल्ज़ाम है। अगर सही समय पर उसे भारत ले जाकर उसका बयान नहीं लिया गया तो वह प्रभावशाली लोग केस को कमज़ोर करने की कोशिश करेंगे।
सिंगापुर सरकार ने उन सारी दलीलों और अंजन पर लगे संगीन आरोपों पर गंभीरतापूर्वक विचार किया। उन्होंने अंजन को गैरकानूनी तरीके से सिंगापुर में आने के लिए फाइन तथा एक माह का करावास भुगतने की सज़ा दी। इस तरह से सीनियर इंस्पेक्टर राजेंद्र सेल्वाराज की बात का मान भी रह गया और अंजन को जल्दी भारत भेजने की बात भी पूरी हो गई।
एसीपी सत्यपाल वागले ने अंजन से सिंगापुर की जेल में मुलाकात की। उससे अजय मोहते समेत अन्य लोगों के खिलाफ बयान देने के लिए कहा। अंजन भी अब भटकाव से थक चुका था। वह अपने किए की सज़ा भुगतना चाहता था। लेकिन उसे मीरा फ़िक्र थी। उसने एसीपी सत्यपाल वागले को सारी बात बताई। उससे निवेदन किया कि वह मीरा को बचा ले। उसने यह भी आश्वासन दिया कि वह अजय मोहते सहित सबके बारे में सच बताएगा।
एसीपी सत्यपाल वागले अंजन का बयान दर्ज़ करके भारत आए। उसके आधार पर अजय मोहते और अन्य लोगों के खिलाफ कार्रवाही करने की इजाज़त मांगी। अजय मोहते ने पहले ही अपनी बेल के लिए तैयारी कर रखी थी। पर उस पर लगे इल्ज़ामों की गंभीरता को देखते हुए उसे बेल नहीं मिली। एक कारण और था। राज्य की विपक्षी पार्टियों ने अजय मोहते के विरुद्ध सख्त कार्यवाही करने के लिए मोर्चा खोल दिया था।
अजय मोहते को कस्टडी में लेकर पूँछताछ हुई। अंजन ने जो सबूत दिए थे उनके आधार पर अजय मोहते हर तरफ से घिर गया था। उस मुकदमा दर्ज़ किया गया। अजय मोहते ने मीरा की हत्या की बात स्वीकार कर ली।
भारत आने पर अंजन के खिलाफ भी अलग अलग धाराओं में मुकदमे दर्ज़ किए गए। मीरा की हत्या की बात सुनकर वह टूट गया था। उसने सारे इल्ज़ामों को स्वीकार कर लिया। अंजन को उम्रकैद की सज़ा सुनाई गई। अजेय मोहते और अन्य लोगों को भी सज़ा हुई।
इंस्पेक्टर कौशल सावंत ने भी निर्भय और मानवी के विरुद्ध कई साक्ष्य एकत्र किए थे। जॉली विंसेंट ने अपनी पूरी कोशिश की। कई बार साक्ष्यों को पलटने का भी प्रयास किया। पर अंत में जीत सच्चाई की हुई। जॉली विंसेंट अपने करियर का पहला केस हार गया। निर्भय और मानवी को अंजन पर जानलेवा हमला करने के आरोप में सज़ा सुनाई गई।
मीडिया में अंजन विश्वकर्मा पर बहुत कुछ कहा जा रहा था। खासकर सोशल मीडिया पर कई तरह की बातें और कहानियां चल रही थीं। बहुत सी कहानियों में उसे हीरो की तरह पेश किया जा रहा था। लोग कह रहे थे कि अगर वह अपने प्यार के हाथों मजबूर ना होता तो उसे जेल भेजना नामुमकिन था।
शाहीन भी अंजन पर आ रही खबरों पर नज़र बनाए हुए थी। उसे लग रहा था कि अंजन के बारे में जो कई तरह की कहानियां प्रचलित हो रही हैं वह समाज में एक गलत उदाहरण प्रस्तुत करेंगी। खासकर युवाओं के बीच उसकी छवि ऐसी हो जाएगी जैसे वह कोई रोल मॉडल हो। उसने नफीस से इस बारे में बात की। उससे कहा कि वह अंजन की सही कहानी लोगों तक लाए। जिससे नई पीढ़ी उसे अपना आदर्श ना माने।
नफीस ने प्रशासन से इस बात की अनुमति ले ली कि वह अपनी किताब के सिलसिले में उससे जेल में मिल सके। उसने प्रशासन के सामने वही दलील रखी जो शाहीन ने कहा था। उसे इजाज़त मिल गई। नफीस ने अंजन के साथ दस मुलाकातें कीं। उन मुलाकातों में उसने ना सिर्फ अंजन के साथ जो जो घटा वह जाना बल्कि उससे इस सबके विषय में उसकी व्यक्तिगत राय भी जान ली।
छह महीने की मेहनत के बाद नफीस ने अपनी किताब पूरी कर ली। उसके पूर्व प्रकाशक ने उसे छाप भी दिया। किताब जब लोगों के पास पहुंँची तो लोगों ने उसे बहुत पसंद किया।
किताब की एक बात की बहुत अधिक चर्चा हो रही थी। वह थी अंजन का दिया हुआ बयान। उसे नफीस ने वैसे ही रखा था जैसा अंजन ने कहा था। उस बयान में अंजन ने कहा था कि गलत रास्ता कभी सही मंज़िल पर नहीं पहुँचाता है। वह पहले चमकीली दुनिया दिखाता है फिर आपको एक अंधेरी सुरंग में छोड़ देता है। अंजन ने कहा कि मीरा ने उसे धोखा दिया था। लेकिन फिर भी वह उसके प्यार को भुला नहीं सका था। उसकी मौत की खबर ने उसे तोड़ दिया। वह अपनी प्रेमिका के लिए कुछ भी नहीं कर पाया। ऐसे में उसे लगने लगा कि ताकत और पैसा किसी काम का नहीं है। उसने गलत तरीके से पैसा और रुतबा कमाया। अपने आप को सफल बनाने के लिए रिश्तों को सीढ़ी की तरह इस्तेमाल किया। लेकिन अंत में उसके हाथ कुछ भी नहीं आया।
नफीस की किताब नौजवानों के बीच बहुत लोकप्रिय हुई थी। इस किताब ने उनके सामने अंजन विश्वकर्मा की वह छवि रखी थी जो वास्तविक थी। उसमें ना उसका महिमा मंडन था और ना ही उसे समाज का रोग या कैंसर कहा गया था। इस किताब में अंजन विश्वकर्मा को एक साधारण इंसान की तरह पेश किया गया था। जिसमें कुछ अच्छाइयां और कुछ बुराइयां हैं। जो गलत रास्ते पर था जिसकी उसने सज़ा पाई।
अंजन विश्वकर्मा का एक ऐसा रूप पाठकों के सामने रखा गया था जिससे वो प्रभावित होने की जगह सबक ले सकें।