Ek Thi...Aarzoo - 9 in Hindi Fiction Stories by Satyam Mishra books and stories PDF | एक थी...आरजू - 9

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एक थी...आरजू - 9



शांताबाई के जाने के पन्द्रह मिनट बाद शहजाद आरजू के पास उसके कमरे में आया था। शांताबाई उसकी बिगड़ी हुई हालत देखने आयी थी और जाते जाते उसे कड़े शब्दों में कह गई थी-"देख लड़की,अपने दिमाग में अच्छी तरह से ये बात डाल ले की अब तुझे यहीं रहना है। इस बिल्डिंग को ही अपनी दुनिया बनाना होगा तुझे। जिस तरह से बाकी की लड़कीयां रहती हैं उसी तरह तुझे भी अब यहीं रहना होगा। मेरे लिए तू उन वेश्याओं से बिल्कुल भी जुदा नहीं है जो मेरे लिए अपना तन बेचने का काम करती हैं। तेरे जैसी पचासों लड़कियों की इसी तरह से ला कर इस धंधे में लगाया है मैंने,उनकी तरह अगर तू भी अपने जान की खैर चाहती है तो चुपचाप वही कर जो हम चाहते हैं। और वैसे भी तेरी कीमत दी है मैंने शहजाद को-पूरे पचास हजार। बदले में लाखों तो हासिल करूँगी ही। अब चुपचाप अपना हुलिया सही कर और खामोशी से हमारे ग्राहकों को खुश करने के काम पर जुट जा। याद रख तू अब लड़की नहीं-रंडी बन चुकी है-वेश्या बन चुकी है,जिसका काम अपना जिस्म बेंच कर पैसे कमाना होता है। तेरा यहां से निकलना नामुमकिन है इसलिए ख्वाबो में भी यहां से फुर्र होने के बारे में मत सोचना। रेड लाइट एरिया एक ऐसा दलदल होता है जिसमे अगर एक बार कोई लड़की फंस गई तो उसमे से बाहर निकलना मुमकिन नहीं होता।"
आरजू अपने घुटनों को मोड़े उसपर सिर झुका कर फफक रही थी जब शहजाद ने उसके कन्धे पर हाथ रखा। उसके जिस्म पर चढ़े हुए कपड़े जहाँ तहाँ फ़टे हुए थे। उसने सिर ऊपर उठाया तो गुलाबी होंठो पर मक्कार किस्म की मुस्कान को बिखेरे हुए शहजाद के दर्शन हुए।
"कैसा रहा बेबी तुम्हारा फर्स्ट एक्सपीरियंस?"-वह चहका।
".............।"-आरजू के जबड़े भींचे।
"क्या हुआ बेबी"-शहजाद चौंका-या शायद उसने चौंकने का अभिनय किया,बोला-"नाराज हो?"
"यू बास्टर्ड। कुत्ते तूने मुझे धोखा दिया।"
"ओह्ह तो ये बात है,मैडम इस वजह से नाराज हैं।"
"तूने मुझे चीट किया है कमीने।"-आरजू के हलक से गुर्राहट खारिज हुई।
"तुम्हे प्रॉब्लम हुई उसके लिए सॉरी जानेमन बट क्या करूँ यही मेरा काम है,गर ये नहीं करूँगा तो पेट कैसे पालूंगा अपना-भड़वा जो ठहरा। तुम्हारे लिए एक फायदे की बात बताता हूँ...इस जहां को ही अपनी दुनिया बना लो,ऐश करोगी। हर रात अलग अलग मर्दों से वो खुशी हासिल करोगी जो तुम मुझसे चाहती थी,बदले में तगड़ा पैसा भी मिलेगा। किसी अमीर ग्राहक को अपनी लत लगा देना,बल्ले बल्ले हो जाएगी। चलता हूँ। फिलहाल रेस्ट कर लो जिस्म की अच्छी खासी तुड़ाई हुई होगी तुम्हारे।"
कहकर शहजाद तो चला गया,पीछे छोड़ गया आरजू को-यह सोचता- क्या ये वही शहजाद था जिसे उसने 'दुनिया जहान भुला' देने की हद तक प्यार किया था।
उसने अपना सिर वापस घुटनों में मोड़ लिया,और जब बर्दाश्त न कर सकी तो सिसक सिसक कर रो पड़ी-"डैड,मुझे माफ कर दीजिये। आयम सॉरी डैडी,आयम रियली सॉरी।"

● ● ●

हरिओम ने थके कदमों के साथ घर में प्रवेश किया। चेहरे पर निराशा और थकावट के लक्षण परिलक्षित हो रहे थे। पति पर दृष्टि पड़ते ही नैना उसके पास आई और व्याकुल लहजे में बोली-"कुछ पता चला जी हमारी आरजू के बारे में? कहाँ है वो?कैसी है?"
"कुछ पता नहीं चला नैना।"-हरिओम जी की आवाज में जमाने भर का दर्द छलक आया।
"ये आप क्या कह रहे हैं?"
"सही कह रहे हैं-आरजू के बारे में कुछ पता न चला। पता नहीं कहाँ गई होगी वह?"
"लेकिन आप तो उसके सारे फ्रेंड्स के पास गए थे न। किसी को तो पता होगा उसके बारे में?"
"नहीं। हमने उसके सारे फ्रेंड्स से उसकी बाबत पूछताछ की लेकिन किसी को कुछ नहीं पता है। वो कहते हैं की कुछ दिनों से आरजू उनसे नहीं मिली है।"
"हे भगवान, घर पर अपने परिचितों के फोन आ रहे हैं,आरजू के बारे में पूछ रहे थे। मेरे भी कई रिलेटिव्स थे उनमें।"
"पर बाहर के लोगों तक ये खबर कैसे पहुंची तुमने पूछा नहीं।"
"आप दिन भर से आरजू के फ्रेंड्स सर्किल में उसके बारे में पूछताछ कर रहे हैं। उन्ही के जरिये खबर उड़ गई होगी। अभी तो मैं किसी तरह से लोगों और रिलेटव्स को समझा दूंगी की आरजू कहीं बाहर गई हुई है लेकिन मैं ज्यादा टाइम के लिए दुनिया से ये बात छुपा कर नहीं रख सकती। अगर आरजू के घर से गायब होने की बात आम हो गई तो समाज में आपकी प्रतिष्ठा और हमारी इज्जत की धज्जियाँ उड़ जाएंगी। लोग हमारे मुंह पर हमें जलील करने से पीछे नहीं हटेंगे। हमारी आरजू से ये कितनी बड़ी गलती हो गई है?''
"नहीं नैना-सारी गलती आरजू की नहीं है,गलती मेरी भी है"-हरिओम के चेहरे पर वेदना ने पड़ाव डाल लिया-"मैंने लाड़प्यार में उसे जो छूट दी थी ये सब सब उसी का नतीजा है। अगर आज मैंने अपनी बेटी को सही शिक्षा दी होती तो यकीनन हमें ये दिन न देखना पड़ता। तुम हमेशा से मुझे समझाती चली आई हो की मैं आरजू को जो आजादी दे रहा हूँ,वो गलत है-नाजायज है,पर मैं कभी नहीं माना,कभी तुम्हारी बात पर ध्यान न दिया। आज उन तमाम बातों को याद करके अपने आप पर शर्म आ रही है मुझे। कितना गलत था मैं।"
"जो होना था-हो गया जी।"-नैना ने कहा-"अब उस बारे में सोच कर कोई फायदा नहीं होने वाला। इस समय तो हम बस भगवान से प्रार्थना ही कर सकते हैं की हमारी आरजू जहां हो-सलामत हो-और जल्द से जल्द हमें मिल जाए।"
"तुम सही कहती हो नैना। मैं भगवान से प्रार्थना करूँगा की हमारी आरजू हमें मिल जाए। पुलिस भी अपने काम में लगी है। उम्मीद है की हमें शीघ्र ही मिल जाएगी,और बाद में अपनी गलती व नादानी के लिए पछताएगी भी हमारी बेटी। चलो चल कर खाना खा लो-सुबह से अन्न का एक निवाला भी नहीं गया होगा तुम्हारे अंदर।"
"खाना तो आपने भी नहीं खाया है जी"-नैना के लहजे में पति के प्रति प्रेम उमड़ पड़ा-"दिन भर की दौड़ भाग से थक गए होंगे आप। आइये आपके लिए खाना लगा देती हूँ।"

● ● ●

अगले दिन।
इंस्पेक्टर राठी ने दरवाजे पर लगी बेल बजाई।
पांच मिनट के लम्बे इंतजार के बाद दरवाजा खुला। दरवाजा खोलने वाली रंजना थी-आरजू की बेस्ट फ्रेंड। उसके आंखों में नशे के कतरे तैर रहे थे। ग्यारह बज रहे थे,और देख कर ही लग रहा था की उसने अभी अभी बिस्तर से नाता तोड़ा था।
दरवाजे पर पुलिस इंस्पेक्टर को खड़ा देख कर वह हड़बड़ा गई।
"मैं कितनी देर से बेल बजा रहा था"-राठी सपाट शब्दों में बोला-"देख कर लग रहा है आप रात को देर से बिस्तर में गई होंगी?"
"जी..जी..हां। बीती रात एक मिनी पार्टी में गई थी। लेट हो गई थी आने में। बस इसी लिए सुबह भी लेट से उठी।"
"उठी नहीं-उठाई गईं। गर मैंने घण्टी न बजाई होती तो आप अभी तक घोड़े हाथी बेंचे बेखबर सो रही होती। आंखे देख कर ही पता लग रहा है की अपने रात जमकर पी रखी होगी। नशा अभी तक हावी है आप पर।"
वह तनिक झेंप गई।
"सर,अर्ली मॉर्निंग आप यहां? व्हाट हैपेन्ड?"-उसने तुरंत ही बातचीत की दिशा बदली।
"अर्ली मोर्निंग तुम्हारे लिए होगी हमारे लिए नहीं"-इंस्पेक्टर बोला-"बहरहाल हम तुमसे आरजू के बारे में पूछताछ करने आये हैं। वो गायब है।"
"कल अंकल का फोन आया था मेरे पास। आरजू के मिसिंग की न्यूज पा कर मैं तो शॉक्ड रह गई। मुझे नहीं पता की किसने किडनैप कर लिया उसका।"
"किडनैप नहीं-।"-राठी ने उसकी बात को नकारा-"शक है की वह किसी के साथ भागी हुई है-किसी लड़के के साथ।"
"व्हाट-?"-पता नहीं वह सचमुच चौंकी थी या स्त्री सुलभ चौंकने की एक्टिंग की थी।
"जी हां-। आप उसकी फ्रेंड हैं-आयम सॉरी-'खास' फ्रेंड हैं। उसके अच्छे बुरे सभी कार्यों में सहभागी हैं। आपको तो पता ही होगा उस लड़के के बारे में।"
"नहीं...मुझे नहीं मालूम।"-उसने प्रतिवाद किया-"मुझे तो ये भी नहीं मालूम की आरजू किसी लड़के के साथ भागी है।"
"याद कीजिये। हमें शक है की आरजू जिसके साथ भागी है वो कोई मुस्लिम लड़का है।"
रंजना ने बेचैनी से पहलू बदला।
थोड़ा सोचा,फिर बोली-"ऐसा कोई मुझे याद नहीं आ रहा है जिससे आरजू के ताल्लुकात इस हद तक हों।"
"कोई बात नहीं। कुछ ताल्लुकात ऐसे भी होते हैं जो इंसान अपने साये से भी पर्दे में रखने का ख्वाहिशमन्द होता है फिर बेस्ट फ्रेंड की क्या बिसात जो उसे बताए। खैर,आप संजय को जानती हैं?"
"जानती हूँ,फ्रेंड है मेरा।"-रंजना ने बताया।
"इस संजय का एड्रेस चाहिए मुझे।"
"क्या...?"-उसका मुंह खुला रह गया।
"सुना नहीं?"-इंस्पेक्टर की आवाज कड़ी हो गई। नजरें उसकी आंखों पर फिक्स हो गई।
"खूब सुना। लेकिन शॉक्ड हूँ। क्या संजय का हाथ है आरजू को गायब करने के पीछे?"
"संजय मुस्लिम है?"
"नहीं"-वह हड़बड़ाई।
"तो फिर"-राठी कड़े लहजे में बोला-"जो बोला है उतना करो। संजय का मुकम्मल एड्रेस दो,मय कॉन्टेक्ट नम्बर।"
फिर वह रुकी नहीं-सीधे अंदर गई और एक मिनट में जब लौटी तो उसके हाथ में पॉकेट डायरी का एक फटा हुआ पन्ना था जिसपर उसने संजय का एड्रेस दर्ज किया था। उसने पन्ना राठी को थमाया जिसे अगले पल उसने एक सरसरी नजर डालने के बाद अपनी जेब के हवाले कर दिया और बोला-"मैडम लाईन सुधारिये अपनी। आरजू के मसले से सीख लीजिये। वरना वो दिन दूर नहीं जब आप भी किसी न किसी मामले में सलाखों के भीतर नजर आएंगी। रिमेंबर दैट।"
रंजना का सिर झूक गया-बाशर्मिन्दगी।

● ● ●
इंस्पेक्टर राठी दो हवलदारों समेत रंजना द्वारा दिए गए संजय के पते पर पहुंचा तो उनकी मुलाकात संजय से हो गई। राठी ने जब संजय को आरजू के घर से गायब होने की खबर दी तो वह चौंक गया। उसने तीनों लोगों को घर के अंदर बुलाया-बैठाया।
"तुमने आरजू के गुमशुदगी वाले दिन-यानी परसों-बंसल साहब के घर जा कर उन्हें आरजू के बारे में जो बातें बताई थी उन्ही के बारे में बात करना चाहता हूँ,और कुछ पूछना चाहता हूँ।"-चेयर सम्हाल कर बैठते हुए बोला राठी।
"जी सर पूछिये। आयम रेडी।"-संजय खड़ा खड़ा ही बोला।
"तुमने बंसल साहब को बताया था की हाल फिलहाल आरजू किसी मुस्लिम लड़के के साथ इश्क के पेंच लड़ा रही थी। और उन दोनों के प्रेम सम्बन्ध नाजायज सम्बन्धों में भी तब्दील हो चुके थे।कौन था वो लड़का?"
"शहजाद नाम है उसका"-संजय के स्वर में नफरत का पुट आ गया था-"बेहद गिरा हुआ और घटिया शख्सियत का इंसान है वो। मैंने तो बंसल साहब के घर जा कर उन्हें इस बात से आगाह भी किया था पर उन्होंने मेरी बात पर ऐतबार न किया और मुझे अपने घर से भगा दिया था। कहते थे की उन्हें अपनी बेटी पर पूरा भरोसा है,वो ऐसा नहीं कर सकती। लेकिन उसने किया। उस शहजाद के कहने पर ही किया होगा। वो पहले मेरा दोस्त हुआ करता था..।"
"अब नहीं है?"-राठी ने उसकी आंखों में झांका।
"है,लेकिन जब से अमायरा की डेथ हुई है तब से मैं उससे ज्यादा वास्ता नहीं रखता।"-उसके चेहरे पर पीड़ा के भाव प्रसारित होते चले गए-"अमायरा मेरी छोटी बहन थी। वो उसे दीवानगी की हद तक मोहब्बत करती थी,लेकिन शहजाद उससे प्यार नहीं करता था। शहजाद प्लेबॉय था। लड़कियों से लव,सेक्स और धोखा करना उसकी फितरत थी। वह नई नई लड़कियों से दोस्ती करता था और फिर मौके का फायदा उठा कर उनकी इज्जत से खेलता था। दुनिया का ऐसा कोई ऐब नहीं है जो उससे महरूम हो। मैंने अमायरा को उसके बारे में समझाया भी था पर वो नहीं मानी। एक दिन उसने शहजाद से साफ तौर पर कह दिया की अगर वह उससे शादी न करेगा तो वह सुसाइड कर लेगी। शहजाद ने उसे केवल प्यार की भावनाओं में डूब कर कही गई कोरी धमकी मानी और उसने अमायरा को दुत्कार दिया। अगले दिन मुझे अमायरा की डेडबॉडी ही मिली। उसने स्लीपिंग पिल्स की ओवरडोज ले कर रात को सुसाइड कर लिया था। मैं अपनी बहन को खो चुका था। फिर मैंने शहजाद से किनारा कर लिया पर शहजाद मुझसे हमेशा की तरह नजदीक ही रहना चाहता था क्योंकि वह अक्सर मेरे साथ बार,पब, और पार्टियों में जाता रहता था जहां से वह नई नई लड़कियों को अपने झूठे प्यार के जाल में फंसाता रहता था। मुझे यकीन है की आरजू के गायब होने के पीछे उसी का हाथ है।"
"मुझे भी यही लग रहा है"-राठी बोला-"इस शहजाद का बैकग्राउंड बता सकते हो-आखिर तुम्हारा दोस्त था।"
"कुछ खास नहीं बता सकता। कई बार उससे पूछा लेकिन उसने कोई काबिलेएतबार बात न बताई मुझे। सो आयम सॉरी सर।"
"उसका मोबाइल नम्बर और एड्रेस दो। वो तो जानते ही होगे?"
संजय ने बताया।
एड्रेस को अपने दिमाग में फीड करके इंस्पेक्टर राठी ने शहजाद का नम्बर मिलाया तो दुसरी ओर लगातार फोन स्विच्ड ऑफ बताता रहा। संजय को थैंक्यू बोल कर राठी उसके घर से निकला। उसकी अगली मंजिल शहजाद का फ्लैट थी।
तकरीबन बीस मिनट में ही इंस्पेक्टर राठी अपने दोनो हवलदारों के साथ शहजाद के फ्लैट के बाहर खड़ा था। दरवाजे पर ताला लटका हुआ था। इसका मतलब था की शहजाद घर पर नहीं था।
राठी ने हवलदार को भेज कर आसपास पता करने को कहा। दोनो ने आसपास के लोगों से पूछताछ की और लौट कर बताया की शहजाद परसों रात से अपने फ्लैट पर वापस नहीं आया था। ऐसा कई बार हुआ है की शहजाद हफ्ते हफ्ते भर के लिए अपने फ्लैट पर वापस नहीं आता है,शायद वह किसी काम के तहत अक्सर शहर से बाहर रहता था। उसके काम और हफ्ते भर फ्लैट से बाहर रहने के बारे में पूछताछ की गई पर किसी को भी उसके बारे में पता नहीं था।
इंस्पेक्टर राठी ने मास्टर की से फ्लैट का दरवाजा खोला और सारा घर छान मारा लेकिन उसे वहां ऐसा कोई सुराग न मिला जो उसे ये हिंट दे सकता की शहजाद क्या काम करता था और कहाँ जा सकता था अलबत्ता उसे कुछ सबूत ऐसे जरूर मिले जो इस बात के गवाह थे की शहजाद के कई लड़कियों के साथ गहरे सम्बन्ध थे। वहीं से राठी ने उसकी कुछ फोटोग्राफ्स हासिल किये। राठी समझ गया की ये बेहद शातिर लड़का है,जो भोली भाली लड़कियों को अपने जाल में फंसाता है और उनका फायदा उठाता है। राठी को पूरा यकीन आ चुका था की आरजू के गायब होने के पीछे इसी लड़के का हाथ है।

क्रमशः.....................