Ek Ladki - 16 in Hindi Love Stories by Radha books and stories PDF | एक लड़की - 16

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एक लड़की - 16

हर्ष अपनी कार में घर की तरफ जा रहा था लेकिन उसे बार बार पंछी याद आ रही थी , पंछी की यादें उसके दिमाग से निकल ही रही थी जिससे उसके आंसू रुकने का नाम ही नही ले रहे थे। तभी रास्ते में उसे एक मंदिर दिखता है जिसे देख वो कार को वहीं रोक लेता है , मंदिर के अंदर जाता हैं और भगवान से कहता है- मेरे साथ ही क्यों ? अब मैं क्या करू, इतना रोकने की कोशिश की फिर भी मेरे दिल में बस चुकी है मैं उसे कभी भुला नहीं पाऊँगा , आपको पता है गॉड , अंदर बहुत दर्द कर हो रही है सहा नही जा रहा है ऐसा लग रहा है जैसे किसी ने दिल को चीर दिया हो बहुत दर्द कर रहा है , अब क्या करू प्लीज गॉड मेरी मदद करो। उसके बातें उसे अंदर ही अन्दर ओर ज्यादा तकलीफ दे रही थी जिसकी वजह से जोर से रोने लगता है । तभी वहां उस मंदिर का पंडित आता है उसने उसकी बात सुन ली थी और हर्ष के पास आकर बोलता है - बेटा, तुम उसे इतना पसन्द करने लगे हो ??? हर्ष ये बात सुन उसकी ओर देखता है पंडित फिर से बोलते हैं - बेटा क्या हुआ है, अगर बता दोगे तो तुम्हारा मन हल्का हो जाएगा। हर्ष कुछ नहीं बोलता है और अपने आंसू पोछ कर जाने लगता है तभी पंडित जी दुबारा कहते हैं - तुम उसे पसंद करते हो, क्या यही तुम्हारे दुख का कारण है क्या ? हर्ष जल्दी से पीछे देख पंडित से कहता है - नहीं , नही वो मेरे दुख का कारण नहीं है। उससे मैं प्यार करता, वो भला मेरी तकलीफ की वजह नही हो सकती। बस ये दिल है ना, ये समझना नहीं चाहता इसे तो बस जो अच्छा लगे अपने पास चाहिये। उसे तो पता भी नहीं है कि मेरे दिल में उसके लिए क्या फीलिंग है वो किसी और से प्यार करती है और अब वो दोनों साथ हैं और मैं भी उनके लिए बहुत खुश हूं लेकिन ये दिल मानने को तैयार ही नहीं है।
पंडित - अगर तुम उसे इतना पसंद करते हो साथ भी रहते हो तो कभी ना कभी उसे भी इस चीज़ का अहसास तो हुआ होगा उसने भी तो तुम्हारी आँखों में कभी ना कभी प्रेम देखा होगा लेकिन या तो उसने उस प्रेम को नकार दिया है या फिर कही ना कहि वो भी तुम्हे पसन्द करती है लेकिन शायद उसने कभी अपने दिल की सुनने की कोशिश नहीं की है।
हर्ष - आप ऐसी बातें मत कीजिए मेरा दोस्त उससे प्यार करता है और अब वो साथ हैं मैं उनके बीच में नहीं आना चाहता और पंछी सिर्फ ऋषि से ही प्यार करती हैं और किसी से नहीं।
पंडित - ठीक है बेटा, भगवान करे जो तुम कह रहे हो सच हो बाकी तो वो सम्भाल लेगा, "जय भोलेनाथ " ।
ऐसा कहकर पंडित वहाँ से चले जाते हैं और हर्ष उनको देखता रह जाता हैं उनके जाने के बाद वो भी अपनी कार में आ जाता है और घर चला जाता है। पंछी भी अपने घर जाती है और झील को सब कुछ बता देती है झील उसकी बात सुन कहती हैं - पंछी, मुझे लगता है तूने जल्दबाजी कर दी है एक बार अपने दिल की तो सुन लेती , इमोशन्स के चक्कर में फस गयी है।
पंछी - नहीं दी , ऐसा कुछ नहीं है ऋषी सच में मुझसे बहुत प्यार करता है और मुझे पक्का विश्वास है ।
झील - और तू ???
पंछी - मैं भी करती हूं दी ।
झील - क्या पता, सिर्फ तू उसकी तरफ खिंची चली जा रहीं हो , प्यार और अट्रेक्शन के बीच बहुत छोटी सी दीवार होती है जो दिखाई भी नहीं देती और हम दोनों को एक ही समझ लेते हैं
पंछी - दीदी , आप रिलेक्स रहिये। मेरे साथ कुछ गलत नहीं होगा
झील - मुझे तेरी चिंता हो रही हैं ।
पंछी - आप फालतू टेंशन मत लो जैसा आप सोच रही है वैसा कुछ नहीं है।
पंछी झील की बात सुनने को तैयार ही नहीं थीं इसलिए झील भी आगे कुछ नहीं बोलती है और दोनों सो जाते हैं लेकिन झील अभी भी सोच रही थी कि काश पंछी जो कह रही हो वो सच हो । अगले दिन कॉलेज जाते समय रास्ते में हर्ष रोड साइड पर पंछी दिखाई देती है उसे अकेला देख वो उसके पास जाता है और कार से निकल कर पूछता है - पंछी तुम यहाँ क्या कर रही हो ??
पंछी - हर्ष अच्छा हुआ तुम भी आ गये , ऋषी आइसक्रीम लेने गया है इसलिए मैं उसी का वैट कर रही हूं। आने मैं ही होगा।
तभी ऋषि भी आ जाता है वो पंछी और हर्ष को आइस क्रीम देता है लेकिन हर्ष मना कर देता है तब पंछी कहती हैं - ले लो हर्ष ये तुम्हारे लिये ही है ऋषि तुम्हारे लिए भी लाया है।
हर्ष - मेरे लिये मतलब ???
पंछी - एक आइस क्रीम तुम्हारे लिये कॉलेज में लाने वाले थे लेकिन तुम यही मिल गए ।
हर्ष - नहीं , पंछी मेरी खाने की इच्छा नहीं है तुम खा लो ।
पंछी - हर्ष , ले लो साथ में खाते हैं ।
हर्ष - नही तुम दोनों खा लो मैं कॉलेज चलता हूं तुम दोनों वहाँ मिलना। फिर हँसते हुए कहता है- तुम दोनों आओगे तो सही ना या फिर आज घूमने फिरने का इरादा है।
ऋषी - नहीं नहीं ,हम कॉलेज आ रहे हैं। तुम भी ना......।
हर्ष मुस्कुरा जाता है और अपनी कार में बैठ कर चला जाता हैं। उसके जाने के बाद ऋषी पंछी से कहता है - तुम्हें क्या हुआ है अचानक से मूड ऑफ कैसे हो गया ??
पंछी - आज हर्ष का बर्ताव कुछ अलग था उसने फर्स्ट बार मुझे मना किया है और नॉर्मली जैसे बातें करता है वैसे मुझसे बातें नही कर रहा है।
ऋषी - अरे ! वो ऐसा ही है उसका आइस क्रीम खाने का मूड नहीं होगा इसलिये मना कर दिया।
पंछी- ठीक है
और दोनों कार में बैठ कर जाने लगते हैं लेकिन अभी भी पंछी हर्ष के बारे में ही सोच रही थी उसे हर्ष के बदलाव के कारण बहुत बुरा लगा था। थोड़ी देर बाद वो कॉलेज पहुचते है क्लास होती हैं ऋषि और पंछी साथ बैठे थे और राज और हर्ष उनके आगे ही बैठे थे। पूरी क्लास के दौरान हर्ष एक बार भी पीछे नहीं देखता है पंछी को बहुत अजीब लगता है कि हर्ष ने आज एक बार भी पीछे मुड़कर बात नहीं कि क्लास खत्म होती है टीचर के जाने के बाद सभी स्टूडेंट्स जाने लगते हैं पंछी हर्ष को रोकते हुए कहती हैं रुको हर्ष! तुम्हें क्या हुआ है तुम मुझसे ठीक से बात क्यों नहीं कर रहे हो ? मुझसे नाराज़ हो क्या ???
हर्ष - नहीं ऐसी कोई भी बात नहीं है मैं तुमसे क्यों नाराज़ होऊंगा।
पंछी - तो फिर कोई बात है क्या ?? तुम हमेशा तो मुझे बता देते हो आज नही बताओगे ?
हर्ष - नहीं ऐसी कोई बात नहीं है फिर हंसते हुए कहता है - तुम भी ना पंछी , अगर ऐसी कोई बात होती तो मैं तुम्हे नहीं बताता क्या ?? तुम तो मेरी बेस्ट फ्रेंड हो।
पंछी - हां , ये बात तो है मुझे नहीं बताओगे तो किसे बताओगे , चलो ना अभी कैन्टीन चलते हैं सब वही गये है ।
हर्ष - चलो , देरी किस बात की।
पंछी - तो फिर चलो।
और दोनों कैन्टीन की ओर जाते हैं सभी वहाँ मिल जाते है और ऋषी ओर्डर करके आता है पंछी कहती है - चलो ना आज हम गार्डन में बैठ कर खाएंगे मज़ा आएगा।
ऋषी - हां आईडिया तो अच्छा है , सब साथ में खाएंगे मज़ा आएगा।
हर्ष, राज और स्माईली को भी आईडिया अच्छा लगता है और मान जाते हैं थोड़ी देर बाद सभी गार्डर में पहुचते है और गोल घेरे में बैठ जाते है और स्टार्ट करते हैं।राज स्माइली और हर्ष अपनी ही बातों में मगन हो जाते है तभी पंछी ऋषी से कहती हैं - वाव!! मज़ा आ रहा है। ऋषी पंछी की ओर देख स्माइल करने लगता है जिस पर पंछी कहती हैं - क्या हुआ??
ऋषी - कुछ नहीं , बस अच्छा लग रहा है ।
पंछी -मुझे पता है ये जगह बहुत अच्छी है मुझे बहुत पसंद है।
ऋषी- मैं तुम्हारी बात कर रहा हूँ, तुम्हे ऐसे ही देखते रहना बहुत अच्छा लगता है बहुत समय बाद तुम्हे देख पा रहा हूँ।
पंछी - मैं तो रोज ही मिलती हु ।
ऋषी - लेकिन आज तुम मेरे साथ हो और मैं तुम्हे जी भर देख सकता हूँ।
पंछी उसकी बात सुन मुस्कुरा जाती हैं
ऋषि कहता है - पंछी, तुम मुझे छोड़ कर मत जाना मैं रह नहीं पाऊंगा ( ऐसे बोलते समय उसकी आंखे भर आती है।)
पंछी - नहीं ऋषी , ऐसी बाते मत करो मैं हमेशा तुम्हारे साथ हु।
ऋषी - मुझे डर लगता है कि कहि तुम छोड़ कर चले गये तो।
पंछी मुस्कुराते हुए - तो अपने डर को खत्म कर दो , मैं तुम्हें छोड़ कर कहि नहीं जाऊंगी।
ऋषी मुस्कुरा देता है उनके सामने ही बैठे हर्ष ने उसकी बात सुन ली थी उनकी इन बातों ने उसे बहुत तकलीफ दी थी जिसकी वजह से वह अपने आंसू को रोक नहीं पाता है और आंसू निकल आते हैं लेकिन जल्दी से अपने आंसू साफ कर ऋषी से कहता है - ऋषि, मुझे कुछ काम है बाद में मिलते है। ऐसा बोल कर वो वहाँ से चला जाता है
पंछी कहती है - इसे अचानक से क्या हो गया है मैं देख कर आती हु।
ऋषी - ठीक है ,कुछ प्रॉब्लम हो तो मुझे बता देना।
पंछी - ठीक है।
पंछी उसे ढूंढती है। हर्ष छत पर आकर फ़ोन में पंछी की फ़ोटो देख जोर जोर से रोने लगता है थोड़ी देर रोने के बाद वो फोटो को देख कहता है- सॉरी पंछी, मैं तुम्हें नहीं भूल पा रहा हूँ बहुत कोशिश कर रहा हूँ पर कुछ भी मेरे बस में नहीं है तुम्हें पता है तुम्हें किसी ओर के साथ देख दिल छलनी हो जाता है बहुत तकलीफ़ हो रही हैं अब तुम ही बताओ अब मैं क्या करूँ, कैसे भूलू तुम्हे। और उसकी फ़ोटो को सीने से लगा कर फिर से रोने लगता है पीछे खड़ी पंछी ये सब सुन लेती है। हर्ष को ऐसी हालत में देख उसे कुछ समझ नहीं आता कि की क्या करे उसे हर्ष को देख बहुत बुरा लग रहा था । थोड़ी देर खड़े रहने के बाद पंछी उसके सामने आती हैं और कहती है - हर्ष, तुमने मुझे बताया क्यों नहीं?
हर्ष ऊपर देखता है पंछी को देख घबरा जाता है
पंछी दुबारा कहती हैं - मुझे बताया क्यों नहीं, सॉरी मेरी वजह वजह से तुम्हें इतनी तकलीफ हो रही है मुझे तो कभी पता ही नहीं चला कि तुम मुझसे प्यार करने लगे हो मैं तुम्हारी तकलीफ़ की वजह बन गयीं सॉरी, सॉरी हर्ष, लेकिन अब मैं ऋषी से प्यार करती हूं।पर तुम्हें इस हालत में नही देख सकती।
हर्ष- नहीं पंछी तुम खुद को दोष मत दो, ये मेरी गलती है मुझे तुम्हारे बारे में सोचना ही नहीं चाहिये था लेकिन पंछी सच में बहुत तकलीफ होती है किसी अपने को दूर जाते देख , कुछ समझ नहीं आ रहा है कि क्या करूँ , जब भी तुम दोनों को साथ देखता हूँ तब अपने दोस्त के लिए खुशी होती है लेकिन अंदर बहुत तकलीफ होती है। सॉरी पंछी ,मुझे तुम्हे ये सब नही बताना चाहिए। तुम जाओ यहाँ से, भूल जाना कि मैने कुछ कहा था।
पंछी - लेकिन हर्ष ....
हर्ष - नहीं , तुम जाओ। हर्ष की ऐसी हालात देख पंछी की आंखों में भी आँसू थे लेकिन हर्ष के जाने के लिए कहने पर वह वहाँ से जाने लगती है तभी हर्ष उसे पीछे से धीरे से दर्द भरी आवाज़ लगाता है - सुनो पंछी ! क्या तुम मेरी एक हेल्प कर सकती हो उसके बाद तुम्हें भूलना ओर तुमसे दूर जाना आसान हो जाएगा। पंछी मुड़कर कहती है - हां हर्ष, क्यों नही मैं तुम्हारी मदद करना चाहती हूं ।
हर्ष - क्या तूम सिर्फ 2 दिन के लिए मेरी गर्लफ्रैंड बनोगी, मतलब की सिर्फ 2 दिन के लिए मेरी गर्लफ्रैंड बनाने का नाटक कर सकती हो , मैं तुम्हें छूउँगा भी नहीं, तुम्हे हाथ भी नही लगाऊंगा ऐसी कोई हरकत नही करूँगा जिससे तुम्हे अनकंफर्टेबल फील हो। इससे बाद में मुझे ऐसा लगेगा कि कभी तो तुम मेरे साथ थी और तुम्हारी कुछ यादें मेरे साथ होगी जिसे याद करके मैं दिन निकाल लूंगा। उन्ही यादों के सहारे तुमसे दूर भी रह पाऊंगा।
पंछी को हर्ष की बात सुन बहुत बुरा लगता है और वो सुनती रह जाती हैं उसे समझ नहीं आता कि क्या करे उसे लग रहा था कि अगर हा कर दी तो कहि वो ऋषी को धोखा तो नही दे देगी इसलिए कुछ नहीं बोलती है जितने मैं उसकी नज़र हर्ष के पीछे जाती हैं ऋषि वही खड़ा था उसने सारी बाते सुन ली थी वो पंछी से हां करने का ईशारा करता है और कहता है कि मुझे तुम पर पूरा भरोसा है तुम हर्ष की बात मान जाओ। पंछी हर्ष से कहती हैं - ठीक है हर्ष।
हर्ष को जैसे ही पंछी की हां सुनाई देती हैं वो बहुत खुश होता है और खुशी के कारण जैसे ही पंछी को गले लगाने लगता है वो अपने आप को रोक लेता है और दूर होकर कहता है - थैंक यू पंछी थैंक यू। तब पंछी देखती हैं कि हर्ष की आँखों में एक अलग ही खुशी थी। जैसे देख उसे भी बहुत अच्छा लगता है।