# सिक्स वर्ड्स स्टोरीज
१. खादी दबाता घोड़ा, वर्दी बनता निशाना
२. काली है, गरीब घर ब्याही होगी!
३. पीठ पीछे गुस्साया, नौकर है शायद
४. संसद: गरीबों के ख्वाहिशों की कब्रगाह
५. बिके वो लिखे, वो लेखक नही
#मेरी महान सोच
अपनी हाथों में
अनार, सेब, केला, पपीता, तरबूज,
बादाम, अंडा, दही, पनीर,
अखरोट, ओट्स, नट्स,....
से भरी थाली लिए
गद्देदार सोफे पर बैठे-बैठे
मैं यही सोच रहा हूँ
गरीबों का पेट भी न
कितना बड़ा होता है
कितना सारा चावल
एक ही बार में खा जाते हैं ये लोग!
# एक अच्छी कहानी
नोट- यह कहानी एक प्रयोग के रूप में लिखा गया है।कहानी कहने का तरीका बिल्कुल नया है। आपको पढ़ कर कैसा लगा जरूर बतायें।
एक कहानी है
जिसे सुनानी है
तो वो कहानी शुरू होती है
एक सवाल से
जो बेकार है
तो वो बेकार सवाल ये है कि
एक बेकार जिंदगी किसे कहेंगे आप?
नहीं पता!
बहुत अच्छा!, तो आगे की कहानी है-
वो जो आदमी था
खूब पैसे कमाया
जिंदगी भर कमाया
सिर्फ पैसे हीं कमाया
फिर मर गया
और तीसरा आदमी जो था
जब मरा था
तीसरे दिन उसकी लाश मिली थी
नाली में पड़ा था
पियक्कड़ था
और जो औरत थी
उसे कुत्तों से नफ़रत था
देखते हीं मारती थी
एक बार कमलेश के कुत्ते को मार दी
कुंती की कुतिया को गुस्सा आया
गुस्से में काट दी
वो कुंती की कुत्तिया को मारी
कुत्तिया मर गयी
कुंती को गुस्सा आया
गुस्से मे वो उसे मारी
दो दिन बाद, वो औरत मर गयी
तो इस कहानी से
यही शिक्षा मिलती है कि
जो जीते हैं, वो मरते हैं
जब मरते हैं, सब एक कहानी बनते हैं
तो कोशिश हो, ऐसे जिये
कि इस कहानी की तरह,
आपकी कहानी बेतुकी न बने
और हाँ! इस कहानी का शीर्षक है-
"हर जिंदगी एक कहानी है"
# एक जानवर: मौके की ताक में
वो बोली
पहले ठीक से जानूँगी
फिर बोलूंगी
थोड़ा पास आ जाओ
पास गया जब
तब जाना मैंने भी
उसे ठीक से
हाथ जोड़े फिर
सिर्फ यही बोल सका
"भगवान के लिए,
मेरी जिंदगी से चली जाओ"
कितना खुरदरा है
इंसानी चरित्र
जिसे भी ठीक से जान लो
नफ़रत हो जाता है
यूँ तो सब मासूम बने फिरते है
पर जब कभी भी
कोई ऐसा मौका मिल जाये
जहाँ इस बात की पूर्ण तस्सली हो
की गहरी निंद में सो रही है "समाज"
या उसकी नजरें
टिकी हैं किसी दूसरी ओर
और इस बात की भी
विश्वास हो
की ये जो सिर पर है
'इज्जतदार' नाम की झूठी ताज
इसकी चमक खतरे से बाहर है
तब जगता है
अंदर से एक जानवर
"पवित्रता और ईमानदारी" की चोला को
फेक देता है
उतार किसी कोने में
और फिर उतेजनाओं के आवेश में
कामुकता की मायावी तालाब को
तब तक उपछता है
जब तक की तलहटी में
सिर्फ अफसोस न बचे!
# जहाँ अच्छा है सब कुछ
एक दुनिया
इसी दुनिया में
पर इससे बेहतर
जहाँ गम कम है
जहाँ लोग कम है
और जो कम लोग हैं
वे वो लोग हैं
जिनको मैंने ही है बनाया
अपने खातिर
खातिरदारी के लिए
जी हुजूरी के लिए
हर जरूरी के लिए
जो मैं नही कर पा रहा
या जो कह भी नही सकता
इस दुनिया में
वही सब कुछ
कभी करते हैं वे कुछ
कभी करता हूँ मैं कुछ
होता हो चाहे जो कुछ
होता है मेरे लिए ही
जैसे कोई विधवा
साल दर साल
गुमसुम-सी होती जाती है
सुखी आँखो से रोती जाती है
सिर्फ खुद की ही होती जाती है
अपनी ही दुनिया में खोती जाती है
रहती तो है इसी दुनिया में
पर इस दुनिया में कहां रहती
ये दुनिया तो बस
धुआँ भरती है उसकी हर सांस में
बादल बनती है उसकी हर आस में
पानी फेरती है उसकी हर प्यास में
पर उस दुनिया ऐसा नही है
वहाँ अच्छा है सब कुछ
वहाँ सब कुछ अच्छा है।
© prabhat