Niyati - 6 in Hindi Fiction Stories by PRATIK PATHAK books and stories PDF | नियति ...can’t change by anybody - 6

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नियति ...can’t change by anybody - 6

मालिनी गेट बेक टू ध वर्क, में आ गया हूं आज रात को लेब पर जाना है अमित ने मॉस्को से लौटते ही मालिनी को मेसेज किया। ओके सर, मालिनीने रिप्लाई दिया। रात को अमित अपनी कार की जगह एक ट्रॉली वाली कार लेकर आया जिसमें कुछ सामान रखा हुआ और वो सामान जो मालिनी के घर कुरीयर में आया था वह रखकर दोनों उसकी लेब की ओर चल पड़े। कार में बैठने के बाद मालिनी अपने मोबाइल में से किसी को मेंसेज कर रही थी, “शीट नेटवर्क नहीं आ रहा है, आपके मोबाइल में भी नेटवर्क नहीं आ रहा है?”सर मालिनी ने पूछा।
“यहां पर नेटवर्क नहीं आएगा क्यों किसी को बताना है कि हम कहां जा रहे हैं अमितने सीरियस आवाज में पूछा। ऐसा पूछने पर मानो मालिनी के चेहरे पर रंग उड़ गया और थोड़ी हक्का-बक्का रह गई। अरे मजाक कर रहा हूं मैं और बातों बातों में दोनों ने वह सुनसान सड़क और वहां से कच्ची सड़क से हवेली के अंदर प्रवेश किया।
सर अब तो मुझे डिजाइन का ब्लूप्रिंट दिखाइए”, मालिनी ने कहा। अरे अब ब्लूप्रिंट की क्या जरूरत है हम पूरी मशीन ही साथ में बना रहे हैं और हां यह लो कुर्शी और ऐ टेबल तुम्हारा है और मुझे पूछे बिना एक भी चीज को छूना नहीं है और अपना मोबाइल यहा पर रख दो अमित ने थोड़ी कड़क आवाज में कहा।
क्यों सर मुझ पर भरोसा नहीं है माली ने पूछा। “बात भरोसे की नहीं है”, अमित ने जवाब दिया
अभी मेरे पीछे मेरी जान के कई दुश्मन पड़े हैं और यह प्रोजेक्ट को पाने के लिए कोई नामी लोग पड़े हैं अगर गलत हाथों में यह प्रोजेक्ट गया तो दुनिया बर्बाद समझो अमित ने चिंता के स्वर में कहा।
दोनों ने देर तक काम किया अमित सारे सामान के सभी हिस्सोंको जोड़ता रहा और मालिनी अमित के दिए हुए पेपर को टाइप करती रही और रात के 4:00 बजे अमित के कहने पर वह दोनों वहां से निकल गए और आगे 4 दिनों तक ऐसा ही चलता रहा।
एक दिन सुबह 9:00 बजे कोई प्राइवेट नंबर से मालिनी के फोन में घंटी बजती हैं, मालिनी ने कॉल रिसीव किया हेलो कुछ बात बनी? कुछ मिला तुम्हें ? ब्लूप्रिंट हासिल की? उसकी लेब कहां है कुछ पता चला? सामने से आवाज आई। “सर ब्लूप्रिंट तो छोड़ो कोई भी मशीन का डिजाइन अभी तक नहीं मिला कमीना हर रात को मुझे अपनी लेबमें ले जाता है जो कोई सुनसान जगह पर है उस जगह पर नेटवर्क भी नहीं आता और रात के 4:00 बजे हम वहां से निकल जाते हैं आने जाने के रास्ते का मुजे पता नहीं चलता और हर रोज कोई ना कोई बेकार रिसर्च पेपर टाइप करवाता है। मालिनी ने चीडते हुए कहा।
“कुछ भी करो तुम, कुछ भी करके तुम उसके पास से प्रोजेक्ट की ब्लूप्रिंट और डिटेल निकालो,तुमको पता है तुम्हे क्या करना है अगर फिर भी ना माने तो माइकल को बुलाओ”, सामने वाला बोला। ठीक है सर आई विल ट्राई माय बेस्ट सर मालिनीने जवाब दिया।
उस दिन रात को.....
अमित ने अपने कार मे से हॉर्न बजाकर मालिनिकों बुलया।और मालिनी तैयार होकर नीचे आई।आज मालिनी ने बहुत ही पतली शार्टिनकी ब्लू कलर की शॉर्ट्स और शर्ट पहनी हुई थी इसमें से उसके अंगों का आकार बहुत ही अच्छी तरह से दिख रहा था अमित उसको पलक जबकाए बिना देख रहा था। मालिनी गाड़ीकी अंदर बैठी और लेब आने तक ऐसे ही चुपचाप बैठी रही। दोनों लेब में अपने काम में लग गए हर रोज की तरह मालिनी कंप्यूटर पर अमित के दिए हुए पेपर्स को टाइप करने लगी और अमितने अब तक सब मशीन के सामान जोड़ कर रख दिए थे, अब उसको एक कंप्यूटर के साथ जोड़कर कुछ प्रोग्रामिंग कर रहा था। उसका ध्यान मालिनी की ओर गया, “क्या हुआ मालिनी आज तुम क्यों उदास हो?कार में भी कुछ नहीं बोली और अभी भी कुछ नहीं बोल रही हो?”, अमित के ऐसा बोलते ही मालिनी उसके पास जाकर उस से लिपट कर रोने लगी पता नहीं सर क्या करूं आज कुछ भी अच्छा नहीं लग रहा है मुझे। मालिनी जितना हो सके उतना अमित की करीब हुई दोनों के बदन एक दूसरे को छू रहे थे और अमित के दोनों हाथ मालिनी के पीठ पर फिरने लगे, “आई लव यू सर”, मैं आपसे प्यार करने लगी हूं कहके अमित की आंखों में देखा और उसके होठों पर चुंबन किया। 5 मिनट तक दोनों के होठों से होंठ मिलने के बाद कब दोनों जमीन पर एक दूसरे की बाँहों में खो गए वह दोनों को पता ही नहीं चला। दोनों के सारे कपड़े जमीन पर बिखरे पड़े हुए थे और दोनों ने पूरी रात एक दूसरे को प्यार किया। चार बजने मे सिर्फ़ पन्द्रह मिनिट की ही देरी थी। मालिनी कुछ भी करके सुबह तक वहां रहना चाहती थी और उसने कहा सर बहोत मजा आया एक बार और हो जाए। अमित उसके इरादे पूरी तरह से जान गया था उसने कहा हां क्यों नहीं पर मुझे तुम्हें आज डिजाइन की ब्लूप्रिंट दिखानी है और कुछ उसके बारे में चर्चा भी करनी है। ब्लू प्रिंट का नाम सुनते ही मालिनी तुरंत बैठ गई और कहां,कहा है ब्लूप्रिंट दिखाओ सर कहां है। चलो दिखाता हूं कपड़े पहन लो अमित ने कहा। “नहीं आपको मेरे पर विश्वास नहीं अब तो मैं आपसे प्यार भी करने लगी हूं कपड़े पहनते पहनते मालिनी ने कहा”। अमीतने भी कपड़े पहन लिये और कहा ऐसी कोई बात नहीं डिजाइन की ब्लूप्रिंट फ्लेट पर पड़ी है चलो वहां चाहते हैं मालिनी का चेहरा गुस्से के मारे लाल हो चुका था और वह अमित को कुछ कहे नहीं सकी थी दोनों रात के 4:00 बजे वहां से निकले। अमितने मालिनी के घर पर गाड़ी रोकी और अमित बोला सॉरी मालिनी आज बहुत नींद आ रही है ब्लू प्रिंट कल दिखाऊंगा ओके। मालिनी को उसके घर छोड़कर वहां से अपने घर चला गया और अपने मनमे “बोला कमीनी साली मुझे पता था इतनी हद तक चली जाएगी। “
सुबह 9 बजे ... “हेलो माइकल अब तुम्हेही कुछ करना पड़ेगा साला कुछ दिखाता नहीं, ब्लूप्रिंट तो छोड़ो अपनी किसी चीज को छूने नहीं देता मालिनी ने उसी दिन सुबह माइकल को कॉल करके सब कुछ बताया।
तुम चिंता मत करो मैं अब सब देख लूंगा माइकल बोला
दोपहर के 12:00 बजे अमित के फोन मैं रिंग बजती है, “नायक साहब माइकल बोल रहा हूं सब खैरियत तो है ना”। जी माइकल भाई साहब ठीक है, अमित ने कहा। तो बात ऐसी है वह दोसों करोड़ के सामने अपने कुछ गेरण्टी नहीं रखी थी बदले में कुछ देना पड़ेगा आपको, माइकल ने अमितको धीरे से कहा। “मेरे पास अभी तो कुछ नहीं है पर मैं बहुत जल्दी आपके पैसे लौटा दूंगा अमितने विनम्रता से जवाब दिया। नहीं नहीं नायक साहब दो दिनों में तीन सौ करोड़ तैयार रखो नहीं तो जानसे जाओगे और कोई गेरण्टी हो तो रखो मेरे पास,माइकलने धमकाते हुए कहा। माइकल मैं अपनी खोज के बहुत नजदीक हूं, मैं तुमको बहुत माला माल कर दूंगा थोड़ा वक़्त दो बस मुजे, अमितने बीनती करके कहा। “आपके पास दो दिन का वक़्त है वरना हमारी बंदूक बोलेंगी बोलकर माइकल ने फोन काट दिया।
अमित के चेहरे पर उदासी साफ दिखाई दे रही थी और उस वक़्त मालिनी उसके केबिन में आई और वो मालिनी पर चिल्लाने लगा, “माइकल ऐसे धोखा कैसे दे सकता है मुझे दो दिन मैं तिनसों करोड़ मांग रहा है। दो दिन में कैसे लाऊं? तिनसों करोड़, तुम उसे समझाओ मालिनी”
ना बाबा ना वो तो ज़ालिम है कहीं मुझे ना मार दे। आपकी मशीन कब तक बनेगी? सर कुछ करके उसे पैसे दे दो। उसे गारंटी चाहिए मालिनी में क्या करूं?
आपकी वह हवेली सर उसको गिरवी रख के आप थोड़ा समय मांग सकते हो या आपके मशीन के बारे में बता दो तो कुछ हो सकता है वह हमेशा आपको पैसे देता रहेगा। मालिनीने आईडिया बताया।
नहीं ऐसा नहीं कर सकता मैं मशीन से वो गलत काम कर सकता है। अभी मशीन पूरे रूप से काम नहीं करता एक दिन ही आगे और एक दिन ही पीछे जा सकता है।
क्यों सर एक ही दिन?? मालिनीने पूंछा। पता नहीं सही समय का अंतराल नहीं मिल रहा है। कुछ कमी अभी भी बाकी है और दोनों मौन होकर सोचने लगे। अचानक से अमित बोला “यश!! मालिनी पहले मुझे क्यों नहीं ये विचार आया??”
क्या विचार सर?? मालिनी ने पूछा। “मशीन एक दिन तो आगे पीछे हो सकती है क्यों ना मैं एक दिन आगे जाकर शेयर बाजार के भाव जानलु या कोई क्रिकेट मैच का परिणाम देख कर कोई बड़ा सट्टा खेलू ”अमितने अपना विचार प्रगट करते हुए कहा। हां सर वो आईडिया ठीक है पर काम करेगा ये?
क्यों नहीं करेगा चलो आज रात कोही देखते हैं तैयार रहना।
रात को ठीक 11:00 बजे अमितने हर रातकी तरह हॉर्न बजा के मालिनी को नीचे बुलाया मालिनी आज बहुत ज्यादा खुश लग रही थी दोनों अमित के हवेली पर पहुंचे। अमितके बनाये हुए मशीनको आज आजमाने की बारी थी। मशीन एक आराम कुर्सी जैसाथा। जिनमें कई सारे वायर लगे हुए थे और एक सर पर पहनने की बड़ी लोहे की टोपी जैसा मशीन। सभी वायरको को हाथ,पग,सिर पे कंधे पर लगाना था मानो हमारा इसीजी करना है ऐसा लगता था। और एक वायर मुख्य कनेक्शन के लिए कंप्यूटर से जुड़ा हुआ था। मालिनी यहां म मुझे यह सब लगाने में मेरी मदद करना और मैं जब ओके कहूं तो यह बटन दबा देना और याद रखना सिर्फ 5 मिनट तक रखना और दुबारा यह बटन वापस दबा देना क्योंकि में समय के अंतराल में होगा यहां की 5 मिनट वहां 1 दिन से भी ज्यादा होगा।
ओके सर मैं कर दूंगी मालिनीने कहा।अमितने पोजीशन बना ली और ओके कहा मालिनी ने बटन दबाया, अमित मानो गहरी नींद में हो ऐसा लगता था 5 मिनट बाद फिर से मालिनी ने बटन दबाया और अमित अचानक उठा और बोला हमने कर दिखाया मालिनी हमने कर दिखाया और उस को गले लगाया और गाल पर चुंमा। “मेरी भी इच्छा है मैं भी ट्राई करूं सर?” मालिनी ने पूछा। अरे हां क्यों नहीं तुम्हारे लिए तो यह सब किया है वरना तुम कहोगी कि मुझ पर विश्वास नहीं करते पर तुम्हें मैं एक दिन पीछे ले जाऊंगा ठीक है। अब मालिनी कुर्सी पर सेट हुई और सब वायर उसके बदन पर सेट किए और उसके ओके कहने पर अमितने बटन दबाया। फिर 5 मिनट बाद वापस बटन दबाकर मालिनी कुर्सी उठी और खुशी से झूम उठी और बोली, वाओ! सर यू आर जीनियस मैंने अपना पूरा कल का दिन भूतकाल में देखा बहुत मजा आ गया।
माइकल को बोलना परसों पैसे मिल जाएंगे अमित ने कहा और दोनों अपने घर की और निकल पड़े।
सुबह होते ही अमित ने उसके भाई आशीष को फोन लगाया और कहा, आशीष मैंने तुमको जो पैसे की बात की थी उसको यह अकाउंट में डाल दो। हा एक दो घंटे में करता हूं,आशीष बोला।
ओके ठीक है अपना ख्याल रखना और मॉस्को से निकल कर लंडनमे जो पता भेज रहा हु वहापे चले जाओ। जल्दी मिलते हैं।
सर काम हो गया मालिनी ने कोई अनजान व्यक्ति से फोन पर बात कर रही थी, “तूने ब्लूप्रिंट ले ली?” नहीं सर मैंने मशीन में अपना बीता हुआ पूरा एक दिन पीछे जाकर देख कर आई हु। इट्स वर्क और मैंने सीखभी लियाहै के कैसे वह मशीन काम करता है।अब मशीन ही ले आते हैं ब्लूप्रिंट की परेशानी खत्म। मालिनी बहुत खुश होकर बोली मुझे पुंछे बिना तूम या माइकल का कोई कदम मत उठाना जीतना मैं बोलूं इतना ही करना मेरे कहने का इंतजार करो तब तक तुम अपना ड्रामा चालू रखो।सामने वाले आदमीने गुस्सेमे कहा।